Unique Geography Notes हिंदी में

Unique Geography Notes in Hindi (भूगोल नोट्स) वेबसाइट के माध्यम से दुनिया भर के उन छात्रों और अध्ययन प्रेमियों को काफी मदद मिलेगी, जिन्हें भूगोल के बारे में जानकारी और ज्ञान इकट्ठा करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस वेबसाइट पर नियमित रूप से सभी प्रकार के नोट्स लगातार विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रकाशित करने का काम जारी है।

भूगोल से सम्बन्धित समसामयिक घटनाएँ

तुर्की तथा सीरिया के भूकंप @ 2023

तुर्की तथा सीरिया के भूकंप @ 2023


तुर्की तथा सीरिया के भूकंप

तुर्की तथा सीरिया के भूकं

तुर्की तथा सीरिया के भूकं

भूकंप के दो बड़े झटकों ने तुर्की एवं सीरिया में तबाही मचा दी। इस भूकंप से जहाँ लगभग 34000 से अधिक लोग मौत की नींद सो गए वहीं हजारों लोग घायल हो गए और कई तो मलबे में दब गये हैं। पहला भूकंप सीरियाई सीमा के पास स्थित गजियांतेप के नजदीक 6 फरवरी 2023 को आया था। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 7.8 थी जिसे लगभग सुदूर ब्रिटेन तक महसूस भी किया गया। 9 घंटे बाद तुर्की में पुन: दूसरे भूकंप आया जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.5 थी। पुन: तुर्की में भूकंप के 36 घंटो बाद में लगभग 100 से ज्यादा भूकंप आया। हालांकि, यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे के भूकंप वैज्ञानिक सुसान हफ का कहना है कि इसमें चौंकने वाली बात नहीं है, कई बार आफ्टरशॉक मूल भूकंप से भी ज्यादा तीव्रता के भूकम्प आते है। वैज्ञानिकों को ऐसा लगता है कि यह भूकंप ”इंटरसेक्टिंग फॉल्ट” की वजह से आया है। यह स्थिति तब होती है जब एक टेक्टॉनिक प्लेट दूसरी टेक्टॉनिक प्लेट के ऊपर आने की कोशिश करती है। तुर्की सरकार के अनुसार इस तबाही में लगभग 3,450 से अधिक छोटी बड़ी इमारतें जमींदोज हो गईं। इनमें से कई तो आधुनिक इमारतें थीं जिनका निर्माण ढाँचे के ”पैनकेक मॉडल” के आधार पर किया गया था लेकिन यह मॉडल भूकंप के आगे नाकाम साबित हुआ।

⇒ ऐसे तो तुर्की तथा सीरिया के भूकंप आम बात है क्योंकि ये दोनों देश भूकंपीय क्षेत्र रूस से सटे सक्रिय क्षेत्र में स्थित है, जहाँ तीन टेक्टोनिक प्लेट पृथ्वी की सतह के नीचे लगातार एक-दूसरे से टकरा रही हैं। इन क्षेत्रों में भूकंपों के ऐतिहासिक रिकॉर्ड कम-से-कम दो हजार साल पुराने हैं। पूर्व में सत्रहवीं सदी में आए महाविनाशकारी भूकंप ने तुर्की के एक दर्जन से अधिक शहरों को समतल कर दिया था। इन भूकंपों की मेजबानी करने वाला ईस्ट एनाटोलियन फॉल्ट जोन अरब और एनाटोलियन टेक्टोनिक प्लेटों के बीच की सीमा पर है। ये टेक्टोनिक प्लेट प्रत्येक वर्ष लगभग 6 से 10 मिमी० की गति से एक-दूसरे से आगे लगातार बढ़ते जा हैं। ये प्लेट अक्सर एक-दूसरे को धक्का देते हैं। कभी-कभी टेक्टोनिक प्लेट एक-दूसरे के ऊपर चढ़ जाते हैं, जिसका असर सतह पर देखने के लिए मिलता है। हाल में आया भूकंप इसी का एक नमूना है।

⇒ भूकंप आज से नहीं बल्कि हजारों साल से आते रहे हैं। तुर्की में भूकंप आम हैं क्योंकि यह देश भूकंप की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र में आता है। ऐसे क्षेत्र में जहाँ पृथ्वी की सतह के नीचे तीन टेक्टॉनिक प्लेटें लगातार एक-दूसरे के साथ घर्षण करती रहती हैं। लगभग दो हजार सालों से तुर्की भूकंप का सामना करता रहा आ है। 17वीं शताब्दी में तुर्की के कई शहर भूकंप से तबाह हो गए थे।

⇒ भूकंप अक्सर ”ईस्ट अनातोलियन फॉल्ट” जोन में आते हैं जो अरेबियन और अनातोलियन टेक्टॉनिक प्लेटों के मध्य में सीमा पर स्थित है। ये दोनों प्लेटें हर साल 6 से 10 मिमी० की गति से एक-दूसरे के पास आ रही हैं। इस क्षेत्र में उत्पन्न तन्यता का दबाव रुक रुक कर आए भूकंप के चलते धीरे-धीरे कम हुआ। यह सिलसिला बरसों-बरस चलता रहा। इसे देखते हुए हाल ही में आये भूकंप आश्चर्यजनक नहीं हैं। यह भी जाहिर है कि यहाँ अवसंरचना भी जोखिम के साए में है।

⇒ बीते करीब 2000 साल में हमने ऐसी इमारतों के निर्माण के बारे में बहुत कुछ सीखा है जो भूगर्भीय हलचल होने पर सुरक्षित रहें। लेकिन यह भी सच है कि इस क्षेत्र में तथा दुनिया के दूसरे हिस्सों में इमारतों का निर्माण प्रभावित करने वाले कई कारक भी हैं।

तुर्की तथा सीरिया के भूकं

बिल्डिंगों का घटिया निर्माण होना सबसे बड़ा कारक

ऐसा प्रतीत होता है कि ध्वस्त हुई कई इमारतें भूकंप की दृष्टि से पर्याप्त सुदृढ़ीकरण के बिना कंक्रीट से बनी थीं। इस क्षेत्र में इमारतों के भूकंप संबंधी कोड संकेत देते हैं कि इन इमारतों को इतना मजबूत होना चाहिए था कि वे भूकंप के तेज झटके सह लेतीं। ये झटके आम तौर पर भूमि में सामान्य गुरूत्व के 30 से 40 फीसदी अधिक होते हैं। ऐसा लगता है कि 7.8 और 7.5 तीव्रता के भूकंप की वजह से कंपन की दर गुरूत्व के 20 से 50 फीसदी के बीच रही। ”डिजाइन कोड” से कम तीव्रता की थर्राहट भी ये इमारतें नहीं सह पाईं। तुर्की और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में सुरक्षित इमारतों का निर्माण सुनिश्चित करना और भूकंप के मद्देनजर समुचित ”इमारत कोड” का पालन करना एक बड़ी समस्या है।

तुर्की तथा सीरिया के भूकं

इससे पूर्व में भी आये तुर्की में महा विनाशकारी भूकंप
1999ई० में इज्मित के समीप आए भूकंप ने करीब 17,000 लोगों की जान ली थी और लगभग 20,000 इमारतों को मिट्टी में मिला दिया था। 2011 में आए भूकंप ने सैकड़ों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। तुर्की के तत्कालीन प्रधानमंत्री रजब तैयब एर्दोआन ने तब मृतकों की अधिक संख्या के लिए इमारतों के गुणवत्ताहीन निर्माण को दोषी ठहराया था। उन्होंने कहा था ”नगर निकायों, ठेकेदारों, निरीक्षकों को देखना चाहिए कि उनकी लापरवाही इस हत्या की वजह है।”

तुर्की तथा सीरिया के भूकं

इमारतों का पुन: र्निर्माण सबसे बड़ी समस्या
तुर्की के अधिकारी यह जानते हैं कि कई इमारतें भूकंप को सह नहीं पाएंगी लेकिन यह समस्या उनके लिए समाधान से परे है। कई इमारतें बन चुकी हैं और भूकंप रोधी उपाय या तो महंगे हो सकते हैं या अन्य सामाजिक आर्थिक चुनौतियों के चलते उन पर प्राथमिकता से विचार नहीं किया गया। बहरहाल, इन इमारतों का पुनर्निर्माण इन्हें अधिक सुरक्षित बनाने का एक अवसर दे सकता है। तुर्की ने इमारतों को भूकंप रोधी बनाने के लिए 2019 में नए नियमन में पैनकेक मॉडल तय किए। इन नियमन का स्वागत तो किया गया लेकिन यह देखा जाना अभी बाकी है कि क्या इनसे इमारतों की गुणवत्ता में वास्तव में सुधार हो पाएगा?

तुर्की तथा सीरिया के भूकं

भूकंप और पर्यावरण
इतने कम अंतराल में एशिया में आए कई बड़े भूकंप से हमें कुछ तो सीखना ही होगा। पहले नेपाल, अफगानिस्तान और अब तुर्की तथा सीरिया में आया भूकंप यह संकेत है कि हमें नए सिरे से पर्यावरण को समझना होगा। पर्यावरण और भूकंप दो अलग-अलग विषय हो सकते हैं पर भूकंप की वजह से होने वाले नुकसान से पता चलता है कि पर्यावरण के प्रति हमारा व्यवहार कैसा हो गया है। भूकंप से अवसंरचना को जिस तरह नुकसान पहुंचा है उससे पर्यावरण को दूरगामी प्रभाव पड़ने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। इन प्रभावों की वजह से भी कई जगहों पर इमारतों का पुनर्निर्माण असुरक्षित हो सकता है। इसे देखते हुए जरूरी है कि कहां क्या निर्माण किया जाना है इस संबंध में योजना बनाकर निर्णय किए जाएं ताकि भविष्य में जोखिम का खतरा कम हो सके। सुरक्षित पर्यावरण भूकंपीय आपदाओं को तो नहीं रोक सकता पर इसकी तीव्रता से होने वाले बड़े नुकसानों को अवश्य कम कर सकता है। अब भूकंप का केंद्र चाहे कहीं भी हो पर अगर हम अपने ठिकानों को पारिस्थतिकीय रूप से सुरक्षित और बेहतर रखेंगे तो निश्चित रूप से हम एक हद तक इन भीषण विनाशकारी से अपने को सुरक्षित रख सकते हैं।

⇒ समय बीतने के साथ तुर्की और सीरिया में तबाही का दायरा बढ़ता जा रहा है। हालांकि भारत समेत दुनिया के कई देशों की टीमें यहाँ राहत-बचाव कार्यों में लगातार जुटी हुई हैं। वसुधैव कुटुंबकम को मानने वाले भारत संकट की इस घड़ी में तुर्की और सीरिया को मदद मुहैया करा रहा है और इस अभियान का नाम ऑपरेशन दोस्त दिया गया है।


स्रोत:

1. https://navbharattimes.indiatimes.com/world/rest-of-europe/what-was-reason-for-earthquake-in-turkey-has-erdogan-building-pancake-model-failed-during-kahramanmaras-earthquake/articleshow/97700434.cms

2. https://www.amarujala.com/columns/opinion/adding-to-the-environment-from-the-earthquake-hindi

3. https://www.aajtak.in/world/story/earthquake-in-turkey-syria-photos-of-turkey-earthquake-ground-situation-in-turkey-ntc-1631688-2023-02-07

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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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