1. Complete Educational Psychology Capsule 1 / शिक्षा मनोविज्ञान
1. Complete Educational Psychology Capsule 1
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शिक्षा मनोविज्ञान
शिक्षा मनोविज्ञान’ दो शब्दों से मिलकर बना है- पहला- ‘शिक्षा’ और दूसरा- ‘मनोविज्ञान’। इस प्रकार शिक्षा मनोविज्ञान का शाब्दिक अर्थ शिक्षा संबंधी मनोविज्ञान से है। दूसरे शब्दों में, शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान का ही व्यावहारिक रूप है और शिक्षा की प्रक्रिया में मानव व्यवहार का सम्पूर्ण अध्ययन करने वाला विज्ञान है।
एक नजर में इन्हें जरुर देखें
➡ शताब्दियों पूर्व मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र की एक शाखा के रूप में माना जाता था।
➡ विलियम जेम्स ने दर्शनशास्त्र से मनोविज्ञान को मुक्त कराया। इसलिए मनोविज्ञान के जनक विलियम जेम्स को माना जाता है।
➡ मनोविज्ञान शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम रूडोल्फ गोयल ने किया।
➡ मनोविज्ञान को स्वतन्त्र विषय बनाने के लिए मनीषियों द्वारा इसे परिभाषित करना आरम्भ किया गया।
➡ गेरेट के अनुसार PSYCHOLOGY शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के दो शब्दों PSYCHE और LOGOS से मिलकर हुई हैं।
➡ यहाँ PSYCHE का अर्थ :- आत्मा तथा LOGOS का अर्थ – अध्ययन करना है।
➡ 16वीं शताब्दी में सर्वप्रथम आत्मा को आधार मानकर प्लेटो, अरस्तु और डेकार्डे के द्वारा मनोविज्ञान को आत्मा का विज्ञान माना गया।
➡ आत्मा शाब्द की स्पष्ट व्याख्या नहीं होने के कारण 16वीं शताब्दी के अन्त में यह परिभाषा अमान्य हो गयी।
➡ 17वीं शताब्दी में इटली के मनोविज्ञानी पॉम्पोनोजी व थासडरीन इसे मन तथा मस्तिष्क का विज्ञान माना। बाद में यह परि भाषा भी अपूर्ण अर्थ के कारण अमान्य कर दी गयी।
➡ 19वीं शताब्दी में विलियम वुण्ट, विलियम जेम्स ने मनोविज्ञान को चेतना का विज्ञान माना और अपने अपूर्ण अर्थ की वजह से यह भी अमान्य कर दी गयी।
➡ 20वीं शताब्दी में वाटसन, थार्नडाइक, स्किनर तथा मेग्डुगल इत्यादि ने मनोविज्ञान को व्यवहार का विज्ञान माना जो आज तक प्रचलित है।
➡ भारत में प्रथम मनोविज्ञान प्रयोगशाला सेन गुप्त के द्वारा 1915 ई0 में कलकत्ता शहर में स्थापित की गयी।
➡ जर्मनी के लिपजिंग शहर में विलियम वुण्ट के द्वारा 1879 ई० में ‘कार्लमार्क्स विश्विद्यालय में प्रथम मनोविज्ञान प्रयोग शाला स्थापित की गयी।
➡ विलियम वुण्ट को प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का जनक माना जाता है।
➡ वुडवर्थ के अनुसार – “मनोविज्ञान में सर्वप्रथम अपनी आत्मा का त्याग किया, फिर मन व मस्तिष्क का त्याग किया और फिर उसने अपनी चेतना का त्याग किया तथा तब आज वर्तमान में मनोविज्ञान व्यवहार के विधि स्वरूप स्वीकार करता है।”
➡ वाटसन का कथन – ‘तुम मुझे एक बालक दो मैं उसे वो बना सकता हूँ जो मैं बनाना चाहता हूँ।”
➡ मनोविज्ञान की शाखा शिक्षा मनोविज्ञान की उत्पत्ति 1900 ई० में मानी जाती है। बाद में थार्नडाइक, जड़, टरमन, प्रोबेल, हरबल आदि के प्रयासों से 1920 ई0 में शिक्षा मनोविज्ञान को स्पष्ट स्वरूप प्राप्त हुआ।
➡ प्रथम शैक्षिक मनोविज्ञानिक थार्नडाइक को माना जाता है।
➡ शिक्षा में मनोवैज्ञानिक दृष्टि का सूत्रपात रूसो ने किया। रूसो ने अपनी पुस्तक E-mail में लिखा- “शिक्षा संस्कृत के शिक्ष धातु से बना है।”
➡ स्किनर के अनुसार- “शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापकों की तैयारी की आधार शिला है।”
➡रूसो- “बालक एक पुस्तक के समान है जिसका अध्ययन प्रत्येक अध्यापक को करना चाहिए।”
➡फ्रॉबेल- “शिक्षा एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक बालक अपनी जन्मजात शक्तियों का विकास करता है।”
➡क्रो एण्ड क्रो- “शिक्षा मनोविज्ञान जन्म से वृद्धावस्था तक किसी भी व्यक्ति के सीखने के अनुभवों का वर्णन और व्याख्या करता है।”
➡स्किनर-“मनोविज्ञान शिक्षा का आधार भूत विज्ञान है।
➡ट्रो- “शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षणिक प्रस्तुतियों का मनोवैज्ञानिक ‘दृष्टि से अध्ययन है।”
➡ब्राउन- “शिक्षा वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा व्यक्ति के व्ययवहारों में परिवर्तन होता है।”
➡विवेकानन्द- “अपने अनुभवों की अभिव्यक्ति प्रदान करना ही शिक्षा है।”
➡महात्मा गांधी- “शिक्षा से अभिप्राय बालक या मनुष्य के शरीर, मस्तिष्क तथा आत्मा के सर्वांगीण एवं सर्वोत्तम विकास से है।”
नोट : मैं आशा करता हूँ कि शिक्षा मनोविज्ञान से सम्बंधित सभी CAPSULE आपके परीक्षा के लिए नींव का पत्थर साबित होंगे। अगर किसी भी प्रश्न के उत्तर को लेकर आपके मन में कोई संदेह हो तो हमसे Contact With us के माध्यम से, Comment या Email से Contact कर सकते है। मैं हमेशा आपके मंगल भविष्य की कामना करता हूँ।
Thank You @ By Dr. Amar Kumar