Unique Geography Notes हिंदी में

Unique Geography Notes in Hindi (भूगोल नोट्स) वेबसाइट के माध्यम से दुनिया भर के उन छात्रों और अध्ययन प्रेमियों को काफी मदद मिलेगी, जिन्हें भूगोल के बारे में जानकारी और ज्ञान इकट्ठा करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस वेबसाइट पर नियमित रूप से सभी प्रकार के नोट्स लगातार विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रकाशित करने का काम जारी है।

BA SEMESTER-ICLIMATOLOGY(जलवायु विज्ञान)PG SEMESTER-1

3. हवाएँ / Winds

3. हवाएँ (Winds)



हवाएँ

       हवा तीन प्रकार के होते है- 

1. प्रचलित हवा

     वैसी हवा जो सलोंभर निश्चित दिशा में बहती है। जैसे- वाणिज्यिक हवा, पछुआ हवा, ध्रुवीय हवा।

2. मौसमी हवा

       वैसी हवा जो मौसमी विशेष में निश्चित दिशा में बहती है।

3. स्थानीय हवा

        वैसी हवा जो स्थानीय परिस्थितियों के प्रभाव से उत्पन्न होती है। ये प्रभाव इसके दिशा निर्धारित करते है। यही कारण है कि अलग-अलग स्थानीय हवा के अलग-अलग दिशा होती है

स्थायी /प्रचलित/ग्रहीय वायु

      उच्च वायुदाब पेटियाँ ही वायु के स्रोत क्षेत्र होते हैं। H.P. से ही वायु L.P. की ओर चला करती है। फेरल नियम के अनुसार उत्तरी गोलार्ध में वायु दायीं ओर और दक्षिणी गोलार्ध में वायु बायीं ओर मुड़ जाती है। अपने मार्ग से विचलन का प्रमुख कारण पृथ्वी की घूर्णन गति है। अतः पृथ्वी रूपी ग्रह का प्रभाव वायु पर पड़ता है इसलिए ऐसे वायु को ग्रहीय वायु करते हैं। यह तीन प्रकार के होते हैं

1. वाणिज्यक/व्यापारिक/सन्मार्गी वायु

2. पछुआ वायु

3. ध्रुवीय वायु

1. वाणिज्यक/व्यापारिक/सन्मार्गी वायु-

       इसका स्रोत क्षेत्र उपोष्ण भार का क्षेत्र होता है। उत्तरी गोलार्ध में इसकी दिशा उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर तथा दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिण-पूरब से उत्तर-पश्चिम की ओर होती है। इस हवा का लक्ष्य क्षेत्र विषुवतीय निम्न भार का केंद्र होता है।

      दोनों गोलार्द्धों से चलने वाली वाणिज्यिक हवाएँ विषुवतीय निम्न वायुदाब के अंतर्गत मिलने की प्रवृत्ति रखती है। जिसे अंतर उष्ण अभिसरण (ITCZ) कहते हैं। इस अभिसरण के बाद वायुदाब में थोड़ी वृद्धि होती है जिसके कारण वायु में गतिशीलता समाप्त हो जाती है, जिसे शांत पेटी या डोलड्रम की स्थिति उत्पन्न होती है। डोलड्रम का निर्माण प्रायः समुद्री सतह पर होता है। विषुवतीय क्षेत्र में वायु के अभिसरण से प्रतिरोधी विषुवतीय वायु भी उत्पन्न होती है जिसे विषुवतीय पछुआ हवा कहते हैं।

2. पछुआ वायु

       इस वायु का भी स्रोत क्षेत्र उपोष्ण उष्ण वायुदाब का क्षेत्र होता है लेकिन इसका लक्ष्य क्षेत्र उपध्रुवीय निम्नवायु दाब का क्षेत्र होता है। उतरी गोलार्द्ध में इसकी दिशा दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूरब की ओर और दक्षिणी गोलार्द्ध में उतर-पश्चिम से दक्षिण-पश्चिम की ओर होती है। यह निम्न अक्षांश से उच्च अक्षांश की ओर जाने वाली वायु है जिसके  कारण तापमान में सामान्यतः कमी आती है।

      इस वायु का अभिसरण ध्रुवीय वायु से होता है। ध्रुवीय वायु अत्यधिक ठंडा जबकि उसके तुलना में पछुआ वायु गर्म होता है। इसीलिए दोनों मिलकर एक वाताग्र का निर्माण करते है और अंततः वाताग्र के सहारे (शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवात) की उत्पति होती है।

      दक्षिण गोलार्द्ध में पछुआ वायु तुलनात्मक दृष्टि से अधिक स्थिर और बाधारहित मार्ग से गुजरती है क्योंकि दक्षिण गोलार्द्ध में समुद्र का विस्तार अधिक हुआ है। जब पछुआ हवा 40° दक्षिण अक्षांश के पास से गुजरती है तो उसे गरजता चालीसा कहते है। 50°S अक्षांश के पास प्रचण्ड पचासा/गरजता पचासा और 60°S अक्षांश के पास चीखता साठा कहलाता है।

3. ध्रुवीय वायु

      इसका स्रोत क्षेत्र ध्रुवीय उच्च वायुदाब का क्षेत्र होता है और लक्ष्य क्षेत्र उपध्रुवीय निम्न वायुदाब का क्षेत्र होता है। दक्षिणी गोलार्द्ध में उतर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिण-पूरब से उत्तर-पश्चिम की ओर चलती है।  ध्रुवीय वायु की पछुआ वायु से मिलकर शीतोष्ण चक्रवात को जन्म देती है।

निष्कर्ष:

     ऊपर के तथ्यों से स्पष्ट है कि विश्व के जलवायु और मौसमी परिस्थतियों के निर्माण में वायुदाब पेटी और स्थायी हवा का विशेष योगदान है।

स्थानीय हवा/LOCAL WINDS

         स्थानीय वायु मौसम विज्ञान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है क्योंकि ये बादल निर्माण में मदद करते है। यह दो प्रकार का होता है।

(A) गर्म स्थानीय वायु

(B) ठंडी स्थानीय वायु

(A) गर्म स्थानीय वायु 

1. सिरक्को (Sirocco)

◆ यह हवा सहारा मरुस्थल में उत्पन्न होकर भूमध्यसागरीय भागों में प्रवाहित होती है।

◆ तापमान 3.7℃

◆ सापेक्ष आर्द्रता 10-20%

◆ यह हवाएँ लगातार 24 घंटे से 43 घंटे तक चला करती है।

स्रोत क्षेत्र- सहारा मरुस्थल

◆ धूल के कणों से वायुमंडल इतना अंधेरा हो जाता है कि सूर्य भी दिखाई नहीं पड़ता।

◆ यह हवाएँ भूमध्य सागर को पार करके दक्षिण फ्रांस तथा इटली पहुँचती है तो इनमें आर्द्रता की मात्रा अधिक पाई जाती है। इस आर्द्रता को यह भूमध्य सागर से प्राप्त कर लेती है।

◆ इटली में जब बारिश होती है तो इन बालू के कणों के कारण वर्षा की बूँदे लाल रंग की हो जाती है जिसे Blood Rain कहते हैं।

◆ सिरक्को को अलग-अलग देश में अलग-अलग नाम से जानते हैं।

(i) खमसिन

◆ मिस्र के डेल्टा की ओर चलने वाली धूल भरी आँधी है जिसका स्रोत क्षेत्र सहारा है।

◆ प्रायः वसंत ऋतु में ही चलती है।

(ii) लेवेची

◆ स्पेन में सहारा क्षेत्र से चलने वाली हवा।

(iii) लेस्ट

◆ मदिरा तथा कनारी द्वीप समूह में चलने वाले गर्म एवं शुष्क पूर्वी हवाओं को, जो सहारा के उष्ण मरुस्थल से चलती है, लेस्ट के नाम से पुकारा जाता है।

(iv) हरमट्टान

◆ इस पवन की उत्पत्ति शीतकाल में सहारा मरूमदेश में होती है।

◆ यह पश्चिम अफ्रीका के सहारा से उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम दिशा में चलने वाले गर्म एवं अति शुष्क हवा है।

◆ गिनी के तट पर इसका प्रभाव शीतलकारी होता है।

◆ नाइजीरिया और घाना में इसे डॉक्टर हवा कहते हैं क्योंकि वहाँ के निवासियों को आर्द्र मौसम से राहत देती है।

◆ परंतु सहारा के मरुस्थल में यह पवन ऊँट के काफीलों के लिए काफी कष्टदायक होती है।

2. ब्रिकफील्डर (Brick Filder)

◆ ऑस्ट्रेलिया में मरुस्थलीय प्रदेशों में चलने वाले गर्म एवं शुष्क पवन को ब्रिकफील्डर कहा जाता है।

◆ दक्षिण आस्ट्रेलिया (एडिलेड के पश्चिम) में उत्तर से दक्षिण की ओर चलने वाली हवा है।

3. ब्लैक रोलर

◆ उत्तरी अमेरिका के विशाल मैदान में दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूरब की ओर तेज धूल भरी आँधियाँ चला करती है। जिनसे कभी-कभी मार्ग में पड़ने वाली इमारतें रेत के ढेर के नीचे दब जाती है। इन स्थानीय हवा को ब्लैक रोलर कहा जाता है।

स्रोत क्षेत्र- कोलरेडो के मरुस्थलीय क्षेत्र (न्यू मैक्सिको)

प्रभाव- मिसीसिपी मिसौरी के मध्यवर्ती क्षेत्र में

◆धूल कण का आकार बड़ा-बड़ा होता है।

4. शामल

◆ मेसोपोटामिया तथा फारस की खाड़ी की ओर उत्तर-पूरब से चलने वाली गर्म हवा को शामिल कहा जाता है।

◆ इराक में चलने वाली हवा है।

◆ वस्तुतः यह सिमूम हवा ही है।

5. नार्वेस्टर

◆ न्यूजीलैंड में वहाँ की पर्वत मालाओं से उत्पन्न गर्म, शुष्क तथा  झोंकेंदार पवन को नॉर्वेस्टर कहा जाता है।

6. गिबली

◆ लीबिया में सहारा क्षेत्र में चलने वाली हवा।

7. चिली

◆ ट्यूनीशिया की स्थानीय हवा जो सहारा क्षेत्र से चलती है।

◆ यह धूल भरी आंधी के समान है।

8. सिमूम

◆ अफ्रीका एवं अरब के मरुस्थलों में गर्म एवं शुष्क आँधियाँ चलती है जिनको सिमूम कहते हैं।

◆ यह अरब मरुस्थल के मध्य से चलने वाली हवा है जो इराक और कुवैत की ओर (पर्शियन गल्फ) चलती है।

◆ इनके साथ रेत की मात्रा अधिक होती है जिससे दृश्यता समाप्त हो जाती है।

◆ यह बवण्डर की तरह उठती है।

◆ यह दमघोंटू हवा है।

9. लू 

◆ गर्मी के महीने में उत्तरी भारत में चलने वाली पश्चिमी एवं उत्तर-पश्चिमी गर्म तथा अत्यधिक शुष्क वायु को लू कहते हैं।

◆ थार के मरुस्थल से उत्तरी भारत एवं पाकिस्तान के मैदान में मई एवं जून में प्रवाहित होती है।

◆ इनकी गति पर प्रायः 20 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक होती है।

◆ उत्तर में लू दोपहर के थोड़ा पहले से सूर्यास्त तक प्रभावित होती है।

◆ मानसून के आविर्भाव के साथ लू खत्म हो जाती है।

◆ यह गर्म हवा है जिसकी धूलकण बनारस तक और इसका प्रभाव भागलपुर तक रहता है।

तापमान- 40℃ से 50℃

◆ इसे Heat Waves भी कहते हैं।

10. काराबूरान

यह मध्य एशिया के तारिम बेसिन और गोबी मरूस्थल से चलने वाली गर्म हवा है।

यह धूल से भरी वायु है।

मध्य एशिया में लोएस का मैदान का निर्माण इसी वायु से हुआ है।

11.  सांता आना (Santa Ana)

पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित घाटियों में जब ऊँचाई पर एकत्रित वायु पूंज तीव्र गति से नीचे उतरती है, तो उन शुष्क और गर्म हवाओं को फॉल विन्डस (fall winds) की संज्ञा प्रदान की जाती है।

उ० अमेरिका के कैलिफोर्निया में सांताआना कैनियन (घाटी) से होकर तटवर्ती मैदानों (कैलिफोर्निया) की ओर चलने वाली धूल भरी आँधी को सांताआना कहा जाता है।

ये आंधियाँ उत्तर अथवा उत्तर- पू० की ओर से चलती है।

उत्पति का मूल स्थान- ग्रेट बेसिन

शुष्कता अत्यधिक

अत्यधिक शुष्क एवं गर्म हवाओं से कैलीफोर्निया के फल के बगीचों की अपार क्षति होती है।

प्रबल वेग

इन हवाओं से पेड़ सूख जाती है तथा जंगलों में आग लग जाती है।

हवा में रेत की महीन कणों की मात्रा अधिक होने के कारण श्वास लेना भी कठिन हो जाता है।

12. योमा (Yoma)

सांताआना के समान जापान में चलने वाली गर्म हवा को योमा कहा जाता है।

➤  पश्चिमी तट पर ताप को बढ़ा देता है।

यह जाड़े की ऋतु में साइ‌बेरिया से आने वाली ठंडी हवा के प्रभाव को कम करती है।

इसका प्रभाव होन्शू द्वीप पर पड़ता है।

13. जोंडा (zonda)

एंडीज पर्वत से प० पेंटागोनियाँ में चलने वाली स्थानीय हवाओं को जोंडा कहते है।

यह सांताआना के समान है।

पम्पास प्रदेश (द० अमेरिका) में चलने वाली है।

यह पम्पास के मैदान में चारे की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।

यह घाटियों से एंडीज पर्वत के पूरब की ओर उतरने वाली हवा है।

14. फॉन (Fochn)

➤ उन पर्वतीय क्षेत्रों में जहाँ चक्रवातीय तुफान चला करते हैं, फॉन नामक गर्म और शुष्क स्थानीय हवायें पायी जाती है।

➤ इनकी उत्पति पर्वतों के वायु विमुख ढाल की ओर वायु के अवतलन के कारण होती है।

➤ यह आल्प्स से उत्तर की ओर चलने वाली हवा है।

➤ चीनूक और फॉन का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से 15 डिग्री सेल्सियस तक होता है इसलिए जाड़े के लिए यह उपयुक्त होती है।

➤ इस स्थानीय हवा को तथा ऑस्ट्रिया तथा जर्मनी में फॉन कहा जाता है।

➤ इसका प्रभाव स्वीटजरलैंड पर भी पड़ता है।

➤ यह हवा सेब, अंगूर की खेती के लिए उपयुक्त होती है।

15. चिनूक (chinook)

➤ संयुक्त राज्य अमेरिका (उत्तरी अमेरिका) में रॉकी पर्वत के पश्चिमी ढाल के सहारे चढ़ती है एवं पूर्वी ढाल के सहारे गर्म होकर उतरती है जो कोलेरेडो से कोलंबिया तक के प्रांतों को प्रभावित करती है।

इन हवाओं को पश्चिमी कनाडा तथा USA में चिनूक कहा जाता है।

ये हवाएं अधिकांशत: जाड़े के ऋतु में प्रभावित होती है।

➤ मृत घाटी सियरा नेवादा के पवन विमुख ढाल पर स्थित है।

➤ फॉन तथा चिनूक हवाओं के गर्म होने के दो प्रमुख कारण है:-

(i) वायु अभिमुख ढाल पर आरोही पवन में संघनन की गुप्त ऊष्मा द्वारा वायु के तापमान में वृद्धि है।

(ii) उन हवाओं के अवरोहण के समय संपीडन के कारण उनके तापमान में अतिरिक्त वृद्धि है।

इसके तापमान बढ़ने की दर 10 से 15 मिनट में 3ºC से 10ºC तक रहती है। 24 घंटे में 12 से 15ºC तापमान बढ़ जाता है।

➤ इसे हिम भक्षिणी Snow Eaters भी कहा जाता है।

➤चिनूक हवा शुष्क रुद्दोष्म दर से गर्म होता है

अन्य गर्म हवा

16. बाग्यो (Bayuio)

➤ फिलिपिंस में चलने वाली उष्ण कटिबंधीय चक्रवातीय हवा है

➤ यह उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात भी है।

17. सुखोवे

➤ रूस एवं कजाकिस्तान में चलने वाली गर्म हवा है।

18. गोरिच

➤ ईरान में प्रवाहित होने वाली गर्म एवं शुष्क पवन है।

19. मारिन

➤ द० फ्रांस में बहने वाली गर्म एवं आर्द्र पवन है।

20. अयाला

➤ फ्रांस के मध्य मैसिफ में चलने वाली गर्म हवा है।

21. कोयम बैग

➤ यह इंडोनेशिया में चलने वाली गर्म हवा है।

➤ इससे तम्बाकू के फसल को हानि होती है।

22. सिस्टन (seistan या 120 दिन की पवन)

➤ पूर्वी ईरान की गर्म हवा है।

23. वीरोजन (virozon)

➤ पेरू तथा चिली के प० तटों पर बहने वाली हवा है।

24. वेन्डावेल्स (vendavales)

➤ जिब्राल्टर तथा स्पेन के पूर्वी तट पर चलने वाली ठंडी हवा को वेन्डावेल्स कहते है।

25. टेम्पोराल्स (Temporals)

➤ मध्य अमेरिका के प्रशांत तट पर की हवा है।

➤ मैक्सिको की भी हवा है।

26. सोमून (Somun)

➤ ईरान में कुर्दिस्तान पर्वत से उत्तर-पश्चिम की हवा है।

27. हबूब (Haboob)

➤ सूडान में उत्तर-पूर्व दिशा की ओर चलने वाली हवा है।

➤ स्रोत- सहारा मरुस्थल

28. ग्रेगल

➤ पश्चिमी यूरोप में उत्तर-पूर्व दिशा की ओर चलने वाली हवा है।

29. मेस्ट्रो (Maestro)

➤ भूमध्यसागरीय क्षेत्र से उ०-प० (स्पेन और पुर्तगाल की ओर चलने वाली हवा)

30. बर्ग

➤ द० अफ्रीका में फॉन के समान वायु, जो आंतरिक पठारी भाग से तटवर्ती क्षेत्र की ओर चलती है।

(B) ठंडी स्थानीय वायु

गुरुत्व पवन (Gravity Winds):-

     समुद्र के तटवर्ती क्षेत्रों में जहां पठार अथवा पर्वतों से घिरे मैदानी भाग है वहां शीत ऋतु में भारी मात्रा में शीतल वायु एकत्रित हो जाती है। इन पठारों अथवा पर्वतों के ढालों से खिसक कर वायु की कुछ राशि घाटियों तथा नदी कंदराओं में एकत्रित हो जाती है।

     साधारण स्थिति में ये हवाएं मंद पवन या समीर के रूप में तट की ओर प्रवाहित होती है। किंतु जब कभी चक्रवातों का आगमन होता है तो न्यून वायु भार व्यवस्था के अंतर्गत शीतल और भारी वायु राशि प्रबल वेग के रूप में तट की ओर प्रवाहित होने लगती है। इस प्रकार के पवनों को अवरोही पवन, गुरुत्व पवन, फॉल विंड्स (Fall Winds), ड्रेनेज विंड्स (Drainage Winds) अथवा केटाबेटिक विंड्स आदि कई नामों से अलंकृत किया जाता है।

    इन अवरोही पवनोंं को विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न से जाना जाता है:-

गुरुत्व पवन (Gravity Winds):-

(i) बोरा (Bora)

➤ बोरा एक शीतल स्थानीय पवन है जो उत्तर/उ०-पू० दिशा से एड्रियाटिक सागर के उत्तरी तट पर चला करता है।

➤ इन पवनों का वेग 128 km/h से लेकर 196 km/h hota है।

➤ तीव्र झोंका के साथ चलने वाली शीतल हवा है।

➤ यह आल्प्स पर्वत की हवा है।

➤ यह आल्प्स पर्वत के दर्रों से आनेवाली हवा है।

➤ यह फॉन का उल्टा हवा है।

➤ यह इटली, यूनान, युगोस्लाविया के तट पर कष्टकर स्थिति उत्पन्न करती है।

➤ रसेदार फसलों के लिए हानिकारक है।

(ii) गिरती पवन (Fall Winds)

नार्वेजियन तट पर इसको गिरती पवन (Fall Winds) कहा जाता है।

(iii) मिस्ट्रल (Mistral)

➤ फ्रांस के भूमध्यसागरीय तट पर गुरुत्व पवन को मिस्ट्रल कहा जाता है।

➤ यह द० फ्रांस की हवा है जो मध्यवर्ती यूरोप से आती है और भूमध्यसागर की ओर बहती है।

➤ रसेदार फसलों के लिए हानिकारक होती है।

हिमझंझा (Blizzard)

➤ अत्यधिक सर्द, वेगवान तथा हिमकणों से युक्त पवन को हिम झंझा कहा जाता है।

➤ प्रारंभ में इस पवन का नामकरण USA स्थित रॉकी पर्वत के पूर्व की ओर मैदानी भागों में चलने वाली बर्फीली आंधियों के लिए किया गया था।

➤ इनकी उत्पत्ति शीतकालीन चक्रवातों के पृष्ठ भाग में स्थित प्रतिचक्रवातों से होती है।

➤ इनमें भारी मात्रा में हिमकण प्रवाहित होती है।

➤ यह जाड़े की ऋतु में उत्तरी अमेरिका में ध्रुवीय प्रदेश से आने वाली हवा है।

➤ कपास, प्याज के लिए हानिकारक साबित होता है।

➤ इससे उत्तरी अमेरिका में पाला पड़ने लगता है।

➤ आजकल उच्च अक्षांशों में चलने वाली पवनों में यदि हिमकण मिश्रित होते है तो उन्हें ब्लिजार्ड कहा जाता है।

➤ अंटार्कटिका में प्राय: ऐसे हिमझंझावत चला करते है जिनमें पवन का वेग कभी-कभी 80 Km/h तथा तापमान -7ºC होता है।

(i) बुरान (Buran)/ पुर्गा

➤ सोवियत रूस तथा मध्य साइबेरिया में उ०-पू० से चलने वाली अत्यधिक सर्द हवाओं को बुरान कहा जाता है तथा बर्फीली आंधियों को पूर्गा (Purga) कहते है।

(ii) बाइज (Bise)/लेवांतर

➤ शीत ऋतु में प्रबल वेग से चलने वाली अत्यधिक ठंडी हवाओं को दक्षिणी फ्रांस में बाइज कहा जाता है तथा स्पेन में लेवांतर (Levanter) कहा जाता है। स्रोत क्षेत्र- Northerly Winds.

➤ तापमान हिमांक से नीचे चला जाता है जबकि मिस्ट्रल का तापमान हिमांक से ऊपर रहता है।

(iii) पैम्पीरो (Pampero)

➤ द० अमेरिका में अर्जेंटीना के पंपास क्षेत्र में उरुग्वे से प्रचंड वेग वाली सर्द हवाएं चला करती है जिन्हें वहां पैम्पीरो कहते है।

➤ इन हवाओं के साथ धूल भरी आंधियां भी चला करती है।

(iv) पापागायो (Papagayo)

➤ कोस्टा रीका के उत्तरी-पश्चिमी तट तथा समीपवर्ती प्रशांत तटवर्ती क्षेत्रों में पापागायो की खाड़ी में शीतकालीन उत्तर-पूर्वी हवाएं चलती है जिन्हें उस खाड़ी के नाम पर पापागायो कहा जाता है।

➤ ये हवाएं बड़ी प्रचंड होती है।

(v) टेहुयांटिपेकर (Tehuanterpecer)

➤ दक्षिणी मैक्सिको तथा उत्तरी मध्य अमेरिका से जाड़े के मौसम में धूलभरी तेज आंधियाँ चला करती है जिसे टेहुयांटिपेकर कहा जाता है।

➤ कोलेरेडो और ग्रेट बेसिन से जाड़े की ऋतु में चलती है।

(vi) फ्राइजेम (Friagem)

➤ ब्राजील के उष्ण कटिबंधीय कम्पोज तथा मध्य अमेजन घाटी में मई तथा जून के महीनों में भीषण शीत लहरी का प्रकोप हो जाता है, फ्राइजेम कहा जाता है।

➤ इन सर्द हवाओं का प्रकोप 3 से 5 दिन रहता है।

➤ जाड़े की ऋतु में एंडीज पर्वत से नीचे उतरने वाली हवा है।

➤ यह भी आनंददायक हवा है।

सदर्न बस्टर (Southern Buster)

➤ ध्रुवीय प्रदेशों से द० ऑस्ट्रेलिया (न्यू साउथ वेल्स) में प्रवाहित होने वाली हवा है।

नेवाडोह

➤ यह दक्षिणी अमेरिका के एंडीज के हिम क्षेत्रों से इक्वाडोर की उच्च घाटियों में प्रवाहित होने वाली पवन है।

➤ यह एक पर्वत समीर है।

ट्रामोण्टाना

➤ पश्चिमी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में शीत काल में प्रवाहित होने वाली शुष्क एवं शीतल हवा है।

केप डाक्टर

➤ द० अफ्रीका के पठारी क्षेत्र से दक्षिणी तट की ओर बहती है।

➤ इस हवा को टेबल क्लॉथर कहा जाता है क्योंकि यह पवन पर्वतीय क्षेत्रों में बादलों का निर्माण करती है।

नार्दर (Norther)

➤ यह वास्तव में एक ध्रुवीय पवन है जो अवरोध के अभाव के कारण दक्षिण में अमेरिका के टेक्सास एवं खाड़ी तटीय क्षेत्रों तक पहुंच जाती है।

➤ इसका अगला क्रम मध्य अमेरिका में Norte कहलाता है।

विलीवाव (Willywaw)

➤ यह एक गुरुत्व पवन है।

➤ अंटार्कटिका में शीतल और भारी हवाएं पठारी ढालों से नीचे उतरकर तीव्र वेग से चलती है जिसे विलीवाव कहा जाता है।

➤ अलास्का में इस पवन को बिलिबॉब कहते है।

➤ जब सूर्य दक्षिणायन होती है तब यह पवन चलती है।

मौसमी हवा या सामयिक पवन

      मौसम के अनुसार या समय के साथ चलने वाली हवा को मौसमी हवा कहते हैं। यह कुल तीन प्रकार के होते हैं-

1. स्थलीय समीर और सागर समीर 

2. पर्वत समीर और घाटी समीर 

3. मानसून पवनें

1. स्थलीय समीर और सागर समीर (Land Breeze and Sea Breeze)

दिन के समय समुद्र के निकटवर्ती क्षेत्र, समुद्र की तुलना में जल्दी गर्म हो जाते हैं जिससे स्थल पर LP का और समुद्र पर HP का निर्माण हो जाता है जिससे हवा समुद्र से स्थल की ओर प्रवाहित होने लगती है, इसे सागरीय या समुद्री समीर कहते हैं। 

इसके विपरीत रात के समय पार्थिव विकिरण के कारण स्थलीय भाग सागरीय भाग की तुलना में शीघ्रता से ठंडी हो जाती है जिससे स्थल पर HP एवं समुद्र पर LP का निर्माण होता है, जिसके कारण हवा स्थल से समुद्र की ओर चलने लगती है, इसे स्थलीय समीर कहते हैं।

हवाएँ

स्थलीय समीर और समुद्री समीर की निम्नलिखित विशेषताएँ है-

◆ 24 घंटे में इनकी दिशा में दो बार परिवर्तन होता है।

◆ ये समीर तटीय क्षेत्रों को एक पतली पेटी में प्रभावित करती है।

◆ इसी समीर के कारण तटीय क्षेत्रों में मौसम हमेशा सम बना रहता है। दिन के समय समुद्र से आने वाली हवा के कारण वायु में आर्दता की मात्रा अधिक रहती है जबकि स्थालीय समीर के कारण रात के समय मौसम शीतल हो जाता है। यही कारण है कि तटीय क्षेत्रों में अवस्थित नगरों में आर्थिक गतिविधियाँ देर रात तक संचालित होती रहती है।

2. पर्वत समीर और घाटी समीर

ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों में दो प्रकार की दैनिक हवाएँ चलती है- पर्वत समीर एवं घाटी समीर।

 दिन के समय पर्वतीय ढाल बाला क्षेत्र घाटियों की तुलना में जल्दी एवं अधिक गर्म हो जाते हैं जिससे ढलानों पर LP और घाटी में HP का निर्माण हो जाता है। जिसके कारण पवन का संचरण ढालों के सहारे नीचे से ऊपर की ओर होने लगती है, इसे घाटी समीर कहते हैं।

इसके विपरीत रात्रि के समय बढ़ती ऊँचाई के कारण तापमान में कमी आ जाती है जिससे पर्वतों के ऊपरी क्षेत्रों में हवा ठंडी एवं भारी हो जाती है एवं HP का निर्माण कर लेती है जबकि घाटी में LP की स्थिति बनती है। अतः हवा पर्वतीय ढालों के सहारे नीचे की ओर संचरित होने लगती है, इसे पर्वतीय समीर कहा जाता है।

विशेषताएँ

◆ यह एक दैनिक हवा है जो पर्वतीय ढालों के सहारे चलती है। घाटी समीर ‘एनावेटिक हवा’ है जबकि पर्वतीय समीर एक ‘केटावेटिक’ हवा है।

◆ उष्ण एवं शीतोष्ण प्रदेशों में 35° से 50° अक्षांश के बीच इस हवा को स्पष्ट रूप से महसूस किया जा सकता है।

◆ यह हेडली सेल के विपरीत कार्य करता है। इसी समीर के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में फलों के बागान, नगरों का विकास, या अधिवासी क्षेत्र का निर्माण न तो घाटी में होता है और न ही पर्वतीय कटकों पर बल्कि इनका विकास पर्वतीय ढलान पर होता है।

3. मानसूनी हवा

      यह मौसम विशेष की हवा है। हेडली महोदय ने इसे परिभाषित करते हुए कहा है कि मानसून एक ऐसी हवा है जो 6 महीने स्थल से समुद्र की ओर और अगले 6 महीने समुद्र से स्थल की ओर चलती है।

विशेषताएँ

◆ मानसून की उत्पत्ति के संबंध में चार सिद्धांत दिए हैं-

(i) तापीय सिद्धांत

(ii) पछुआ हवा सिद्धांत

(iii) जेट स्ट्रीम सिद्धांत और

(iv) अलनीनो सिद्धांत

◆ यह एक अनिश्चिताओं से भरी हुई हवा है क्योंकि इसके आने और जाने की तिथि अनिश्चित है।

◆ इसकी विश्वसनीयता संदिग्ध है।

◆ वर्षा का वितरण एवं मात्रा दोनों अनिश्चित है।

◆ बादल विस्फोट की घटना घटित होती है।

◆ इस हवा की उत्पत्ति 8° से 35° अक्षांश के बीच में होती है। इसका विस्तार भारतीय उपमहाद्वीप, उत्तरी-पूर्वी आस्ट्रेलिया, दक्षिण-पूर्वी ब्राजील, दक्षिणी चीन मेडागास्क, संयुक्त राज्य अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य इत्यादि में हुआ है



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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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