Unique Geography Notes हिंदी में

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21. जनसंख्या मानचित्र के प्रकार एवं प्रदर्शन की विधियाँ

21. जनसंख्या मानचित्र के प्रकार एवं प्रदर्शन की विधियाँ


जनसंख्या मानचित्र के प्रकार एवं प्रदर्शन की विधियाँ⇒

           जनसंख्या वितरण एवं घनत्व मानचित्रों का भूगोल के अध्ययन में विशेष महत्व है। इन मानचित्रों के अध्ययन से स्पष्ट हो जाता है कि धरातल, जलवायु तथा अन्य प्राकृतिक परिस्थितियों का मनुष्य के घनत्व एवं वितरण के ऊपर क्या प्रभाव पड़ता है। समय अथवा स्थान परिवर्तन के साथ-साथ किस प्रकार मनुष्य की भौतिक तथा सामाजिक परिस्थिति परिवर्तित होती है तथा इस परिवर्तन का मनुष्य के वितरण एवं घनत्व पर क्या प्रभाव पड़ता है, इन सभी प्रश्नों का उत्तर जनसंख्या-मानचित्र के अध्ययन से प्राप्त होता है।

जनसंख्या मानचित्र के प्र

जनसंख्या मानचित्र के प्रकार

             जनसंख्या मानचित्रों के निम्नलिखित तीन मुख्य प्रकार होते हैं:- 

1. जनसंख्या वितरण मानचित्र (Maps Showing Population Distribution):-

           इस प्रकार के मानचित्रों से जनसंख्या के वितरण का चित्रण किया जाता है। यह चित्रण वास्तविक आंकड़ों (Absolute Figures) के आधार पर किया जाता है। इस प्रकार के जनसंख्या वितरण मानचित्र जनसंख्या के वितरण का शुद्ध एवं सजीव चित्रण प्रस्तुत करते हैं। इस प्रकार के मानचित्रों द्वारा किसी क्षेत्र की ग्रामीण एवं शहरी जनसंख्या का सांख्यिकीय वितरण भी प्रस्तुत किया जा सकता है।

2. जनसंख्या घनत्व मानचित्र (Maps Showing Relative Density of Population or Choropleth Maps):-

           इस प्रकार के मानचित्रों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में जनसंख्या के औसत घनत्व को प्रदर्शित किया जाता है। इस प्रकार मानचित्रों द्वारा क्षेत्र की भौगोलिक एवं अन्य परिस्थितियों का जनसंख्या के घनत्व पर क्या प्रभाव पड़ता है इत्यादि प्रश्नों का उत्तर प्राप्त होता है। रेखा द्वारा छाया देकर विभिन्न घनत्व प्रदर्शित किए जाते हैं।

3. परिमाणविहीन मानचित्र (Non-Statistical Population Maps or Chorochromatic Maps):-   

           इस प्रकार के मानचित्र द्वारा जनसंख्या सम्बन्धी ऐसी दशाओं का वितरण प्रस्तुत होता है, जिनमें आंकड़ों की आवश्यकता नहीं होती, जैसे—धर्म, भाषा, जाति, आदि का वितरण। परिमाणविहीन मानचित्रों में नामांकन विधि, चित्रात्मक विधि तथा रंगछाया-विधि द्वारा जनसंख्या सम्बन्धी दशाओं का क्षैतिज वितरण प्रस्तुत किया जाता है।

             जनसंख्या के वितरण एवं घनत्व को निम्नलिखित विधियों द्वारा मानचित्र पर प्रदर्शित किया जाता है।

1. समान बिन्दु विधि (Uniform Dot Method):-

             मापनी के अनुसार एक-समान गोलाई के बिन्दुओं द्वारा क्षेत्र की जनसंख्या का क्षेत्रीय वितरण प्रदर्शित किया जाता है। बिन्दुओं को भरने में विशेष सावधानी की आवश्यकता पड़ती है। इसका उल्लेख पहले ही किया जा चुका है। इस विधि द्वारा जनसंख्या वितरण के प्रदर्शन का मुख्य दोष यह है कि ग्रामीण अथवा शहरी जनसंख्या का अलग-अलग प्रदर्शन इस विधि द्वारा सम्भव नहीं है।

2. आनुपातिक बिन्दु तथा वृत्त विधि (Proportional Dot and Circle Method):-

              इस विधि द्वारा जनसंख्या के वितरण आदि का प्रदर्शन मापनी के अनुसार मानचित्र के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के बिन्दु तथा वृत्त बनाकर किया जाता है। इस विधि का दोष यह है कि कभी-कभी वृत्त एक-दूसरे को ढंक लेते हैं तथा मानचित्र स्पष्ट (Clear) आंकड़े प्रदर्शित नहीं करता।

3. बिन्दु एवं वृत्त विधि (Dot and Circle Method):-

               इस विधि को स्टिलजेनबौर विधि (Stilgenbaur’s Method) भी कहते हैं। इस विधि द्वारा ग्रामीण जनसंख्या बिन्दुओं द्वारा तथा नगर जनसंख्या वृत्तों द्वारा प्रदर्शित की जाती है। नगरों की विभिन्न जनसंख्या विभिन्न क्षेत्रफल वाले वृत्तों द्वारा प्रदर्शित की जाती है। इस विधि के आंकड़ों के प्रदर्शन हेतु बनाए गए वृत्तों तथा बिन्दुओं के अर्द्धव्यास में महान असमानताएं होने के कारण यह विधि अधिक प्रचलित नहीं है। उदाहरण के लिए, यदि 1/20 इंच के अर्द्धव्यास का बिन्दु 103 जनसंख्या प्रदर्शित करता है तो 10,00,000 जनसंख्या वाले नगर के लिए 5 इंच के अर्द्धव्यास का वृत्त खींचा जाएगा जो अत्यन्त असंगत होगा। इस दोष को दूर करने के लिए गोलीय आरेखों (Spherical Diagrams) का प्रयोग बिन्दु विधि साथ करते हैं। बिन्दु एवं वृत्त विधि में वृत्तों का अर्द्धव्यास वर्गमूल सूत्र विधि द्वारा निकाला जाता है।

4. बिन्दु एवं गोला विधि (Dot and Sphere Method):-

               इस विधि को स्टेन डी गियर विधि (Sten De Geer Method) भी कहते हैं। इस विधि द्वारा ग्रामीण जनसंख्या बिन्दुओं द्वारा तथा नगरीय जनसंख्या गोलों द्वारा प्रदर्शित की जाती है। गोलों के अर्द्धव्यास विभिन्न नगरों की जनसंख्या के आंकड़ों की सहायता से परिकलित (Calculate) किए जाते हैं। बिन्दु समान अर्द्धव्यास के होते हैं तथा नगरों की जनसंख्या का प्रदर्शन करने वाले गोले मापनी के अनुसार ही अर्द्धव्यास के होते हैं। इनकी मापनी भी बिन्दुओं की मापनी के अनुसार होती है। गोलों का अर्द्धव्यास निकालने के लिए घनमूल मापनी विधि प्रयोग में लाते हैं।

5. आनुपातिक बिन्दु विधि (Multiple Dot Method):-

            इस विधि द्वारा जनसंख्या प्रदर्शन में बिन्दुओं का आकार जनसंख्या के साथ घटता-बढ़ता रहता है। अधिक जनसंख्या प्रदर्शित करने के लिए बड़े आकार के बिन्दु मानचित्र में भरे जाते हैं तथा छोटे आकार के बिन्दु कम जनसंख्या प्रदर्शित करते हैं।

जनसंख्या घनत्व प्रदर्शन विधियाँ

             जनसंख्या घनत्व मानचित्र मनुष्य तथा भूमि का साधारण आनुपातिक सम्बन्ध प्रदर्शित करते हैं। इस प्रकार के सम्बन्ध को गणितीय घनत्व (Arithmetric Density) भी कहते है। इस घनत्व का यह अर्थ समझा जाता है कि प्रति वर्ग किमी भूमि पर कितने मनुष्य रहते हैं।

             कृषि योग्य भूमि तथा जनसंख्या के घनत्व के सम्बन्ध को भी मानचित्रों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इस प्रकार का घनत्व (Physiological Density) जनसंख्या तथा कृषि योग्य भूमि का आनुपातिक घनत्व कहलाता है। इसी प्रकार जनसंख्या का खेतिहर घनत्व (Agricultural Density) अथवा आर्थिक घनत्व (Economic Density) अथवा पौष्टिक घनत्व (Nutrition Density) आदि का भी प्रदर्शन जनसंख्या घनत्व प्रदर्शन मानचित्रों द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है।

              इस प्रकार के मानचित्रों में विभिन्न घनत्व प्रदर्शन के लिए साधारण रेखा छाया विधि (Simple Shading Method or Choropleth Method) का प्रयोग करते हैं। इस विधि द्वारा जनसंख्या घनत्व प्रदर्शन की सीमाओं का उल्लेख पहले ही किया जा चुका है।

            जनसंख्या घनत्व प्रदर्शन के लिए समरेखा विधि (Isopleth Method) का भी उपयोग कर सकते हैं, परन्तु यह विधि इस कार्य के लिए अधिक रुचिकर नहीं है तथा प्रचलित भी नहीं है।

              अन्य प्रकार के मानचित्र, जैसे Stock Maps, आदि में बिन्दु विधि तथा छाया विधि प्रयोग में लाते हैं। यही विधि कृषि मानचित्रों (Crop Maps) में क्षेत्रफल अथवा पैदावार की मात्रा प्रदर्शन के लिए प्रयोग की जाती है। फसलों अथवा विशेष क्षेत्रफल के अनुपात के लिए वृत्त चित्रों का प्रयोग करते हैं। जलवायवीय मानचित्रों में समरेखा विधि (Isopleth Method) का प्रयोग करते हैं तथा अन्य प्रकार के मानचित्रों में अन्य यथायोग्य विधियों का प्रयोग करते हैं।

             जनसंख्या की वृद्धि रैखिक आरेख (Line Graph) द्वारा आयु तथा लिंग-भेद (Age and Sex Structure) पिरामिड विधि द्वारा तथा व्यावसायिक विशेषताएँ (Occupational Structure) चक्राकार आरेख (Wheel Diagrams) अथवा दण्डारे (Bar Diagrams) द्वारा प्रदर्शित करते हैं।


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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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