Unique Geography Notes हिंदी में

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बिहार का भूगोल

11. The Agricultural Region of Bihar (बिहार का कृषि प्रदेश)

11. The Agricultural Region of Bihar

(बिहार का कृषि प्रदेश)



प्रश्न प्रारूप

Q. Divide Bihar into agricultural regions and discuss their salient characteristics.

(बिहार को कृषि प्रदेशों में विभाजित करें तथा प्रत्येक की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।)

उत्तर- बिहार की कृषि विभिन्न प्राकृतिक तत्वों पर निर्भर करती है। ये तत्व तापमान, वर्षा, स्थलाकृति, मिट्टी, सिंचाई के साधन आदि हैं। इन्हीं भौगोलिक दशाओं पर कृषि तथा फसलों के प्रकार निर्भर करते हैं। इन्हीं भौगोलिक दशाओं को आधार मानकर बिहार की कृषि को बाँटा गया है। इन्हीं तत्वों पर फसलों का उत्पादन निर्भर करता है। इन्हीं तत्वों से फसलें प्रभावित होती हैं। जिन भागों में जिस प्रकार की दशाएँ हैं, वहाँ की फसल उगाई जाती है।

      उदाहरणार्थ, उत्तरी बिहार में उपजाऊ मिट्टी, 40 सेमी० से अधिक वर्षा, समतल भूमि तथा अधिक जनसंख्या मिलती है। अतः वहाँ इन्हीं भौगोलिक दशाओं के अनुरूप धान की फसल लगाई जाती है। इस क्षेत्र के लिए यही फसल सबसे अधिक उपयुक्त है। भौगोलिक दशाओं की अनुकूलता के कारण प्रति एकड़ उत्पादन भी अधिक होता है। इसी कारण बिहार के उत्तरी सीमान्त क्षेत्र में धान की खेती की अधिकता है, यह पट्टी का निर्माण करता है। इस प्रकार बिहार के कृषि क्षेत्र को निम्नलिखित कृषि पट्टियों में बाँट सकते हैं-

1. उत्तर का आर्द्र निम्न धनहर क्षेत्र

2. भीठ एवं दियारा क्षेत्र

3. दक्षिणी गंगा के सिंचित प्रदेश

4. छोटानागपुर के पठारी प्रदेश

1. उत्तर का आर्द्र निम्न धनहर क्षेत्र:-

        बिहार का यह कृषि प्रदेश बूढ़ी गंडक नदी के उत्तर-पूर्व में स्थित है। यह मुख्य रूप से बिना सिंचाई के धान का क्षेत्र है। यह प्रदेश उत्तर पश्चिम में संकीर्ण तथा पूर्व में चौड़ा होता गया है। यह भूमि निम्न है और यहाँ मकई और रबी की भी खेती की जाती है। यह पूरा क्षेत्र समतल है। इस भाग में अनेक नदियों में प्रतिवर्ष बाढ़ आ जाती है।

     यहाँ की मिट्टी जलोढ़ है। जिसमें नमी रखने की क्षमता अधिक है। इस भाग में वर्षा अधिक होती है। जिसके कारण आर्द्रता अधिक रहती है। कोशी नदी के क्षेत्र में बाढ़ अधिक आती है। जिसके फलस्वरूप धान की फसल को हानि होती है। सामान्य रूप से सम्पूर्ण क्षेत्र में धान की ही खेती की जाती है। इस प्रदेश में मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सहरसा, पूर्णिया आदि जिले सम्मिलित हैं। इस भाग में चावल कूटने की मिलें स्थित हैं।

2. भीठ एवं दियारा क्षेत्र:-

     यह प्रदेश उत्तर गंगा में धनहर क्षेत्र के दक्षिण में स्थित है तथा गंगा के दक्षिण का छोटा-सा भाग इसमें सम्मिलित है। इसमें दो तरह की भूमि आती है। पहली भूमि ऊँची है। जिस पर बाढ़ का प्रभाव नहीं पड़ता है। इसे दियारा भी कहते हैं।

       दूसरी भूमि निम्म् भूमि है जो वर्षा के दिनों में जल से भरी रहती है। दोनों ही भूमि पर भदई फसल मकई एवं रबी की फसल होती है। रबी फसलों में गेहूँ, चना, जौ, दलहन एवं तेहलन होता है। कहीं-कहीं पर धान भी होता है। इसकी भूमि भी उपजाऊ है और वर्षा भी अच्छी हो जाती है। गंगा के दक्षिण में मोकामा-बड़हिया के क्षेत्र में गेहूँ और चना काफी होता है।

3. दक्षिणी गंगा का सिंचित प्रदेश:-

     यह दक्षिणी गंगा के मैदानी भाग का पूर्व प्रदेश है। यह पश्चिम में पुराना शाहाबाद जिला (आरा, रोहतास, बक्सर, कैमूर) से लेकर पूरब में भागलपुर तक फैला है। इस भाग में कृषि की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ की कृषि सिंचाई पर आश्रित है। इसी भाग में सोन एवं सकरी नदियों पर नहरें बनाई गई हैं और इस भाग में आहर तथा पईन के द्वारा भी सिंचाई की सुविधा प्रदान की गई है। इन्हीं सुविधाओं के कारण यहाँ सघन कृषि की जाती है।

      इस भाग की सबसे महत्त्वपूर्ण कृषि की फसल धान ही है। आरा एवं रोहतास जिलों में सोन नहर से सिंचाई के कारण धान की अच्छी खेती की जाती है। गया, जहानाबाद, पटना तथा नालन्दा जिलों में भी इसकी खेती की जाती है। धान के अलावे इस भाग में गेहूँ, आलू, चना, दलहन, तेलहन तथा अन्य फसलें होती हैं।

4. छोटानागपुर पठारी क्षेत्र:-

       छोटानागपुर की स्थलाकृति तथा मिट्टी की दशाएँ उत्तर बिहार से बिल्कुल भिन्न है। अतः इस भाग की कृषि “प्रणाली” भी भिन्न हैं। इस भाग में पठारी भूमि एवं अनुपजाऊ मिट्टी के कारण कृषि कम होती है। कृषि की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि नदी घाटियों में धान की खेती की जाती है तथा ऊपरी पठारी भागों पर मकई, मडुआ, दलहन आदि की खेती की जाती है।

      मिट्टी की कमी के कारण खेती करने में अधिक कठिनाई है। नदी घाटी के आर्द्र भागों में खेती अधिक की जाती है। वहाँ सिंचाई की भी थोड़ी सुविधा उपलब्ध होती है। इसके अलावे इस भाग में कृषि सिंचाई एवं मिट्टी की कमी के काण सीमित है। 


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16. बिहार में ग्रामीण बस्ती प्रतिरूप

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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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