Unique Geography Notes हिंदी में

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SETTLEMENT GEOGRAPHY (बस्ती भूगोल)

9.  नगरों का कार्यात्मक वर्गीकरण / Functional Classification of Cities

9.  नगरों का कार्यात्मक वर्गीकरण

(Functional Classification of Cities)


नगरों का कार्यात्मक वर्गीकरण

           

       वह अधिवासीय क्षेत्र जहाँ मानव सामूहिक रूप से अधिवास करता है उस स्थान को बस्ती से सम्बोधित करते हैं। अगर किसी भी बस्ती की 2/3 जनसंख्या द्वितीयक एवं तृतीयक कार्यों में संलग्न हो तो वैसे बस्ती को नगरीय बस्ती से सम्बोधित करते हैं। द्वितीयक एवं तृतीयक कार्य भी कई प्रकार होते हैं। उन कार्यों के आधार पर नगरों का वर्गीकरण करना एक जटिल कार्य है। किस नगर में किस कार्य की महता अधिक है? इसके लिए अनुभावाश्रित विधि या सांख्यिकी विधि का प्रयोग किया जाता है।

      अशोक मिश्रा ने कार्यों के आधार पर भारतीय नगरों को सात वर्गों में बाँटा है। जैसे:-

(1) उत्पादन नगर

(2) व्यापारिक नगर

(3) राजनीतिक या प्रशानिक नगर

(4) सांस्कृतिक नगर

(5) मनोरंजनात्मक नगर

(6) परिवहन नगर  

(7) मिश्रित नगर

(1) उत्पादन नगर⇒ वैसे नगर जहाँ पर मुख्य रूप से उत्पादन का कार्य किया जाता है। उत्पादन के ये कार्य भी दो प्रकार के हो सकते हैं:-

(A) प्राथमिक उत्पादन के कार्य

(B) औद्योगिक उत्पादन के कार्य

     (A) प्राथमिक उत्पादन का कार्य करने वाले नगरों को पुनः 6 भागों में बाँटा जा सकता है:-

(a) खनन पर आधारित नग⇒ जैसे- झरिया (कोयला), खेतरी (ताम्बा), जादूगोडा (यूरेनियम) उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।

(b) खनिज तेल उत्पादन करने वाले नगर ⇒ जैसे- असम का डिग्बोई, नूनमाटी, नरकटियागंज

(c) लकड़ी का कारोबार करने वाले नगर⇒ जैसे- काठ गोदाम, सहारनपुर (UP)

(d) मत्स्यन कार्य करने वाले नगर⇒ जैसे- तमिलनाडु का धनुषकोटी और रामेश्वरम्

(e) पशुपालन आधारित नगर ⇒ सोनपुर

(f) कृषि आधारित नगर⇒ भारत के अधिकांश कस्बाई नगर।

     (B) औद्योगिक उत्पादन करने वाले नगरों में कच्चे माल लाकर तैयार किया जाता है उसके बाद तैयार माल को बेचने का कार्य किया जाता है। भिलाई, दुर्गापुर, कुल्टी, बर्नपुर, सतना (MP), जमशेदपुर।

        औद्योगिक उत्पादन हेतु विभिन्न प्रकार की ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है। अतः ऊर्जा उत्पादन के लिए अलग-2 ऊर्जा स्रोत पर अलग-2 संयंत्रों का विकास किया गया है और संयंत्रों के आस-पास नगरीय विकास को देखा जा सकता है। जैसे:

(a) नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन करने वाले नगर⇒ रावतभाटा (राजस्थान), नरौरा, कलपक्कम

(b) तापीय ऊर्जा पर आधारित नगर⇒ तालचर, संथालडीह (W.B), चन्द्रपुरा (बोकारों के पास), रामगढ़

(c) जलविद्युत पर आधारित नगर⇒ तिलैया, कुमारडुब्बी, मैथन, शिवसमुद्रम, इडुक्की

(d) खनिज तेल शोधन शाला पर आधारित नगर⇒ बरौनी, मथुरा, हल्दिया, जामनगर नगर, कोयली

(2) व्यापारिक नगर

                ऐसे नगर जहाँ पर व्यापारिक कार्य प्रमुख रूप से किये जाते हैं। इस तरह के नगरों का विकास दो स्थानों पर हुआ है।

(i) दो विभिन्न प्रकार के भौगोलिक विशेषता रखने वाले मिलन बिन्दु पर। जैसे: पर्वत तथा मैदान के मिलन बिन्दु पर हरिद्वार, कोंटासाहिब (उत्तराखंड)।

नोट :-

DAV ⇒ धौलीगंगा + अलकनंदा = विष्णुप्रयाग 

NAN ⇒ नंदाकिनी + अलकनंदा = नंदप्रयाग 

PAK ⇒ पिंडार + अलकनंदा = कर्णप्रयाग 

MAR ⇒ मन्दाकिनी + अलकनंदा = रुद्रप्रयाग 

BAD ⇒ भागीरथी + अलकनंदा = देवप्रयाग 

नगरों का कार्यात्मक वर्ग

         भारत में सभी नदियों के संगम स्थल पर धार्मिक नगर बसा हुआ है। जैसे- इलाहाबाद, वाराणसी, राजरप्पा।

मरुस्थल एवं उपजाऊ मैदान की मिलन बिन्दु पर : हनुमानगढ़, गंगानगर, जयपुर।

(ii) दो विभिन्न प्रकार के परिवहन साधनों के मिलन स्थान पर। जैसे:

(a) सड़‌क और रेलवे के मिलन बिंदु पर जैसे- बाजाल्दा (कश्मीर में उधमपुर जिला में)

(b) रेलवे मार्गो के जंक्शन पर जैसे- पंडित दीनदयाल उपाध्याय, कटनी, इटारसी।

(c) सड़‌कों के मिलन बिन्दु पर जैसे- झाँसी।

(3) राजनीतिक या प्रशासनिक नगर 

       वैसे नगर जहाँ पर मुख रूप से राजनीतिक एवं प्रशासनिक कार्य किये जाते हैं। जैसे- भारत के सभी राजधानी नगर। राजनीतिक एवं प्रशासनिक नगर को भी दो भागों में बाँटा जा सकता है:-

(i) किला नगर- जयपुर, उदयपुर, चितौड़‌गढ़, दरभंगा, जोधपुर।

(b) विशुद्ध रूप ने प्रशासनिक कार्य करने वाले नगर- दिसपुर, गाँधी नगर।

(4) सांस्कृतिक नगर

           प्राचीन काल से ही भारत में मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर इत्यादि के इर्द-गिर्द नगरों का विकास होता रहा है सांस्कृतिक नगर को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है:-

(i) धार्मिक नगर⇒ गया, मथुरा, वाराणसी, अयोध्या, देवघर।

(i) शैक्षणिक नगर⇒ नालंदा, विक्रमशीला, पिलानी, नेतरहाट, पटना, कोटा।

(iii) धार्मिक सह शैक्षणिक नगर⇒ प्रयागराज, वाराणसी, पटना।

(5) मनोरंजनात्मक नगर

      वैसे  नगर जहाँ प्राथमिक रूप से मनोरंजन के कार्य सम्पादित किये जाते हैं जो कई प्रकार के होते हैं। जैसे-

(i) पर्वतीय पर्यटक नगर ⇒ श्रीनगर, शिमला, मासुरी, दार्जलिंग, माऊण्ट आबू।

(ii) लैगून नगर ⇒ कोबलम, कुमारगम (केरल)

(iii) पुलिन नगर⇒ चेन्नई, पुरी, मुम्बई का जुहू बिच इत्यादि।

(6) परिवहन नगर

       ऐसे नगरों में परिवहन का कार्य मुख्य रूप से किया जाता है। जैसे:- डायमण्ड हार्बर, काल्का, पोर्ट द्वार (उतराखण्ड)

(7) मिश्रित नगर

       ऐसे नगरों में कई कार्य संपादित किये जाते हैं। कार्यों के आधार पर उन नगरों का पहचान कठिन हैं। वैसे नगर को मिश्रित नगर कहते है। उदा०- भारत के सभी महानगर इसके सर्वोत्तम उदाहरण है।

निष्कर्ष

           उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि भारतीय नगरों को कार्यों के आधार पर कई भागों में बाँटा जाता है लेकिन कोई भी नगर विशुद्ध रूप से एक ही कार्य को संपादित नहीं करते हैं। ऐसे में बहुचर विश्लेषण विधि के आधार प नगरों का संश्लेषित वर्गीकरण प्रस्तुत करने की आवश्यकता है।


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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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