9. Cause of Economic Backwardness of Bihar (बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के कारण)
9. Cause of Economic Backwardness of Bihar
(बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के कारण)
प्रश्न प्रारूप
Q1. बिहार क्यों प्राकृतिक संसाधनों के बावजूद अविकसित है? व्याख्या कीजिए।
Q2. समृद्ध संसाधनों के बावजूद बिहार में औद्योगिक विकास धीमी क्यों है?
Q3. बिहार को पिछड़ा या गरीब राज्य क्यों माना जाता है?
विभाजन के बाद बिहार मूलतः एक कृषि प्रधान राज्य हो गया है। यहाँ के 80% भूमि पर कृषि का कार्य किया जाता है और लगभग 87.7 % जनसंख्या गाँवों में निवास करती है। अतः यहाँ ग्रामीण अर्थव्यवस्था और संस्कृति अभी भी व्याप्त है।
ग्रामीण जनसंख्या का उच्च अनुपात, कृषि पर जनता की अधिक निर्भरता और प्रति व्यक्ति निम्न आय, बाढ़ तथा सिंचाई की समस्या जहाँ बिहार के औद्योगिक पिछड़ेपन के सूचक है वहीं विशाल मानव संसाधन, सस्ते श्रम, जलविद्युत की उपलब्धता, सिंचाई कि अपार संभावनाएँ, नेपाल से लगती हुई अन्तरर्राष्ट्रीय सीमा बिहार में आर्थिक विकास की आशाएँ जगाती हैं। इन दोनों विचारों के चलते यह कहा जाता है कि “बिहार एक धनी राज्य है लेकिन यहाँ के लोग निर्धन है।” बिहार की अर्थव्यवस्था पिछड़े होने के निम्नलिखित कारण है-
1. बाढ़ और सूखे की समस्या:-
गंगा का उत्तरी भाग बाढ़ की समास्या से पीड़ित है जबकि दक्षिणी भाग सूखे की समस्या से ग्रसित है। बिहार को एक अनोखा राज्य माना जाता है क्योंकि बिना बरसात हुए ही यहाँ बाढ़ की समस्या उत्पन्न होती है। इसक मुख्य कारण नेपाल से आने वाली सदावाहिनी नदियाँ है। बिहार के 38 में से 26 जिलें बाढ़ के समस्या से पीड़ित रहते हैं। गण्डक, बूढ़ी गण्डक, बागमती, कोसी, कमला बगान नदी घाटी क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष फसल तो लहललाते हैं लेकित बाढ़ के चलते किसान उन फसलों को घरों तक नहीं ला पाते हैं।
पुनः गंगा के दक्षिणी भाग में प्रायद्वीपीय भारत से निकलने वाली बरसाती नदियाँ प्रवाहित होती है। इन नदियों पर जल संग्रहण का उपाय नहीं किये जाने के कारण सभी जल बेकार चले जाते हैं। पुनः सिंचाई की पूर्ण व्यवस्था नहीं होने के कारण किसान अपनी खड़ी फसलों को बचा नहीं पाते हैं। इसलिए बिहार का एक भाग जब बाढ़ की समस्या से जूझ रहा होता है तो दूसरी भाग सूखे की समस्या से जूझ रहा होता है।
2. सड़क बिजली को अपर्याप्तता:-
बिहार का अधिकांश भाग बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में आते हैं। यहाँ प्रति इकाई सड़क बनाने का खर्च बहुत अधिक आता है और जो सड़के बनती भी है, वे साल भर के अन्दर ही टूट-फूट जाती है। इसका एक कारण भौगोलिक है। लेकिन दूसरे कारण भी कम गंभीर नहीं है। जैसे- विमर्माण के क्रम में अनुसंधान का नहीं किया जाना, पैसों की बंदरबांट और घटिया सामग्री का इस्तेमाल इत्यादि।
बिहार की बिजली कई घण्टों तक गायब रहती है। बिहार के आज भी कई क्षेत्र हैं जो लालटेन युग में जी रहे हैं। दूसरी ओर जिन क्षेत्रों में बिजली उपलब्ध है वहाँ तार काट लिये जाते हैं और जहाँ तार बच जाती है वहाँ बिजली चोरी किये जाते हैं और जो लोग बिजली का कनेक्शन लिए हुए हैं वे लोग समय पर बिल नहीं चुकाते हैं।
बिहार में कोयला संसाधन का अभाव है और जो नदियाँ उपलब्ध हैं उस पर जल विद्युत् परियोजनाओं का निर्माण नहीं किला गया। फलतः बिहार राज्य को बिजली के लिए दूसरे राज्य के दया-दृष्टि पर निर्भर रहना पड़ता है।
3. प्रति व्यकि आय का नगण्य होना:-
बिहार के प्रति व्यक्ति की आय राष्ट्रीय औसत आय से निम्न है। निम्न आय के कारण बचत की क्षमता भी काफी निम्न और धीमी है। अतः निम्न आय वर्ग के लोग प्रतिभाशाली और व्यापार में दक्ष होने के बावजूद अपनी योजनाओं को अंजाम नहीं दे पाते हैं।
4. औद्योगिक निष्क्रियता:-
बिहार में नवीन औद्योगिक नीति का अभाव, खनिज एवं वन आधारित उच्चे माल का अभाव, पिछड़ी मानसिकता, भ्रष्टाचार एवं लाल-फीताशाही, संस्थागत एवं संरचनात्मक सुविधाओं का अभाव, राजनीतिक निष्क्रियता, जातिवाद, रंगदारी में उलझी हुई समाज इत्यादि कुछ ऐसे कारण हैं जिसके चलते बिहार में औद्योगिक विकास नहीं हो रहा है। इसके आलावे जो यहाँ उद्योग है वे बंद होते जा रही है।
5. रोजगारोन्मुख शिक्षण और प्रशिक्षण का अभाव:-
जापान एक ऐसा देश है जहाँ प्राकृतिक संसाधनों का जबड़दस्त अभाव है फिर भी यह विश्व का एक विकसित राष्ट्र है। अगर इसी तर्ज पर सोचा जाए तो बिहार को क्यों नहीं एक विकसित राज्य बनाया जा सकता है? बिहार में कृषि आधारित उद्योगों को चलाने के लिए प्रशिक्षण केन्द्रों का जबड़दस्त अभाव है।
बिहार के विश्वविद्यालयों में 70% विद्यार्थी कला विषय लेकर पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसे में वैज्ञानिक सोच का विकास कैसे हो सकता है। यहाँ रोजगारों उन्मुख शिक्षा, कम्प्यूटर, टाईपिंग, आउट सोर्सिंग, BPO आधारित शिक्षा का अभाव है। यहाँ पोलिटेक्नीक स्कूल, ट्रेनिंग स्कूल, प्रबंधन संस्थान नगण्य है।
6. जनसंख्या विस्फोट:-
बिहार भारत का तीसरा सबसे बड़ा जनसंख्या वाला राज्य है। लेकिन यहाँ की जनसंख्या गरीबी, बेरोजगारी, कुपोषण और निरश्वरता से त्रस्त है। यहाँ के अधिकांश लोग कुशल एवं भाग्य प्रधान है। फलतः मानवीय संसाधन प्रचुर होने के बावजूद बिहार एक उपभोक्तावादी राज्य बन जाता है।
7. राजनीति अपराधीकरण का गठबंधन:-
बिहार अपराधी राज्य का एक पर्याय बन चुका है। किडनैपिंग उद्योग का रूप ले चुका है। मेहनतकश इंसान दिनभर अगर श्रम करता है और शाम होते-2 अगर वह घर लौटता है तो इसकी गारंटी सरकार नहीं दे सकती है अर्थात यहाँ कानून और न्यायिक व्यवस्था काफी जर्जर है। राजनीतिक पार्टियाँ जाति के दुष्चक्र में फंसे रहने के कारण विकास की बात नहीं कर पाती है। राजनीतिक पार्टियों में इच्छा शक्ति का जबड़दस्त अभाव देखा जा सकता है।
अन्य कारण :-
बिहार के पिछड़ेपन के पीछे कई अन्य कारण भी रहे हैं। जैसे-
बिहार का एक भूमि बद्ध राज्य होना, समुद्री सीमा एवं बंदरगाहों का अभाव, बिहार में प्रत्यक्ष पूँजी निवेश की कमी, देशी विदेशी अप्रवासी भारतीयों की बिहार में कम रुचि, कला-संस्कृति का अभाव। जातिवादी एवं रूढ़ीवादी मानसिकता, ज्ञान-पर्यटन-मानव आधारित उद्योग के विकास पर ध्यान नहीं दिया जाना इत्यादि कुछ ऐसे करण हैं जो बिहार को एक पिछड़ा राज्य बनाते है।
इस तरह ऊपर के तथ्यों से स्पष्ट है कि बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के पीछे कई कारण सक्रिय है। लेकिन बिहार के लोगों को इसे नियति मानकर नहीं चलना चाहिए क्योंकि हमारा इतिहास गवाह है कि जब-2 बिहार के लोग जागे हैं तब-2 भारत “सोने की चिड़ियाँ” कहलाया है।
अतः वक्त आ चुका है कि बिहार के सभी जाति, धर्म के लोग एकजूट होकर बिहार के छवि को बदलने का प्रयास करें।
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2. बिहार का प्राकृतिक प्रदेश / भौतिक इकाई
4. बिहार के भौगोलिक इकाई का आर्थिक विकास पर प्रभाव
9. बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के कारण
12. बिहार में कृषि आधारित उद्योग
15. बिहार की जनजातीय समस्या एवं समाधान
16. बिहार में ग्रामीण बस्ती प्रतिरूप
17. पटना नगर नियोजन/पटना का मास्टर प्लान