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Human Geography - मानव भूगोलPG SEMESTER-2

1. मानव विकास सूचक / Human Development Index

1. मानव विकास सूचक 

(Human Development Index)


मानव विकास सूचक⇒मानव विकास सूचक

             मानव विकास सूचक का प्रथम प्रकाशन 1990 में यू.एन.डी.पी. (U.N.D.P. United Nation Development Programme) द्वारा प्रकाशित किया गया। इस सूचक का विकास संयुक्त राष्ट्र संघ के सहयोग से चार अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा मिलकर किया गया है। जैसे:-

(i) WRI – World Resource Institute

(ii) UNEP – United Nation Invironmental Programme

(iii) UNDP – United Nation Development Programme

(iv) WB – World Bank

        यह प्रतिवर्ष प्रकाशित किया जाता है जो विश्व के विभिन्न प्रदेशों में मानव विकास की स्थिति को बताता है यह सूचक तीन महत्वपूर्ण चरों पर आधारित है-

(i) जीवन प्रत्याशा या आयु (Longevity) 

(ii) ज्ञान (Knolwledge) – आयु के आधार पर दो वर्गों में बांटा गया है – 0-15 वर्ष की आयु के बच्चों का जीवन प्रत्याशा और 15 से अधिक (Adult Literaney level)

(iii) रहन-सहन का स्तर या जीवन स्तर (Standary of Living) – यह तीन P पर आधारित है – Purchasing, Power and Parity.

          मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार जीवन प्रत्याशा अप्रत्यक्ष रूप से खान-पान स्तर और स्वास्थ्य सेवाओं को बताता है। ज्ञान किसी भी समाज के जागरूकता और चेतना को बताता है जो संसाधनों के विकास पारिस्थतिकी संरक्षण और स्वास्थ्य जीवन शैली में सहायक हो सकता है।

        जीवन स्तर वह आधार है जो किसी भी देश के क्रय क्षमता को अंतर्राष्ट्रीय बाजार के संदर्भ में बताता है। वर्तमान उदारीकरण के युग में सकल राष्ट्रीय उत्पाद की तुलना में क्रय क्षमता अधिक उपयोगी सूचक है।

             मानव विकास रिपोर्ट – 1995 में, 174 देशों को इन दोनों चरों से संबंधित सूचनाएं प्राप्त हो सकी। अतः मानव विकास रिपोर्ट 174 देशों के लिए तैयार की गई। 1996 और 1997 का रिपोर्ट भी 174 देशों पर आधारित था। यह रिपोर्ट तीनों ही सूचनाओं को मिलाकर संयोजित सूचक (Composite Index) विकसित करता है।

       इस मापक को विकसित करने के लिए तीनों चरों को अधिकतम और न्यूनतम मान लिया गया है और देश विशेष के संदर्भ में विचलन विधि का प्रयोग करते हुए साख्यिकी मान निकाला गया है। तीनों ही चरों को सांख्यिकी मान को जोड़ कर उस तीन से भाग दिया गया है और भागफल ही सूचक मान है।

    मानव विकास सूचक विकसित करने के बाद विश्व के देशों को तीन वर्गों में बांटा गया है:-

(i) L.H.D. (Low Human Development Country) 

(ii) MHD (Mean Human Develoment Country) 

(ii) HHD (High Human Development Country)

          L.H.D का सूचक मान < 0.5 अर्थात् 0.5 से कम है। इसके अंतर्गत 1995 के अनुसार 58 देश है – प्रमुख देशों में भारत, मोरक्को एवं गेबोन सहित अधिकतर अफ्रीकी देश, द० एशिया के सभी देश आते हैं। 

       MHD का सूचक मान 0.5 से 0.8 है। इसके अंतर्गत भी 8 देश है जिसमें ब्राजील, चीन, टर्की, द० अफ्रीका, रूस, सऊदी अरबिया, मिस्र और अल्जीरिया जैसे देश है। पूर्वी यूरोप तथा मध्य एशियाई गणतंत्र इसी वर्ग में आते है।  पू० एशिया के भी अधिकतर देश, मध्य अमेरिका और द० अमेरिका के अधिकतर देश इसी वर्ग में है। 

         HHD का सूचक माग (above > 0.800) है। इसके अंतर्गत सभी विकसित देशों के अलावे ब्रुनेई, UAE. कतार, मेक्सिको, क्यूबा, बहामास, टोबैगो, मारिशस जैसे देश इस वर्ग में आते है। 

       ब्रुनेई, कतार और U.A.E तेल निर्यात आधारित देश है जिसने मानव विकास पर पर्याप्त खर्च किया है। मेक्सिको उन देशों में है जहां प्रतिव्यक्ति आय कम होने के बावजूद मानव विकास कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी गई है। 

       मानव विकास की वार्षिक रिपोर्ट की अनिवार्यता इसलिए महसूस की गई है कि विश्व के आर्थिक सामाजिक विषमता तेजी से बढ़ रहा थी। इसे दूर करने के लिए आवश्यक है कि वैसे देशों की पहचान की जाए जहाँ कि मानव विकास के लिए निवेश आवश्यक है और इस दिशा में अधिक आय वर्ग के देश, बहुराष्ट्रीय कंपनियां तथा अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं (जैसे WHO, UNICEF) सकारात्मक सहयोग दे सकती है।

        इस दिशा में कई कदम उठाए गए है जैसे IDA (International Development Agencies) ने निर्णय लिया है कि उन देशों को ऋण नहीं दिए जाएंगे जिनका Standard of Living उच्च या प्रति व्यक्ति आय 400 से अधिक है। इसी प्रकार W.H.O. और Unicef निम्न मानव विकास के देशों में अपने कार्यों को प्राथमिकता दे रहा है।

        मानव विकास रिपोर्ट में धन के वितरण की विषमता पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है। 1995 के रिपोर्ट के अनुसार विश्व में 225 अति धनी (Ultra rich) व्यक्ति है जिनकी कुल सम्पत्ति One Milion Dollar है जो विश्व के 2.5 व्यक्ति की आय के बराबर है।

       इसी प्रकार से यह रिपोर्ट बताता है कि विश्व के मात्र 20% जनसंख्या के पास विश्व का 34.75 GNP (Gross National Product) इसी 20% जनसंख्या का 84.7% के व्यापार का लाभ मिलता है। मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार इन विषमताओं का अंत मात्र आर्थिक विकास, निवेश, उदारीकरण के द्वारा नहीं वन् सफल मानव विकास के द्वारा संभव है।

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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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