14. Sindri Fertilizer Industries (सिन्दरी उर्वरक उद्योग)
14. Sindri Fertilizer Industries
(सिन्दरी उर्वरक उद्योग)
प्रश्न प्रारूप
Q. सिन्दरी उर्वरक उद्योग एक वृहत केन्द्र के रूप में व्याख्या कीजिए।
सिन्दरी एकीकृत बिहार राज्य की एक प्रमुख उर्वरक उद्योग का एक महान् केन्द्र रहा है जो वर्तमान समय में झारखण्ड राज्य के धनबाद जिला में अवस्थित है। यह औद्योगिक केन्द्र धनबाद से 82 किमी० दक्षिण में अवस्थित है। यह छोटानागपुर खनिज औद्योगिक प्रदेश के दामोदर नदी घाटी में अवस्थित है। इसकी व्यापना 1951 ई० में किया गया था। यहाँ उर्वरक निर्माण के तीन इकाई है-
1. फर्टिलाइजर्स कारपोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड (FCIL)-
यह अमोनियम सल्फेट, अमोनियम नाइट्रेट और आमोनिया कार्बोनेट नामक उर्वरक का उत्पादन करता है।
2. बिहार स्टेट सुपर फॉस्फेट (BBSF)-
यह इकाई सुपर फॉस्फेट नामक उर्वरक का उत्पादन करता है।
3. गैनुलर फर्टिलाइजर्स फैक्ट्री-
यह दामोदर उर्वरक का उत्पादन करता है।
सिन्दरी को महान उर्वरक उत्पादन केन्द्र के रूप में विकसित करने पीछे कई भौगोलिक कारक उत्तरदायी रहे है। जैसे-
(i) सिन्दरी भारत के महान कोयला संचित भण्डार क्षेत्र में स्थित है। इसे झरिया क्षेत्र से कोयला की प्राप्ति हो जाती है।यहाँ कोयला से ही उर्वरक का उत्पादन होता है।
(ii) परिवहन मार्ग की सुविधा- सिन्दरी धनबाद से पुरुलिया जाने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवस्थित है। यह रेलवे लाइन ये भी जुड़ी हुई है। रेगवे लाइन धनबाद, कोलकाता, मुम्बई, दिल्ली जैसे महानगरों से जुड़े हुए हैं। सिन्दरी में ही मंझोले एयरपोर्ट का भी निर्माण किया गया है। कालकोता एवं पारादीप बंदरगाह पास में ही अवस्थित है।
(iii) श्रमिक उपलब्धता- सिन्दरी सघन जनसंख्या वाले प्रदेश में अवस्थित है। कुशल इंजीनियरों की आपूर्ति हेतु सिन्दरी में ही बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की गई थी।
(iv) सिन्दरी को दामोदर और उसके सहायक नदी बराकर से पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध हो जाती है।
(v) विद्युत आपूर्ति हेतु चन्द्रपुरा और सिन्दरी थर्मल प्लाण्ट से विद्युत मिल जाती है। आकस्मिक बिजली इसे दामोदर भैली कारपोरेशन (DVC) से मिल जाती है।
(vi) किसी उद्योग के विकास हेतु एवं पथरीली भूमि की आवश्यकता होती है जो सिन्दरी उर्वरक कारखाना को आसानी से उपलब्ध है।
(vii) सिन्दरी प० बंगाल और बिहार के मैदानी क्षेत्र के जंक्शन पर अवस्थित है जहाँ नाइट्रोजन एवं फॉस्फेटयुक्त उर्वरक की भारी माँग है। इस तरह इसे विस्तृत बाजार की सुविधा भी उपलब्ध है।
उपरोक्त भौगोलिक कारकों के अलावे आधुनिक तकनीक का अभाव, पूँजी की कमी, बिजली की आपूर्ति न किये जाने, कर्मचारियों के द्वारा अक्सर के द्वारा अक्सर हड़ताल एवं तालाबंदी किये जाने, इंजीनियरिंग कॉलेज की बिगड़ती स्थिति, झारखण्ड की बिगड़ती राजनीतिक अस्थिरता, बेहतर प्रबंधन के अभाव में उर्वरक की यह महान केन्द्र रुग्ण स्थिति में बदल चुका है। लेकिन उपरोक्त समस्याएँ सामयिक दिखाई पड़ती है। ज्यों-ही इन परिस्थितियों में थोड़ी बहुत बदलाव आती है तो सिन्दरी पुनः महान उर्वरक केन्द्र के रूप में तब्दील हो जायेगी। सरकार ने सिन्दरी उर्वरक संयंत्र से निकलने वाले कचड़ों से सीमेंट का निर्माण प्रारंभ कर दिया है तथा इसे हल्दिया गैस पाइप लाइन से भी जोड़ने का निर्णय लिया गया है।
इससे स्पष्ट होता है कि आने वाला समय में इनकी महानता पुनः स्थापित हो के रहेगी।
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