Unique Geography Notes हिंदी में

Unique Geography Notes in Hindi (भूगोल नोट्स) वेबसाइट के माध्यम से दुनिया भर के उन छात्रों और अध्ययन प्रेमियों को काफी मदद मिलेगी, जिन्हें भूगोल के बारे में जानकारी और ज्ञान इकट्ठा करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस वेबसाइट पर नियमित रूप से सभी प्रकार के नोट्स लगातार विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रकाशित करने का काम जारी है।

बिहार का भूगोल

5. Drought in Bihar (बिहार में सूखा)

5. Drought in Bihar

(बिहार में सूखा)



प्रश्न प्रारूप

Q. सूखा से आप क्या समझते है? बिहार में सूखा के कारण, परिणाम तथा समस्या के समाधान में किये गये कार्यो की चर्चा करें।

    भारतीय मौसम आयोग (IMO) ने बताया कि मई माह के मध्य से अक्टूबर माह के मध्य लगातार 4 सप्ताह तक वर्षा की मात्रा 5 cm या उससे कम हो तो सूखा की स्थिति कहलाती है। यह समयावधि मानसून के आगमन का है। इसलिए इसे सूखा का पैमाना बनाया गया है यानी मानसून के कमजोर होने पर सूखा की स्थिति लगभग तय है। भारत का दो-तिहाई क्षेत्र सूखा पीड़ित है। देश के एक तिहाई क्षेत्र में सूखा प्रकोप ज़्यादा गंभीर है, जहाँ 75 cm से कम वर्षा होती है।

     बिहार में दक्षिणी बिहार के कैमूर, रोहतास, गया, औरंगाबाद, नवादा, मुंगेर, जमुई, शेखपुरा, लखीसराय, भागलपुर, पटना, नालंदा और जहानाबाद के कुछ इलाके सूखा पीड़ित हैं। इनमें कई जिले बाढ़ एवं सूखा दोनों से पीड़ित हैं। जैसे टाल क्षेत्र वाले जिले बाढ़ से पीड़ित है और उनके दक्षिणी इलाके मानसून की असमानता में सूखे से भी पीड़ित हो जाते हैं। कुल मिलाकर बिहार का 20% क्षेत्र सूखा से पीड़ित है जिसे नीचे के रेखाचित्रों में देखा जा सकता है-

Drought in Bihar

बिहार में सूखा के कारण एवं समस्या

          बिहार में सूखा के मुख्य कारण निम्नलिखित है:-

(i) मानसून की अनिश्चिता एवं परिवर्तनशीलता

(ii) वर्षा का असमान वितरण

(iii) ढालयुक्त एवं पथरीली भूमि

(iv) वनों की कटाई

(v) बरसाती नदियाँ 

(vi) जल प्रबंधन का अभाव

     बिहार में सूखा ग्रस्त होने का मुख्य कारण मानसून की अनिश्चितता एवं परिवर्तनशीलता है। मानसून के कमजोर पड़ने से इन क्षेत्रों में कृषि करना कठिन हो जाता है। दक्षिण बिहार का मैदान ही सूखाग्रस्त है क्योंकि गर्मी के दिनों में यहाँ बहने वाली नदियाँ सूख जाती हैं जबकि हिमालय से बहने वाली नदियों में सालोंभर पानी रहता है। चूंकि दक्षिण बिहार की नदियाँ पठार के वर्षा प्रतिरूप पर निर्भर करती है। अतः यह जरूरी है कि पठारी भागों में इन नदियों को बांधकर जल संग्रह कर लिया जाता और गर्मी में उसका प्रयोग किया जाता।

     बेहतर जल प्रबंधन और इच्छा शक्ति के अभाव ने भी दक्षिणी बिहार के मैदान को सूखाग्रस्त बना दिया है। दक्षिणी बिहार के मध्य में जैसे पटना, नालंदा, जहानाबाद, औरंगाबाद, गया, नवादा तथा मुंगेर के कुछ इलाकों में वर्षा 100 cm से कम होती है। यह भी एक कारण है कि जिससे इन इलाकों को सूखाग्रस होने की संभावना बढ़ जाती है।

      गंगा के दक्षिणी मैदान की भूमि ढालयुक्त और पथरीली है। वहाँ की मिट्टी भी छिछली है जिनमें भूमिगत जल नहीं जा पाता और वर्षा का जल ऊपर से शीघ्र बहकर निकल जाता है। भूमिगत जल के कम होने के कारण गर्मी के दिनों में जल संकट गहरा हो जाता है। इस क्षेत्र में वनों के अतिशय कटने से भी मृदा में नमी की कमी हो गयी है जिससे कृषि प्रभावित होती है और सूखा का प्रकोप बढ़ जाता है।वनों के कटने से भी वर्षा की मात्रा कम हो गयी है।

सूखे से निपटने के उपाय

    सूखे से निपटने के लिए भारत एवं बिहार सरकार के द्वारा कई स्तरों पर प्रयास किये गये हैं लेकित सूखे की समस्या आज भी राष्ट्रीय समस्या के रूप में कायम है। पथरी क्षेत्रों में प्रतिवर्ष 120 cm से अधिक वर्षा होती है जहाँ से दक्षिणी बिहार के मैदानी नदियों में जल आता है। मानसून के समय यह जल व्यर्थ ही गंगा में मिल जाता है। अगर इसे संग्रह कर लिया जाये तो बिहार में सूखे की समस्या नहीं रहेगी।

     दक्षिण बिहार के मैदानी भागों में धरातल थोड़ा उबड़-खाबड़ है। इन इलाकों के बेसिन क्रम में तालाब बनाकर पानी को संरक्षित रखा जा सकता है। इससे जहाँ-जहाँ एक ओर भूमिगत जल का भंडार जमा हो सकता है वहीं दूसरी ओर गर्मी में कृषि कार्य के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

    आज अधिक पेनेट्रेटिव गोजनाओं, पर्यावरण हितैषी, टिकाऊ विकास नीति, मानसून का सही आकलन पर विशेष जोर देने की जरूरत है। नदी-जोड़ योजना में तेजी लाने की आवश्यकता है। वनीकरण बहुत आवश्यक है। स्थानीय जल सुविधा व वर्षा जल संक्षण प विशेष ध्यान व जागरुकता लाने की जरूरत है।



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1. बिहार : सामान्य जानकारी

2. बिहार का प्राकृ‌तिक प्रदेश / भौतिक इकाई

3. बिहार की जलवायु

4. बिहार के भौगोलिक इकाई का आर्थिक विकास पर प्रभाव

5. बिहार की मिट्टियाँ

6. बिहार में सूखा

7. बिहार में बाढ़

8. बिहार का औद्योगिक पिछड़ापन

9. बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के कारण

10. बिहार का औद्योगिक प्रदेश

11. बिहार का कृषि प्रदेश

12. बिहार में कृषि आधारित उद्योग

13. बिहार में चीनी उद्योग

14. सिन्दरी उर्वरक उद्योग

15. बिहार की जनजातीय समस्या एवं समाधान

16. बिहार में ग्रामीण बस्ती प्रतिरूप

17. पटना नगर नियोजन/पटना का मास्टर प्लान

18. बिहार में नगरीकरण

19. बिहार में ग्रामीण बाजार केन्द्र

20. महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ट प्रश्नोत्तर

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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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