Chapter 15 Life on the Earth (पृथ्वी पर जीवन)
Chapter 15 Life on the Earth
(पृथ्वी पर जीवन)
(भाग – 1 : भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत)
1. बहुवैकल्पिक प्रश्न एवं उनके उत्तर
(i) निम्नलिखित में से कौन जैवमंडल में सम्मिलित हैं
(क) केवल पौधे
(ख) केवल प्राणी
(ग) सभी जैव व अजैव जीव
(घ) सभी जीवित जीव
उत्तर- (ग) सभी जैव व अजैव जीव
व्याख्या:
जैवमंडल (Biosphere) में पृथ्वी के वे सभी भाग सम्मिलित होते हैं जहाँ जीवन पाया जाता है, और इसमें जैव घटक (जीवित – पौधे, प्राणी, सूक्ष्मजीव) तथा अजैव घटक (निर्जीव — वायु, जल, मृदा आदि) दोनों शामिल होते हैं।
(ii) उष्णकटिबंधीय घास के मैदान निम्न में से किस नाम से जाने जाते हैं
(क) प्रेयरी
(ख) स्टेपी
(ग) सवाना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (ग) सवाना
व्याख्या:
उष्णकटिबंधीय घास के मैदानों को सवाना (Savanna) कहा जाता है। ये क्षेत्र मुख्यतः अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में पाए जाते हैं, जहाँ वर्षा सीमित और मौसमी होती है।
(iii) चट्टानों में पाए जाने वाले लोहांश के साथ ऑक्सीजन मिलकर निम्नलिखित में से क्या बनाती है
(क) आयरन कार्बोनेट
(ख) आयरन ऑक्सइड
(ग) आयरन नाइट्राइट
(घ) आयरन सल्फेट
उत्तर- (ख) आयरन ऑक्सइड
व्याख्या:
चट्टानों में मौजूद लोहा (Iron) जब ऑक्सीजन के संपर्क में आता है तो वह ऑक्सीकरण (oxidation) क्रिया द्वारा आयरन ऑक्साइड (Iron Oxide) बनाता है। यह प्रक्रिया “जंग लगना (rusting)” कहलाती है और चट्टानों के लाल या भूरे रंग का कारण भी यही है।
(iv) प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया के दौरान, प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड जल के साथ मिलकर क्या बनाती है
(क) प्रोटीन
(ख) कार्बोहाइड्रेट्स
(ग) एमिनोएसिड
(घ) विटामिन
उत्तर- (ख) कार्बोहाइड्रेट्स
व्याख्या:
प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis) की प्रक्रिया में पौधे सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) और जल (H₂O) को मिलाकर कार्बोहाइड्रेट (ग्लूकोज़ – C₆H₁₂O₆) और ऑक्सीजन (O₂) बनाते हैं।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(i) पारिस्थितिकी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- पारिस्थितिकी (Ecology) वह विज्ञान है जिसमें जीवों और उनके परिवेश के बीच पारस्परिक संबंधों का अध्ययन किया जाता है। यह बताती है कि जीव अपने वातावरण में कैसे रहते हैं, एक-दूसरे पर कैसे निर्भर करते हैं तथा पर्यावरणीय कारकों जैसे जल, वायु, मिट्टी और प्रकाश से उनका क्या संबंध होता है।
(ii) पारितंत्र (Ecological System) क्या है? संसार के प्रमुख पारितंत्र प्रकारों को बताएँ।
उत्तर- पारितंत्र (Ecological System) जीवित (जैव) और निर्जीव (अजैव) तत्वों का ऐसा तंत्र है जो आपस में परस्पर क्रिया करके जीवन को बनाए रखता है। प्रमुख पारितंत्र प्रकार हैं- स्थलीय पारितंत्र (जैसे वन, मरुस्थल, घासभूमि) और जलीय पारितंत्र (जैसे मीठे जल और समुद्री पारितंत्र)।
(iii) खाद्य श्रृंखला क्या है? चराई खाद्य श्रृंखला का एक उदाहरण देते हुए उसके अनेक स्तर बताएं?
उत्तर- खाद्य श्रृंखला वह क्रम है जिसमें एक जीव दूसरे जीव को भोजन के रूप में खाता है और ऊर्जा एक स्तर से दूसरे स्तर तक प्रवाहित होती है।
उदाहरण (चराई खाद्य श्रृंखला):
घास → हिरण → बाघ।
इसमें घास उत्पादक, हिरण प्राथमिक उपभोक्ता और बाघ द्वितीयक उपभोक्ता होता है।
अन्य उदाहरण –
♣ घास → हिरण → शेर।
♣ घास → कीट → मेढ़क → पक्षी।
(iv) खाद्य जाल (food wed) से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित बताएँ।
उत्तर- खाद्य जाल (Food Web) से तात्पर्य उस जटिल तंत्र से है जिसमें एक पारितंत्र (ecosystem) के अनेक खाद्य श्रृंखलाएँ (food chains) आपस में जुड़ी होती हैं। इसमें विभिन्न जीव एक-दूसरे पर भोजन के लिए निर्भर रहते हैं।
उदाहरण: घास → हिरण → बाघ तथा घास → खरगोश → लोमड़ी — ये मिलकर खाद्य जाल बनाते हैं।
(v) बायोम (Biome) क्या है?
उत्तर- बायोम (Biome) पृथ्वी की सतह पर पाया जाने वाला एक बड़ा भौगोलिक क्षेत्र होता है, जहाँ जलवायु, मिट्टी, वनस्पति और प्राणी एक समान प्रकार के होते हैं। उदाहरण के लिए – उष्णकटिबंधीय वर्षावन, मरुस्थल, घास के मैदान और टुंड्रा बायोम कहलाते हैं।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए।
(i) संसार के विभिन्न वन बायोम (Forest biomes) की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ का वर्णन करें।
उत्तर- संसार के विभिन्न वन बायोम की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ
वन बायोम पृथ्वी के उन प्रमुख पारिस्थितिक तंत्रों को कहते हैं जहाँ वनस्पतियाँ और प्राणी विशिष्ट जलवायु एवं भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार अनुकूलित होते हैं। इनकी प्रमुख किस्में हैं – उष्णकटिबंधीय वर्षावन, समशीतोष्ण वन, और शीतोष्ण (टैगा) वन।
(1) उष्णकटिबंधीय वर्षावन (Tropical Rain Forests):-
ये भूमध्य रेखा के समीप स्थित क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जैसे अमेज़न बेसिन, कांगो, वेस्टर्न घाट आदि। यहाँ वर्षभर उच्च तापमान (25–30°C) और भारी वर्षा (200–400 से.मी.) होती है। पेड़ घने और ऊँचे होते हैं तथा जैव विविधता अत्यधिक होती है।
(2) समशीतोष्ण वन (Temperate Forests):-
ये मध्यम अक्षांशों में पाए जाते हैं, जैसे यूरोप, उत्तर अमेरिका, चीन आदि। यहाँ चारों ऋतुएँ स्पष्ट होती हैं और पर्णपाती वृक्ष जैसे ओक, मेपल, बर्च प्रमुख हैं।
(3) शीतोष्ण या टाइगा वन (Taiga Forests):
ये उच्च अक्षांशों में, जैसे कनाडा, रूस, और स्कैंडिनेविया में पाए जाते हैं। यहाँ सर्दी लंबी और कठोर होती है तथा वृक्षों में अधिकांश शंकुधारी प्रजातियाँ (जैसे पाइन्स, स्प्रूस, फ़र) होती हैं।
निष्कर्षतः, प्रत्येक वन बायोम पृथ्वी के जलवायु संतुलन, ऑक्सीजन उत्पादन और जैव विविधता संरक्षण में अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
(ii) जैव भू-रासायनिक चक्र (Biogeochemical cycle) क्या है? वायुमंडल में नाइट्रोजन का यौगिकीकरण (Fixation) कैसे होता है, वर्णन करें?
उत्तर- जैव-भूरासायनिक चक्र (Biogeochemical Cycle) वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से पृथ्वी के विभिन्न घटकों जैवमंडल (जीव), वायुमंडल (हवा), जलमंडल (पानी) और स्थलमंडल (भूमि) के बीच पोषक तत्वों और रासायनिक तत्वों का निरंतर चक्रण होता है।
यह चक्र पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रमुख जैव-भूरासायनिक चक्रों में कार्बन, नाइट्रोजन, जल, ऑक्सीजन और फॉस्फोरस चक्र शामिल हैं। इन चक्रों से पौधों और प्राणियों को आवश्यक तत्व बार-बार उपलब्ध होते रहते हैं।
नाइट्रोजन का यौगिकीकरण (Nitrogen Fixation) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा वायुमंडल में उपस्थित निष्क्रिय नाइट्रोजन गैस (N₂) को जीवित प्राणी उपयोग के योग्य यौगिकों – जैसे अमोनिया (NH₃) या नाइट्रेट (NO₃⁻) – में बदला जाता है। यह प्रक्रिया तीन मुख्य तरीकों से होती है:
1. जैविक यौगिकीकरण (Biological fixation): Rhizobium, Azotobacter जैसे सूक्ष्मजीव नाइट्रोजन को अमोनिया में परिवर्तित करते हैं।
2. वायुमंडलीय यौगिकीकरण (Atmospheric fixation): बिजली (Lightning) की क्रिया से नाइट्रोजन और ऑक्सीजन मिलकर नाइट्रिक ऑक्साइड बनाते हैं, जो वर्षा के साथ धरती पर आता है।
3. औद्योगिक यौगिकीकरण (Industrial fixation): हैबर-बॉश (Haber-Bosch) विधि द्वारा नाइट्रोजन और हाइड्रोजन से अमोनिया का निर्माण किया जाता है।
इस प्रकार, नाइट्रोजन यौगिकीकरण प्रक्रिया पृथ्वी पर नाइट्रोजन चक्र को संतुलित रखती है और पौधों को नाइट्रोजन उपलब्ध कराती है।
(iii) पारिस्थितिक संतुलन (Ecological balance) क्या है? इसके असंतुलन को रोकने के महत्त्वपूर्ण उपायों की चर्चा करें।
उत्तर- पारिस्थितिक संतुलन (Ecological Balance) से तात्पर्य उस स्थिर स्थिति से है जिसमें जीव-जंतु, पौधे, सूक्ष्मजीव और उनका भौतिक परिवेश (जैसे जल, वायु, मिट्टी आदि) परस्पर सहयोग और सामंजस्य के साथ कार्य करते हैं। जब प्रत्येक घटक अपनी भूमिका सही प्रकार से निभाता है, तब प्रकृति में ऊर्जा, पोषक तत्वों और गैसों का संतुलित चक्र बना रहता है, जिससे पृथ्वी पर जीवन संभव होता है।
जब मानव गतिविधियाँ जैसे- वनों की कटाई, प्रदूषण, औद्योगीकरण, शिकार, भूमि क्षरण, तथा जनसंख्या वृद्धि अत्यधिक बढ़ जाती हैं, तब यह संतुलन बिगड़ जाता है। इसके परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता में कमी, मृदा अपरदन, और प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
पारिस्थितिक असंतुलन को रोकने के उपाय:
⇒ वनों का संरक्षण एवं वृक्षारोपण को बढ़ावा देना।
⇒ जल, मृदा और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना।
⇒ नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (जैसे सौर और पवन ऊर्जा) का प्रयोग बढ़ाना।
⇒ वन्यजीवों और जैव विविधता की रक्षा करना।
⇒ पर्यावरण शिक्षा और जन-जागरूकता को प्रोत्साहित करना।
इस प्रकार, पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखना न केवल मानव अस्तित्व के लिए आवश्यक है, बल्कि पृथ्वी पर समस्त जीव-जगत के सतत् विकास के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
