Unique Geography Notes हिंदी में

Unique Geography Notes in Hindi (भूगोल नोट्स) वेबसाइट के माध्यम से दुनिया भर के उन छात्रों और अध्ययन प्रेमियों को काफी मदद मिलेगी, जिन्हें भूगोल के बारे में जानकारी और ज्ञान इकट्ठा करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस वेबसाइट पर नियमित रूप से सभी प्रकार के नोट्स लगातार विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रकाशित करने का काम जारी है।

BSEB CLASS 8

अध्याय 3.1 लौह इस्पात उद्योग

इकाई 3. अध्याय 3.1 (क) लौह इस्पात उद्योग

बिहार बोर्ड के 8वीं कक्षा का भूगोल विषय का सम्पूर्ण प्रश्नोत्तर

सरल एवं आसान शब्दों में उत्तर देना सीखें



लौह इस्पात उद्योग
I. बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर
सही विकल्प को चुनें।
1. भद्रावती लौह इस्पात उत्पादक केंद्र किस राज्य में है?
(क) झारखंड
(ख) तमिलनाडु
(ग) कर्नाटक
(घ) छतीसगढ़
उत्तर- (ग) कर्नाटक
2. जमशेदपुर स्थित टाटा लौह इस्पात केंद्र की स्थापना किस वर्ष की गई थी?
(क) 1910
(ख) 1905
(ग) 1917
(घ) 1907
उत्तर- (घ) 1907
3. बोकारो लौह इस्पात केंद्र किस पंचवर्षीय योजना में लगाया गया था?
(क) पहली
(ख) दूसरी
(ग) तीसरी
(घ) चौथी
उत्तर- (घ) चौथी
4. इनमें से कौन लौह इस्पात उत्पादक केंद्र सेल के अंतर्गत नहीं है?
(क) दुर्गापुर
(ख) बोकारो
(ग) भिलाई
(घ) बर्नपुर
उत्तर- (घ) बर्नपुर
5. सेलम लौह इस्पात केंद्र किस राज्य में अवस्थित है?
(क) तमिलनाडु
(ख) कर्नाटक
(ग) झारखंड
(घ) केरल
उत्तर – (क) तमिलनाडु
II. सही मिलान करें:-
                                   उत्तर
1. दुर्गापुर-            (ग) प. बंगाल
2. विशाखपत्तनम- (क) आंध्रप्रदेश
3. भिलाई –         (घ) छत्तीसगढ़
4. भद्रावती –       (ख) कर्नाटक
III. खाली स्थान को उपयुक्त शब्दों से पूरा करें।
1. दांतो को रोलिंग प्रोसिंग एवं ढलाई के द्वारा निश्चित आकार दिया जाता है।
2. उड़ीसा में राउरकेला (सेल) लौह इस्पात केंद्र है।
3. विजयनगर लौह इस्पात केंद्र कर्नाटक राज्य में है।
4. टिस्को को झरिया की खानों से कोयला मिलता है।
5. बोकारो लौह इस्पात केंद्र प्रसिद्ध उद्योगपति जमशेद जी टाटा की सहायता से लगाया गया था।
IV. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें। (अधिकतम 50 शब्दों में)
1. बोकारो लौह इस्पात केंद्र को मैंगनीज किन-किन स्थानों से प्राप्त होता है? केंद्रों के नाम लिखिए।
उत्तर- बोकारो लौह इस्पात केन्द्र को मैंगनीज बादाम पहाड़, गुरु महिसानी एवं सुलायपत से प्राप्त होता है।
2. टिस्को को जल की सुविधा कहाँ से मिलती है?
उत्तर- टिस्को को जल की सुविधा स्वर्णरेखा और खरकई नदियों से मिलती है।
3. टिस्को में कामगार के रूप में मुख्यतः कौन से लोग हैं?
उत्तर- टिस्को में कामगार के रूप में मुख्यत: स्थानीय संथाली लोग हैं तथा इनके साथ-साथ बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा तथा मध्यप्रदेश के लोग भी कार्य करते हैं।
4. बोकारो लौह इस्पात केंद्र कब और किसके सहयोग से स्थापित की गई थी?
उत्तर- बोकारो लौह इस्पात केन्द्र 1964 ई. में रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) के सहयोग से स्थापित की गई थी।
5. टिस्को में बनने वाली कुछ चीजों के नाम लिखिए।
उत्तर- सलाखें, गर्डर, पहिए, पटरियाँ, चादरें, स्लीपर एवं फिश प्लेट आदि।
 
V. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें। (अधिकतम 200 शब्दों में)
1. टिस्को लौह इस्पात केंद्र को मिलने वाली सुविधाओं का विस्तृत विवरण दीजिए।
उत्तर- टिस्को लौह इस्पात केन्द्र को लौह-अयस्क नोआमंडी (प० सिंहभूम), बादाम पहाड़ एवं गुरु महिसानी (उड़ीसा) की पहाड़ियों से प्राप्त होता है जो यहाँ से लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित है। कुल अयस्क की आवश्यकता का 50% भाग अकेले नोआमंडी से आता है।
          कोयला झरिया की खानों से मिलता है। चूनापत्थर 320 किलोमीटर की दूरी से विशेषकर विरमित्रपुर, हाथीबारी, बिसरा और कटनी से आता है। डोलोमाइट पागपोश से आता है।  पानी की आवश्यकता स्वर्णरेखा और खरकई नदियाँ पूरा करती हैं। टिस्को लौह इस्पात संयत्र से सलाखें, गर्डर, पहिए और पटरियाँ, चादरें, स्लीपर एवं फिश प्लेट बनाये जाते हैं।
2. बोकारो लौह इस्पात केंद्र को उपलब्ध भौगोलिक सुविधाओं का वर्णन करें।
उत्तर- बोकारो लौह इस्पात केन्द्र को बोकारो स्टील लिमिटेड (B.S.L.) के नाम से भी जाना जाता है। चतुर्थ पंचवर्षीय योजना के तहत इसे 1964. ई० में रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) के सहयोग से सार्वजनिक क्षेत्र के प्रक्रम के रूप में इसकी स्थापना की गई थी। इसकी स्थापना कच्चे माल की उपलब्धता वाले स्थानों के नजदीक की गई है जिससे यहाँ तैयार इस्पात कम लागत पर उपलब्ध है।
       इस संयंत्र के लिए लौह-अयस्क किरीबुरू (उड़ीसा) से प्राप्त होता है। चूना पत्थर विरमित्रपुत्र (बंगाल), कोयला झरिया और बोकारो की खानों से, पानी दामोदर नदी से, मैंगनीज बादाम पहाड़, गुरु महिसानी एवं सुलायपत से प्राप्त होता है।
3. इस्पात निर्माण की प्रक्रिया को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- लौह-इस्पात उद्योग को किसी भी देश के उद्योगों की रीढ़ माना जाता है क्योंकि औद्योगिक विकास हेतु बुनियादी वस्तु, औजारों, मशीनों व आधारभूत ढाँचे का निर्माण लौह-इस्पात से ही होता है। यदि हम विश्व स्तर पर देखें तो पाते हैं कि जिन देशों में लौह इस्पात की खपत अधिक है वे देश ही विकसित है। जैसे-जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस इत्यादि।
        भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखें तो स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद राष्ट्र निर्माताओं ने इस उद्योग की आवश्यकता को समझते हुए सर्वप्रथम इस उद्योग को स्थापित किया और आज यह उद्योग देश की अधिकांश आवश्यकता की पूर्ति के साथ इस्पात को नियत भी कर रहा है।
      भारत केवल उच्च कोटि के कुछ इस्पात का आयात करता है। भारत विश्व में स्पंज लोहे का सबसे बड़ा उत्पादक है। अब तो भात में विदेशों से प्राप्त लोहा-इस्पात स्क्रैपर (अन्न-उपयोगी) से नया इस्पात तैयार कर धन व साधनों की बचत कर रहा है।
        वित्तीय वर्ष 19-20 के दौरान भारत में लौह इस्पात का उत्पादन
⇒ कुल उत्पादन- 111.245 मिलियन टन
⇒ आयात- 5.51 मिलियन टन
⇒ निर्यात- 6.52 मिलियन टन

⇒ उपभोग (घरेलू)- 75.05 मिलियन टन


Read More:

Tagged:
I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

LEAVE A RESPONSE

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts

error:
Home