19. The Chief characteristics and distribution of Plantation agriculture in the world (विश्व में बागानी या रोपण कृषि की मुख्य विशेषताएँ तथा वितरण)
19. The Chief characteristics and distribution of Plantation agriculture in the world
(विश्व में बागानी या रोपण कृषि की मुख्य विशेषताएँ तथा वितरण)
प्रश्न प्ररूप
Q. Discuss the chief characteristics and distribution of Plantation agriculture in the world.
(विश्व में बागानी या रोपण कृषि की मुख्य विशेषताओं तथा वितरण का वर्णन करें।)
उत्तर- बगानी या बगाती या रोपण कृषि, कृषि का एक विशिष्टीकृत रूप है जो मुख्य रूप से उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में ही की जाती है। इस प्रकार की कृषि में कोई एक ही फसल उत्पन्न की जाती है। यह फसल भी मुख्य रूप से बाजारों में बिक्री के लिए की जाती है। इन फसलों में रबड़, चाय, कहवा, गन्ना, केला, नारियल आदि प्रमुख हैं। इस प्रकार की कृषि को एक फसली (One-crop Mono-Culture) की खेती कहते हैं। कुछ विद्वान गन्ने को भी बगानी फसल मानते हैं किन्तु वास्तव में गन्ना बगानी फसल नहीं है।
बगानी कृषि के क्षेत्र-
(i) पश्चिमी द्वीप समूह में क्यूबा, जमाइका, पोर्टिरिको, आदि
(ii) मध्य अमेरिका में होण्डुरस, ग्वाटेमाला त्तथा कोस्टारिका
(iii) पश्चिमी अफ्रिका के गिनीतट, घाना आदि।
(iv) दक्षिण अफ्रिका में नेटाल आदि
(व) दक्षिणी एशिया में द० भारत, श्रीलंका, मलेशिया, इन्डोनेशिया आदि।
(vi) आस्ट्रेलिया में क्वींसलैंड क्षेत्र।
इस प्रकार की रोपण (Plantation) कृषि में मुख्य रूप से यूरोपीय लोगों की पूँजी तथा प्रबंध क्षमता लगी हुई है। इस प्रकार की कृषि में मूल निवासी लोग श्रमिकों का काम करते हैं। इस प्रकार की कृषि प्रणाली में फसलों के उत्पादन में बहुत से प्रक्रम (Processes) ऐसे होते हैं जिनके लिए बड़ी सावधानी की आवश्यकता होती है। इस कृषि की विधियाँ बहुत ही दक्षतापूर्ण और वैज्ञानिक होती हैं। इसकी फसलों के लिए वैज्ञानिक प्रणाली तथा सावधानी बरती जाती है। इसके पौधे काफी नाजुक होते हैं।
रोपण (Plantation) कृषि में उन फसलों का उत्पादन होता है जिसके पदार्थों के माँग पिछले दो शताब्दियों में नगरीय संस्कृति के विकास के साथ-साथ बढ़ती गई है। आज की वर्तमान आधुनिक दुनिया में पेय पदार्थों का महत्व बहुत बढ़ गया है। इनमें चाय, कॉफी, कोको काफी लोकप्रिय हो गए हैं। विश्व के उन्नत देशों में इन पदार्थों की काफी माँग है।
रोपण कृषि की विशेषताएँ-
रोपण कृषि की कुछ मूलभूत विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
(i) यह एक फसली (Mono culture) कृषि है। इसमें एक ही फसल के उत्पादन पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
(ii) इसमें अधिक पूँजी, उच्च प्रबंध और वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया जाता है।
(iii) इसकी फसलें केवल बिक्री द्वारा मुद्रा प्राप्त करने के लिए उत्पन्न की जाती है।
(iv) अधिकतर उत्पादन व्यापार के लिए होता है। स्थानीय क्षेत्रों में इसका उपभोग बहुत ही, कम होता है।
(v) इसके अन्तर्गत खेत (Holdings) बहुत विस्तृत तथा खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।
(vi) इसमें मानव श्रम की अधिक आवश्यकता पड़ती है।
(vii) इस कृषि पर बाजार-माँग की घट-बढ़ का और मूल्य में उतार-चढ़ाव का गहरा प्रभाव पड़ता है।
(viii) इस प्रकार की कृषि के लिए भारी पूँजी की आवश्यकता होती है क्योंकि रख-रखावों,, प्रक्रिया तथा यातायात में काफी खर्च पड़ता है।
(ix) इस कृषि की फसलों में बीमारी लगने का काफी भय रहता है। अतः फसल के खराब होने से बहुत हानि होती है।
(x) इस कृषि का बाजार सम्पूर्ण विश्व के नगरों में फैला हुआ है। अतः ग्रह फसल नगरीय सभ्यता तथा संस्कृति का द्योतक है।
(xi) यह एक महत्त्वपूर्ण मुद्रादायिणी फसल है।
इस प्रकार की फसलों का उत्पादन प्रायः विकासशील या अविकसित क्षेत्रों में होता है। जैसे दक्षिणी अमेरिका, मध्य अफ्रिका, तथा दक्षिणी एशिया के अधिकतर देश या तो विकासशील हैं या अविकसित हैं, परन्तु इसका बाजार अधिकतर विकसित देशों के महानगरों में से है।
इसका मुख्य खरीददार U.S.A., कनाडा तथा यूरोपीय महादेश के देश हैं। आस्ट्रेलिया भी इसका अच्छा बाजार है। इस प्रकार इसका उत्पादन उष्ण कटिबंधीय देशों में तथा इनकी बिक्री समशीतोष्ण तथा शीत प्रदेशों में है। उदाहरणस्वरूप विश्व में चाय का सबसे बड़ा निर्यातक भारत, श्रीलंका है। कॉफी का सबसे बड़ा निर्यातक ब्राजील है। परन्तु सबसे बड़ा आयातक U.S.A. तथा यूरोप के देश हैं।
विश्व में बगानी कृषि की फसलें तथा उनके क्षेत्र-
(1) रबड़- मौनसून एशिया में मलेशिया, इन्डोनेशिया, थाइलैंड, श्रीलंका, भारत, हिन्दचीन के देश- सिंगापुर, फिलीपीन, अफ्रिका- गिनी तट के देश घाना, नाइजीरिया, आइवरी कोस्ट आदि तया दक्षिणी अमेरिका में ब्राजील।
(2) चाय- मौनसून एशिया में चीन, भारत, श्रीलंका, जापान, बंगलादेश, इन्डोनेशिया, मलेशिया आदि पश्चिमी एशिया में ईरान, दक्षिणी रूस आदि, अफ्रिका में केन्या, जायरे, जाम्बिया, तंजानियाँ आदि दक्षिणी अमेरिका में अर्जेन्टिना तथा ब्राजील।
(3) नारियल- दक्षिणी-पूर्वी एशिया के देश- इन देशों के समुद्र तटीय प्रदेश, भूमध्यरेखीय अफ्रिका तथा दक्षिणी अमेरिका के तटीय प्रदेश।
(4) कहवा- दक्षिणी अमेरिका में ब्राजील, कोलम्बिया, इक्वेडोर, वेनेज्वेला तथा पेरू, अफ्रिका में गिनी तट के देश-आइवरी कोस्ट, घाना, अंगोला, उगाण्डा, एथियोपिया, जैसे आदि तथा मौनसून एशिया में भारत, हिन्दचीन आदि।
(5) केला- मौनसून एशिया में भारत, फिलीपिन, हिन्देशिया, मलेशिया, सिंगापुर और अफ्रिका तथा दक्षिणी अमेरिका के भूमध्यरेखीय प्रदेश शामिल है।
(6) मसालें- मौनसून एशिया में भारत, श्रीलंका, मलेशिया तथा तंजानियाँ आदि। तंजानियाँ में जंजीवार द्वीप लौंग के उत्पादन के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
(7) कोको- इसका सबसे बड़ा उत्पादक अफ्रिका महादेश है। इसमें अपर वोल्टा, घाना, नाइजीरिया आदि हैं। कोको का कुछ उत्पादन दक्षिणी अमेरिका के ब्राजील में भी होता है।