17. The application of G.P.S. (जी.पी.एस. के उपयोग)
The application of G.P.S.
(जी.पी.एस. के उपयोग)
The application of G.P.S.
(जी.पी.एस. के उपयोग)⇒
विश्व स्थिति प्रणाली एक बहु-उद्देश्यीय प्रणाली है। यह तकनीक आर्थिक रूप से मितव्ययी तथा स्थिति निर्धारण में दुरुस्त है। इसमें अन्य विषय को विचारने की क्षमता है। जी.पी.एस. का उपयोग प्रत्येक मौसम में किसी भी समय निरन्तर रूप से किया जा सकता है। ज्योडेसी (Geodesy), सर्वेक्षण (Surveying), नौसंचालन (Navigation) तथा कई अन्य क्षेत्रों में जी.पी.एस. अपार सम्भावनाओं का पता लगाता है।
विभिन्न सर्वेक्षण की विधियों का अलग-अलग उद्देश्यों के लिये इसमें प्रयोग किया जाता है। इस तकनीक का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह विभिन्न सूचनाओं एवं अनेक प्रकार की जानकारियों को एक प्रणाली में संगठित करने का महत्वपूर्ण कार्य करता है जिसे संगठित प्रणाली (Integrated System) कहते हैं। जी.पी.एस. की विभिन्न अवलोकन विधियाँ वास्तविक स्थिति (Absolute Positioning), सापेक्षिक स्थिति (Relative Positioning) इत्यादि हैं।
जी.पी.एस. निर्देशांक प्रणाली एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) दोनों मानचित्रों की सहायता से नौसंचालन सुविधायें प्राप्त की जा सकती हैं। वर्तमान समय में तेजी से भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) एवं सुदूर संवेदनअध्ययनों में जी.पी.एस. साधन के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। विस्तृत गुणात्मक सूचनाओं को एकत्र करने सुदूर संवेदन से प्राप्त आँकड़ों के भू-सत्यापन के लिये जी.पी.एस. रिसीवर का उपयोग अति तेजी से बढ़ रहा है।
विभिन्न उद्देश्यों के लिये सर्वेक्षण की अलग-अलग विधियाँ प्रयोग की जाती है। अवलोकन विधि के दौरान जी.पी.एस. रिसीवर को स्टेटिक, आभासी-काइनेमेटिक तथा काइनेमेटिक मोड में प्रयोग किया जाता है। इन अलग-अलग मोड के विवरण तथा परिणाम का जी.पी.एस. सर्वेक्षण, भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा सम्पन्न किया गया है जिनको तिन रूप में समझाया जा सकता है-
स्टेटिक मोड (Static Mode):-
स्टेटिक मोड को स्थिर विधि कहते हैं। इसे सापेक्षिक स्टेटिक मोड भी कहते हैं। इसके अन्तर्गत दो या दो से अधिक स्थानों पर एक साथ निरन्तर 3 से 4 घंटे से अवलोकन किया जाता है तथा आँकड़ों की प्रक्रिया के पश्चात् निर्देशांक ज्ञात किये जाते हैं। भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने देश के विभिन्न भागों में जी.पी.एस. तकनीक से सर्वेक्षण कर ज्योडेटिक नियंत्रण बिन्दुओं को स्थापित किया है। अरुणाचल प्रदेश, राजस्थान, पंजाब तथा अण्डमान निकोबार द्वीप में नियंत्रण बिन्दु स्थापित किये गये हैं। पुन: IRS-IC उपग्रह को इस तकनीक से जोड़ने के लिये हरियाणा, दिल्ली, उत्तरांचल तथा महाराष्ट्र में भू-नियंत्रण बिन्दुओं को निर्धारित किया गया है।
अवलोकन से प्राप्त परिणामों को स्टेटिक मोड में लिया गया है तथा परिणाम शुद्ध पाये गये हैं। इन परिणामों की शुद्धता 5PPm या इससे भी ऊपर है। इससे यह भी प्रमाणित होता है कि जी.पी.एस. आर्थिक दृष्टि से भी काफी उपयुक्त है तथा साधारण विधियों से 3 गुना तीव्र है।
आभासी काईनेमेटिक मोड (Pseudo Kinematic Mode):-
आभासी काइनेटिक मोड के अन्तर्गत रौवर रिसीवर का प्रयोग किया जाता है। इसके प्रत्येक स्टेशन पर अवलोकन करने में कम से कम समय 4 से 8 मिनट लगता है। इस क्रिया को लगभग एक घंटे से भी अधिक समय तक लगातार करते रहते हैं।
ठीक इसके विपरीत एक दूसरा रिसीवर भी किसी अन्य सेवक स्टेशन पर प्रयोग किया जाता है जिसको पूर्व से ही ज्ञात स्टेशन पर निश्चित कर दिया जाता है। फिल्ड स्टेशन में गणनाओं का अवलोकन बार-बार करने से उपग्रह ज्यामिति परिवर्तन स्वरूप को भी ज्ञात किया जा सकता है। इस प्रकार से अनिश्चित अवस्था (Amleiguity) परिणामों का समाधान होता है। आभासी-काइनेमिटिक सर्वेक्षण से पूर्व निश्चित स्टेशन (Fixed Station) से एक आधार रेखा की आवश्यकता होती है जिससे उस क्षेत्र की स्थिति निर्धारण किया जा सके। स्थिर सापेक्षिक मोड से एक घंटे का जी.पी.एस. अवलोकन करना आवश्यक है।
काइनेमेटिक मोड (Kinematic Mode):-
सर्वेक्षण कार्य में इस विधि का स्वतंत्र रूप से प्रयोग किया जाता है। किसी ज्ञात स्टेशन या आधार स्टेशन पर स्टेशनरी रिसीवर का प्रयोग किया जाता है। घुमाने वाले रिसीवरों द्वारा 4 से अधिक उपग्रहों से निरन्तर सिंगनल लॉक (Signal Lock) होता रहता है। कुछ रिसीवर अवलोकन बिन्दुओं के मध्य घूमते रहते हैं।
भू-मापन की प्रक्रिया के बाद एकल आवृत्ति (Single Frequency) जी. पी. एस. में एक अवलोकन का उपयोग किया जाता है। X, Y Z प्रणाली के निर्देशांक व अक्षांश, देशान्तर तथा ऊँचाइयों की गणना की जाती है जो किसी भी स्टेशन के स्थिर निर्देशांक होते हैं। अक्षांश तथा देशान्तर को समतल आयताकार प्रणाली में परिवर्तित किया जाता है जो कि ट्रैवर्स मर्केटर प्रक्षेप (Traverse Marcater Projection-TMP) में निर्मित होते हैं।
1. जी. पी. एस. का विश्व व्यापी उपयोग (Global Use of G.P.S)
(i) नौसंचालन (Navigation):-
सभी के वायुयानों तथा पानी के जहाजों में मार्ग नौसंचालन के लिये जी.पी.एस. का उपयोग किया जा सकता है। इसमें शुद्धता का विशेष महत्व नहीं है। लगभग 100 मी० तक की शुद्धता भी इस प्रयोग को प्रभावित नहीं करती है।
(ii) सर्वेक्षण (Surveying):-
जी.पी.एस. विश्व स्तरीय उपयोग के ज्योडेसी के लिये एक शक्तिशाली साधन है। पृथ्वी के परिभ्रमण तथा प्लेट विवर्तन जैसे ग्लोबल भू-गतिशील घटनाओं से प्रबोधन के लिये अति दूर आधार रेखा इन्टरफरोमेटरी (Very Long Baselining Interferomatry-VLBI) तथा उपग्रह लेजर रेन्डिंग (Satellite Laser Ranging-SLR) तकनीकियों का उपयोग किया जाता है। जी.पी.एस इन तकनीकियों का स्थान ले रहा है तथा इनको बदलने का भी कार्य कर रहा है। इसका उपयोग भी प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है तथा परम्परागत तकनीक धीरे-धीरे सिमट रही हैं ज्योडेटिक समस्याओं के लिये जी.पी.एस. अति प्रभावशाली समाधान प्रस्तुत करता है।
(iii) समय तथा दूर संचार (Timing and Communication):-
उपग्रह प्रणाली के एक अन्तर्गत सही समय को दर्शाने वाली घड़ी जी.पी.एस. के विश्व स्तर पर प्रयोग को दर्शाता है। पूरे विश्व में समय को शुद्ध रूप से निर्धारित किया जा सकता है। उच्च शुद्ध समय के कई उपयोग हैं जैसे कि भूकम्प तरंगों का प्रबोधन (Monitoring) तथा अन्य भू-भौतिकीय मापन। किसी ज्ञात स्टेशन पर केवल एक उपग्रह से ही जी. पी. एस. रिसीवर 0.1 माइक्रोसेकंड तक शुद्ध समय को प्रदर्शित करता है। कई अन्य परिष्कृत तकनीकियों के आ जाने से अब मोनोसेकंड के गुना शुद्ध समय को दर्शाया जा सकता है।
2. जी.पी.एस. का क्षेत्रीय उपयोग (Regional Uses of GPS):-
संसाधनों के प्रबोधन, यातायात प्रबन्धन, संरचनात्मक प्रबोधन तथा कई प्रकार के स्वचलन कार्यों में जी.पी.एस. का उपयोग सफलता पूर्वक किया जा सकता है। नौसंचालन में एस.ए. (SA) का उपयोग किया जा सकता है। यह तकनीक हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण के लिये भी उपयोग हो रही है।
प्रश्न प्रारूप
Q. जी.पी.एस. के उपयोग पर प्रकाश डालें।
(Throw light on the application of G.P.S.)
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- 6. लैण्डसेट उपग्रह
- 7. भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह
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- 9. The Digital Image (डिजिटल इमेज)
- 10. Projection / प्रक्षेप
- 11. अंकीय उच्चता मॉडल
- 12. जी. आई. एस. की संकल्पनाओं एवं उपागम
- 13. भौगोलिक सूचना प्रणाली के उद्देश्यों, स्वरूपों एवं तत्वों की विवेचना
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- 17. The application of G.P.S. (जी.पी.एस. के उपयोग)
- 18. सुदूर संवेदन के उपयोग
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