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BSEB CLASS 7

अध्याय-12 मौसम और जलवायु

बिहार बोर्ड वर्ग-7 वाँ भूगोल प्रश्नोत्तर 

अध्याय-12 मौसम और जलवायु


अध्याय-12 मौसम और जलवायु

अभ्यास के प्रश्नोत्तर

i. सही विकल्प चुनें-

1. वर्ष भर एक ही दिशा में बहने वाली पवन है-

(क) स्थानीय पवन

(ख) स्थायी पवन

(ग) सामयिक पवन

(घ) मौसमी पवन

उत्तर- (ख) स्थायी पवन

2. जलवाष्प का जलरूप में बदलने की क्रिया कहलाती है-

(क) वर्षण

(ख) संघनन

(ग) चक्रवात

(घ) मौसम

उत्तर- (क) वर्षण

13. कैटरीना क्या है-

(क) एक चक्रवात

(ख) एक ठंडी पवन

(ग) एक स्थानीय पवन

(घ) एक प्रति चक्रवात

उत्तर- (क) एक चक्रवात

ii. खाली जगहों को भरिए-

1. चक्रवात के केन्द्र में उच्च वायु दाब होता है।

2 लू एक स्थानीय हवा है।

3. ऊँचाई के कारण हवाएँ ठंडी होकर संघनन करती है।

4. विषुवत रेखीय क्षेत्रों में संवहनीय वर्षा होती है।

iii. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-

(1) मौसम के अन्तर्गत किन-किन तत्वों का अवलोकन किया जाता है?
उत्तर- “किसी निश्चित स्थान पर निश्चित समय में वायुमंडल की तत्कालीन दशा को मौसम कहते हैं।”

मौसम के अन्तर्गत निम्नलिखित तत्वों का अवलोकन किया जाता है:-

⇒ तापमान

⇒ वर्षा

⇒ आर्द्रता

⇒ सूर्य का प्रकाश 

⇒ हवा की दिशा एवं गति

⇒ आकाश के बादल 

(2) जलवायु को परिभाषित करें। इसका निर्धारण कैसे होता है?
उत्तर- किसी क्षेत्र विशेष में लम्बे समय तक मौसम की औसत दशा को जलवायु कहते हैं। मौसम का निर्धारण करने के लिए एक लम्बे समय (सामान्यत: 33 वर्ष) तक वहाँ के तापमान की स्थिति, वर्षा की मात्रा, पवन की दिशा इत्यादि का आँकड़ा एकत्र कर समय से भाग देकर उसका औसत निकाला जाता है।

(3) जलवायु किसे कहते है? जलवायु को प्रभावित करने वाले कौन-कौन से प्रमुख कारक हैं?
उत्तर- किसी क्षेत्र विशेष में लम्बे समय तक मौसम की औसत दशा को जलवायु कहते हैं।

जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं:-

⇒ अक्षांशीय स्थिति,

⇒ समुद्र तट से दूरी,

⇒ पर्वत की दिशा व अवरोध,

⇒ समुद्री धाराओं की दिशा,

⇒ पवन की दिशा,

⇒ समुद्र तल से ऊँचाई तथा

⇒ तापमान।

(4) पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों का तापमान अलग-अलग क्यों होता है?
उत्तर- किसी भी स्थान का तापमान का आधार वहाँ प्राप्त होने वाली सूर्य की किरणें हैं। जहाँ सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं वहाँ का तापमान अधिक होता है। जहाँ-जहाँ सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं, वहाँ-वहाँ का तापमान कम होते जाता है। अतः स्पष्ट है कि सूर्य की किरणों की सीधी-तिरछी पड़ने के कारण पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों का तापमान अलग-अलग होता है।

(5) “तापमान का प्रभाव मौसम पर पड़ता है।” उचित उदाहरण सहित पुष्टि कीजिए।
उत्तर- ऐसे तो मौसम को प्रभावित करने वाले अनेक कारक हैं लेकिन उन सभी कारकों में प्रमुख कारक तापमान है। तापमान को बढ़ाने या घटाने में प्रमुख भूमिका सौर ऊर्जा की होती है। मुख्य रूप से सौर-ऊर्जा जिन स्थानों पर अधिक मिलती है, वहाँ का वातावरण गर्म हो जाता है। जहाँ पर सौर ऊर्जा कम मिलती है वहाँ का वातावरण ठंडा हो जाता है। गर्म और ठंडा, वातावरण से वहाँ का मौसम प्रभावित होता है।

(6) पृथ्वी पर कितने ताप कटिबंध हैं? इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर-  पृथ्वी पर पाँच ताप कटिबन्ध निम्नलिखित हैं:-

(i) उष्ण कटिबन्ध- कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच का क्षेत्र।

(ii) उत्तरी शीतोष्ण कटिबन्ध- कर्क रेखा और उत्तरी ध्रुवीय वृत्त के बीच का क्षेत्र।

(iii) दक्षिणी शीतोष्ण कटिबन्ध- मकर रेखा और दक्षिणी ध्रुवीय वृत्त के बीच का क्षेत्र।

(iii) उत्तरी शीत कटिबन्ध- उत्तरी ध्रुवीय वृत्त के उत्तर का क्षेत्र जिसके केन्द्र में उत्तरी ध्रुव है।

(iv) दक्षिणी शीत कटिबन्ध- दक्षिणी ध्रुवीय वृत्त के दक्षिण का क्षेत्र जिसके केन्द्र में दक्षिणी ध्रुव है।

मौसम और जलवायु
ताप कटिबन्ध

(7) वायु में गति के क्या कारण हैं?
उत्तर- पृथ्वी पर जहाँ कहीं तापमान अधिक हो जाता है वहाँ की हवा गर्म होकर ऊपर चली जाती है। इससे वहाँ निम्न दाब का क्षेत्र बन जाता है। इस निम्न दाब को भरने के लिए उच्च दाब के क्षेत्र से हवा चल देती है। जिस चाल से हवा चलती है उसे वायु की गति कहते हैं।

(8) पवन के कितने प्रकार हैं? प्रत्येक का नाम सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर- पवन के तीन प्रकार हैं-

(क) स्थायी पवन

(ख) मौसमी पवन तथा

(ग) स्थानीय पवन।

(क) स्थायी पवन- स्थायी पवन हमेशा एक निश्चित दिशा में चलता है। यह पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण उत्पन्न होता है। स्थायी पवन अधिक दाब पेटियों से कम दाब वाली पेटियों की ओर चलता है। पछुआ पवन, ध्रुवीय तथा व्यापारिक पवन स्थायी पवन के उदाहरण हैं।

(ख) मौसमी पवन- जिस पवन की दिशा मौसम के अनुसार बदलती रहती है, उसे मौसमी पवन कहते हैं। यह पवन ऋतु के अनुसार अपनी दिशा बदल लेता है। भारत में मौसमी पवन से ही वर्षा होती है। जैसे- मानसूनी पवनें, चक्रवात, प्रति चक्रवात इत्यादि। 

(ग) स्थानीय पवन- वर्षा के खास समय और खास भू-खंड (स्थान) पर चलने वाली हवाएँ स्थायी पवन कहलाती है। जैसे- उत्तर भारत के मैदानी भाग में मई-जून महीनों में चलने वाली गर्म हवा लू, के नाम से जानी जाती है।

(9) स्थलीय समीर एवं समुदी समीर में क्या अंतर है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- जब हवा स्थल की ओर से समुद्र की ओर चलती है तब इस हवा को स्थलीय समीर कहते हैं। ठीक इसके विपरीत जब हवा समुद्र की ओर से स्थल की ओर चलने लगती है तब इसे समुद्री समीर कहते हैं। स्थलीय समीर सदैव रात में चलता है, वहीं समुद्री समीर सदा दिन में चला करता है।

(10) चक्रवात क्या है? इसके प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- तूफानी हवाओं के अति शक्तिशाली भंवर को चक्रवात कहते है। चक्रवात के प्रभाव से भारी आँधी आती है और जन-जीवन को काफी कुप्रभावित करती है। हवा नाचते-नाचते काफी ऊँचाई पर चली जाती है और भारी वर्षा कराती है। चक्रवात यदि जमीन पर आते हैं तो आँधी-वर्षा लाते हैं और यदि समुद्र में आते हैं तो उसकी लहरें काफी ऊँचाई तक उठ जाती है।

(11) वर्षा कैसे होती है? इसके कितने प्रकार हैं?
उत्तर- ऊँचाई पर जलवाष्प के संघनन होने से वर्षा होती है। यह सदैव चलते रहने वाली प्रक्रिया है। वर्षा से पृथ्वी पर पानी पहुँचता है फिर ताप प्राप्त कर पानी वाष्प बनकर ऊपर चला जाता है। संघनन होता और वर्षा होती है। सदैव चलते रहने वाले इसी प्रक्रम को ‘जलचक्र’ कहते हैं। वर्षा तीन प्रकार की होती है:-

(क) संवाहनिक वर्षा

(ख) पर्वतीय वर्षा तथा

(ग) चक्रवातीय वर्षा।

(12) अत्यधिक वर्षा से क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं?
उत्तर- अत्यधिक वर्षा से सबसे पहले तो बाढ़ आ जाती है। बाढ़ में घर-के-घर ही क्या गाँव-के-गाँव बह जाते हैं। आदमी के साथ जीव-जंतु भी ऊँचे स्थानों की ओर भागते हैं। लगी-लगाई फसल, यहाँ तक कि कभी-कभी तैयार फसल भी बह जाती है। सरकार तथा गैर सरकारी संस्थाओं को आदमियों के रहने तथा खाने-पीने की व्यवस्था में जुट जाना पड़ता है।

(13) अधिक वर्षा एवं कम वर्षा वाले क्षेत्रों के जन-जीवन में क्या-क्या अंतर होंगे?
उत्तर- जहाँ अधिक वर्षा होती है वहाँ के लोग घर के छप्पर की ढाल अधिक रखते हैं, ताकि पानी जल्दी बह जाय। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में घर के छप्पर की ढाल कम रहती है या रहती ही नहीं। अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में तरह-तरह के वृक्ष पाये जाते हैं और फसलें भी तरह-तरह की होती है और खूब होती हैं।

       कम वर्षा वाले क्षेत्रों में मात्र बाजरा जैसे मोटे अनाज ही उपज पाते हैं। अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पानी की कोई किल्लत नहीं होती, जबकि कम वर्षा वाले क्षेत्र के लोगों को पीने के पानी के भी लाले पड़े रहते हैं। इन्हें दूर-दूर से पानी लाना पड़ता है। अधिक वर्षा वाले क्षेत्र के लोग अपेक्षाकृत अधिक आराम से जीवन व्यतीत करते हैं जबकि कम वर्षा वाले क्षेत्र के लोगों का जीवन मशक्कत से भरा रहता है।

(14) यदि वर्षा कम हो तो क्या-क्या परेशानी होती है?
उत्तर- वर्षा कम होने पर फसलें नहीं उपजतीं। अन्न की कमी हो जाती है। गर्मी आते-आते कुएँ तालाब सूख जाते हैं। नदियों में भी पानी नहीं रहता। अतः दूर-दूर से पानी लाना पड़ता है। लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

(15) हमें वर्षा जल का संरक्षण क्यों करना चाहिए?
उत्तर- हमें वर्षा जल का संरक्षण इसलिये करना चाहिए ताकि हमें सालों भर पानी मिल सके। इस संरक्षित जल से पीने से लेकर सिंचाई तक के काम हो सकते हैं।

16. पता कीजिए कि ये पवन कहाँ बहते हैं?
(लू, चिनूक, गरजता चालिसा, दहाड़ता पचासा, हरिकेन, टॉरनेडो, टाइफून, विलीविली, कैटरिना, काल वैशाखी)
उत्तर-

पवन क्षेत्र
लू विशाल मैदान 
चिनूक दक्षिणी कनाडा 
गरजता चालीसा 40 दक्षिणी अक्षांशीय क्षेत्र
दहाड़ता पचासा  50 दक्षिणी अक्षांशीय क्षेत्र
हरिकेन अटलांटिक महासागरीय क्षेत्र
टॉरनेडो उत्तरी अमेरिका
टाइफून चीन (पूर्वी प्रशांत महासागरीय क्षेत्र)
विलीविली पूर्वी ऑस्ट्रेलिया
कैटरिना पश्चिम ऑस्ट्रेलिया 
काल वैशाखी बंगाल की खाड़ी 

17. एक माह तक प्रतिदिन मौसम का अवलोकन क अभिलेख तैयार कर कक्षा में प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर- छात्र स्वयं करें।


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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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