Unique Geography Notes हिंदी में

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BA Geography All PracticalCARTOGRAPHY(मानचित्र कला)

3. मानचित्र प्रक्षेपों का वर्गीकरण

3. मानचित्र प्रक्षेपों का वर्गीकरण


मानचित्र प्रक्षेपों का वर्गीकरण

         प्रकाश या ज्यामितीय विधि द्वारा समतल सतह पर निर्मित अक्षांश व देशांतर रेखाओं के जाल या भू-ग्रिड को मानचित्र प्रक्षेप कहा जाता है। गोलाकार पृथ्वी अथवा इसके किसी बड़े भू-भाग का समतल सतह पर मानचित्र बनाने के लिए मानचित्र प्रक्षेप का प्रयोग किया जाता है। अक्षांश एवं देशांतर रेखाओं के जाल को Graticule, Net या Mesh के नाम से भी जाना जाता है।

मानचित्र प्रक्षेपों

           पृथ्वी की आकृति का यथार्थ चित्रण केवल ग्लोब के द्वारा ही संभव है एवं कोई भी मानचित्र प्रक्षेप आकार, क्षेत्रफल एवं दिशा, तीनों ही दृष्टि से सही नहीं होता है। परन्तु समक्षेत्र, यथाकृतिक अथवा शुद्ध दिशा के गुणों में से किसी विशेष गुण का प्रक्षेप बनाना संभव है। अतः मानचित्र के उद्देश्य को ध्यान में रखकर उपयुक्त प्रक्षेप का चयन किया जाता है।

    मानचित्र प्रक्षेप को तीन आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।

(1) प्रकाश के प्रयोग के आधार पर

(2) गुण के आधार पर

(3) रचना विधि के आधार पर

(I) प्रकाश के प्रयोग के आधार पर

            प्रकाश के प्रयोग के आधार पर प्रक्षेप दो प्रकार के होते हैं:-

(1) संदर्श मानचित्र-प्रक्षेप (Perspective Map Projection or Geometrical Projection):-

         यह एक ऐसा Projection है जिसमें ग्लोब पर स्थित भूग्रिड को समतल कागज पर प्रकाश के माध्यम से प्रक्षेपित करते हैं।

        इस प्रक्षेप में प्रकाश के स्रोत की तीन स्थिति हो सकती है। जैसे-

(1) केन्द्र में,

(2) पृथ्वी के परिधि पर और

(3) अनन्त पर।

          इन तीनों स्थितियों के आधार पर प्रक्षेप तीन प्रकार के होते हैं:-
(i) केन्द्रक प्रक्षेप (Gnomonic Projection)

⇒ इसमें प्रकाश स्रोत ग्लोब के केंद्र में होता है।

(ii) त्रिविम प्रक्षेप (Stereograophic Projection)

इसमें प्रकाश स्रोत ग्लोब के परिधि पर होता है।

(iii) लम्ब-कोणीय प्रक्षेप (Orthographic Projection)

इसमें प्रकाश स्रोत अनंत पर होता है।

(2) असंदर्श मानचित्र प्रक्षेप (Non-Perspective Map Projection):-

          इसमें गणितीय विधि के आधार पर भूग्रिड को समतल कागज पर प्रक्षेपित किया जाता है। इस विधि में प्रकाश स्रोत को केन्द्र में स्थिर कर दिया जाता है और समतल कागज को अलग-2 स्थितियों में बदलकर प्रक्षेपण का कार्य किया जाता है। इसके आधार पर यह Projection तीन प्रकार का होता है-

(i) Polar Zenithal Projection (ध्रुवीय खमध्य प्रक्षेप)

⇒ इसमें समतल कागज को ग्लोब के ध्रुव पर फैलाकर रखा जाता है।

(ii) Equatorial Genithal Projection (विषुवतीय खमध्य प्रक्षेप)

⇒ इसमें समतल कागज विषुवत रेखा को स्पर्श करता है।
(iii) Oblique Genithal Projection (तिर्यक खमध्य प्रक्षेप)

⇒ इसमें समतल कागज ध्रुव और विषुवत रेखा के बीच के किसी स्थान को स्पर्श करता है।

(II) गुण के आधार पर 

             गुण के आधार पर प्रक्षे तीन प्रकार के होते हैं:-

(1) यथाआकृति प्रक्षेप (Orthomorphic Projection)

(2) समक्षेत्र प्रक्षेप (Homolographic Projection or Equal Area Projection)

(3 ) शुद्ध दिशा प्रक्षेप (Azimuthal Projection)

(III) रचना विधि के आधार पर

            इसमें गणित और प्रकाश दोनों का सहारा अपने सुविधा के अनुसार लिया जाता है।

⇒ रचना विधि के आधार पर प्रक्षेप कई प्रकार के होते हैं:-
(1) शंकु प्रक्षेप (Conical Projection)

      शंकु प्रक्षेप चार प्रकार का होता है-

(i) One Standard Parallel Conical Projection (एक मानक अक्षांश वाला शंकु-प्रक्षेप)

(ii) Two Standard Parallel Conical Projection (दो मानक अक्षांशों वाला शंकु प्रक्षेप)

(iii) Bonne’s Projection (बोन प्रक्षेप)

(iv) Polyconic Projection (बहुशंकुक प्रक्षेप)

(2) बेलनाकार प्रक्षेप (Cylindrical Projection)

(i) Cylindrical Equi-Distance Projection (समदूरस्थ बेलनाकार प्रक्षेप)

(ii) Cylindrical Equal-Area Projection (बेलनाकार समक्षेत्र प्रक्षेप)

(iii) Mercator’s Projection (perca (मर्केटर प्रक्षेप या यथाकृति प्रक्षेप)

(iv) Gall Projection (गॉल प्रक्षेप)

(3) Zenithal Projection (खमध्य प्रक्षेप)
              प्रकाशीय स्थिति के आधार पर खमध्य प्रक्षेप तीन प्रकार का होता है:-

(1) Gnomonic Projection (केन्द्रक नोमॉनिक प्रक्षेप)

(ii) Stereograophic Projection (त्रिविम प्रक्षेप)

(ii) Orthographic Projection (लम्बकोणीय प्रक्षेप)

             खमध्य प्रक्षेप कागज तल स्थिति के आधार पर तीन प्रकार का होता है:-

(i) Polar Zenithal Projection (ध्रुवीय खमध्य प्रक्षेप)

(ii) Oblique Zenithal Projection (तिर्यक प्रक्षेप)

(iii) Equatorial Zenithal Projection (विषुवतीय खमध्य प्रक्षेप)

(4) रूढ़ प्रक्षेप (Conventional Porojection)

(i) मॉलवीड प्रक्षेप (Mollveide Projection)

(ii) ज्यावक्रीय या सिनुसॉयडल प्रक्षेप (Sinusoidal or Sanson Flamstead Projection)

(iii) गोलाकार प्रक्षेप (Globular Projection)

(iv) विच्छिन्न मॉलवीड प्रक्षेप (Interrupted Mollveide Projection)

(v) विच्छिन्न सैन्सन फ्लैम्स्टीड या सिनुसॉयडल प्रक्षेप (Interrupted Sinusoidal or Sanson Flamstead Projection)

मानचित्र प्रक्षेपों का वर्गीकरण

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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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