1. Change in Sea Level / समुद्र तल में परिवर्तन
1. Change in Sea Level
(समुद्र तल में परिवर्तन)
Change in Sea Level / समुद्र तल में परिवर्तन⇒
समुद्री जल का तल (S.L.) समुद्री वातावरण का एक गत्यात्मक पहलू है। यद्यपि पृथ्वी तंत्र के कुल जल की मात्रा निश्चित है। लेकिन समय-समय पर जल के अवस्था में परिवर्तन के कारण समुद्र तल में भी परिवर्तन होता है। समुद्र तल का परिवर्तन कई कारकों का परिणाम है। जैसे –
◆ हिमयुग के आगमन से समुद्र तल में गिरावट आती है और जब हिमयुग की समाप्ति होती है तथा वातावरण का तापमान अधिक हो जाता है तो स्थलीय हिम पिघलकर समुद्र में आ जाते हैं और जल स्तर ऊँचा हो जाता है।
◆भूगर्भिक प्रक्रियाएँ भी समुद्र के जलस्तर में परिवर्तन लाते हैं। जैसे अगर भूगर्भिक हलचल के कारण समुद्री नितल का उत्थान होता है तो जल स्तर गिरती है और जब धँसान होता है तो जलस्तर बढ़ती है। जैसे- कई स्थलीय भूभागों पर समुद्री जीवाश्म के प्रमाण मिलते हैं जो यह बताता है कि कभी वहाँ पर समुद्री जल रहा होगा और जब वहाँ समुद्र रहा होगा तो निश्चित रूप से एक समुद्री जलस्तर भी रहा होगा। जब उस भू-भाग का उत्थान हो जाता है तो समुद्र का जलस्तर नीचे की ओर खिसक जाता है लेकिन यह एक सापेक्षिक घटना है।
नोट : अगर समुद्र नितल का धँसान होता है तो जलस्तर नीचे चली जाती है और जब समुद्र नितल का उत्थान होता है तो समुद्र जलस्तर बढ़ जाता है।
◆ विभिन्न जलवायु विज्ञान एवं समुद्री विज्ञान के वैज्ञानिकों ने समुद्र तल में होने वाले परिवर्तन को गत्यात्मक मानते हुए यह माना है कि समुद्र तल में परिवर्तन जल के आयतन में बढ़ोतरी या कमी से होती है।
उपरोक्त तीनों कारकों में से प्रथम कारक है समुद्र तल परिवर्तन के लिए सबसे उत्तरदायी कारक है।
विभिन्न अध्ययनों से यह स्पष्ट हो चुका है कि समुद्र तल में 110 से 140 मीटर तक परिवर्तन हुआ है। प्रायः सभी हिम युग में समुद्र का तल 100 से 150 मीटर के बीच नीचे चले गए थे। प्लीस्टोसीन के अंतिम हिमानी युग के अंत में समुद्र का तल वर्तमान तल से 110 मीटर नीचे पहुँच गया था। फेयरब्रिज के अनुसार “समुद्रतल में सतत सूक्ष्म परिवर्तन होते रहते हैं।” लेकिन 1800 ई० के बाद में इसमें काफी स्थिरता आई है। हालाकि औद्योगिक क्रांति के बढ़ते प्रभाव के कारण 1970 के दशक से वातावरण में तापमान के बढ़ोतरी से समुद्र तल में भी बढ़ोतरी होने लगी है। सामान्य नियम के अनुसार 1℃ वायुमंडलीय तापमान के बढ़ने से 0.55 mm समुद्री तल में वृद्धि होती है। “विश्व जलवायु विज्ञान संस्था” के अनुसार 1985 से 1997 के बीच औसत तापमान में बढ़ोतरी 0.37℃ हुआ है।
उपाय
भारत के पर्यावरण मंत्रालय ने ग्लोबल वार्मिंग और समुद्र तल में हो रहे बढ़ोतरी का अध्ययन करवाया है। इन दोनों के बीच पाए जाने वाले सह संबंध को देखते हुए एक आपातकालीन योजना बनाने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत लगभग एक करोड़ आबादी को तटीय क्षेत्र से विस्थापित कर सुरक्षित स्थान पर बसाने का कार्य किया जा रहा है। इसी तरह विश्व के कई देश ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, समुद्र तल में हो रहे परिवर्तन पर नजर टिकाए हुए हैं। समुद्र तल में परिवर्तन न हो इसके लिए कई देशों ने शिखर बैठक कर पृथ्वी सम्मेलन के दस्तावेज पर, क्योटो प्रोटोकॉल पर, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर अपना सहमति व्यक्त किया है ताकि एक ओर वायुमंडल को गर्म होने से बचाया जाय वहीं दूसरी ओर समुद्री तल में हो रहे परिवर्तन को भी रोक जाय।
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