Unique Geography Notes हिंदी में

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29. Minerals (खनिज) तथा खनिजों और चट्टानों के बीच अंतर

29. Minerals (खनिज)



खनिजMinerals

          खनिज निश्चित अनुपात में रासायनिक एवं भौतिक विशिष्टताओं के साथ निर्मित एक प्राकृतिक पदार्थ है। दूसरे शब्दों में, खनिज निश्चित रासायनिक संयोजन एवं विशिष्ट आंतरिक परमाणविक रचना वाले ठोस प्राकृतिक पदार्थ को कहा जाता है। संक्षेप में खान से निकाले गए पदार्थ को खनिज कहते है। जैसे- कोयला, पेट्रोलियम, सोना, लौह अयस्क, अभ्रक, जिप्सम इत्यादि।

        इस प्रकार पृथ्वी में खनिज घटक शामिल हैं जो या तो अकेले या अनेकों प्रकार के संयोजनों में मौजूद हैं जिन्हें यौगिक कहा जाता है। एक खनिज एक परमाणु या अणु से बना होता है जो प्राकृतिक रूप से पाया जाता है एवं इसकी एक विशिष्ट रासायनिक संरचना व संगठित परमाणु संरचना होती है।

खनिजों की विशेषताएँ-
⇒ खनिजों का वितरण असमान होता है। 
⇒ अधिक गुणवत्ता वाले खनिज कम तथा कम गुणवत्ता वाले खनिज अधिक मात्रा में पाये जाते हैं।
⇒ खनिज समाप्य संसाधन है। एक बार उपयोग करने के बाद पुन: उपयोग नहीं किया जा सकता है। 
खनिजों के प्रकार
         खनिज मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-
(i) धात्विक खनिज- 
          वैसे खनिज जिसमें धातु होती है, उसे धात्विक खनिज कहा जाता है। जैसे लौह अयस्क, ताँबा, निकेल, मैंगनीज आदि। पुनः इसे दो भागों में बाँटा जा सकता है
(क) लौहयुक्त खनिज- 
            जिन धात्विक खनिज में लोहे का अंश अधिक पाया जाता है उसे लौहयुक्त खनिज कहते हैं, जैसे- लौह अयस्क, निकेल, टंगस्टन।
(ख) अलौहयुक्त खनिज-
           जिन धात्विक खनिज में लोहे की मात्रा न्यून होती है या नहीं होती है, अलौहयुक्त खनिज कहलाते हैं। जैसे- सोना, चाँदी, शीशा, बॉक्साइट ताँबा।
(ii) अधात्विक खनिज-
            वैसे खनिज जिसमें धातु की  मात्रा  नहीं होती है उसे  अधात्विक खनिज कहते है। जैसे-चूना पत्थर, अभ्रक, जिप्सम आदि। अधात्विक खनिज भी दो प्रकार के होते हैं-
(क) कार्बनिक खनिज-
         इसमें जीवाश्म होते हैं, ये पृथ्वी में दबे प्राणी, पादप जीवों के परिवर्तन से बनते हैं। जैसे-कोयला, पेट्रोलियम इत्यादि।
(ख) अकार्बनिक खनिज-
           इसमें जीवाश्म नहीं होते हैं। जैसे- अभ्रक, ग्रेफाइट।
खनिजों के संरक्षण के उपाय:-
     खनिज क्षयशील एवं अनवीकरणीय संसाधन है। इनकी मात्रा सीमित है। इनका पुनर्निर्माण असंभव है। खनिज उद्योगों का आधार है, किन्तु औद्योगिक विकास के लिए खनिजों का अतिशय दोहन एवं उपयोग उनके अस्तित्व के लिए संकट है। अतः खनिजों का संरक्षण एवं प्रबंधन आवश्यक है। खनिज संसाधन के विवेकपूर्ण उपयोग तीन बातों पर निर्भर है-
(i) खनिजों के निरंतर दोहन पर नियंत्रण, 
(ii) उनका बचतपूर्वक उपयोग एवं
(iii) कच्चे माल के रूप में सस्ते विकल्पों की खोज।

        खनिजों पर नियंत्रण के अलावे उनके विकल्पों को खोजना, खनिजों के अपशिष्ट पदार्थों को बुद्धिमतापूर्ण उपयोग, पारिस्थितिकी पर पड़ने वाले कुप्रभाव पर नियंत्रण, खनिज निर्माण के लिए चक्रीय पद्धति को अपनाना प्रबंधन कहलाता है। अगर खनिजों के संक्षण के साथ-साथ प्रबंधन प ध्यान दिया जाए तो खनिज संकट से निबटा जा सकता है।

धात्विक एवं अधात्विक खनिजों के बीच अंतर एवं तुलना

         धात्विक एवं अधात्विक खनिजों के बीच निम्नलिखित अंतर एवं तुलना किया जा सकता है:-

धात्विक अधात्विक
1. धात्विक खनिजों की रासायनिक संरचना में धातुएँ होती हैं। अधात्विक खनिजों की रासायनिक संरचना में धातुएँ नहीं होती है।
2. ये कठोर एवं चमकदार होते हैं। ये चमकदार नहीं होते हैं।
3. ये आग्नेय एवं रूपांतरित चट्टानों में पाए जाते हैं। ये तलछटी चट्टानों में पाए जाते हैं।
4. धात्विक खनिजों को पिघलाकर/गलाकर धातुएँ प्राप्त की जा सकती है। इन खनिजों को पिघलाकर/गलाकर धातुएँ प्राप्त नहीं की जा सकती है।
5. ये खनिज लचीले होते हैं। ये खनिज लचीले और भंगुर नहीं होते हैं।
6. धात्विक खनिज ऊष्मा और विद्युत के अच्छे संवाहक होते हैं। अधात्विक खनिज ऊष्मा और विद्युत के कुचालक होते हैं।
7. इन खनिजों का गलनांक उच्च होता है। इन खनिजों का गलनांक बहुत कम होता है।
8. लोहा, एल्युमीनियम, सोना, चाँदी आदि के अयस्क धात्विक खनिजों के उदाहरण हैं। हीरा, स्लेट, पोटाश आदि गैर-धात्विक खनिजों के उदाहरण हैं।
9. इन्हें पीटकर तार बनाया जा सकता है। ये पीटने पर टूटते नहीं हैं। ये पीटने पर चूर-चूर हो जाते हैं।
10. इन्हें खानों से निकालने के बाद साफ करने की आवश्यकता होती है। इन्हें साफ करने की आवश्यकता नहीं होती है।
11. ये प्रायः अयस्क (ore) के रूप में पाए जाते है। ये अयस्क के रूप में नहीं पाए जाते हैं

♣ चट्टानों और खनिजों के बीच निम्नलिखित अंतर है-

क्र.सं. चट्टानों खनिजों
1. चट्टानों को उस ठोस द्रव्यमान के रूप में परिभाषित किया जाता है जो भौगोलिक सामग्रियों से बना होता है। दूसरी ओर, खनिजों को अकार्बनिक रासायनिक यौगिकों के रूप में परिभाषित किया जाता है जो प्राकृतिक रूप से बनते हैं।
2. चट्टानें खनिजों से बनी होती हैं। खनिज चट्टानों से नहीं बनते।
3. चट्टानें अपनी बनावट में एक समान नहीं होती हैं। खनिज अपनी बनावट में एक समान होते हैं।
4. जेडाइट, रेड बेरिल, ब्लैक ओपल, मसग्रेवाइट आदि चट्टानें कुछ दुर्लभ चट्टानें हैं। पेनाइट एक दुर्लभ खनिज है।
5. चट्टानें सूक्ष्म अर्थात् प्रकृति में छोटी होती हैं। खनिज सूक्ष्मदर्शी नहीं होते और इन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है।
6. पृथ्वी पर चट्टानें ठोस रूप में मौजूद हैं। खनिज पदार्थ पृथ्वी पर खनिज भंडार के रूप में मौजूद हैं।
7. चट्टानों की एक परमाणु संरचना होती है। खनिजों में क्रिस्टलीय और रासायनिक संरचना होती है।
8. चट्टानों का उपयोग सड़क, भवन आदि निर्माण कार्यों के लिए किया जाता है। खनिजों का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों जैसे प्रौद्योगिकी, फैशन, निर्माण आदि के लिए किया जाता है।
9. चट्टानों के मौलिक गुण हैं:-

⇒ चट्टानों

⇒ आकार

⇒ रंग

⇒ आभा

⇒ नमूना

⇒ बनावट

खनिजों के मौलिक गुण हैं:-

⇒ रंग

⇒ क्रिस्टल

⇒ कठोरता

⇒ भंग

⇒ तप

⇒ गुरुत्वाकर्षण

10. चट्टानों का कोई निश्चित आकार या रंग नहीं होता है। खनिजों का एक निश्चित रंग और आकार होता है।
11. उदाहरण:-

⇒ रेत

⇒ कंकड़

⇒ टुकड़े टुकड़े

⇒ गोले

उदाहरण:-

⇒ जीवाश्म ईंधन

⇒ कोयला

⇒ पेट्रोलियम


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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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