Unique Geography Notes हिंदी में

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BA SEMESTER/PAPER IIIGEOGRAPHY OF INDIA(भारत का भूगोल)

6. भारत में गोण्डवानाक्रम के चट्टानों के निर्माण का आधार, वितरण एवं आर्थिक महत्व

6. भारत में गोण्डवानाक्रम के चट्टानों के निर्माण का आधार, वितरण एवं आर्थिक महत्व


भारत में गोण्डवानाक्रम के चट्टानों के निर्माण का आधार, वितरण एवं आर्थिक महत्व

         भारत में विभिन्न भूगर्भिक काल में निर्मित अनेक प्रकार की चट्टानें पायी जाती हैं। इसका संबंध पैलियोजोइक महाकल्प के कार्बोनीफेरस कल्प से लेकर मीसोजोइक कल्प के मध्य रहा है।

भारत में गोण्डवाना क्रम की चट्टानें

        ‘गोंडवाना’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1872 ई० में एच०बी० मेडलीकॉट और 2876 ई० में ओ० फीस्टमेंटल महोदय ने किया था। इस शब्द की उत्पत्ति मध्य प्रदेश के गोंड क्षेत्र से हुआ है क्योंकि सबसे पहले गोण्ड जनजातियों के निवास क्षेत्र से ही गोंडवानाक्रम की चट्टानों की खोज की गई थी। बाद में इस प्रकार की चट्टानें जहाँ कहीं भी प्राप्त हुआ उसे गोडवाना क्रम के चट्टानों से सम्बोधित किया।

         वस्तुत: विन्ध्यन क्रम की चट्टानों का निर्माण हो जाने के बाद प्रायद्वीपीय भारत का भूखण्ड लम्बे समय तक भूगर्भिक हलचल/भूकंप से मुक रहा है। लेकिन, कार्बोनीफेरस के पूर्वार्द्ध में भयंकर भूसंचलन हुआ जिसे हर्सीनियन भू-संचलन के नाम से जानते हैं।

      हर्सीनियन भू-संचलन भूसंचलन का प्रभाव लगभग सम्पूर्ण पृथ्वी पर पड़ा। इस समय जल और स्थल के वितरण में भारी परिवर्तन हुआ। +जैसे: पेन्जिया रूपी विशालकाय भूखण्ड के मध्यवर्ती भाग में धंसान की क्रिया से एक विशाल टेथिस सागर का निर्माण हुआ। इसका विस्तार पश्चिम में भूमध्यसागर से लेकर पूरब में प्रशान्त महासागर तक था। टेथिस सागर के उतरी भाग अंगारालैण्ड कहलाया जबकि दक्षिणी भाग गोण्डवानालैण्ड कहलाया।

भारत में गोण्डवानाक्रम

         कार्बोनीफेरस कल्प में ही पृथ्वी पर कुछ क्षेत्रों में हिमयुग का आगमन हुआ था। पर्वतीय क्षेत्रों / पर्वतों के ऊँचाई वाले भाग में हिम के जमने और हिमस्खलन के कारण पर्वतीय क्षेत्रों का अपरदन होने लगा। अपरदित सामाग्री गोंडवाना भूखण्ड के विभिन्न नदी घाटियों और गर्तों में जमा कर दिये जाने से उपजाऊ समतल मैदान का विकास हुआ है। उस वक्त मानवीय उद्भव नहीं होने के कारण सभी मैदानी क्षेत्र सघन वनस्पतियों से ढक गये। इन वनस्पतियों में ग्लोसोप्टेरिस और टीलोफाइलम समूह की वनस्पत्ति अधिक थी। भूसंचलन के कारण ये वनस्पति गिरकर यत्र-तत्र जमने लगे।

         पुन: अत्याधिक ताप एवं दाब के कारण ये वनस्पति कोयले में रूपान्तरित हो गये। जगह-2 पर आज भी इन वनस्पतियों के परतों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। चूँकि कार्बोनीफेरस कल्प में इन वनस्पतियों का विकास एवं भूमि के अन्दर दबने की क्रिया नदी घाटी क्षेत्रों में हुआ था। इसीलिए आज भी कोयला की पेटियाँ नदी घाटी क्षेत्रों में मिलती है।

वितरण

      भारत में गोंडवनाक्रम की चट्टानें प्रायद्वीपीय भारत और प्रायद्वीपीय भारत के बाहरी क्षेत्रों में देखा जा सकता है। जैसे-

झारखण्ड- दामोदर नदी घाटी, उत्तरी कोल क्षेत्र, डाल्टेनगंज क्षेत्र।

बिहार- ललमटिया ये लेकर राजमहल की पहाड़ी तक।

उड़ीसा- महानदी घाटी क्षेत्र में।

आन्ध्रप्रदेश- गोदावरी एवं उनके सहायक नदी घाटी क्षेत्र में।

छतीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश- सोन नदी घाटी क्षेत्र।

महाराष्ट्र- वर्दा नदी घाटी क्षेत्र।

पश्चिम बंगाल- दामोदर और बराकर नदी घाटी क्षेत्र में।

         उपरोक्त क्षेत्रों के अलावे कश्मीर, असम, सिक्कीम और दार्जलिंग में भी गोंडवाना प्रकार की चट्टानें पायी जाती है।

भारत में गोण्डवानाक्रम
चित्र: गोंडवाना समूह की चट्टानों का वितरण

आर्थिक महत्व

(1) भारत का 96% एन्थ्रासाइट और बिटुमिनस कोपला गोंडवाना क्रम की चट्टानों से मिलता है। थोड़ा-बहुत लिग्नाइट कोयला इस समूह की चट्टान से प्राप्त होता है।

(2) गोंडवानाक्रम की चट्टानों से बलुआ पत्थर मिलता है जिसका उपयोग भवन निर्माण में किया जाता है।

(3) कोयले की खानों ने चिका मिट्टी और फायर क्ले प्राप्त किये जाते हैं जिसका प्रयोग ईट और बर्तन के निर्माण में किया जाता है।

(4) गोंडवानाक्रम की चट्टानें, सीमेन्ट और रासायनिक उर्वरक के निर्माण में काफी उपयोगी माने जाते हैं।

(5) गोंडवाना क्रम की चट्टानों से मिलने वाला कंक्रीट का प्रयोग, नाभिकीय भट्टी के निर्माण में किया जाता है।

निष्कर्ष

      इस तरह ऊपर के तथ्यों से स्पष्ट है कि भारत में मिलने वाला गोडवानाक्रम की चट्टान से कोयला जैसे ऊर्जा संसाधन के लिए विश्व प्रसिद्ध है जिसकी महत्ता अपने आप में सर्वविदित है।

प्रश्न प्रारूप

Q. भात में गोण्डवानाक्रम के चट्टानों के निर्माण का आधा, वितरण एवं आर्थिक महत्व की विवेचना कीजिए।

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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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