9. Rostow’s Economic Development Model (रोस्तोव के आर्थिक विकास मॉडल)
9. Rostow’s Economic Development Model
(रोस्तोव के आर्थिक विकास मॉडल)
रोस्तोव मूलतः एक इतिहासकार थे जिन्होंने ऐतिहासिक अर्थशास्त्रों के रूप में आर्थिक-सामाजिक विकास से संबंधित एक बहुस्तरीय मॉडल प्रस्तुत किया। यह मॉडल 1971 ई० में रोस्तोव के द्वारा प्रस्तुत किया गया। यह मॉडल 5 चरणों में विभक्त है-
रोस्तोव के द्वारा प्रस्तुत आर्थिक विकास के इस मॉडल के अनुसार सभी देश एक साथ और एक समान आर्थिक विकास नहीं कर पाते हैं अर्थात् यह मॉडल स्थान और समय के संदर्भ में विभिन्न देशों के सामाजिक-आर्थिक विकास की व्याख्या करता है। इसे एक उदाहरण से भी समझा जा सकता है। जैसे- भारत (1947) और द० कोरिया (1948) क्षेत्रों लगभग एक ही समय आजाद हुए। लेकिन विकास के दृष्टिकोण से द० कोरिया की अर्थव्यवस्था विकसित देशों के समतुल्य पहुँच गई। लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था अभी भी विकासशील अवस्था से गुजर रहा है।
रोस्तोव ने सामाजिक आर्थिक विकास की व्याख्या करने हेतु 5 स्तरीय विकास का मॉडल निम्न प्रकार से प्रस्तुत किया है।
आर्थिक विकास की अवस्था | सामाजिक-आर्थिक स्थिति |
(1) प्रथम अवस्था | जीवन निर्वाह की अवस्था / अर्थव्यवस्था |
(2) द्वितीय अवस्था | विकास के पूर्व की अवस्था |
(3) तृतीय अवस्था | तीव्र विकास की अवस्था |
(4) चतुर्थ अवस्था | आर्थिक प्रौढ़ावस्था |
(5) पंचम अवस्था | उपभोक्ता वस्तुओं की तीव्र उपयोग की अवस्था |
रोस्तोव ने बताया कि कोई भी देश उपरोक्त 5 अवस्थाओं से गुजरकर ही विकास के चरम अवस्था को प्राप्त करते हैं।
रोस्टोव ने प्रत्येक अवस्था की विशेषता निम्न प्रकार से बताया
(1) प्रथम अवस्था की विशेषता
यह परम्परागत समाज की विशेषता है। इस अवस्था से गुजरने वाले समाज अनुत्पादक कार्यों पर धन अधिक खर्च करहे हैं। अर्थव्यवस्था जीवन निर्वाह की होती है। कुल GDP का 1/3 भाग खाद्य पदार्थों पर खर्च किया जाता है। साक्षरता, स्वास्थ्य और नियोजित कार्यों का अभाव होता है। लोगों को राज्य के द्वारा चलाया जा रहा कार्यक्रम की जानकारी कम होती है। देश की सरकारें सुरक्षा और धार्मिक कार्यों पर अधिक खर्च करते हैं। राज्य में निराशा का वातावरण होता है। अनेक प्रकार के सामाजिक-धार्मिक तनाव व्याप्त होते है। भारत के पड़ोसी देश म्यानमार, अफगानिस्तान, मध्य अफ्रीकी देश और उप सहारा के देश की आर्थिक व्यवस्था इसी अवस्था से गुजर रही है।
(2) दूसरी की अवस्था की विशेषता
रोस्तोव ने बताया कि जिस देश की अर्थव्यवस्था दूसरे चरण गुजर रही होती है। वैसे देशों में एक ऐसे अभिजात वर्ग का उदय होता है जो नवोत्पाद या नयी तकनीक को प्राश्रय देता है। इस अवस्था से गुजरने वाले देश की सरकार अधिकत्तर धन परिवहन, संचार और संरचनात्मक सुविधाओं पर खर्च करते हैं। एक देश के अन्दर विकास दृष्टिकोण से अन्तः और अन्तर प्रादेशिक विषमता दिखायी देती है अर्थात् कुछ क्षेत्र विकसित हो जाते है और कुछ क्षेत्र पिछड़े ही रह जाते है। भारत, चीन, मैक्सिको ब्राजील द० अफ्रीका जैसे देशों की अर्थव्यवस्था इसी चरण से गुजर रही है।
(3) तीसरा अवस्था की विशेषता
तीसरा अवस्था से गुजरने वाले देशों में विकास का कार्य खण्डीय होता है। रोस्तोव ने पश्चिमी देशों का उदाहरण देते हुए बताया है कि आर्थिक विकास के तीसरे चरण में पहले वस्त्र उद्योग, उसके बाद रेलवे परिवहन अंतत: दुग्ध उद्योग का विकास हुआ है। ये ऐसे उद्योग है जिनके विकास के लिए न विशिष्ट तकनीक की आवश्यकता है और न ही विशेष निवेश की। लेकिन इन तीनों के विकास से समाज का विकास त्वरित गति से होता है। रोस्तोव ने बताया कि तीसरे अवस्था को जलविभाजक से तुलना की जा सकती है। इस अवस्था से कोई भी देश 20-30 वर्षों तक गुजरता है। तीसरे अवस्था से गुजरने के बाद राज्य के आर्थिक-सामाजिक परिस्थितियों का कायाकल्प हो जाता है।
मलेशिया ने 2020 का नारा दिया। भारत ने “विजन 2020” का नारा दे रहा है ताकि एक नियत समय के बाद में देश विकसित देशों की कतार में खड़ा हो जायें। मध्य अमेरिकी देश, इजराइल, द. कोरिया जैसे देश इसी अवस्था से गुजर रहे हैं।
(4) चौथा अवस्था
चौथा अवस्था को प्रौढ़ावस्था से सम्बोधित किया गया है। इस अवस्था से गुजरने वाले देशों की अर्थव्यवस्था पूर्णरूपेण विकसित होती है। देश में अकाल, भूखमरी इत्यादि की समस्या समाप्त हो जाती है। प्रति व्यक्ति आय अति उच्च होता है। आधुनिक तकनीक का बोलबाला होता है। प्रशिक्षित वर्ग का एक विशिष्ट श्रमिक समूह उभरकर सामने आता है। उत्पादन के कार्यों में निवेश अधिक से अधिक किया जाता है। उपभोक्ता वस्तुओं पर अधिक-से-अधिक खर्च किया जाता है। द० एवं पूर्वी यूरोप के अधिकतर देश इसी अवस्था से गुजर रहे हैं।
(5) पाँचवाँ अवस्था की विशेषता
पाँचवाँ अवस्था से गुजरने वाले देशों में उपभोक्ता वस्तुओं की माँग अधिक होती है। लोग नवीन उत्पाद को खरीदने के लिए बेचैन रहते है। प्रति व्यक्ति आप अधिक होती है। समाज का मशीनीकरण और वैज्ञानिकरण हो जाता है। सामूहिक भावना कमजोर पड़ने लगती है। व्यक्तिवादिता का विकास अधिक हो जाता है। विश्व के आज नगरीय समाज, जापान, अमेरिका सिंगापुर, फ्रांस, इंगलैण्ड, जर्मनी जैसे देशों की अर्थव्यवस्था इसी चरण से गुजर रही है।
रोस्तोव ने बताया है कि सभी देशों की अर्थव्यवस्था इन 5 अवस्थाओं से होकर गुजरती है। इन्होंने USA के संदर्भ में उदाहरण देते हुए बताया है कि 1800 ई० के पहले प्रथम अवस्था से 1800- 50 ई० के बीच द्वितीय अवल्या से, 1850-75 to 1बीच तृतीय अवस्थत से, 1875 – 1925 के बीच चतुर्थ अवस्था से और 1925 के बाद पाँचवाँ अवस्था ये गुजर रही है।
आलोचना
रोस्तोव के इस मॉडल की कई आधारों पर आलोचना भी की गई। जैसे:-
(1) अरब देशों पर यह मॉडल बिल्कुल लागू नहीं होती क्योंकि वहाँ प्रति व्यक्ति आय अधिक है लेकिन सरकार अधिकतर खर्च सुरक्षा और धार्मिक कार्य पर करती है।
(2) इस मॉडल में कहा गया है कि एक दीर्घ अवधि के बाद ही तीव्र विकास की अवस्था प्रारंभ होती है जो गलत है क्योंकि कई ऐसे देश हैं जो आधुनिक तकनीक एवं प्रशासनिक प्रतिबद्धता के आधार पर विकास के कार्यों को तीव्र कर चुके है।
निष्कर्ष
उपर्युक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि इस मॉडल की अपवादवश कुछ सीमाएँ अवश्य है, इसके बावजूद यह मॉडल अधिकांश देशों के संदर्भ में उपयोगिता रखता है।
प्रश्न प्रारूप
Q. रोस्तोव के आर्थिक विकास अवस्था मॉडल का सामालोचनात्मक परीक्षण कीजिए तथा अपने उत्तर के पुष्टि में उपयुक्त उदाहरण प्रस्तुत करें। (UPSC, 2003)