Unique Geography Notes हिंदी में

Unique Geography Notes in Hindi (भूगोल नोट्स) वेबसाइट के माध्यम से दुनिया भर के उन छात्रों और अध्ययन प्रेमियों को काफी मदद मिलेगी, जिन्हें भूगोल के बारे में जानकारी और ज्ञान इकट्ठा करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस वेबसाइट पर नियमित रूप से सभी प्रकार के नोट्स लगातार विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रकाशित करने का काम जारी है।

REGIONAL GEOGRAPHY (प्रादेशिक भूगोल)

7. Description of the effects of regional imbalance (प्रादेशिक असन्तुलन के प्रभावों का वर्णन)

7. Description of the effects of regional imbalance

(प्रादेशिक असन्तुलन के प्रभावों का वर्णन)



effects of regional imbalance  

   प्रादेशिक असन्तुलन का प्रभाव निम्नलिखित रूपों में देखा जा सकता है :

(A) आर्थिक प्रभाव:-

    प्रादेशिक असन्तुलन के आर्थिक प्रभाव निम्नांकित हैं:

(1) साधनों का अपूर्ण उपयोग:-

    प्रादेशिक असन्तुलनों के कारण देश के सम्पूर्ण साधनों का प्रयोग सम्भव नहीं हो पाता। प्रादेशिक असन्तुलनों की अटल स्थिति, विकास के एक कुशल तरीके का प्रतिनिधित्व करती है।

(2) बेरोजगारी में वृद्धि:-

     प्रादेशिक असन्तुलन कुछ क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों में वृद्धि कर देता है जबकि अन्य क्षेत्रों में बेरोजगारी व्याप्त रहती है और उसमें वृद्धि होती है।

(3) साधनों का समुचित उपयोग:-

      प्रत्येक देश के प्राकृतिक साधन सीमित होते हैं अतः उनका उपयोग अत्यन्त मितव्ययिता से किया जाना चाहिए ताकि भविष्य के लिए उनका संरक्षण किया जा सके। उद्योगों का क्षेत्रीय असन्तुलन इस उद्देश्य की पूर्ति में बाधक होता है।

(4) जीवन-स्तर में भिन्नता:-

      प्रादेशिक असन्तुलन से विभिन्न क्षेत्र के लोगों के जीवन-स्तर में बहुत अन्तर आ जाता है। विकसित क्षेत्रों में आय का उच्च स्तर होने से जीवन स्तर भी उच्च होता है, जबकि पिछड़े क्षेत्रों में आय का स्तर निम्न होता है अतः वहां का जीवन स्तर भी निम्न होता है, परिणामस्वरूप लोगों में असन्तोष की भावना बढ़ती है।

(5) श्रम शक्ति का एकांगी होना:-

     असन्तुलित विकास श्रम शक्ति को पंगु बना देता है। क्षेत्र विशेष में कुछ उद्योगों के विकास के कारण श्रम शक्ति भी उसी उद्योग विशेष के लिए कुशल होती है।

(6) अन्य आर्थिक प्रभाव:-

(i) क्षेत्रीय असन्तुलन में अर्थव्यवस्था का एकांगी विकास ही हो पाता है।

(ii) क्षेत्र विशेष के विकसित होने तथा दूसरे क्षेत्र के अविकसित रहने से श्रम की गतिशीलता में कमी आती है।

(B) सामाजिक प्रभाव:-

       सामाजिक प्रभाव निम्नलिखित हैं:

(1) आय एवं सम्पत्ति की असमानताओं में वृद्धि:-

     प्रादेशिक असन्तुलन के कारण गांव व नगरों के मध्य आय एवं सम्पत्ति की असमानताओं में निरन्तर वृद्धि होती रहती है।

(2) असामाजिक कृत्यों को बढ़ावा:-

     प्रादेशिक असन्तुलनों के कारण एक ही क्षेत्र या कुछ ही क्षेत्रों की ओर श्रमिकों का प्रवास बढ़ जाता है जिसके कारण अनेक समस्याएं जैसे- भीड़-भाड़ की समस्या, आवास व्यवस्था की कमी, बिजली एवं जलापूर्ति की समस्या उत्पन्न हो जाती है। सभी व्यक्तियों को रोजगार न मिलने के कारण असामाजिक कृत्यों को बढ़ावा मिलता है। इसके साथ ही मानव शक्ति का यथोचित विकास नहीं हो पाता है।

(3) सामाजिक लागतों में वृद्धि:-

     प्रादेशिक असन्तुलन के परिणामस्वरूप किसी क्षेत्र विशेष में अत्यधिक औद्योगीकरण होने पर वहां प्रदूषण, आदि के कारण श्रमिकों में व्याप्त रोगों के उपचार के लिए अस्पताल, स्वास्थ्य सदन, आदि की अतिरिक्त लागत देनी पड़ती है।

(C) राजनीतिक प्रभाव:-

         राजनीतिक प्रभाव निम्नलिखित हैं:

(1) राजनीतिक अस्थिरता:-

          विभिन्न क्षेत्रों में व्याप्त अत्यधिक असमानताएँ अस्थिरता को बढ़ावा देती हैं। भारत में पंजाब व जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद के लिए प्रादेशिक असन्तुलन भी उत्तरदायी है।

(2) क्षेत्रवाद को बढ़ावा:-

      जब अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों का अधिक विकास एवं कुछ का कम विकास होता है तो उससे क्षेत्रवाद को बढ़ावा मिलता है।

(3) सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव:-

     प्रादेशिक असन्तुलन सुरक्षा प प्रतिकूल प्रभाव डालता है। एक क्षेत्र में उद्योगों, आदि का विकास होने प वहां युद्ध के समय शत्रु देश आसानी से हवाई हमला कर सकता है।


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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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