13. भौगोलिक सूचना प्रणाली के उद्देश्यों, स्वरूपों एवं तत्वों की विवेचना
13. भौगोलिक सूचना प्रणाली के उद्देश्यों, स्वरूपों एवं तत्वों की विवेचना
(Discuss the Objective, Nature and Elements of GIS)
भौगोलिक सूचना प्रणाली के उद्देश्य (Objectives of GIS)
भौगोलिक सूचना प्रणाली के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित प्रकार हैं-
1. योजना तथा निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाना।
2. आंकड़ों के वितरण तथा संचालन के लिए सफल साधनों की पूर्ति करना।
3. आँकड़ा भण्डार से अनावश्यक आंकड़ों को हटाना तथा पुनरावृत्ति को करना।
4. विभिन्न स्रोतों से एकत्रित सूचनाओं को संगठित करने की क्षमता रखना।
5. अति जटिल विश्लेषण करना।
6. भौगोलिक आँकड़ों के जटिल विश्लेषणों से नई-नई सूचनाओं करना।
जब किसी भी योजना में भौगोलिक सूचना प्रणाली का उपयोग किया जाता है तो यह हमें निम्नलिखित जातीय प्रश्नों का उत्तर देता है।
बसाव स्थिति (Location):-
कोई भी स्थान या वस्तु कहाँ स्थित है इसका जी.आई.एस. के विश्लेषण से आसानी से प्राप्त हो जाता है। चूंकि जी.आई.एस. में उपयोग किये गये आँकड़े भौगोलिक रूप से संदर्भित होते है इसलिए किसी भी लक्ष्य की उपयुक्त बसाव स्थिति का ज्ञान इसके द्वारा किया जा सकता है। यदि कहीं पर भी यह जानना चाहे कि यहाँ क्या है तो इसका भी उत्तर शीघ्र एवं सरलता से जी.आई.एस. से प्राप्त हो जाता है।
दशा (Condition):-
दशा से अभिप्राय यह है कि कोई वस्तु कहीं पर किन कारणों से तथा किन दशाओं में स्थित है। यहाँ पर कार्य एवं कारण का सम्बन्ध स्पष्ट होता है। किसी भी लक्ष्य या वस्तु के बसाव की स्थिति की पहचान जी.आई.एस. प्रक्रिया से की जा सकती है।
प्रवृत्ति (Trend):-
प्रवृत्ति का अर्थ है चरों का परिवर्तन। कोई भी मानचित्र तत्व घटते हुए क्रम में है या बढ़ते हुए क्रम में, इसको पुष्टि जी.आई.एस. आसानी से देता है। यहाँ तक कि क्या परिवर्तन हो रहा है इसका भी उत्तर प्राप्त हो जाता है। कोई भी चर निम्न रूपों में परिवर्तन को प्रदर्शित करते हैं-
(i) आकार में वृद्धि (Increase Size)
(ii) आकार में कमी तथा स्थान में परिवर्तन (Decreased size and changged position)
(iii) आकृति परिवर्तन (Change Shape)
प्रतिरूप (Pattern):-
जी.आई.एस. के कार्यों में धरातलीय प्रतिरूप तथा अंतरसम्बन्ध महत्वपूर्ण विशेषतायें हैं। सभी मानचित्र आकृतियों में विभिन्न प्रकार के धरातलीय सम्बन्ध होते हैं। इनमें से कुछ सम्बन्धों को आँखों से आसनी से देखा जा सकता है जबकि अन्य को जानने के लिए जी.आई.एस. की आवश्यकता होती है। यहाँ समझने के लिए तीन प्रकार के सम्बन्धों को समझाया गया है-
(i) क्या किसी X आकृति में कोई प्रतिरूप है? आकृति X कुछ भी हो सकती है जैसे कि भूमि उपयोग, वनस्पति प्रकार, आवासीय विस्तार आदि। किसी साधारण मानचित्र में इनका प्रतिरूप देखा जा सकता है।
(ii) क्या X एवं Y में कोई सम्बन्ध है? हमारी आँखों यह बताने में सक्षम होती हैं कि X व Y में निकट का सम्बन्ध है या Y, X के अति निकट है। यह भी हो सकता है कि एक X से दूसरे X में Y की स्थिति में परिवर्तन एक प्रतिरूप में होता है। इन धरातलीय सम्बन्धों को समझने के लिए कार्य करने वाले व्यक्ति के कार्यात्मक साहचर्य (Functional Association) को जानना अति आवश्यक है। उदाहरण के लिए यदि X व Y हमेशा साथ है तो इसका अर्थ है कि इनकी निकटता का कोई महत्वपूर्ण कारण है। इस प्रकार की जानकारियों का ज्ञान जी.आई.एस. में ढूँढा जा सकता है।
(iii) क्या अन्य धरातलीय अथवा कार्यात्मक प्रतिरूप भी अस्तित्व में है? माना कोई Z प्रकार की आकृति सीमाओं की ओर स्थित है तथा पश्चिम से पूर्व की ओर आकार में बहती है। इसका बसाव प्रतिरूप टेढ़ा-मेढ़ा है। इसका कोई कार्यात्मक कारण होता है। जी.आई.एस. इसका उत्तर ढूंढ़ने में सहायता करता है।
मॉडलिंग (Modeling):-
‘मॉडल’ संसार तथा इसकी प्रक्रियाओं का प्रदर्शित रुपान्तरण है। मॉडल किसी सामान्य कथन बनाने के लिए आँकड़ों या विश्लेषण का सारांश प्रस्तुत करता है। ये मॉडल ऑकड़ों के कालोहाल को कम करने तथा सामान्यीकरण को बनाने में सहायता करते हैं। आज उच्च क्षमता वाले कम्प्यूटर विश्लेषण को आगे बढ़ाते हैं। इस प्रकार के नवीन विश्लेषण को मॉडलिंग कहते हैं।
यहाँ पर प्रश्न किया जा सकता है कि जी.आई.एस. में ऐसा क्या है जिससे यह तकनीक अत्यधिक प्रचलित हो रही है। इसका उत्तर सक्षिप्त में इस प्रकार दिया जा सकता है।
जी.आई.एस. के विशिष्ट तथ्य
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⇒ सूचनाओं की पुनर्प्राप्ति (Retrevel of Information)
⇒ टोपोलोजिकल मॉडल (Topological Model)
⇒ नेटवर्क (Network)
⇒ अंशछादन(Overlay)
⇒ आँकड़ों का निर्गमन (Data Output)
जी.आई.एस. कैसे कार्य करता है?
(How does GIS work?)
यहाँ पर संक्षेप में उन बिन्दुओं को उद्धरित किया गया है जिनके अंतर्गत जी.आई.एस. कार्य करता है:-
1. विभिन्न स्रोतों से सूचनाओं को सम्बद्ध करना।
2. आँकड़ों का अभिग्रहण (Capture) करना
3. ऑकड़ों को एकीकृत (Integration) करना
4. प्रक्षेपण तथा पंजीकरण (Projection and Registration) करना
5. आँकड़ों को ढाँचा (Data Structure) तैयार करना।
आँकड़ों का विश्लेषण (Data Analysis)
इसके अंतर्गत मुख्यतः निम्न प्रकार से आँकड़ों का विश्लेषण किया जाता है:-
1. साधारण जाँच (Simple Query)
2. विशेष जाँच (Spacial Query)
3. एक परतीय संचालन (Single Layer Operation)
4. जोनिंग करना (Zoning)
यहाँ जाँच शब्द से अभिप्राय है पूछताछ करना। इस प्रणाली में हम पूछताछ के माध्यम से सूचनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। विशेष पूछताछ निम्न प्रकार से की जाती है-
1. बहुपरतीय संचालन (Multi Layer Operation)
2. विशेष मॉडलिंग (Spacial Modeling)
3. धरातलीय विश्लेषण (Surfacial Analysis)
4. जाल विश्लेषण (Network Analysis)
5. बिन्दु प्रतिरूप विश्लेषण (Point Partem Analysis)
6. ग्रिड विश्लेषण (Grid Analysis)
भौगोलिक सूचना प्रणाली के तत्व (Elements or Components of GIS):-
जी.आई.एस. के प्रमुख तत्वों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है:-
1. हार्डवेयर (Hardware)
2. सॉफ्टवेयर (Software)
3. आँकड़े (Data)
4. लाइफवेयर (Lifewate)
5. साँचागत संगठन (Infrastructural Organisation)
प्रश्न प्रारूप
Q. भौगोलिक सूचना प्रणाली के उद्देश्यों, स्वरूपों एवं तत्वों की विवेचना करें।
(Discuss the Objective, Nature and Elements of GIS.)
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- 11. अंकीय उच्चता मॉडल
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- 13. भौगोलिक सूचना प्रणाली के उद्देश्यों, स्वरूपों एवं तत्वों की विवेचना
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