Unique Geography Notes हिंदी में

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बिहार का भूगोल

2. Natural Region of Bihar (बिहार का प्राकृतिक प्रदेश)

2. Natural Region of Bihar

(बिहार का प्राकृतिक प्रदेश/भौतिक इकाई)



प्रश्न प्रारूप

Q. वर्तमान बिहार के प्राकृतिक प्रदेश की चर्चा करें।

      भारत के पूर्वी भाग में स्थित बिहार राज्य क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से भारत का 13वाँ सबसे बड़ा राज्य है। इसका भौगोलिक विस्तार 24ºN से 27°N अक्षांश और 83ºE से 88°E देशान्तर के बीच फैला हुआ है। इसका कुल क्षेत्रफल 94,163 किमी०² है। पूरब से पश्चिम इसकी लम्बाई 483किमी० तथा उत्तर से दक्षिण इसकी चौड़ाई 345 किमी० है।

    बिहार राज्य के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में झारखण्ड, पूरब में प० बंगाल और पश्चिम में उत्तर प्रदेश अवस्थित है। इस राज्य का आकार लगभग आयताकार है। भारत के कुल क्षेत्रफल का 2.85% भाग बिहार के पास है। बिहार राज्य मुख्यतः मध्य गंगा के मैदानी क्षेत्र में फैला हुआ है। समुद्रतल से बिहार की औसत ऊँचाई 53 मी० है। भौतिक बनावट और संरचना के दृष्टि से बिहार को तीन प्राकृतिक प्रदेश में बाँटते हैं:-

1.  उत्तर का शिवालिक पर्वत पदीय प्रदेश

2. गंगा का मैदानी क्षेत्र

3. दक्षिण का सीमान्त पठारी क्षेत्र

Natural Region of Bihar
चित्र: बिहार का प्राकृतिक प्रदेश/भौतिक इकाई

1.  उत्तर का शिवालिक पर्वत पदीय प्रदेश

      यह बिहार के उ०-प० भाग में (प० चम्पारण) अवस्थित है। यह शिवालिक पर्वत का ही एक भाग है। इसका विस्तार 546 किमी०² पर हुआ है। इसकी औसत ऊंचाई 160 मी० निर्धारित है। इस पहाड़ी क्षेत्र में दो स्पष्ट पर्वतीय श्रृंखलाएं हैं और दोनों पर्वत एक-दूसरे के समानान्तर उ०-प० दिशा से द०-पू० दिशा में नेपाल की सीमा के सहारे फैला हुआ है। इस पर्वत पदीय प्रदेश के सम्पूर्ण भाग को तीन भाग में बाँटकर अध्ययन करते है-

(i) रामनगर दून की पहाड़ी

(ii) सोमेश्वर की पहाड़ी

(iii) दून क्षेत्र

     रामनगर दून की पहाड़ी 214 km2 क्षेत्र पर फैला हुआ है। इसकी अधिकतम ऊंचाई 240 मी० है। इसकी अधिकतम चौड़ाई संतपुर के पास है। रामनगर दून 6-8 km चौड़ा है। यहाँ पर दक्षिणी श्रेणी के रूप में फैला हुआ है।

    सोमेश्वर श्रेणी त्रिवेणी नहर के शीर्ष भाग से शुरू होकर पूरब में भिखना थोरी दर्रा तक बिहार में फैला हुआ है। इसकी लम्बाई 74 किमी० और चौड़ाई 4.6 से 6.4 किमी० तक है। इसकी औसत ऊँचाई 457 मी० है। इस पर्वत में नदियों के द्वारा कई दर्दो का निर्माण हुआ है। जैसे सोमेश्वर दर्रा, भिखनाथोरी दर्रा, हरहा दर्रा इत्यादि प्रमुख हैं।

दून क्षेत्र-

    रामनगर दून और सोमेखर पहाड़ी के बीच में 22.5 किमी० लम्बा और समुद्रतल से 152 मी० ऊँचा एक घाटी है। जिसे दून घाटी से सम्बोधित करते हैं। उल्लेखनीय है कि विभाजित बिहार की सबसे ऊंची चोटी “सोमेश्वर की पहाड़ी” (874 मी०) है।

2.  गंगा का मैदानी भाग

     इसे बिहार का मैदान भी कहा जाता है। इसका विस्तार 90,650 km² भूभाग पर हुआ है। इस मैदान के उत्तर में शिवालिक पर्वत श्रृंखला और दक्षिण में छोटानागपुर का पठार अवस्थित है। पश्चिम में इसकी चौड़ाई अधिक है जबकि पूरब में कम। इस मैदान का निर्माण हिमालय तथा प्रायद्वीय पठार से निकलने वाली नदियों के द्वारा लायी गयी मालवा के निक्षेपण से हुआ है। गंगा नदी इस मैदान के मध्य से होकर पश्चिम से पूरब दिशा में प्रवाहित होती है। इसका तात्पर्य है कि इस मैदान का सामान्य ढाल पश्चिम से पूरब दिशा की ओर हुआ है। गंगा नदी बिहार के मैदान को दो भागों में बाँट देती है।

(i) गंगा के उत्ती मैदानी भाग

(ii) गंगा के दक्षिणी मैदानी भाग

(i) गंगा का उत्तरी मैदानी भाग

      गंगा नदी के उत्तर में पूरब से पश्चिम दिशा में फैला एक चौरस मैदान है जिसका क्षेत्रफल 57000 km2 है। इस मैदान का सामान्य ढाल उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर है। इसकी औसत ऊँचाई 76.2 मी० से भी कम है। इसका निर्माण गण्डक, बागमती, कोशी और महानन्दा नदी के द्वारा लायी गयी मिट्टी के निक्षेपण से हुआ है। यह मैदान गण्डक के मैदान, बागमती का मैदान (मिथिला का मैदान), कोशी के मैदान के नाम से भी जाना जाता है। इस मैदान में निम्नलिखित संरचना दिखाई देते हैं-

(a) भावर प्रदेश-

    इसका विस्तार नेपाल और बिहार के सीमामर्ती क्षेत्रों में हुआ है। इसक निर्माण नदियों के द्वारा लायी गई “बोल्डर क्ले” के निक्षेपण से हुआ है। इसकी चौड़ाई 8-16 किमी० के बीच है।

(b) तराई प्रदेश

    यहां का दूसरा महत्वपूर्ण संरचना तराई प्रदेश है। इसक विस्तार भावर के दक्षिणी भाग में हुआ है। इस प्रदेश में जगह-जगह पर दलदली भूमि भी मिलते हैं। इसी भूभाग पर विश्व की प्रसिद्ध गन्ना की पेटी अवस्थित है।

(c) बाँगड़ और खादर मृदा प्रदेश 

    गंगा नदी और उसके सहायक नदियों के द्वारा यहाँ कई अन्य स्थलाकृतियों का विकास हुआ है। जैसे- बाँगड़ और खादर मृदा प्रदेश।

    बाँगड़ प्रदेश वे हैं जहाँ नदियों के द्वारा लायी गयी मलवा निक्षेपण का कार्य बंद हो चुका है और खादर संरचना वह है जहाँ पर मलवा का निक्षेपण आज भी जारी है।

      गंगा के उत्तरी मैदान में कई जगह प्राकृतिक बाँध, चौर, नदी दोआब का भी प्रमाण मिलता है। प्राकृतिक बाँध ऐसी स्थलाकृति है जो नदियों के तट के सहारे विकसित होती है। बाढ़ के दिनों में लोग इस पर आकर शरण लेते हैं।

    उत्तरी बिहार की नदियाँ मार्ग परिवर्तन के लिए प्रसिद्ध है। नदियों के पुराने मार्ग को ही चौर कहा जाता है। दो नदियों के मध्यवर्ती भूभाग को नदी दोआब कहा जाता है। नदियों के बीच-2 में बालू के निक्षेपण से दियरा क्षेत्र का भी विकास हुआ है।

(ii) गंगा के दक्षिणी मैदान

     इसका कुल क्षेत्रफल 33,670 किमी०² है। यह उत्तरी बिहार की तरह समतल नहीं है। इस मैदान के दक्षिणी भाग में छोटानागपुर का पठार और उसके कई छोटे-2 पहाड़ियाँ दिखाई देती हैं। पहाड़ी के रूप में कैमूर की पहाड़ी, राजगीर की को पहाड़ी, खड़गपुर की पहाड़ी, राजमहल की पहाड़ी, बांका की पहाड़ी, बराबर की पहाड़ी इत्यादि प्रमुख है। इस मैदान के दक्षिणी सीमा पर रोहतास का पठार, डुमरिया उच्च भूमि इत्यादि अवस्थित है। इस मैदान का निर्माण छोटानागपुर के पठार से निकलने वाली नदियों के द्वारा हुआ है। पश्चिम से पूरब की ओर जाने पर क्रमश: कर्मनाशा, सोन, पुनपुन, फल्गू, किऊल जैसी नदि‌याँ मिलती है।

    इस मैदान का सामान्य ढाल दक्षिण से उतर की ओर हुआ है। सोन का मैदान, मगध का मैदान, बिहारशरीफ- लखीसराय का मैदान और भागलपुर के मैदान के रूप में विभक्त है। गंगा नदी के किनारे जल्ला, टाल क्षेत्र का विकास हुआ है। इनके अलावे गंगा नदी पटना के पास प्राकृतिक बाँध का निर्माण करती है। पटना सिटी के पास जल्ला क्षेत्र, मोकामा क्षेत्र और मोकामा के पास टाल क्षेत्र का विकास हुआ है। इस मैदान में ही आरा और बक्सर के बीच में सहार-संदेश क्षेत्र का निर्माण हुआ है।

3. दक्षिण का सीमान्त पठारी प्रदेश

      बिहार के दक्षिणी सीमान्त भूगाग में विन्ध्यन श्रेणी का पूर्वी भाग और छोटानागपुर पठार का उत्तरी भाग अवस्थित है। छोटानागपुर के पठार के अधिकांश भाग ग्रेनाइट, नीस और शिष्ट जैसे चट्टानों से निर्मित है। विन्ध्यन श्रेणी का बिहार में विस्तृत श्रेणी कैमूर की श्रेणी कहलाती है जिसमें चूना पत्थर संरचना का विकास हुआ है।

   दक्षिण का सीमान्त पठारी प्रदेश में कई छोटी पहाड़ि‌याँ मिलती हैं। जैसे- बराबर की पहाड़ी, गया की पहाड़ी, जेटठियन की पहाड़ी, राजगीर की पहाड़ी, शेखपुरा की पहाड़ी, खड़गपुर की पहाड़ी, बिहार शरीफ एवं जमालपुर की पहाड़ी इत्यादि प्रसिद्ध है। छोटानागपुर तथा कैमूर के पठार का अपरदित भाग ही बिहार में अवस्थित है। जिसकी औसत ऊँचाई 150-300 मी० है। यह भाग पूर्णतः विषम क्षेत्र है। छोटानागपुर पठार से निकलने वाली नदियाँ इसी सीमान्त प्रदेश को छोड़‌कर मैदानों में प्रविष्ट करती है। रोहतास से लेकर राजमहल की पहाड़ी तक कटक के रूप में यह ‌भाग अवस्थित है। कोडरमा की घाटी, चतरा की घाटी और कैमूर की घाटी छोटानागपुर पठार में प्रवेश हेतु द्वार उपलब्ध करवाती है।

निष्कर्ष:

      इस तरह ऊपर के तथ्यों से स्पष्ट है कि बिहार का अधिकांश भाग मध्यवर्ती गंगा के मैदानी क्षेत्र में अवस्थित है। इसका उत्तरी भाग हिमालय को तथा दक्षिणी भाग प्रायद्वीपीय भात को छूती है। इस तह से यहाँ पर्वतों, पठारों एवं मैदानों का विषम संयोग पाया जाता है।


Read More:

1. बिहार : सामान्य जानकारी

2. बिहार का प्राकृ‌तिक प्रदेश / भौतिक इकाई

3. बिहार की जलवायु

4. बिहार के भौगोलिक इकाई का आर्थिक विकास पर प्रभाव

5. बिहार की मिट्टियाँ

6. बिहार में सूखा

7. बिहार में बाढ़

8. बिहार का औद्योगिक पिछड़ापन

9. बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के कारण

10. बिहार का औद्योगिक प्रदेश

11. बिहार का कृषि प्रदेश

12. बिहार में कृषि आधारित उद्योग

13. बिहार में चीनी उद्योग

14. सिन्दरी उर्वरक उद्योग

15. बिहार की जनजातीय समस्या एवं समाधान

16. बिहार में ग्रामीण बस्ती प्रतिरूप

17. पटना नगर नियोजन/पटना का मास्टर प्लान

18. बिहार में नगरीकरण

19. बिहार में ग्रामीण बाजार केन्द्र

20. महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ट प्रश्नोत्तर


I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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