Unique Geography Notes हिंदी में

Unique Geography Notes in Hindi (भूगोल नोट्स) वेबसाइट के माध्यम से दुनिया भर के उन छात्रों और अध्ययन प्रेमियों को काफी मदद मिलेगी, जिन्हें भूगोल के बारे में जानकारी और ज्ञान इकट्ठा करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस वेबसाइट पर नियमित रूप से सभी प्रकार के नोट्स लगातार विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रकाशित करने का काम जारी है।

GEOMORPHOLOGY (भू-आकृति विज्ञान)

20. Peneplain (समप्राय मैदान)

20. समप्राय मैदान (Peneplain)


समप्राय मैदान (Peneplain)⇒

           समप्राय मैदान (Peneplain) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम अमेरिकी भूगोलवेत्ता डेविस ने किया था। उन्होंने बताया कि आर्द्र प्रदेश में बहता हुआ जल अपरदन का प्रमुख दूत होता है। बहता हुआ जल अपरदन चक्र के अन्तिम अवस्था में एक लगभग समतल मैदान का निर्माण करती है जिसे समप्राय मैदान कहते है। इस तरह डेविस ने स्पष्ट किया कि समप्राय मैदान के विकास के लिए भूमि का उत्थान और उस पर अपरदन चक्र का सक्रिय होना आवश्यक है। 

     पेंक के अनुसार अपरदन चक्र के अन्तिम अवस्था में जो समप्राय मैदान विकसित होते हैं उसे इन्ड्रम्प और प्राइमारम्प कहते हैं। इन्ड्रम्प अपादन चक्र की अन्त में बनने वाला समप्राय मैदान है जबकि प्राइमारम्प उत्थान के पूर्व की अवस्था है।

       क्रीकमे महोदय ने समप्राय मैदान को परिभाषित करते हुए कहा यह एक ऐसा मैदान है जिसमें अपरदन एवं निक्षेपण दोनों कार्यों से निर्मित होता है। क्रीकमे ने अपनी संकल्पना सवाना प्रदेश के संदर्भ में प्रस्तुत किया और इन्होंने समप्राय मैदान को पैनप्लेन (Panplain) से सम्बोधित किया।

        L.C. किंग महोदय ने बताया कि समतल मैदान के साथ जब कहीं कठोर चट्टानें मिलती हैं तो वैसे भूभाग को समप्राय मैदान कहते हैं। इनके अनुसार समप्राय मैदान का निर्माण केवल अपरदन से होता है। L.C. किंग ने समप्राय मैदान को पेडीप्लेन (Pediplain) से सम्बोधित किया है। इन्होंने अनी संकल्पना मरुस्थलीय क्षेत्र के संदर्भ में प्रस्तुत किया था।

Peneplainसमप्राय मैदान की विशेषताएँ:-

(1) यह लगभग समतल मैदान होता है।

(2) V- आकार की घाटी अत्यन्त खुली हुई होती है।

(3) उच्चावच अत्यन्त न्यून होता है।

(4) जलविभाजक के स्थान पर कठोर चट्टानें लम्बवत दिखाई देती हैं जिसे डेविस ने मोनैडनॉक और पेंक एवं L.C. किंग ने इन्सेलबर्ग से सम्बोधित किया है।

(5) समप्राय मैदान में बहने वाली मुख नदी अपने आधार तल को प्राप्त कर होती है। जबकि पेंक के अनुसार इन्ड्रम्प सम्प्राय मैदान में मुख नदी और प्राइमारम्प अवस्था में मुख्य नदी के साथ-2 सहायक नदियाँ भी अपने आधारतल को प्राप्त कर लेती है।

समप्राय मैदान के प्रकार:-

          समप्राय मैदान चार प्रकार के होते हैं।

(1) स्थानीय समप्राय मैदान- प्रमाण नहीं

(2) प्रादेशिक समप्राय मैदान- प्रमाण नहीं

(3) उत्थित समप्राय मैदान- छोटानागपुर का पठार, स्कैण्डेनेवियन का पठार

(4) अध्यारोपित समप्राय मैदान- SHEMAN क्षेत्र (USA)

          अंतिम दो समप्राप्त मैदान का प्रमाण मिलता है। लेकिन, प्रथम दो का प्रमाण नहीं मिला है। छोटानागपुर का पठार और स्कैण्डेनेविय‌न पठार उत्थित समप्राय मैदान के उदाहरण है जबकि USA के वायोमिंग राज्य में स्थित SHEMAN क्षेत्र अध्यारोपित समप्राय मैदान का उदाहरण है।

           चूँकि स्थानीय और प्रादेशिक समप्राय मैदान का प्रमाण नहीं मिलता है। इसलिए समप्राय मैदान की संकल्पना की कटु आलोचना की जाती है। स्थलाकृतिक वैज्ञानिकों का कहना है कि यह एक कोरी कल्पना है। लेकिन डेविस महोदय ने कहा कि यदि समुद्रत लम्बी अवधि तक स्थिर हो तो स्थानीय प्रादेशिक समप्राय मैदान भी विकसित होंगें। वर्तमान में समुद्रतल की आयु 5½ हजार वर्ष है। इतने कम समय में समप्राय मैदान का विकास संभव नहीं है।

निष्कर्ष:

     उपरोक्त आलोचनाओं के बावजूद अपदन की प्रवृत्ति यह इशारा करती है कि अपरदन चक्र के अन्तिम अवस्था में लगभग समतल मैदान या समप्राय मैदान का विकास होता है।


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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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