14. Currents of The Pacific Ocean / प्रशांत महासागर की जलधाराएँ
14. Currents of The Pacific Ocean
(प्रशांत महासागर की जलधाराएँ)
(A) उत्तरी प्रशांत महासागर की जलधाराएँ
(i) उत्तरी भूमध्य रेखीय धारा-
इसका प्रारंभ उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका के मिलन स्थल पर पश्चिमी भाग से होती है। यहां से प्रारंभ होकर यह धारा संपूर्ण प्रशांत महासागर की 7500 मील की यात्रा करके फिलीपाइन द्वीप समूह के तट पर आकर टकराती है और उत्तर की ओर मुड़ जाती है। यह एक गर्म जलधारा है। यह पूर्व से पश्चिम दिशा में बहती है। यह संसार की सबसे लंबी जलधारा है।
(ii) क्यूरोशियो या जापान धारा-
उतरी विषुवतीय प्रशांत जलधारा की ही अग्रभाग है जो दक्षिण से उत्तर की ओर चलती है। यह फिलीपींस से 35°N अक्षांश के बीच जापान के पूर्वी तट के सहारे चलती है। 40°अक्षांश के पास यह सीधे पूरब की ओर मुड़ जाती है और उत्तरी प्रशांत प्रवाह को जन्म देती है। लेकिन इसके पहले क्यूशू द्वीप से टकराकर इसकी दो शाखा हो जाती है। एक शाखा जापान सागर में “शुसीमा धारा” कहलाती है।
(iii) क्यूराइल या ओयाशिवो ठंडी जलधारा-
यह एक ठंडी जलधारा है। उत्तरी आर्कटिक महासागर से चला हुआ जल बेरिंग जलडमरूमध्य से होकर दक्षिण की ओर प्रवाहित होता है जिसे ओयाशिवो जलधारा कहते हैं। होकैडो द्वीप के पास यह क्यूरोशियो जलधारा से मिल जाती है। इसे कमचटका धारा भी कहते हैं।
(iv) उत्तरी प्रशांत महासागरीय ड्रिफ्ट-
उत्तरी अटलांटिक ड्रिफ्ट के समान ही प्रशांत महासागर में क्यूरोशियो धारा से टकराकर जब पछुआ पवनों के प्रभाव में आती है तो पूर्व की ओर मुड़ जाती है। तब इसकी गति मंद होती है। इसकी एक शाखा बेरिंग समुद्र में घुसकर अल्युशियन द्वीपों के उत्तरी भाग में घड़ी की सुई के विपरीत दिशा में घूमती है। यह एक ठंडी धारा के रूप में क्यूराइल से जाकर मिल जाती है। इसे अल्युशियन जलधारा भी कहते हैं। दूसरी शाखा अलास्का की खाड़ी में प्रवेश करके अलास्का धारा के नाम से जानी जाती है। यह गर्म जलधारा के रूप में बहती है जिसके कारण कनाडा के तटीय क्षेत्र में हिम को जमने नहीं देता है।
(v) कैलिफोर्निया जलधारा- यह एक उपसतही ठंडी जलधारा है जो उत्तर से दक्षिण की ओर कैलिफोर्निया की खाड़ी के तट के सहारे चलती है और उत्तरी विषुवतीय जलधारा से जाकर मिल जाती है।
(B) दक्षिणी प्रशांत महासागर की जलधारा
(i) दक्षिण विषुवतीय जलधारा-
दक्षिण पश्चिम वाणिज्य पवन के कारण पूर्व से पश्चिम की ओर चलने वाली जलधारा है। यह एक गर्म जलधारा है। मध्य प्रशांत महासागर में यह धारा अनेक द्वीपों की स्थिति के कारण विभाजित हो जाती है।
(ii) पूर्वी आस्ट्रेलियन धारा-
जब दक्षिणी विषुवतीय प्रशांत जलधारा न्यूगिनी तट से टकराती है तो इसका अधिकांश जल दक्षिण की ओर मुड़कर आस्ट्रेलिया के पूर्वी तट के सहारे बहने लगती है। इसे ही पूर्वी ऑस्ट्रेलियन जलधारा कहते हैं। न्यूजीलैंड के निकट इसकी दो शाखाएं क्रमशः पश्चिम तथा पूरब से बहकर बहती है और पुनः मिल जाती है। 40°S अक्षांश के निकट यह पूर्व की ओर प्रवाहित होने लगती है और दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट तक चलती चली जाती है।
(iii) अंटार्कटिक प्रवाह-
यह धारा अंटार्कटिका के चारों ओर चक्कर लगाती है। इसकी दिशा पश्चिम से पूरब की ओर है। यह एक ठंडी जलधारा है जो पछुआ पवनों के प्रवाह में रहती है। इसे पछुआ पवन प्रवाह जलधारा भी कहते हैं। अवरोध के अभाव में स्वतंत्र रूप से बहती है।
(iv) पेरू या हंबोल्ट की ठंडी जलधारा-
पेरू के तट पर दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है। यह अंटार्कटिका ड्रिफ्ट की एक शाखा है। इसकी खोज 1522 ई० में हुआ। 1802 में इसका नाम हंबोल्ट ने अपने नाम पर रखा। तट से इसका विस्तार 900 किलोमीटर दूर तक मिलता है। इसके कारण गैलपोगस द्वीप पर पेंग्विन पक्षी मिलते हैं।
(v) एलनीनो जलधारा-
यह एक गर्म जलधारा है। यह फरवरी-मार्च में चलती है। 3°S से 33°S के बीच उत्पन्न होती है। एक मान्यता के अनुसार एलनीनो की उत्पत्ति जाड़े की ऋतु में धाराओं के दक्षिणी गोलार्ध में खिसकने के फलस्वरुप होती है। इसका तापमान सामान्य जल से 3℃ से 6℃ अधिक होता है।
(vi) विपरीत विषुवतीय जलधारा-
विषुवत रेखा के सहारे पश्चिम से पूरब की ओर चलती है। यह एक गर्म जलधारा है। इसकी उत्पत्ति प्रशांत महासागर के पश्चिम में जल संचय से होता है।
उत्तर लिखने का दूसरा तरीका
प्रशान्त महासागर की जलधाराएं उत्तरी प्रशान्त महासागर में, उत्तरी विषुवतीय धारा पूर्व से पश्चिम की ओर महासागर के आर-पार बहती है। यह धारा जैसे जैसे पश्चिम की ओर बढ़ती है, इसके आयतन में वृद्धि होती जाती है। मध्य अमरीका के पश्चिमी तट से शुरू होकर यह पश्चिमी प्रशान्त महासागर में फिलिपीन द्वीपसमूह तक पहुंचती है। वहां से यह उत्तर की ओर मुड़ती है और क्यूरोसिबो धारा के नाम से फिलीपीन द्वीप समूह, ताईवान तथा जापान के तटों के साथ लगी हुई उत्तर की ओर बहती है। यह गर्म जल की धारा है। इसकी एक शाखा सुशिमा धारा के नाम से जापान सागर में प्रवेश करती है।
जापान के दक्षिण-पूर्वी तट के समीप क्यूरोसियो धारा प्रचलित पछुआ पवन की चपेट में आ जाती है और महासागर के आर-पार पश्चिम से पूर्व दिशा में उत्तरी प्रशान्त धारा के नाम से बहती है। उत्तरी अमेरीका के पश्चिमी तट पर पहुंचकर यह दो शाखाओं में बंट जाती है। उत्तरी शाखा ब्रिटिश कोलंबिया तथा अलास्का के तटों पर घड़ी की सुइयों के विपरीत दिशा में अलास्का धारा के नाम से बहती है। इस क्षेत्र के समुद्री जल की अपेक्षा इस धारा का जल अधिक गर्म होता है। उत्तरी प्रशान्त धारा की दूसरी शाखा कैलिफोर्निया के तट पर दक्षिण की ओर बहती है। यह ठण्डी जलधारा है और इसे कैलिफोर्निया धारा कहते हैं। यह धारा निचले अक्षांशों में आकर उत्तरी विषुवतीय धारा से मिल जाती है। यह उत्तरी विषुवतीय धारा, व्यापारिक पवन के प्रभाव से महासागर के आर-पार, 14,500 किमी की दूरी तय करती है। इस प्रकार इन धाराओं का एक चक्र पूरा होता है।
प्रशान्त के उत्तरी भाग में ओयासिवो धारा कमचटका प्रायद्वीप के तट के समीप उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है। यह एक दण्डी जलधारा है। उत्तरी प्रशान्त की दूसरी ठण्डी जलधारा ओखोटस्क धारा है। जो सखालीन के समीप बहती है और होकडो के निकट ओयासिवो धारा से मिल जाती है। ओयासिवो धारा अन्त में क्यूरोसियो धारा से मिलकर उसके गर्म जल के नीचे डूब जाती है।
दक्षिणी प्रशान्त महासागर में दक्षिणी विषुवतीय धारा पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है और पूर्वी आस्ट्रेलियाई धारा के नाम से दक्षिण की ओर मुड़ जाती है। आगे चलकर तस्मानिया के समीप यह दक्षिणी प्रशान्त धारा में मिल जाती है जो पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है। दक्षिणी अमरीका के दक्षिण-पश्चिमी तट पर पहुंचकर यह उत्तर की ओर मुड़ जाती है। यहाँ इसे पेरू धारा कहते हैं। यह एक ठण्डी जलधारा है जो अन्त में दक्षिणी विषुवतीय धारा में विलीन होकर एक चक्र पूरा करती है। उत्तरी और दक्षिणी विषुवतीय धाराओं के बीच एक जलधारा पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है, जिसे विरुद्ध विषुवतीय धारा कहते हैं। उत्तरी और दक्षिणी विषुवतीय धाराएं महासागर के पश्चिमी भाग में विशाल जलराशि एकत्र करती रहती हैं। जिससे महासागरीय जलस्तर असन्तुलित होता रहता है। इस असन्तुलन को दूर करने का कार्य विरुद्ध विषुवतीय धारा करती हैं।
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