Unique Geography Notes हिंदी में

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Environmental Geography (पर्यावरण भूगोल)

2. Type of Ecosystem (पारिस्थितिकी तंत्र का प्रकार)

2. Type of Ecosystem

(पारिस्थितिकी तंत्र का प्रकार)


पारिस्थितिकी तंत्र का प्रकार⇒

Type of Ecosystem  

प्रश्न प्रारूप 

1. पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न प्रकारों का विवरण उनकी प्रमुख विशेषताओं के आधार पर दीजिए।

             पारिस्थितिकी तंत्र का अध्ययन समय और स्थान के सन्दर्भ में किया जाता है। प्रत्येक तन्त्र, समय और स्थान के सन्दर्भ में जैविक व अजैविक घटकों के सकल योग को दर्शाता है। पारिस्थितिकी तन्त्र के विकास की विभिन्न अवस्थाओं को उनकी विशेषताओं के आधार पर चार प्रकारों में विभाजित किया जाता है:-

(A) प्रौढ़ पारिस्थितिकी तंत्र-

       यह पारिस्थितिकी तंत्र अनुकूल भौतिक पर्यावरण में लम्बे समय तक विकसित होता है। इस तन्त्र का जैवभार (Biomass) अधिक होता है। खाद्य श्रृंखला जटिल होकर खाद्य जाल का रूप ले लेती है, जिसमें पेड़-पौधों व जीव-जन्तुओं के साथ अपघटक (Decomposers) जीव भी होते हैं। ऐसे तंत्र में जीवों का जीवन-चक्र लम्बा एवं जटिल होता है। वन पारिस्थितिकी तंत्र इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। इसमें उत्पादक जीवों के साथ-साथ सभी श्रेणियों में उपभोक्ता जीव पाए जाते हैं। प्रौढ़ पारिस्थितिकी तंत्र में जैविक विविधता (Bio Diversity) अधिक पाई जाती है।

(B) अपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र-

      इस प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र में जैव-विकास की प्रारम्भिक अवस्था ही पायी जाती है। इसमें खाद्य शृंखला (Food Chain) छोटी एवं रैखिक (Linear) होती है। जैवभार कम तथा जीवों का जीवन-चक्र छोटा होता है। इस तंत्र में जैविक विविधता कम पायी जाती है। और उच्च श्रेणी के उपभोक्ताओं की कमी होती है। दलदली और छोटी घास वाली भूमि के पारिस्थितिकी तंत्रों में ये विशेषताएं पाई जाती हैं।

(C) मिश्रित पारिस्थितिकी तंत्र-

         इस प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र में प्रौढ़ और अपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्रों की विशेषताओं का मिश्रित रूप पाया जाता है। ऐसे पारिस्थितिकी तन्त्र में जैवभार सामान्य होता है। यद्यपि खाद्य श्रृंखला व्यवस्थित होती है, परन्तु खाद्य जाल (Food web) के रूप में परिवर्तित नहीं होती है। मिश्रित पारिस्थितिकी तंत्र का विकास पर्यावरण में परिवर्तन होने के कारण होता है। अपरदन चक्र में पुनर्योवन (Rejuvenation) के कारण भी मिश्रित पारिस्थितिकी तंत्र का विकास होता है। मानवीय क्रियाकलापों के फलस्वरूप वन पारिस्थितिकी तंत्र जब घास पारिस्थितिकी तंत्र बदल जाता है तो उसमें प्रौढ़ और अपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र की विशेषताओं का समावेश हो जाता है।

(D) निष्क्रिय पारिस्थितिकी तंत्र-

       भौतिक पर्यावरण की प्रतिकूलता के कारण जब पारिस्थितिकी तंत्र में जीवन नष्ट हो जाता है तब वह निष्क्रिय (Inert) हो जाता है। निष्क्रिय पारिस्थितिकी तंत्र का विकास ज्वालामुखी विस्फोट, भूकम्प, जलवायु परिवर्तन, हिमकाल के आगमन के कारण या तो अपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र या प्रौढ़ पारिस्थितिकी तंत्र में सम्पूर्ण जीवन नष्ट हो जाने के कारण होता है। मानवकृत स्रोतों द्वारा झील में प्रदूषण होने प जीवों का विनाश हो जाता है, जिससे तंत्र निष्क्रिय हो जाता है। प्रदूषण समाप्त होने पर तंत्र में पुनः जीवन प्रारम्भ हो जाता है।


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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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