III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें। (अधिकतम 50 शब्दों में)
1. संसाधन की परिभाषा दें।
उत्तर – वे सभी जीव-जन्तु, वस्तुएँ एवं पदार्थ जिसका मानव अपने उपयोग में लाता है, संसाधन कहलाता है।
2. संसाधन के वर्गीकरण के प्रमुख आधार कौन-कौन से हैं?
उत्तर – संसाधन के वर्गीकरण के प्रमुख आधार निम्नलिखित है-
- उत्पत्ति के आधार पर– जैव और अजैव संसाधन
- उपलब्धता के आधार पर– नवीकरण योग्य और अनवीकरण योग्य संसाधन
- स्वामित्व के आधार पर– व्यक्तिगत, सामुदायिक, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संसाधन
- विकास के स्तर एवं उपयोग के आधार पर– संभावी, विकसित भंडार और संचित कोष संसाधन
- वितरण के आधार पर- स्थानीय एवं सर्वत्र उपलब्ध संसाधन
3. प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण क्यों जरूरी है?
उत्तर – प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना अत्यंत जरूरी है ताकि उनका उपयोग अधिक समय तक किया जा सके। अर्थात भावी पीढ़ीयों के लिए भी प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित रख सकें।
4. नवीकरणीय संसाधन किसे कहा जाता है ? उदाहरण के साथ लिखें।
उत्तर – वैसे संसाधन जिसकी पुन: पूर्ति प्राकृतिक रूप से होती रहती है, उसे नवीकरणीय संसाधन कहते है। जैसे- पवन, सूर्य की किरण, मिट्टी, जल इत्यादि।
5. प्राकृतिक संसाधनों के वितरण में असमानता के प्रमुख कारणों को लिखें।
उत्तर – प्राकृतिक संसाधनों के वितरण पर भू-आकृतियों, जलवायु, ऊँचाई, वनस्पति इत्यादि जैसे अनेक भौतिक कारकों का प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी पर इन सभी कारकों में विभिन्नता होने के कारण संसाधनों का वितरण में असमानता होती है।
IV. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें। (अधिकतम 200 शब्दों में)
1. प्राकृतिक संसाधन का वर्गीकरण उपयुक्त उदाहरण के साथ प्रस्तुत करें।
उत्तर- ⇨ विकास एवं उपयोग की दृष्टि से प्राकृतिक संसाधन दो प्रकार के होते है:-
(i) वास्तविक संसाधन- पश्चिम एशिया का पेट्रोलियम, आस्ट्रेलिया का सोना, झारखंड का अभ्रक, मध्य प्रदेश का मैंगनीज एवं राजस्थान का तम्बा इत्यादि।
(ii) संभाव्य संसाधन- केरल में मिलने वाला थोरियम, लद्धाख में पापा जाने वाला यूरेनियम इत्यादि।
⇨ उत्पत्ति के आधार पर प्राकृतिक संसाधन दो प्रकार के होते है:-
(i) जैविक संसाधन- पेड़-पौधे, वन, जीव-जंतु इत्यादि।
(ii) अजैविक संसाधन- खनिज, चट्टान, मिट्टी, भूमि, खेत तालाब, नदी, झील इत्यादि।
⇨ उपलब्धता के आधार पर प्राकृतिक संसाधन दो प्रकार के होते है:-
(i) नवीकरणीय संसाधन- सूर्य की किरणे एवं पवन इत्यादि।
(ii) अनवीकरणीय संसाधन- कोयला, पेट्रोलियम, अभ्रक इत्यादि।
⇨ स्वामित्व के आधार पर संसाधन चार प्रकार के होते है:-
(i) व्यक्तिगत संसाधन- भूखंड,घर व अन्य जायदाद, बाग-बगीचा,तालाब, कुआँ इत्यादि जिस पर व्यक्ति निजी स्वामित्व रखता है।
(ii) समुदायक संसाधन- गाँवों में श्मशान,मंदिर या मस्जिद परिसर, सामुदायिक भवन, तालाब आदि। शहरों में सार्वजनिक पार्क, पिकनिक स्थल, खेल मैदान, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, एवं गिरिजाघर।
(iii)राष्ट्रीय संसाधन- किसी राजनीतिक सीमा के अंतर्गत भूमि, खनिज पदार्थ, जल संसाधन, वन व वन्यजीव एवं समुद्री जीव (200 KM महासागरीय क्षेत्र तक) राष्ट्रीय संसाधन है।
(iv) अंतरार्ष्ट्रीय संसाधन- किसी देश की तट रेखा से 200 KM की दूरी तक का क्षेत्र(अपवर्जक आर्थिक क्षेत्र)।
⇨ वितरण के आधार पर प्राकृतिक संसाधन दो प्रकार के होते है:-
(i) सर्वत्र उपलब्ध संसाधन- मिट्टी, पवन इत्यादि।
(ii) स्थानिक संसाधन- कोडरमा में पाया जाने वाला अभ्रक, जादूगोड़ा में मिलने वाला यूरेनियम, छोटानागपुर क्षेत्र में पाया जान बाला कोयला इत्यादि।
2. “संसाधन बनाए जाते हैं।” उपयुक्त उदाहरणों के साथ स्पष्ट करें।
उत्तर- संसाधन होते नहीं बनाये जाते हैं यह कथन ई. जिम्मरमैन का है। संसाधन ऐसा स्त्रोत है, जिसका उपयोग मानव अपने फायदे के लिए करता है। जिम्मरमैन का मानना था कि कोई वस्तु प्रकृति में भले ही उपस्थित है, परन्तु जब तक हम उसका उपयोग अपने फायदे के लिए नहीं करते हैं, तब तक हम उसे संसाधन नहीं कह सकते हैं।
इस प्रकार “संसाधन बनाये जाते हैं।” जैसे- नदी या मरुस्थल में पड़े बालू का वहाँ कोई उपयोग नहीं होता, परन्तु जब वहाँ से उठाकर बालू को निर्माण कार्य हेतु गाँव या शहर में लाया जाता है तब इसका उपयोग और मूल्य दोनों बदल जाते हैं। अत: हम यह कह सकते हैं कि संसाधन बनाये जाते हैं।
3. संसाधन संरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डालें।
उत्तर- बिना संसाधन के मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। परन्तु इन संसाधनों के उपयोग की तकनीकी ज्ञान एवं उन संसाधनों की आवश्यकता का होना आवश्यक है। मनुष्य ने अपनी आवश्यकता पूर्ति के लिए संसाधनों का अत्यधिक दोहन किया है। हमने इसका इस्तेमाल तो किया ही है इसे इस प्रकार प्रदूषित भी कर दिया है कि वे आज सीधे उपयोग के लायक नहीं रह गए हैं।
यही नहीं, हमने कई संसाधनों (जैसे कोयला, पेट्रोलियम इत्यादि) का इतना अधिक खनन एवं उपयोग किया है कि इनके भंडार धीरे-धीरे समाप्ति की ओर है। भविष्य में इनके भंडार खत्म होने की पूरी संभावना है। मानव के लिए इनका होना भविष्य में भी उतना ही जरूरी है जितना की आज। मानव जीवन सतत् चलता रहे, इसके लिए यह जरूरी है कि हम इन अमूल्य प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग सुनिश्चित कर इसे भावी पीढ़ीयों के लिए संरक्षित करें।
4. संसाधन के अत्यधिक दोहन से मानव ने संकट पैदा कर दिया है। इस कथन से आप कहाँ तक सहमत है।
उत्तर- संसाधनों के बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। लेकिन इन संसाधनों के उपयोग की तकनीक एवं उन संसाधनों की आवश्यकता का होना अति आवश्यक है। मनुष्य ने अपनी आवश्यकता पूर्ति के लिए प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन किया है। हमने इसका इस्तेमाल तो किया ही है इसे इस प्रकार प्रदूषित भी कर दिया है कि वे आज सीधे उपयोग के लायक नहीं रह गए हैं।
यही नहीं, हमने कई संसाधनों का इतना अधिक खनन एवं उपयोग किया है कि इनके भंडार धीरे-धीरे समाप्ति की कगार पर है। भविष्य में इनके भंडार समाप्त होने की पूरी सम्भावना है। मानव के विभिन्न आवश्कताओं की पूर्ति लिए इनका होना भविष्य में भी उतना ही जरूरी है जितना की आज। मानव जीवन सतत् चलता रहे, इसके लिए यह जरूरी है कि हम इन अमूल्य प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग सुनिश्चित कर इसे भविष्य के लिए संरक्षित करें। अर्थात संसाधनों के अत्यधिक दोहन से मानव ने संकट पैदा कर दिया है। इस कथन से हम पूर्णत: सहमत है।