Unique Geography Notes हिंदी में

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SETTLEMENT GEOGRAPHY (बस्ती भूगोल)

12. ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्षेत्र / नगरीय सीमान्त क्षेत्र / ग्रामीण-नगरीय सांतत्य / Rural-Urban Fringe

12. ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्षेत्र / नगरीय सीमान्त क्षेत्र / ग्रामीण-नगरीय सांतत्य


ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्षेत्र के अर्थ⇒

            “ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्षेत्र” का शाब्दिक अर्थ है- नगरों की सीमाओं पर स्थित वह क्षेत्र जहाँ ग्रामीण एवं नगरीय भूदृश्य की विशेषताएँ देखने को मिलती है। दूसरे शब्दों में उपान्त क्षेत्र वह क्षेत्र है जो नगर और ग्रामीण बस्ती के बीच में विकसित होते हैं तथा वहाँ पर नगरीय और ग्रामीण आर्थिक-क्रियाकलाप साथ-2 चलते रहती है। इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1942 ई० में बेहरबिन महोदय ने किया था।

            ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्षेत्र को ग्रामीण नगरीय सांतत्य शब्द से संबोधित किया जाता है। इस संकल्पना में बताया गया है कि नगर के केन्द्र में विशुद्ध रूप से नगरीय संस्कृति होती है लेकिन ज्यों-2 नगर के केन्द्र से दूर जाते हैं त्यों-2 नगरीय संस्कृति या नगरीय विशेषता में कमी आते जाती है और ग्रामीण विशेषताएँ बढ़ने लगती हैं।

                  दूसरे शब्दों में ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्षेत्र मुख्यतः दो शब्दों का संग्रह है- उसमें से एक ग्रामीण उपान्त क्षेत्र एवं दूसरा नगरीय उपान्त क्षेत्र है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि ग्रामीण- नगरीय उपान्त अतिक्रमण क्षेत्र का प्रतीक है। यह नगर के चारों ओर एक ऐसी संक्रमण पेटी का प्रतिनिधित्व करता है जो न तो पूर्णतया ग्रामीण है और न ही पूर्णतया नगरीय। इस प्रकार के संक्रमण पेटी में ग्रामीण एवं नगरीय दोनों प्रकार का वातावरण देखने को मिलता है।

ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्ष

                ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्षेत्र वह भौगोलिक क्षेत्र है, जो नगर की प्रशासनिक प्रदेश की सीमा के बाहर है किन्तु नगरीय आकारिकी के विकास की प्रवृति जारी रहती है।

ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्षेत्र एक ऐसा गत्यात्मक क्षेत्र है जहाँ लगातार भू उपयोग में परिवर्तन की प्रवृति होती है अर्थात् कृषि क्षेत्र घटते जाते हैं और निर्मित क्षेत्र बढ़ते जाती है।

ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्षेत्र के प्रकार 

           ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्षेत्र को दो भागों में बाँते हैं:-

(ii) प्रमुख उपान्त क्षेत्र

(ii) गौण उपान्त क्षेत्र

                प्रमुख उपान्त क्षेत्र वह है जहाँ पर नगरीय विशेषताओं का अनुपात अधिक है। और गौण उपान्त क्षेत्र वह है जहाँ पर ग्रामीण विशेषताओं का अनुपात अधिक है।

ग्रामीण-नगरीय उपान्त क्षेत्र के विकास के कारण

(1) केन्द्रों उन्मुखी शक्तियों का सक्रिय होता⇒ चूँकि नगर के केन्द्र में भूमि का मूल्य और मकान का किराया बहुत अधिक होता है। जबकि उपान्त क्षेत्रों में भूमि का मूल्य और मकान का किराया कम होता है। इसलिए केन्द्रीय बस्ती के लोग बाहरी क्षेत्रों में बसने की प्रवृति रखते है।

               केन्द्रीय बस्ती में अधिवासीय क्षेत्रों की कमी और प्रदूषण ज्यादा होता है। इसलिए भी लोग बाहर की ओर जाकर बसने की प्रकृति रखते हैं। पुनः केन्द्रीय बस्ती में पार्क, खेल का मैदान, हवाई अड्‌डा, फर्म हाउस, शोरूम खोलने के लिए विस्तृत भूमि नहीं मिल पाती है जिसके कारण उपान्त क्षेत्रों का विकास होता है।

               केन्द्रीय बस्ती में प्रदूषण से संबंधित कड़े नियम लागू होते हैं लेकिन उपान्त क्षेत्रों में औद्योगिक इकाइयों के द्वारा प्रदूषणकारी पदार्थों के स्राव पर कोई रोक नहीं होता है इसलिए औद्योगिक इकाइयों प्रान्त क्षेत्रों में विकसित होकर इनके विकास में योगदान देते हैं।

(2) कर से बचने के लिए भी इस प्रदेश में औद्योगिक इकाइयों के विकसित होने से उपान्त क्षेत्र विकसित होता है।

(3) विकासशील देशों में ग्रामीण-स्थानान्तरित जनसंख्या उपान्त क्षेत्रों में भूमि का मूल्य कम होने के कारण निवास की प्रवृति रखती है जिसके कारण उपान्त क्षेत्रों का सतत विकास होता जाता है।

          कुछ कार्य नगरों के आन्तरिक भागों में संभव नहीं है। जैसे- सीवेज प्लांट का निर्माण, कचड़ा संग्रहण केन्द्र, कसाई खाना, श्मशान घाट, विस्फोटक पदार्थों के डिप्पो, माल गोडॉन इत्यादि का निर्माण संभव नहीं है। अत: इनका विकास नगर के बाहरी क्षेत्रों में ही उपयुक्त मानी जाती है। फलतः उपान्त क्षेत्रों का सतत विकास होता है।

(4) उपान्त क्षेत्र अभिगमन के क्षेत्र होते हैं जिसके कारण यहाँ पर तीव्र गति से चलने वाले परिवहन साधनों का विकास अधिक होता है। अत: सम्पन्न लोग केन्द्रीय बस्ती तक कम समय में तीव्र परिवहन साधन कर पहुँच जाते हैं जिसके कारण सम्पन्न लोग केन्द्रीय बस्ती से दू उपान्त क्षेत्र में अधिवासित होने की प्रवृति रखते है। इससे उपान्त क्षेत्रों का सतत् विकास होता है।

नगरीय उपान्त


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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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