16. Urban Problem /नगरीय समस्या
16. Urban Problem /नगरीय समस्या
प्रश्न प्रारूप
1. भारतीय नगरों के आवास की मौलिक समस्या अल्पता नहीं वरन् अत्यन्त निम्न स्तर की गुणवता है।” स्पष्ट कीजिए। (39 BPSC)
2. मुम्बई महानगर के के लिए क्या समस्याएँ है? उनका समाधान के लिए क्या-क्या उपाय विधाराधीन है? (39 BPSC)
3. गंदी बस्ती तथा नगरीय आवास के मुख्य कारकों की व्याख्या कीजिए। (42वीं BPSC)
4. बिहार में गंदी बस्ती एवं नगरीय आवास के मुख्य कारणों की व्याख्या कीजिए। (44वीं BPSC)
5. झोपड़ बस्ती हमारे शहरों का विभाज्य अंग बन गया है। व्याख्या कीजिए (44वीं BPSC)
भारत में सबसे बड़ा गंदी बस्ती का मुम्बाई में हुआ है जो धरावी के नाम से प्रसिद्ध है। यह मुम्बई के उत्तरी भाग में अवस्थित है। यहाँ औद्योगिक श्रमिक बड़े पैमाने पर अधिवासित होते हैं। यहाँ के अधिवासीय मकान ही चाल कहलाते हैं। इन चालों में लोग ऐसे कमरों में रहा करते हैं जहाँ कबूतर एवं मुर्गी भी नहीं पाली जा सकती है। प्रत्येक चाल पर पाँच-छः मंजिले इमारत होते हैं जिसमें प्रकाश और वायु की कोई व्यवस्था नहीं होती हैं। शैौचालय अत्यंत दूषित तथा बदबूदार होता है।
गंदे पानी निकलने की कोई व्यवस्था नहीं होती है। और कूड़ा-करकट गंदे पानी में बहते हुए नजर आते हैं। इन चालों में ऐसे परिवार होते हैं जो एक रक्त से संबंधित होते हैं। यहाँ समाज विरोधी तत्व सक्रिय रहते हैं और गंदी बस्तियाँ सामाजिक बुराइयों का अड्डा होता है।
कोलकाता में गंदी अधिवासीय क्षेत्र को ‘बस्ती’ कहते हैं। कोलकाता भारत का दूसरा सबसे बड़ा गंदी बस्ती का क्षेत्र है। कोलकाता में गंदी बस्ती का निर्माण जूट मील मालिक एवं सरदारों ने किया है। इन बस्तियों के निर्माण के पीछे पैसा कमाना मुख्य उद्देश्य है। कोलकाता में इन बस्तियों का विकास बड़े-2 पूजीपतियों एवं मील मालिक के अट्टालिकाओं के इर्द गिर्द हुआ है। इन बस्तियों में बिजली, वायु, शौचालय एवं नाला इत्यादि का घोर अभाव है।
कानपुर में “श्रमिक जांच समिति” ने कानपुर गंदी बस्ती का विशेषता बताते हुए कहा है कि इन बस्तियों में अपरिचित व्यक्तियों के लिए घुसना खरनाऊ होता है क्योंकि अनजान व्यक्ति उसमें घुसकर अपना हड्डी तोड़वा सकता है। यद्धपि गंदी बस्ती में रहने वाले व्यक्ति अक्सर कीड़े-मकोड़े, खटमल, जू, मच्छर इत्यादि से शिकार होते रहते हैं। इन बस्तियों के अन्दर नारकीय वातावरण होता है।
चेन्नई में गंदी बस्ती का विकास हुआ है जो ‘चेरी’ के नाम से प्रसिद्ध है। चेरी में निर्मित मकान मिट्टी के होते हैं। इन मकानों का निर्माण लोगों ने स्वयं किया है। यहाँ मानव पशुओं से भी बदत्तर जीवन जीने के लिए अभ्यस्त है।
दिल्ली के झुग्गी-झोपड़ी कोलनी (J. J. Colony) यमुना नदी के किनारे सहादरा, यमुना बाजार, किदवई नगर, त्रिलोकपुरी, जहाँगीरपुरी क्षेत्रों में हुआ है। झुग्गी-झोपड़ी में मकान कच्चे मिट्टी से या बाँस और पुराने पॉलिथीन के चादर से बने होते हैं। मकानों के चारों ओर कुड़ा-कड़कट के ढेर, यहाँ-वहाँ गंदे जल का जमाव, तंग गलियाँ पायी जाती है। सामान्य दिनों में सौचालय करते हुए लोग दिखाई देते हैं और गर्मी के दिनों में यहाँ आग लगने की घटना बड़े पैमाने पर होती है।
उपरोक्त नगरों के गंदी बस्ती के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि भारत के गंदी बस्तियों में निम्न गुणवत्ता वाले मकानों की अधिकता होती हैं वहीं बाहर का पर्यावरणीय एवं सामाजिक वातावरण भी काफी दुषित होता है।
गंदी बस्ती के विकास के कारण
किसी भी नगर में गंदी बस्तियों के विकसित होने के निम्नलिखित कारण हैं;
(1) औद्योगिकीकरण⇒ किसी स्थान पर उद्योगों के लगने से अचानक बड़ी संख्या में मजदुर आकर निवास करने लगते हैं। फलत: ये मजदूर कामचलाऊ मकान बनाकर अधिवासित होने लगते हैं। पुनः उद्योग के मालिक मजदूरो के अधिवासित होने के लिए निम्न स्तरीय मकानों का निर्माण कराकर मजदूरों को बसा देते है। जैसे- कोलकाता नगर के इर्द-गिर्द बड़े पैमाने पर जूट, सूती वस्त्र का उद्योग का विकास हुआ है। इन उद्योगों में बिहार, UP. झारखण्ड स्वयं पश्चिम बंगाल, असम, बांगलादेश से आगे मजदूर कार्य करते हैं और काम चलाऊ अधिवासीय बस्ती में अधिवासित होते हैं।
(2) ग्रामीण-नगरीय जनसंख्या स्थानान्तरण- स्वदेश नागया ने दिल्ली के झुग्गी-झोपड़ी का अध्ययन कर बताया कि यहाँ गंदी बस्ती के विकसित होने का प्रमुख कारण ग्रामीण नगरीय जनसंख्या स्थानान्तरण है।
(3) गरीबी तथा कम किराया- नगरों में काम करने वाले मजदूर पेट भरने और शरीर ढकने से ज्यादा नहीं कमा पाते हैं जिसके कारण वे अच्छे मकानों में नहीं रह पाते हैं। गंदी बस्ती में कम किराया होने के कारण लोग मजबूरन अधिवासित होने के लिए बाध्य होते हैं।
(4) नगरों में मकानों का अभाव- जिस तेजी से नगरीय जनसंख्या हमें वृद्धि हो रही है। उस दर से मकानों का निर्माण नहीं हो रहा है जिसके कारण लोग गंदी बस्तियों में अधिवासित हो रहे हैं।
(5) मकान मालिकों की मानसिकता- मकान मालिक अधिक से अधिक किराया प्राप्त करने के फिराक में मकानों के देख-भाल में ध्यान नहीं देते हैं तथा मकानों में सुविधाओं का विकास नहीं करते है।
(6) अज्ञानता- गंदी बस्ती के प्रसार में अज्ञानता एवं अशिक्षा प्रमुख योगदान है। बाहरी क्षेत्रों से आये हुए लोग अज्ञानतावश एक स्थान पर झुण्डों में निवास करने लगते है। स्वास्थ, सफाई, बीमारी से निपटने हेतु सामूहिक प्रयास नहीं करते हैं। फलतः गंदी बस्तियों का विकास होता है।
(7) नगर नियोजन का अभाव⇒ भारत में कुछ नगरों के विकास के लिए मास्टर प्लान का निर्माण किया गया है लेकिन कई ऐसे नगर हैं जिनके लिए कोई मास्टर प्लान नहीं है। मास्टर प्लान लागू होने का दर काफी धीमी है जबकि नगरीय जनसंख्या वृद्धि की दर तीव्र है।
(8) अन्य कारण- पारिवारिक कलह, धार्मिक रूढ़िवादिता, सामाजिक बहिष्कार एवं सामाजिक असुरक्षा, अधिकांश नगरों का पुराना होना, नगरों में सार्वजनिक सुविधाओं का आभाव होना, समय-2 पर प्राकृतिक आपदाओं का आना इत्यादि कुछ ऐसे कारण है जिसके चलते गंदी बस्तियों विकास होता है।
इस तरह ऊपर के लक्ष्यों से स्पष्ट है कि भारत में बस्तियों के विकास के पीछे कोई एकल कारण नहीं है बल्कि कई समेकित कारण जिम्मेदार हैं।
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