Unique Geography Notes हिंदी में

Unique Geography Notes in Hindi (भूगोल नोट्स) वेबसाइट के माध्यम से दुनिया भर के उन छात्रों और अध्ययन प्रेमियों को काफी मदद मिलेगी, जिन्हें भूगोल के बारे में जानकारी और ज्ञान इकट्ठा करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस वेबसाइट पर नियमित रूप से सभी प्रकार के नोट्स लगातार विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रकाशित करने का काम जारी है।

BA Geography All PracticalCARTOGRAPHY(मानचित्र कला)

 2. मानचित्र के प्रकार 

 2. मानचित्र के प्रकार / Type of Map


मानचित्र के प्रकार

मानचित्र मापनी के आधार पर दो प्रकार के होते हैं: 

(1) Large Scale Map (बड़ी मापक मानचित्र)

(i) Cadastral Map (भूसम्पति मान‌चित्र) 

(ii) Topographical Map (स्थलाकृति मानचित्र)

(2) Small Scale Map (छोटी मापक मानचित्र)

(i) Wall Map (दीवारी मानचित्र)

(ii) Atlas Map (एटलस मानचित्र)

1. Large Scale Map (बड़ी मापनी मानचित्र)

            एक छोटे भूभाग को बड़े इकाई (Scale/ मापनी) पर दिखाये जाने वाले मानचित्र को Large Scale Map कहते हैं।

1cm = 10km.

(i) Cadastral Map (भूसम्पति मानचित्र) 

⇒ यह एक Large Scale Map है।

⇒ यह एक ऐसा Map है जिस पर किसी एक गाँव का, ग्राम पंचायत का, खेतों के मेढ़ को, ग्रामीण रास्तों को, गाँव में मिलने वाला कुँआ, छोटे -2 जलाशय, सार्वजनिक स्थान इत्यादि को प्रदर्शित किया जाता है। यह Map भूमि Survey करने वाले अमीन, C.O. और जिला में अवस्थित survey विभाग के पास होता है।

⇒ भूसम्पति मानचित्र का प्रयोग भूराजस्व पदाधिकारी कर वसूली में करते हैं। इसके अलावे इसका प्रयोग नगर नियोजन एवं भूमि उपयोग के नियोजन में किया जाता है।

⇒ भारत के गाँवों में 1:3960 या 16″ = 1 मील से 1:1980 (32″ = 1 मील) तक पैमाना पर भूसम्पत्ति मानचित्र बनाये जाते हैं।

(ii) स्थलाकृतिक मानचित्र (Topographical Map)

⇒ जहाँ Cadastral Map में निजी भवन, ग्रामीण कुँआ, जलाशय इत्यादि को प्रदर्शित किया जाता है वहीं स्थलाकृतिक मानचित्र पर विभिन्न प्रकार के स्थलाकृतिक लक्षण जैसे उच्चावच, प्रवाह प्रणाली, वन क्षेत्र, दलदली क्षेत्र इत्यादि को गाँव के साथ -2 दिखाया जाता है।

⇒ स्थलाकृतिक मानचित्र पर प्राकृतिक विशेषताओं के साथ-साथ सांस्कृतिक भूदृश्य को भी प्रदर्शित करते हैं।

⇒  स्थलाकृतिक मानचित्र सामान्यत: 1: 2,50,000 (1″ = 4 मील) से 1: 62500 (1″ = 1 मील) तक की मापनी पर बनाया जाता है।

⇒ 1″ = 4 मील से छोटी मापनी पर बनने वाला स्थलाकृतिक मानचित्र को ही भौगोलिक मानचित्र कहते हैं।

⇒ भारत में स्थलाकृतिक मानचित्रों का निर्माण 1: 62500 को 1: 50000 की मापनी में बदलकर प्रदर्शित किया जाता है।

(2) छोटी मापनी का मानचित्र (Small Scale Map)

⇒ छोटी मापनी के मानचित्र पर बहुत बड़े भूभाग को मानचित्र के छोटे इकाई पर प्रदर्शित करते हैं। जैसे:- 1m = 10,000 km 

(i) दीवाल मानचित्र (Wall Map)

⇒ दीवाल मानचित्र एक ऐसा मानचित है जिसपर पूरे विश्व को, एक महाद्वीप को, एक देश को, एक राज्य को, एक जिला को प्रदर्शित किया जाता है।

⇒ Wall Map का प्रयोग मुख्यतः शिक्षण संस्थानों या कार्यालयों में किया जाता है।

⇒  Wall Map की मापनी Atlus Map के मापनी से बड़ी होती है। लेकिन स्थलाकृतिक मानचित्र के तुलना में छोटी होती हैं।

⇒  भारत में Wall Map 1: 15000000 1: 25,00000 के मापनी पर बनाया जाता है।

(ii) Atlas Map (एटलस मानचित्र)

Atlas Map एक Small Scale Map है। इन मानचित्रों में एक छोटे से कागज के पन्नों पर पूरे विश्व, महाद्वीप, देश, इत्यादि को प्रदर्शित किया जाता है। इस प्रकार के मानचित्र 1:2,0000000 के मापनी पर बनाये जाते हैं। इस प्रकार के मानचित्र पर अलग -2 क्षेत्रों को अलग-2 रंग से प्रदर्शित करते हैं। इसलिए इसे “क्षेत्र वर्णी मानचित्र” भी कहते हैं।

भारत में सरकारी एटलस का प्रकाशन Survey of India, देहरादून द्वारा होता है

⇒ भारतीय सर्वेक्षण विभाग भारत के रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।

⇒ भारत में सर्वप्रथम प्रो० S.P. चटर्जी ने “बंगाल इन Maps” एटलस प्रकाशित किया था।

⇒ भारत के महापंजीकार कार्यालय के अधीन कार्यरत जनगणना विभाग ने पूरे देश और सभी प्रान्तों का 32 खण्डों में विभक्त कर एक एटलस का प्रकाशन किया है।

NOTE ग्लोब⇒ यह पृथ्वी का वास्तविक प्रतिरूप होता है। इसका आकार गोल तथा 23 1/2° अक्ष पर झुका होता है।

⇒ उद्देश्य एवं विषय सामग्री के आधार पर मानचित्र के प्रकार। 

               इसके आधार पर मानचित्र को दो भागों में बाँटते है:

(A) प्राकृतिक मानचित्र 

(i) खगोलीय मानचित्र (Astronomical Map)

(ii) स्थलीय मानचित्र (Orographic Map) Relief Map

(iii) भूगर्भीक मानचित्र (Geological Map) – इसमें चट्टानों के संस्तर को प्रदर्शित करते हैं। चट्टानों के एक संस्तर को Bed कहते हैं।

मानचित्र के प्रकार

(iv) जलवायु मानचित्र (Climate Map) 

(v) वनस्पति मानचित्र (Vegitation Map) 

(vi) मृदा मानचित्र (Soil Map)

(B) सांस्कृतिक मानचित्र 

        यह भी कई प्रकार का होता है। जैसे- आर्थिक मानचित्र,  राजनीतिक मानचित्र, सैनिक मानचित्र, ऐतिहासिक मानचित्र, सामाजिक मानचित्र, वितरण मानचित्र 

वितरण मानचित्र  (Distribution Map)

⇒ भौगोलिक तत्वों को वितण मानचित्र के माध्यम से प्रदर्शित करते हैं। यह मूलतः चार प्रकार का होता है।

(i) रंगारेखी मानचित्र (Chromatic Map) 

⇒ जब मानचित्र पर विभिन्न आकड़ों को विभिन्न रंगों के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है तो उसे Chromatic Map (रंगारेखी मानचित्र) कहते हैं।

(ii) प्रतीक चिह्न

⇒ इसमें फसलों, खनिजों आदि के वितरण प्रदर्शित करने वाले मानचित्र में अक्षरों एवं वर्णों का प्रयोग कर जो मानचित्र प्रस्तुत किया जाता है। वैसे Map को क्रोसमैटिक मैप कहते हैं।

(iii) सम्मान रेखा मानचित्र (Isopleth)

⇒ ऐसा मानचित्र जिसपर भौगोलिक तत्वों को समताप रेखा (Isotherm), समवर्षा रेखा (Isohyte), समधूप रेखा (lsohel), समोच्च रेखा (Contour) के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। 

(iv) वर्णमात्री मानचित्र (Choropleth map) 

⇒ वैसा मानचित्र जिसमें भौगोलिक तत्वों को आड़ी तिरछी लम्बवत रेखाओं के द्वारा प्रदर्शित करते हैं उसे Choropleth कहते हैं।

नोट:- Atlas में सबसे ज्यादा प्रयोग रंगारेखी मानचित्र (Chromatic Map) का किया जाता है।


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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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