1.Cartography / मानचित्रावली
1. Cartography / मानचित्रावली
Cartography / मानचित्रावली⇒
पृथ्वी के समस्त भूभाग अथवा किसी एक भाग को कागज पर सांकेतिक चिन्हों के द्वारा उचित मापक (Scale) तथा प्रक्षेप (Projection) पर चित्रण को ही मानचित्र कहते हैं। और इस प्रकार मानचित्रों के संग्रह को मानचित्रावली अथवा एटलस (Atlas) कहा जाता हैं।
किसी भी मानचित्र की शुद्धता एवं उपयोगिता निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है:-
(1) दिशा (Direction) – 10
N = North – उत्तर
S = south – दक्षिण
E = East – पूरब
W = West – पश्चिम
NE = इषाण कोण
NW = वायु कोण
SW = नैऋत्य कोण
SE = आग्नेय कोण
Zenith = आकाश
Nadir = पाताल
(2) मापक (Scale)
(3) उचित प्रक्षेप (Suitable Projection)
(4) उचित सांकेतिक चिह्न
(5) मानचित्रकार की कुशलता
(6) उचित निर्माण की विधि
✶मानचित्र निर्माण करने की विधि
(1) सर्वेक्षण विधि के द्वारा
(2) फोटोचित्रण विधि के द्वारा
(3) रेखाचित्रों एवं आरेख के द्वारा
(4) कम्प्यूटर एवं दूर संवेदन विधि के द्वारा
नोट :- सर्वेक्षण विधि में मानचित्र बनाने हेतु जरीब, थियोडोलाइट, प्रिज्मेटिक कम्पास, शाहुल जैसे उपकरण का प्रयोग किया जाता है।
✶मानचित्र रचना के इतिहास को निम्नलिखित चरण में बाँटते हैं:-
(1) प्राचीन काल
(2) अंध काल – युरानी -रोमन के पत्नन से शुरू
(3) पुनर्जागरण काल – 1500-1600 ई०
(4) आधुनिक काल – औद्योगिक क्रांति से
I प्राचीन काल
➡ 3000 वर्ष पूर्व सर्वप्रथम मिस्र के लोगों ने मानचित्र निर्माण की कला का विकास किया।
* वास्तव में यूनानी विद्वानों को मानचित्र प्रारंभ करने का श्रेय जाता है। जैसे: –
(1) इरैटोस्थनीज ने सर्वप्रथम पृथ्वी के परिधि को अनुमानित किया तथा उसने भूमध्य रेखा को भी निर्धारित करने का प्रयास किए।
(2) हिप्पारकस ने पहली बार विश्व मानचित्र पर अक्षांश और देशान्तर रेखाओं का जाल खींचा।
(3) क्रेटस ने पहली बार यह अनुमान लगाया कि पृथ्वी की आकृति एक गोलाभ के समान है।
(4) टॉलेमी
पुस्तक- “ज्योगरफिया सिन्टैक्सिस” या “अल्मागस्ट”
इस पुस्तक में टॉलमी ने मानचित्र निर्माण हेतु वैज्ञानिक आधार प्रस्तुत किए। उन्होंने मानचित्र के संबंध में बताया कि मानचित्र में निम्नलिखित तीन गुण आवश्य होना चाहिए:-
(1) दिशा शुद्ध होनी चाहिए।
(2) आकृति शुद्ध होती चाहिए।
(3) क्षेत्रफल शुद्ध होनी चाहिए।
II अंध काल
➡अंधकाल में बनाये गये मानचित्र में पृथ्वी को चपटा दिखाया गया और पृथ्वी के केन्द्र में एरुसेलम या जेरूसेलम को दिखाया गया।
➡अंध काल का प्रारंभ: 6 ठी शताब्दी से मानी जाती है। और 15वीं शताब्दी तक रही। इस काल में रोमन सभ्यता का उदय हुआ। लोगों के सोच पर चर्च और पोप का जबरदस्त प्रभाव पड़ा जिसके कारण लोगों के वैज्ञानिक चिंतन समाप्त हो गई।
III. पुनर्जागरण काल
➡ पुनर्जागरण काल की शुरूआत 16वीं शताब्दी से होती है।
➡डच (आयरलैण्ड)वैज्ञानिक/विद्वान मर्केंटर महोदय ने मानचित्र कला को टॉलेमी के प्रभाव से मुक्त किया।
➡ फ्रांसीसी विद्वान कैसीनी वे 1779 ई० में फ्रांस के सर्वेक्षण कर मानचित्रावली का प्रकाशन किया।
➡इसी काल में या 1767 ई० में सर्वेक्षण विभाग की स्थापना की गई।
IV आधुनिक काल
➡ आधुनिक काल की शुरुआत औद्योगिक क्रांति के बाद से मानी जाती है। इसे मानचित्र निर्माण कला का स्वर्ण युग कहा जाता है।
➡ इस चरण में मानचित्र का निर्माण सुदूर संवेदन प्रणाली इत्यादि के द्वारा किया जाने लगा ।
➡भारत में 1924 ई0 से कैमरा के द्वारा या वायुफोटोग्राफी की पद्धति प्रारंभ हुई।
➡भारत में 1975 ई० से सुदूर संवेदन प्रणाली का विकास हुआ।
➡भारत में मुद्रणकला का विकास 1804 ई०-1860 ई० के बीच हुआ। इसी काल में जर्मनी में Stieler, फ्रांस में ब्लाश और मारटीन तथा इंगलैण्ड में “Bartholemou” नामक मानचित्रावली प्रकाशित की गई।
✶मानचित्र के निर्माण में निम्नलिखित उपकरण की आवश्यकता पड़ती है।
(1) Set BoX (औजार बॉक्स)
(2) Protactar (चाँद)
(3) Scale
(4) Dividers
(5) Pencil
(5) Set Square (प्रकाल)
(6) इरेजर
(2) T- Square का Scale
(3) Drawing Board / Table
(4) स्लाइड कैलीपस
(5) इंडियन इंक
(6) Sticking टेप
(7) साण्डरस या काइंड्स किण्ड Drawing Paper
(8) UNO स्टेनसिल
(9) लीराय Pen
Read More:
- 1.Cartography / मानचित्रावली
- 2. मानचित्र के प्रकार
- 3. मानचित्र प्रक्षेपों का वर्गीकरण
- 4. प्रमुख भौगोलिक यंत्र
- 5. भौगोलिक सूचना तंत्र क्या है?
- 6.भूगोल में मापनी एवं मापनी के प्रकार
- 7. मानचित्र का विवर्धन एवं लघुकरण
- 8. मानचित्र प्रक्षेप (Map Projection)
- 9. शंकु प्रक्षेप (Conical Projection)
- 10. बोन तथा बहुशंकुक प्रक्षेप (Bonne’s and Polyconic Projection)
- 11. बेलनाकार प्रक्षेप (Cylindrical Projection)
- 12. Zenithal Projection (खमध्य प्रक्षेप)
- 13. Mercator’s Projection (मर्केटर प्रक्षेप)
- 14. गॉल प्रक्षेप (Gall Projection)
- 15. मर्केटर एवं गॉल प्रक्षेप में तुलना (Comparison Between Mercator’s and Gall Projection)
- 16. रूढ़ प्रक्षेप, मॉलवीड प्रक्षेप, सिनुस्वायडल प्रक्षेप
- 17. विकर्ण तथा वर्नियर स्केल (Vernier and Diagonal Scale)
- 18. आलेखी / रैखिक विधि (Graphical or Linear Method)
- 19. आरेख का प्रकार एवं उपयोग /Diagram: Types & uses
- 20. हीदरग्राफ, क्लाइमोग्राफ, मनारेख और अरगोग्रफ
- 21. जनसंख्या मानचित्र के प्रकार एवं प्रदर्शन की विधियाँ