Unique Geography Notes हिंदी में

Unique Geography Notes in Hindi (भूगोल नोट्स) वेबसाइट के माध्यम से दुनिया भर के उन छात्रों और अध्ययन प्रेमियों को काफी मदद मिलेगी, जिन्हें भूगोल के बारे में जानकारी और ज्ञान इकट्ठा करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस वेबसाइट पर नियमित रूप से सभी प्रकार के नोट्स लगातार विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रकाशित करने का काम जारी है।

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11. सकारात्मक विचारों का प्रभाव

11. सकारात्मक विचारों का प्रभाव


सकारात्मक विचारों का प्रभाव⇒

           सकारात्मक विचारों का भी मन, मस्तिष्क, शरीर तथा समस्याओं के हल की दिशा में इतना अनुकूल प्रभाव पडता है कि वह चमत्कार जैसा ही लगता है। विधेयक विचार यदि ईश प्रार्थना से संयुक्त हो जाए तो यह दैवी शक्ति का प्रवाह बन जाता है, जिसमें चिंताएं, व्याकुलताएं, रोग, शोक, आधि- व्याधि सभी प्रवाहित हो जाते हैं।

              सकारात्मक विचार ईश प्रार्थना से संयुक्त हो या दृढ़ मनोबल से- दोनों का शुभ फल अवश्य मिलता है। प्राकृतिक चिकित्सा के प्रसिद्ध विद्वान डॉ. हेनरी लिट्ठर ने भी अपनी पुस्तक ‘प्रैक्टिस ऑफ थेराप्यूटिक्स’ में लिखा है-‘मनोभावों में इतना सामर्थ्य है कि उनके द्वारा कोई रोगी स्वयं को पूर्ण स्वस्थ और कोई स्वस्थ व्यक्ति विकृत विचार आरोपण व निषेधात्मक चिंतन द्वारा अपने को अशक्त, असमर्थ तथा रुग्ण बना सकता है।

सकारात्मक विचारों का प्र

             श्रीमती मर्टिल फिल्मोर प्रायः बीमार रहा करती थी। दवा खाते-खाते टूट चुकी थी। डॉक्टर भी अब और कुछ कर सकने में अपने को असक्षम समझ रहे थे। एक बार श्रीमती मर्टिल अपने पति चार्ल्स फिल्मोर के साथ एक आध्यात्मिक भाषण सुनने गई।

          भाषण के एक वाक्य को उसके मन ने दृढ़ता से पकड़ लिया ‘I am child of God and therefore I do not inherit sickness.’ ‘मैं ईश्वर की संतान हूं, अतः मुझमें कोई रोग नहीं।’ मन हमेशा इस बात की आवृत्ति करता रहता। इस बात पर उसे इतना अधिक विश्वास हो गया कि उसका जीवन बदल गया। वह स्वास्थ्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती और पोषक (Positive) विचारों के द्वारा अपने में शक्ति भी भरती रहती। फलतः वह पूर्ण स्वस्थ हो गई।

             श्री कैस्के जन्म से पंगु था। वह चल नहीं सकता था। श्रीमती मर्टिल फिल्मोर से प्रेरित होकर वह ईश्वर विश्वास से अभिभूत हो पोषक विचारों को पोषित करने लगा। वह बारंबार इस विचार की आवृत्ति करता कि उस पर परमात्मा की असीम कृपा बरस रही है। प्रभु कृपा से अब वह स्वस्थ होता जा रहा है, उसके पैर अच्छे होते जा रहे हैं। उसके पैर सभी कार्य करने में सक्षम हो गए हैं, वह चल सकता है, दौड़ सकता है इत्यादि। फलतः वह भी स्वस्थ हुआ।

         प्रसिद्ध चिकित्सक हीलर अलबई क्लिक की पुरानी पेट पीड़ा मन की शुभ भावनाओं ने शांत कर दी।

        प्रसिद्ध चिकित्सक रिबेका ने मधुमेह (डायबिटिज) रोग को निर्मूल करने की दवा बताई ‘सकारात्मक विचार।’ रिबेका के शब्दों में, ‘इस रोग को निर्मूल करने की एकमात्र दवा है प्रेम और मन का सदा निश्चित और प्रसन्न रहना।’

      एलिस न्यूटन नाम की स्त्री पेट के कैंसर से बुरी तरह पीड़ित थी, उसका उदर फूला हुआ था। डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था। वह ईश प्रार्थना के साथ पोषक विचारों में जुट गई और अंततः रोगमुक्त हुई। भारत में तो ऐसे उदाहरण आए दिन देखने को मिलते हैं।

        अब तो यह स्पष्ट परिलक्षित हो गया कि शुभ औ विधेयक विचारों की शुभ परिणति एवं अशुभ और निषेधात्मक विचारों के घातक परिणाम होते हैं।

        आप चिंतन की प्रक्रिया द्वारा प्रभु की शांति, निर्विकारिता, प्रज्ञावानतादि को निश्चय ही अपने में उभार सकते हैं। व्यक्ति का चिंतन उसके शरी, स्वास्थ्य और क्रियाशक्ति पर आश्चर्यजनक ढंग से प्रभाव डालता है। चिंतन से अंतर्मन के साथ-साथ बाह्य जगत भी प्रभावित और परिवर्तित होता है। अतएव स्वसंकेत (ओटो सजेशन) द्वारा अपने भीतर स्थित ईश्वरीय गुणों को उभारें, प्रकट करें।

स्रोत: चिंता क्यों?

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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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