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BA SEMESTER-IOCENOGRAPHY (समुद्र विज्ञान)PG SEMESTER-1

19. Effect of Ocean Currents (महासागरीय जल धाराओं का प्रभाव)

19. Effect of Ocean Currents

(महासागरीय जल धाराओं का प्रभाव)


Effect of Ocean Currents (महासागरीय जल धाराओं का प्रभाव)

Effect of Ocean Currents

महासागरीय जलधाराओं का प्रभाव कई क्षेत्रों पर पड़ता है जो निम्नलिखित है-

(i) मौसमी दशाओं पर प्रभाव- महासागरीय धाराएँ जिन तटीय भागों से होकर गुजरती है, वहाँ की मौसम संबंधी दशाओं में पर्याप्त संशोधन करती है। इसका प्रभाव सबसे अधिक तटीय भागों के तापक्रम पर होता है। यह प्रभाव लाभदायक एवं हानिकारक दोनों प्रकार का हो सकता है। गर्म जलधारायें जब ठंडे भागों में पहुँचती है तो वहाँ का तापमान कम नहीं होने देती है। या सर्दियों में उन्हें अपेक्षाकृत गर्म रखती है।

          उत्तर-पश्चिमी यूरोप के तटीय देशों की आदर्श जलवायु का राज गल्फस्ट्रीम का बढ़ा भाग उत्तरी अटलांटिक धारा ही है। सर्दियों में इन तटीय देशों (ग्रेट ब्रिटेन, नार्वे, स्वीडन, डेनमार्क, हॉलैंड आदि) का तापक्रम अपेक्षाकृत अधिक रहता है। परंतु यही गल्फस्ट्रीम धारा यू.एस.ए.के तटीय भागों में ग्रीष्म काल में गर्म लहर(Heat Waves) को जन्म देकर तापक्रम को अचानक ऊँचा कर देती है जिसके कारण मौसम कष्टदायक हो जाता है। शरदकाल में भी पूर्वी यू.एस.ए. गल्फस्ट्रीम से लाभ नहीं उठा पाता, क्योंकि इस समय हवाएँ स्थल से जल की ओर चलती है।

(ii) ऊष्मा संतुलन पर प्रभाव- गर्म जलधाराएँ उष्णकटिबंधीय उच्च तापक्रम को उच्च अक्षांशों की ओर ले जाकर तापमान के वितरण में समानता लाने का प्रयास करती है। इस तरह पृथ्वी के क्षैतिज ऊष्मा संतुलन को स्थापित करने में गर्म जलधाराएँ पर्याप्त मदद करती है, क्योंकि निम्न अक्षांशों की अतिरिक्त ऊष्मा को उच्च अक्षांशों की ओर स्थानांतरित करती है।

(iii) हिमपात की स्थिति पर प्रभाव- इसके विपरीत ठंडी जलधाराएँ जहाँ से गुजरती है, वहाँ का तापक्रम अत्यंत नीचा कर देती है, जिसके कारण हिमपात की स्थिति आ जाती है। क्यूराइल, लैबराडोर, फॉकलैंड की ठंडी धाराएँ प्रभावित क्षेत्र में भारी हिमपात के लिए पूर्णतया जिम्मेदार है।

(iv) वर्षा पर प्रभाव एवं मरुस्थलों का विकास- गर्म धाराओं के ऊपर चलने वाले हवाएँ नमी धारण कर लेती है तथा प्रभावित क्षेत्रों को वर्षा प्रदान करती है। उदाहरण के लिए उत्तर-पश्चिमी यूरोप के तटीय भागों में उत्तरी अटलांटिक धारा तथा जापान के पूर्वी भाग में क्यूरोशियो धारा के कारण वर्षा होती है। उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट की वर्षा कुछ अंश तक गर्म धारा के कारण होती है। 

               इसके विपरीत ठंडी जलधाराएँ वर्षा रोकती है। उदाहरण के लिए दक्षिण अफ्रीका के पश्चिमी तट पर कालाहारी तथा दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट पर अटाकामा मरुस्थलों के विकास में क्रमशः बेंगुएला तथा पेरू (हंबोल्ट) की ठंडी धाराओं का हाथ है। 

(v) कोहरा/कुहरा(Fog) का उत्पन्न होना- गर्म तथा ठंडी धाराओं के मिलन स्थल पर कोहरा उत्पन्न होता है जो जलयानों के लिए खतरनाक होता है। न्यूफाउलैंड के पास लैबराडोर ठंडी धारा तथा गल्फस्ट्रीम गर्म धारा के मिलने से ताप व्यतिक्रम (Inversion of Temperature) होने से घना कुहरा पड़ता है। इसी तरह जापान के पास क्यूराइल(ओयाशियो) ठंडी धारा तथा क्यूरोशियो गर्म जलधारा के मिलने से भी उत्पन्न होता है।

(vi) मत्स्य उद्योग/समुद्री बैंकों पर प्रभाव- जलधाराएँ मछलियों के जीवित रहने के लिए आवश्यक तत्व, ऑक्सीजन, भोजन को वितरित करने का कार्य करती है। धाराओं द्वारा प्लैंकटन नामक और घास का लाया जाना मछलियों के लिए आदर्श स्थिति पैदा करता है।

          गल्फस्ट्रीम धारा द्वारा ययह प्लैंकटन न्यूफाउंडलैंड तथा उत्तर पश्चिमी यूरोप तट पर पहुँचाया जाता है जिसके कारण वहाँ पर मत्स्य उद्योग अत्यधिक विकसित हो गया है। परंतु पेरू तट पर एलनीनो धारा के कारण प्लैंकटन  अदृश्य हो जाने पर मछलियाँ मर जाती है और इस उद्योग को क्षति उठानी पड़ती है।

         शीत क्षेत्रों में पैदा होने वाली खाद्य मछलियाँ ठंडी धाराओं के साथ गर्म प्रदेशों में आ जाती है। गर्म और ठंडी धाराएँ भी मिलकर विभिन्न प्रकार की मछलियों को जन्म देती है।

(vii) समुद्री मार्ग व्यापार पर प्रभाव-  महासागरीय धाराएँ जलमार्गों को निश्चित करती है, जिसके सहारे व्यापारिक जलयानों का परिवहन किया जाता है। परंतु धाराओं का यह प्रभाव प्राचीनकाल में अधिक था क्योंकि वर्तमान समय में शक्ति चालित जहाज हवा तथा धाराओं की दिशा का परवाह नहीं करते। 

              जहाँ पर गर्म एवं ठंडी धाराएँ मिलती है वहाँ पर कुहरा पड़ता है जो कि सामुद्रिक जहाजों के परिवहन में बाधा उत्पन्न करती है। जैसे न्यूफाउंडलैंड तथा जापान के तट के पास इसी तरह के कुहरे के कारण जलयानों को अपार क्षति उठानी पड़ती है। ठंडी धाराओं द्वारा बड़ी-बड़ी हिम शिलाएँ निम्न अक्षांशों की ओर लायी जाती है जिनसे टकराने के कारण जलयान क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। गर्म धाराओं के कारण ठंडे स्थानों के बंदरगाह खुले रहते हैं।

निष्कर्ष: 

       उपर्युक्त तथ्यों के विवरण से स्पष्ट होता है कि महासागरीय जल धाराओं का मानव वातावरण एवं उनकी आर्थिक क्रियाकलापों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।


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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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