5. विषुवतरेखीय प्रदेशों में मानवीय क्रिया-कलाप
5. विषुवतरेखीय प्रदेशों में मानवीय क्रिया-कलाप
विषुवतरेखीय प्रदेशों में मानवीय क्रिया-कलाप
भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में मानवीय क्रियाओं का अध्ययन करने से पूर्व निम्न तथ्यों का ज्ञान आवश्यक है।
भौगोलिक स्थिति:-
यह जलवायु प्रदेश भूमध्यरेखा के दोनों तरफ 5º उत्तरी व 5º दक्षिणी अक्षाशों के मध्य फैला हुआ है। यहाँ दिन में सूर्य की सीधी एवं तीव्र गर्मी से वायु हल्की होकर ऊपर उठती है। वायु ऊपर उठकर फैल जाती है, जिससे उसमें जलवाष्प ग्रहण करने की शक्ति क्षीण हो जाती है अर्थात् वायु ठण्डी हो जाती है। वायु ठण्डी होने से वर्षा होने लगती है। यह वर्षा कम समय के लिए परन्तु प्रतिदिन होती है।
जलवायु के इस कटिबन्ध को शान्त कटिबन्ध भी कहते हैं- यह जलवायु अमेजन बेसिन, कांगो बेसिन, घाना व जंजीबार का तट, दक्षिणी-पूर्वी एशिया के द्वीपों (हिन्देशिया व मलेशिया) सहित एशिया महाद्वीप के कुछ भाग व आस्ट्रेलिया के कुछ भागों में पायी जाती है। इस जलवायु प्रदेश में हर ऋतु में दिन व रात बराबर होते हैं। सालो भर गर्मी पड़ती है लेकिन तापक्रम अधिक नहीं होता। वर्षा प्रत्येक महीने में होती है।
जलवायु:-
भूमध्य रेखा पर स्थित होने के कारण यहाँ वर्ष भर सूर्य की किरणें लगभग सीधी पड़ती हैं। यहाँ औसत वार्षिक तापक्रम 27° सेन्टीग्रेड रहता है। ताप में मौसमी परिवर्तन बहुत कम होता है इसलिए वार्षिक ताप परिसर अधिक-से-अधिक 3º सेन्टीग्रेड रहता है। औसत वार्षिक वर्षा 200 सेमी० से अधिक होती है। यहाँ किसी-किसी क्षेत्र में 250 से 500 सेमी० तक वार्षिक वर्षा नापी जाती है।
प्राकृतिक वनस्पति:-
विषुवतीय प्रदेश की उष्णार्द्र जलवायु में घने वन पाये जाते हैं। वनों में वृक्ष की इतनी अधिक सघनता होती है कि सूर्य का प्रकाश भी आसानी से भूमि पर नहीं पहुँच पाता है। इन वृक्षों के अतिरिक्त लताएँ व झाड़ियाँ भी उगती हैं। इन वनों से होकर गुजरना बहुत कठिन है। जंगली जानवरों के लिए यह उपयुक्त क्षेत्र हैं। इन वनों में महोगनी, सिनकोना, गटापार्चा, सीडर, चन्दन, रोजवुड, आबनूस, ताड़, रबड़, बाँस व बेंत आदि प्रमुख वृक्ष पाये जाते हैं।
मिट्टियाँ:-
यहाँ पुरानी लाल रंग की मिट्टी पायी जाती है। यह मिट्टी कम उपजाऊ होती है। इस क्षेत्र में वर्षा की अधिकता के कारण खनिज पदार्थ भूमि के नीचे की ओर खिसक जाते हैं। इस प्रकार मिट्टी की उत्पादकता कम हो जाती है। यहाँ की मिट्टियों में लोहे व ऐल्यूमिनियम के कण अधिक पाये जाते हैं।
जीव-जन्तु:-
यहाँ के वनों में अनेक प्रकार के पशु-पक्षी व कीड़े-मकोड़े पाये जाते हैं। खुले जंगलों में हाथी, गैंडा, भैंस, हिरन, जंगली सुअर आदि पाये जाते हैं। नदियों में मगर, घड़ियाल व दरयाई घोड़े पाये जाते हैं। पेड़ों पर रहने वाले जीवों में चिड़ियाँ, साँप, बन्दर, छिपकली गिरगिट आदि प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त भी असंख्य जहरीले कीड़े-मकोड़े व जीव पाये जाते हैं।
भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में मानवीय क्रियायें:-
कांगो बेसिन के ‘पिग्मी’ लोगों की अर्थव्यवस्था से यह स्पष्ट होता है कि कांगो तथा अमेजन बेसिन क्षेत्र में घने जंगलों की प्रतिकूल जलवायु में मानवीय विकास रूक गया है। इस क्षेत्र में बीमारियों के कारण यहाँ के लोगों की लम्बाई 90 से०मी० से 150 से०मी० तक होती है।
ये लोग आखेट करने में बहुत चतुर होते हैं। जंगली जानवरों के मांस, मछलियाँ, फल, कन्दमूल व पत्तियाँ आदि इनका भोजन है। ये लोग तोड़ की पत्तियों या वृक्षों की छाल को कमर से नीचे लटकाये रहते हैं। इन लोगों का स्थायी निवास नहीं होता, ये घूमते-फिरते रहते हैं।
इस क्षेत्र में लकड़ी-व्यवसाय अधिक उन्नति इसलिये नहीं कर पाया है। क्योंकि यहाँ प्रतिकूल जलवायु परिवहन मार्गों की कमी, उपयोगी वृक्षों का असमान वितरण एवं वनों को काटने के लिये साधनों की कमी आदि की सुविधा नहीं है। लकड़ी-व्यवसाय ने उन्नति केवल समुद्र तटीय भागों में की है।
इन वनों में महत्त्वपूर्ण वृक्षों के अतिरिक्त रबड़, गोंद, आइवरी नट, ताड़, तेल, कुनेने आदि वस्तुओं को भी एकत्र किया जाता है। दलदली भूमि, घने जंगलों में प्रतिकूल जलवायु के कारण ये क्षेत्र शक्तिहीन प्रदेश कहलाते हैं। इस क्षेत्र में विश्व की कुल जनसंख्या का केवल 10% भाग निवास करता है। इस क्षेत्र में वनों को साफ करके आदिम ढंग से मकई, ज्वार व बाजरा आदि की खेती की जाती है।
इण्डोनेशिया व मलेशिया के द्वीपीय क्षेत्रों में जलवायु अनुकूल पायी जाती है। इस क्षेत्र में यूरोपीय लोग पहाड़ी ढालों और समुद्र तटीय भागों के वनों को साफ करके रबड़, ताड़, कहवा, चाय, नारियल व गन्ने आदि की बागानी कृषि करते हैं।
इस क्षेत्र में बागानी कृषि वैज्ञानिक ढंग से की जाती है, इसलिए बागानी फसलों के उत्पादन में यह क्षेत्र विश्व प्रसिद्ध है। संसार की कुल रबड़ उत्पादन का लगभग दो-तिहाई रबड़ इसी क्षेत्र से उत्पादित किया जाता है। रबड़ के अतिरिक्त इस क्षेत्र में गन्ना, कहवा व चावल आदि खाद्यान्न फसलों का भी उत्पादन किया जाता है।
मलेशिया व इण्डोनेशिया में टिन व पेट्रोलियम का उत्पादन भी किया जाता है। संसार का लगभग 50% दिन उत्पादन इस क्षेत्र में किया जाता है। इस प्रदेश में जावा द्वीप का विकास अन्य द्वीपों की में अधिक हुआ है। यहाँ मत्स्यपालन भी समुद्र तटीय भागों में अधिक विकसित हुआ है।
इक्वेडोर तुल्य उच्च पठारी क्षेत्रों में कृषि, पशुचारण, उत्खनन, लकड़ी काटना आदि प्रमुख व्यवसाय हैं। यहाँ की प्रमुख फसलें चावल, गन्ना, कपास, गेहूँ, तम्बाकू, फल, चाय व कहवा आदि हैं। इक्वेडोर व कोलम्बिया के पठारी क्षेत्र में सोने-चाँदी, मैगनीज व ताँबे की खानें पायी जाती हैं।
सोने, चाँदी, ताँबे, नमक, ग्रेफाइट व टिन आदि के भण्डार पूर्वी अफ्रीका के पठारी क्षेत्रों में मिलते हैं। इस क्षेत्र में परिवहन के साधन भी अच्छी तरह से विकसित हैं।
इस प्रदेश के अधिकांश नगर तटीय क्षेत्रों में समुद्री मार्गों पर बसे हुए हैं। मनाओस, बेलमपारा, बगोटा, नैरोबी, एका, लैगोस, स्टेनलेविले, लियोलिविले, लियोपोल्डविले, जकार्ता व सिंगापुर आदि प्रमुख नगर हैं।
प्रश्न प्रारूप
1. विश्व के विषुवतरेखीय प्रदेशों या भूमध्य रेखीय प्रदेशों के मानवीय कार्य-कलापों का विवरण दीजिये।
अथवा, विषुवतरेखीय क्षेत्रों में मानवीय क्रियाकलापों का परीक्षण कीजिए।