10. बोन तथा बहुशंकुक प्रक्षेप (Bonne’s and Polyconic Projection)
10. बोन तथा बहुशंकुक प्रक्षेप
(Bonne’s and Polyconic Projection)
बोन प्रक्षेप ⇒
⇒ बोन प्रक्षेप की रचना सर्वप्रथम रिगोवर्ट बोन ने किया था।
⇒ बोन प्रक्षेप एक ऐसा शंकु प्रक्षेप है जिसमें सभी अक्षांश एवं देशान्तर रेखाओं पर मापनी शुद्ध होती है। इसलिए इसे समक्षेत्र प्रक्षेप कहा जाता है।
⇒ सभी अक्षांश रेखाओं के बीच की दूरी एक समान तथा संकेन्द्रीय होती है।
⇒ अक्षांश रेखा वक्राकार होती है।
⇒ शुद्ध क्षेत्रफल प्राप्त करने हेतु इसमें देशान्तर रेखाओं का भी वक्र बनाया जाता है। लेकिन केन्द्रीय मध्याहन रेखा एक सरल रेखा के समान होती है।
⇒ बोन प्रक्षेप में ध्रुव को एक बिन्दु के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
⇒ अलग-2 अक्षांश रेखाओं पर दो देशान्तरों के बीच की दूरी अलग-2 होती है।
⇒ चूँकि केन्द्रीय मध्याहन रेखा पूर्णत: एक सरल रेखा होती है। इसलिए शेष देशान्तर रेखाओं के तुलना में इस रेखा पर मापनी सर्वाधिक शुद्ध होती है।
⇒ बोन प्रक्षेप में अधिक से अधिक एक गोलार्द्ध को दिखाया जा सकता है। यह प्रक्षेप वैसे देशों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है जिनका लम्बाई एवं चौड़ाई एक समान है। जैसे- फ्रांस, स्वीट्जरलैण्ड, बेल्जियम इत्यादि।
⇒ बोन प्रक्षेप वैसे देशों के लिए उपयोगी है जिनका देशान्तरीय विस्तार कम है। जैसे- चिली।
⇒ बोने प्रक्षेप वितरण मानचित्र के लिए काफी उपयोगी है।
बहुशंकुक प्रक्षेप (Polyconic Projection)
⇒ बहुशंकुक प्रक्षेप की रचना सर्वप्रथम फर्डिनेण्ड हेस्लर ने किया था।
⇒ बहुशंकुक प्रक्षेप में प्रत्येक अक्षांश मानक अक्षांश होता है।
⇒ बहुशंकुक प्रक्षेप को यह मानकर बनाया गया है कि प्रक्षेप में प्रदर्शित वाले अक्षांश वृतों पर अलग-अलग कागज के शंकु रखे गये है। इसीलिए इसे बहुशंकु प्रक्षेप कहते हैं।
⇒ बहुशंकुक प्रक्षेप में सभी अक्षांश रेखा संकेन्द्रीय नहीं होती है।
⇒ बहुशंकुक में अक्षांश एवं देशान्तर रेखाएँ वक्राकार होती है। लेकिन भूमध्यरेखा को अगर प्रदर्शित किया जाता है तो वह एक सीधी रेखा होती है।
⇒ बहुशंकुक प्रक्षेप में केन्द्रीय मध्याहन रेखा एक सीधी रेखा होती है।
⇒ बहुशंकुक प्रक्षेप में केन्द्रीय मध्याहन रेखा सभी अक्षांश रेखा को समकोण पर काटती है। जबकि अन्य देशान्तर रेखाएँ 90° पर नहीं काटती है।
⇒ बहुशंकुक प्रक्षेप में केन्द्रीय मध्याहन रेखा पर और सभी अक्षांश रेखा पर मापनी शुद्ध होती है।
⇒ अक्षांश वृतों के संकेन्द्रीय न होने के कारण न तो यह समक्षेत्र प्रक्षेप है और न ही यथाकृति प्रक्षेप।
⇒ बहुशंकुक प्रक्षेप वैसे देशों के लिए उपयोगी है जिनका पूरब-पश्चिम के विस्तार कम तथा उत्तर-दक्षिण के विस्तार अधिक होता है। जैसे- आर्जेन्टिना, चिली, जापान, इटली वियतनाम, भारत का NH-7।
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