46. Indian Agricultural Policies (भारतीय कृषि नीतियाँ)
Indian Agricultural Policies
(भारतीय कृषि नीतियाँ)
स्वतंत्रता के बाद कृषि सुधार के प्रयास
स्वतंत्रता के बाद कृषि सुधार के लिए निम्नलिखित प्रयास किए गए हैं:-
⇒ भूमि सुधारों पर केन्द्रित प्रथम संविधान संशोधन।
⇒ जमींदारी प्रथा की समाप्ति, भूमि हदबंदी सीमा अधिनियम।
⇒ प्रथम पंचवर्षीय योजना में कृषि को प्राथमिकता।
⇒ भूदान और सर्वोदय आंदोलनों को प्रोत्साहन तथा।
⇒ भू-राजस्व वसूली के लिए उपयुक्त व्यवस्था तैयार करना।
⇒ खाद्यान्न उत्पादन के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने हेतु हरित क्रांति।
⇒ कृषि के लिए आवश्यक क्षेत्रों जैसे- सिंचाई, उन्नत बीज, उर्वरक आदि में निवेश।
⇒ कृषकों को वित्तीय सहायता, कर राहत, सब्सिडी आदि के प्रावधान।
नई कृषि नीति:-
भारत सरकार ने 28 जुलाई 2000 को नई कृषि नीति की घोषणा की। कृषि विकास की कम दर के कारण एक नई कृषि नीति की आवश्यकता महसूस की गई। 1990-91 से 1998-99 में खाद्यान्न उत्पादन की विकास दर मात्र 1.8 प्रतिशत थी, यह जनसंख्या वृद्धि के बराबर थी।
नई कृषि नीति में अपर्याप्त पूँजी, कृषि पदार्थों के संग्रहण तथा विपणन की समस्या को कृषि विकास की धीमी गति के लिए जिम्मेदार माना गया हैं।
कृषि क्षेत्र के विकास हेतु सरकार द्वारा किए गए हालिया प्रयास
⇒ 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने की दिशा में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि पहल।
⇒ कृषि के व्यापक विकास हेतु 2007 में राष्ट्रीय कृषक नीति।
⇒ कृषि संबंधी जानकारी हेतु किसान कॉल सेंटर की सुविधाएँ।
⇒ खेती में वित्त संबंधी समस्या हेतु किसान क्रेडिट कार्ड, ऋण सुविधा, न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसी पहल।
⇒ सिंचाई समस्याओं को हल करने हेतु ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’।
⇒ रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव को कम करने हेतु नीम कोटेड यूरिया।
⇒ जमीन की उर्वरता और जैव विविधता को संरक्षित करने हेतु जैविक खेती को बढ़ावा।
⇒ मृदा स्वास्थ्य एवं पोषण की जानकारी हेतु मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना।
⇒ कृषि में जोखिम न्यूनता हेतु प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना।
⇒ खाद्यान्नों के भंडारण और उनके प्रसंस्करण से जुड़ी ढांचागत विकास पर ध्यान।
⇒ कृषि उत्पादों हेतु बड़ा बाजार हेतु E-NAM और APMC कानून।
⇒ जलवायु परिवर्तन के अनुसार जैविक खेती को बढ़ावा, कृषि में नवचार, अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा।
⇒ कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने हेतु 2018 में कृषि निर्यात नीति।
⇒ फसल कटाई के बाद बुनियादी ढाँचा प्रबंधन एवं कृषि परिसंपत्तियों में निवेश हेतु कृषि अवसंरचना कोष का गठन।
भारतीय कृषि नीतियों के मुख्य घटक
(i) न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP):-
सरकार द्वारा घोषित यह मूल्य, किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करता है, जिससे उन्हें नुकसान से बचाया जा सके।
सिंचाई सुविधाओं के विस्तार से, विशेष रूप से सूखे और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में, कृषि उत्पादकता में वृद्धि की जा सकती है।
सरकार द्वारा उर्वरकों और बीजों पर दी जाने वाली सब्सिडी, किसानों को इनपुट लागत कम करने और अधिक उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
किसानों को आसानी से ऋण उपलब्ध कराना, उन्हें निवेश करने और अपनी उपज बढ़ाने में मदद करता है।
भूमि सुधारों के माध्यम से, भूमि का समान वितरण और जोत की अधिकतम सीमा तय की जाती है, जिससे किसानों को अपनी जमीन पर बेहतर तरीके से काम करने में मदद मिलती है।
सरकार कृषि अनुसंधान और विकास में निवेश करती है, ताकि नई और बेहतर तकनीकों का विकास हो सके और किसानों को उनका लाभ मिल सके।
कृषि उपज के विपणन को बेहतर बनाने के लिए, सरकार भंडारण, परिवहन और प्रसंस्करण सुविधाओं में सुधार करती है।
कृषि शिक्षा और विस्तार सेवाओं के माध्यम से, किसानों को नवीनतम तकनीकों और सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में जानकारी दी जाती है।
निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, सरकार कृषि उत्पादों के निर्यात को सरल और सुगम बनाने के लिए नीतियाँ बनाती है।
यह नीति जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए कृषि उत्पादकता को अधिकतम करके कृषि आजीविका में सुधार करने के लिए डिजाइन की गई है।
कृषि नीतियों का उद्देश्य:
(i) कृषि उत्पादन तथा उत्पादकता में वृद्धि करना।
(ii) किसानों की आय में वृद्धि करना।
(iii) खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना।
(iv) कृषि क्षेत्र में स्थिरता लाना।
(v) किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाना।
(vi) कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा करना।
⇒ भारतीय कृषि मुख्य रूप से मानसून पर अधिक निर्भर है, जिससे कभी सूखा और कभी बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बना रहता है।
⇒ छोटे और सीमांत किसानों की संख्या अधिक है, जिन्हें ऋण और अन्य संसाधनों तक पहुंचने में कठिनाई होती है।
⇒ कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों का उपयोग अभी भी काफी सीमित है।
निष्कर्ष
इस प्रकार भारत की कृषि नीति लक्षित सुधारों और पहलों के माध्यम से कृषि क्षेत्र को बदलने के लिए एक रणनीतिक प्रयास का प्रतिनिधित्व करती है। इनपुट उत्पादकता, फसल विविधीकरण और पर्यावरण संरक्षण में सुधार पर जोर देकर, नीति का उद्देश्य अधिक उत्पादक और टिकाऊ कृषि परिदृश्य को बढ़ावा देना है।
चूंकि भारत आर्थिक उदारीकरण और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की जटिलताओं से जूझ रहा है, इसलिए उत्पादकता बढ़ाने, किसानों का समर्थन करने और नौकरशाही बाधाओं को दूर करने पर नीति का ध्यान कृषि के लिए एक समृद्ध भविष्य को सुरक्षित करने और देश के किसानों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।