Unique Geography Notes हिंदी में

Unique Geography Notes in Hindi (भूगोल नोट्स) वेबसाइट के माध्यम से दुनिया भर के उन छात्रों और अध्ययन प्रेमियों को काफी मदद मिलेगी, जिन्हें भूगोल के बारे में जानकारी और ज्ञान इकट्ठा करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस वेबसाइट पर नियमित रूप से सभी प्रकार के नोट्स लगातार विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रकाशित करने का काम जारी है।

BA Geography All PracticalBA SEMESTER-IGEOMORPHOLOGY (भू-आकृति विज्ञान)

18. Coastal Topography / समुद्र तटीय स्थलाकृति

18. Coastal Topography

(समुद्र तटीय स्थलाकृति) 

Coastal Topography


             स्थलाकृति के विकास के पांच प्रमुख दूतों में से एक दूत समुद्री तरंग है। समुद्री तरंग के द्वारा स्थलाकृतियों का निर्माण तटीय क्षेत्रों में होता है। इसीलिए समुद्री तरंग से निर्मित स्थलाकृति को तटीय स्थलाकृति कहते हैं। समुद्री तरंग के द्वारा अपरदित एवं निक्षेपित दोनों प्रकार के स्थलाकृति का निर्माण होता है। समुद्री तरंग प्रायः ऊपरी भागों का अपरदन करती है जबकि निचली भागों में निक्षेपण का कार्य करती है। समुद्री तरंग अपरदन का कार्य मुख्यतः 5 प्रक्रियाओं से करती है। जैसे-
(1) संक्षारण
(2) अपघर्षण
(3) सन्निघर्षण
(4) जल गतिक दबाब
(5) टूटते हुए लहरों के दवाब द्वारा इत्यादि।
                 
                तटीय भागों में अपरदन एवं निक्षेपण का कार्य कई कारकों पर निर्भर करता है। जैसे-
(i) तटीय भाग में प्रहर करने वाले तरंगों की आकार एवं उसमें व्याप्त ऊर्जा की मात्रा पर
(ii) तटीय प्रदेश की ढाल पर
(iii) तट रेखा की ऊँचाई पर
(iv) तटीय प्रदेशों की चट्टानों की संरचना पर
(v) तटीय प्रदेश में जल की गहराई पर
(vi) कहीं-कहीं तटीय क्षेत्रों में कई जीव-जंतु छिद्र बनाकर निवास करते हैं। ऐसी जीव तटीय क्षेत्रों में अपरदन के लिए अनुकूल परिस्थिति का निर्माण करते हैं।
               समुद्री तरंगों के द्वारा तटीय क्षेत्रों में दो प्रकार की स्थलाकृति विकसित होते हैं-
(A)अपरदनात्मक स्थलाकृति और
(B) निक्षेपात्मक स्थलाकृति
(A)अपरदनात्मक स्थलाकृति 
(1) गल्फ और खाड़ी (Bay)-
   
              तटीय क्षेत्रों में कठोर एवं मुलायम चट्टानों का वैकल्पिक जमाव समुद्री तरंग के सापेक्ष में दो प्रकार से संभव है।
(i) अगर कठोर एवं मुलायम चट्टान वैकल्पिक रूप से समुद्री तरंग के सापेक्ष में समानांतर अवस्थित हो तो समुद्री तरंग मुलायम चट्टानों को अपरदित कर खाड़ी का निर्माण करती है। जैसे- बंगाल की खाड़ी
       
         बंगाल की खाड़ी के पूर्वी भाग में मलाया प्रायद्वीप और पश्चिमी भाग में प्रायद्वीपीय भारत रूपी कठोर चट्टानें अवस्थित है। इन दोनों के बीच अवस्थित मुलायम चट्टानों को हिंद महासागर का जल अपरदित कर बंगाल की खाड़ी का निर्माण किया है। इसे नीचे चित्र में देखा जा सकता है।
(ii) दूसरी परिस्थिति के अनुसार तटीय क्षेत्रों में समुद्री तरंग के सापेक्ष में कठोर एवं मुलायम चट्टानों का जमाव लम्बवत हो तो समुद्री तरंग के प्रहार से पहले कठोर चट्टानों के अपरदन से एक निवेशिकों का विकास होता है निवेश का सेजल मुलायम चट्टानों के क्षेत्र में घोष कर चट्टानों के अपरदन से एक निवेशिका का विकास होता है। निवेशिका से जल मुलायम चट्टानों के क्षेत्र में घुसकर चट्टानों को अपरदित कर देती है और गल्फ का निर्माण करती है। जैसे- परसियन गल्फ। इसे इस चित्र में देखा जा सकता है- 
(2) समुद्री क्लिफ और तरंग घर्षित प्लेटफार्म-
            समुद्री तरंग तटीय भागों में अपने प्रहार के कारण चट्टानों को अपरदित करते रहती है। समुद्री तरंगों का जब तटीय भागों में स्थित खड़ी चट्टानों पर सतत प्रहार चलता रहता है तो उनके अपरदन से एक क्लिपनुमा संरचना का निर्माण होता है जिसे समुद्री क्लिप कहते हैं। जब समुद्री क्लिप का ऊपरी भाग असंतुलित होकर नीचे गिर जाती है तो “वेव कट प्लेटफार्म” का निर्माण करती है। समुद्री क्लिप सतत पीछे की ओर हटने की प्रवृत्ति रखती है जबकि वेव कट प्लेटफार्म सतत विस्तृत होने की प्रवृत्ति रखती है। इसे नीचे के चित्र में देखा जा सकता है-
(3) समुद्री गुफा- 
       जब तटीय भागों में कठोर चट्टानों के बीच-बीच में मुलायम चट्टान भी खड़ी अवस्था में स्थित हो तो समुद्री तरंग मुलायम चट्टानों को अपरदित कर गुफानुमा स्थलाकृति का विकास करती है, जिसे समुद्री गुफा कहते है।
(4) समुद्री मेहराव एवं तटीय स्तंभ- 
         तटीय भागों में चट्टानों काफी दूर तक कहीं-कहीं घुँसे हुए दिखाई देते हैं। अगर समुद्र में घुसे हुए चट्टान के बीच-बीच में मुलायम चट्टान और उसके चारों और कठोर चट्टान स्थित हो तो समुद्री तरंग उस प्रक्षेपित चट्टान के दोनों ओर प्रहार कर अपरदित कर देती है और मेहरावनुमा स्थलाकृति का निर्माण करती है जिसे “समुद्री मेहराव”कहते हैं। 
           जब समुद्री मेहराव का ऊपरी भाग असंतुलित होकर गिर जाता है तो चिमनी के समान कठोर चट्टाने समुद्र में खड़े दिखाई देते हैं जिन्हें समुद्री स्तंभ(Skerries) कहते हैं। इसे चित्र में देखा जा सकता है। 
(B) निक्षेपात्मक स्थलाकृति- 
          जब समुद्री तरंग तटीय क्षेत्रों से टकराकर पीछे की ओर लौटने लगती है तो वह जहाँ एक ओर कमजोर हो जाती है वहीं दूसरी ओर तटीय क्षेत्रों को काटकर लाई जा रही मलवा का निक्षेपण मंद ढाल वाले क्षेत्रों में प्रारंभ कर देती है। चट्टानों के निक्षेपण से तटीय क्षेत्रों में कई स्थलाकृति विकसित होते हैं। जैसे-
(1) स्पीट
(2) बालू रोधिका
(3) लैगून
स्पीट- 
       स्पीट बालू और पत्थर के टुकड़ों से बना बाँधनुमा स्थलाकृति है जो तट के लंबवत स्थित होता है। इसका एक भाग तट से जुड़ा होता है जबकि दूसरा भाग समुद्र की ओर प्रक्षेपित रहता है। अगर इसका आकार सीधा हो तो उसे सामान स्पीट कहते हैं। लेकिन जब समुद्री तरंगों के प्रहार की दिशा में परिवर्तन हो तो उससे टेढ़ी स्पीट का निर्माण होता है जिसे हुक कहते हैं।
         
             जब किसी एक ही स्थान पर सामान्य स्पीट और हुक स्थित मिलते हैं तो उसे संयुक्त या मिश्रित स्पीट कहते हैं।
बालू रोधिका & लैगून- 
         कभी-कभी जलमग्न तटीय भागों में समुद्री तरंगें बालू एवं कंकड़-पत्थर का निक्षेपण तट के समानांतर करती है लेकिन तट से थोड़ा अलग होती है तो वैसे निर्मित स्थलाकृति को बालू रोधिका कहते हैं। बालू रोधिका और तट के बीच के पीछे अवस्थित जलाशय को लैगून कहते हैं। भौगोलिक स्थिति के अनुसार बालू रोधिका तीन प्रकार का हो सकता है। जैसे – 
(i) संयोजक रोधिका- इसमें बालू रोधिका का दोनों किनारा स्थल से जुड़ा होता है। जैसे – केरल के एर्नाकुलम के पास। 
(ii) लुप रोधिका- जब किसी द्वीप के चारों ओर बालू रोधिका का विकास हो तो उसे लूप रोधिका कहते हैं। 
(iii) टोम्बोलो रोधिका- जब बालू रोधिका का एक भाग तट से और दूसरा भा किसी द्वीप से जुड़ा हुआ हो तो उसे टोम्बोलो रोधिका कहते हैं। 
निष्कर्ष-

          इस तरह उपर्युक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि समुद्री तरंगों द्वारा किए गए अपरदन एवं निक्षेपण से तटीय क्षेत्रों में कई विशिष्ट स्थलाकृतियों का निर्माण होता है।


Read More:

Tagged:
I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

LEAVE A RESPONSE

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts

error:
Home