8. AIRMASS (वायुराशि)
8. AIRMASS (वायुराशि)
AIRMASS (वायुराशि)
संकल्पना
वायुराशि जलवायु विज्ञान की अध्ययन की एक प्रमुख घटक मानी जाती है। वायुराशि की संकल्पना को जलवायु विज्ञान में लाने का श्रेय टॉर, बर्गरान, जे.बर्कनीज और सोलबर्ग को जाता है। इस संकल्पना का विकास 20वीं शताब्दी के तीसरे दशक में किया गया था
वायुराशि को भिन्न-भिन्न जलवायुवेताओं ने परिभाषित करने का प्रयास किया है जिनमें ट्रीवार्था, डी. पैटरसन और जे. क्रिचफील्ड का नाम उल्लेखनीय है। ट्रीवार्था महोदय ने वायुराशि को परिभाषित करते हुए कहा “वायुराशियाँ वायुमंडल का ही एक ऐसा सुविस्तृत अंश है जिसका ताप एवं आर्द्रता संबंधी विशेषता लगभग समान होता है।” ट्रीवार्था की ही परिभाषा को सर्वमान्य परिभाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है। इनके परिभाषा की व्याख्या करते हुए कहा जाता है कि किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में समान भौतिक विशेषताओं के साथ उपस्थित वायुपूँज को वायुराशि कहते हैं। यहाँ समान भौतिक विशेषता का तात्पर्य वायु के तापमान, आर्द्रता एवं स्थिरता जैसे गुणों से होता है। जहाँ इन गुणों में एकाएक असमानता प्रकट होती है वहीं वायुराशि की सीमा समझी जाती है। किसी भी वायुराशि की भौतिक गुण स्रोत क्षेत्र, सतह की विशेषता, निम्न अथवा उच्च अक्षांशीय क्षेत्र में गमन एवं समय पर निर्भर करता है।
वायुराशि की विशेषताएँ
वायुराशियाँ की निम्नलिखित विशेषताएँ होती है-
◆ किसी भी वायुराशि में समताप एवं समदाब रेखाएँ एक-दूसरे के समानांतर होती है। इस स्थिति को जलवायु विज्ञान में बैरोट्रैपिक से संबोधित किया जाता है।
◆ अगर किसी वायुराशि में समदाब एवं समताप रेखाएँ एक-दूसरे को काटने लगती है तो उस स्थिति को जलवायु विज्ञान में बैरोक्लिनिक स्थिति से संबोधित करते हैं।

◆ वायुमंडल के निचले भाग में उच्च वायुदाब के क्षेत्र वायुराशि की उत्पत्ति के स्रोत क्षेत्र होते हैं और निम्न वायुदाब के क्षेत्र वायुराशि के लक्षण होते हैं।
◆ स्रोत क्षेत्र में वायुराशि में ऊर्ध्वाधर गमन की स्थिति होती है। इसलिए स्रोत क्षेत्र की वायुराशि को स्थिर वायुराशि कहते है। इसमें क्षैतिज गतिशीलता पायी जाती है। ज्यों-ज्यों कोई भी वायुराशि अपने स्रोत क्षेत्र से दूर जाती है त्यों-त्यों उसके भौतिक विशेषता में परिवर्तन आता जाता है। जैसे-
(i) स्रोत क्षेत्र में वायु प्रतिचक्रवात के स्थिति में रहती है तथा वायु ऊपर से नीचे की ओर बैठने की प्रवृत्ति रखती हैं जबकि स्रोत क्षेत्र से दूर जाती हुई वायुराशि में वायु क्षैतिज रूप से गमन करती है तथा प्रति चक्रवात की स्थिति नहीं रहती।
(ii) स्रोत क्षेत्र की वायुराशि में तापमान कम, आर्द्रता का अभाव एवं दृश्यता अधिक होती है जबकि लक्ष्य क्षेत्र की ओर जाती हुई वायुराशि में भौतिक विशेषताएँ अक्षांश, धरातलीय स्थिति, स्रोत क्षेत्र से दूरी और समय जैसे कारकों पर निर्भर करती है।
◆ स्रोत क्षेत्र के वायुराशि में बादल एवं वर्षण का अभाव होता है। जबकि स्रोत क्षेत्र से आती हुई वायुराशि में उपरोक्त परिस्थितियाँ उत्पन्न होती है।
◆अगर क्षैतिज रुप से गमन करती हुई वायुराशि निम्न अक्षांश से उच्च अक्षांश की ओर जाती है तो उसका तापमान धीरे-धीरे घटता है। जबकि उच्च अक्षांश से निम्न अक्षांश की ओर आने वाले वायुराशि की तापमान बढ़ती है। जिसके कारण कई प्रकर के मौसमी परिवर्तन होते हैं। जैसे- दृश्यता में परिवर्तन होता है। बादल का निर्माण एवं वर्षण का कार्य होता है।
इस तरह ऊपर के तथ्यों से स्पष्ट है कि अलग-अलग वायुराशियों के अलग-अलग भौतिक विशेषताएँ होती हैं। ये विशेषताएँ धरातल की विशेषता, अक्षांश जैसे कारकों पर निर्भर करती हैं।
वायुराशियों का वर्गीकरण
विभिन्न भूगोलवेत्ताओं ने वायुराशि को भिन्न-2 प्रकार से वर्गीकृत करने का प्रयास किया है। सामान्य तौर पर वायुराशियों का वर्गीकरण चार आधार पर किया जाता है-
(1) वायुराशि की उत्पत्ति क्षेत्र के आधार पर
(2) उत्पति क्षेत्र की धरातलीय विशेषता के आधार पर
(3) वायुराशि की तापीय विशेषता के आधार पर
(4) वायुराशि की स्थिरता एवं अस्थिरता के आधार पर
वायुराशि को उत्पत्ति क्षेत्र के आधार पर दो भागों में बाँटते है-
(i) उष्ण कटिबंधीय वायुराशि
(ii) ध्रुवीय वायुराशि
उष्ण कटिबंधीय वायुराशि उत्पत्ति निम्न अक्षांशीय क्षेत्रों/उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में होती है। ऐसी वायुराशि को अंग्रेजी के बड़े अक्षर T के द्वारा दर्शाया जाता है।
ध्रुवीय वायुराशि की उत्पत्ति उच्च अक्षांशीय क्षेत्रों में होती है। इसे अंग्रेजी के बड़े अक्षर P के द्वारा प्रदर्शित करते हैं।
उत्पत्ति क्षेत्र की धरातलीय विशेषता के आधार पर वायुराशि को पुनः दो भागों में बाँटते है:-
(i) महासागरीय वायुराशि
(ii) महाद्वीपीय वायुराशि
महाद्वीपीय वायुराशि को अंग्रेजी के छोटे अक्षर c और महासागरीय वायुराशि को m के द्वारा निरूपित करते हैं।
साधारणत: कोई भी वायुराशि अपने स्रोत क्षेत्र से उत्पन्न होकर लक्ष्य क्षेत्र की ओर गमन करने की प्रवृत्ति रखती है। इसे ऊष्मा गति परिवर्तन भी कहते हैं। निम्न अक्षांश से उच्च अक्षांश की ओर जाने वाली वायुराशि धीरे-धीरे ठंडा होने की प्रवृत्ति रखती है जबकि उच्च अक्षांश से निम्न अक्षांश की ओर आने वाली वायु गर्म होने की प्रवृत्ति रखती है। गर्म वायुराशि के लिए अंग्रेजी के छोटा अक्षर w और ठंडी वायुराशि के लिए अंग्रेजी के छोटा अक्षर k का प्रयोग किया जाता है।
अधिकांश मौसम वैज्ञानिक उपरोक्त तीनों आधार पर ही वायुराशि के वर्गीकरण को औचित्यपूर्ण मानते हैं लेकिन कुछ मौसम वैज्ञानिक वायुराशि की स्थिरता एवं अस्थिरता के आधार पर भी वायुराशि को दो भागों में बाँटते हैं:-
(i) स्थिर वायुराशि
(ii) अस्थिर वायुराशि
स्थिर वायुराशि के लिए अंग्रेजी के छोटे अक्षर s और अस्थिर वायुराशि के लिए अंग्रेजी के छोटा अक्षर u का प्रयोग किया जाता है।
उपरोक्त सभी अक्षरों को मिलाकर जैकोब एवं जक्रेन्स महोदय ने वायुराशि का एक संशोधित वर्गीकरण प्रस्तुत किया जिसे नीचे के फलों चार्ट में देखा जा सकता है।

वायुराशियों के वर्गीकरण में यदि मौसमी विशेषताओं को छोड़ दिया जाए तो मुख्य रूप से चार वायुराशि मानी जाती है –
(1) महाद्वीपीय ध्रुवीय वायुराशि (cP)
(2) महासागरीय ध्रुवीय वायुराशि (mP)
(3) महाद्वीपीय उष्ण कटिबंधीय वायुराशि (cT)
(4) महासागरीय उष्ण कटिबंधीय वायुराशि (mT)
वायुराशियों की उत्पत्ति
वायुराशियों की उत्पत्ति की व्याख्या हेडली कोशिका के माध्यम से करते हैं। धरातल पर अवस्थित सभी उच्च वायुदाब के क्षेत्र ही वायुराशि के स्रोत क्षेत्र या स्थिर वायुराशि के क्षेत्र होते हैं। ज्यों ही स्रोत क्षेत्र से वायुराशियाँ अपने लक्ष्य क्षेत्र की ओर गमन करती है त्यों ही प्रचलित वायु या अस्थिर वायुराशि को जन्म देती है। अस्थिर वायुराशियाँ ही अक्षांशीय एवं धरातलीय विशेषता को ग्रहण कर गौण वायुराशियों को जन्म देती है।
प्रमुख वायुराशियों का वितरण, संचलन एवं मौसमी विशेषताएँ
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार वायुराशियाँ मुख्यतः चार प्रकार की होती है। शेष वायुराशियों को गौण वायुराशि कहा जाता है। प्रमुख वायुराशियों की वितरण, संचालन एवं उसमें विशेषताएँ निम्नलिखित प्रकार से हैं-
(1) महाद्वीपीय ध्रुवीय वायुराशि (cP)
इस वायुराशि का वास्तविक फैलाव उतरी अमेरिका के उत्तरी एवं मध्यवर्ती भाग में, ग्रीनलैण्ड और साइबेरिया क्षेत्र में पायी जाती है। उत्तरी अमेरिका में जाड़ें की ऋतु में सूर्य के दक्षिणायन होने के कारण इस वायुराशि का फैलाव महान झील तक हो जाता है। गर्मी की ऋतु में सूर्य के उत्तरायण होने के कारण यह वायुराशि हडसन की खाड़ी तक स्थानांतरित हो जाती है।
ध्रुवीय महाद्वीपीय वायुराशि के कारण मौसम में व्यापक बदलाव देखी जाती है क्योंकि यह ठंडी वायुराशि का स्रोत क्षेत्र है। शीत ऋतु में बर्फीली हवाओं को जन्म देती है। ध्रुवीय महाद्वीपीय वायुराशि धरातल पर बैठ कर दो दिशाओं में बहती है।
(i) उ०-पूर्व से द०-पश्चिम की ओर
(ii) द०-प० से उ०-पूर्व की ओर
उत्तर-पूर्व से द० पश्चिम की ओर चलने वाली ध्रुवीय महाद्वीपीय हवाएँ USA के दक्षिणी भाग तक तापमान में भारी गिरावट लाती है। इससे कड़ाके की सर्दी पड़ती है। बर्फीली हवाएँ चलती है। मौसम कष्टदायक बन जाता है। पाला पड़ने से कपास, आलू, प्याज, तम्बाकू जैसे फसलें बर्बाद हो जाती है। जब यह वायुराशि बर्फ से युक्त होती है तो ब्लिजार्ड और नॉर्थन जैसे स्थानीय हवा को जन्म देती है।
लेकिन जो वायुराशि द-प० से उ०-पूरब दिशा की ओर जाती है तो वह समुद्री सतह से ताप एवं आर्द्रता ग्रहण करने की प्रवृति रखती है। लेकिन स्रोत क्षेत्र छोड़ने के कुछ देर बाद अक्षांशीय प्रभाव पड़ने लगता है जिसके कारण संघनन क्रिया के द्वारा तटीय क्षेत्रों में कुहरा का निर्माण करती है जिससे दृश्यता बहुत कम हो जाती है। कभी-कभी ठण्डी हवा एवं कुहरा भरे वातावरण के कारण बूँदा-बाँदी वर्षा भी होती है। न्यूफाउंडलैंड के पास विश्व का सबसे घना कुहरा का निर्माण इसी के कारण होता है।
साइबेरिया प्रदेश की ध्रुवीय वायुराशि की हवाएँ मुख्यतः प्रशांत महासागर की ओर जाती है जिसके कारण रूस का सखालिन द्वीप जापान के होकैडो एवं होंशू द्वीप के पश्चिमी तट पर कड़ाके की सर्दी उत्पन्न करती है। इसी क्षेत्र की वायुराशि में भी ऋतु बदलाव एवं संकुचन देखा जाता है। शीत ऋतु में यह वायुराशि दक्षिण की ओर फैल कर भारतीय उपमहाद्वीप तक पहुँच जाती है जिसके कारण शीत ऋतु में उत्तर भारत में शीतलहरी का आगमन होता है।
(2) महासागरीय ध्रुवीय वायुराशि (mP)
महासागरीय ध्रुवीय वायुराशि का फैलाव मुख्यतः उत्तरी अटलांटिक महासागर और आर्कटिक महासागर के ऊपर होता है। यहाँ चलने वाली वायु को महासागरीय ध्रुवीय वायु भी कहा जाता है। इसकी दिशा दक्षिण-पश्चिम की ओर होती है। चूँकि यह हवा समुद्र के ऊपर से होकर गुजरती है इसलिए इसके तापमान आर्द्रता इत्यादि में वृद्धि क्रमबद्ध तरीके से होती है। यह पछुआ हवा से मिलकर शीतोष्ण चक्रवात को जन्म देती है। पश्चिमी यूरोप की जलवायु इसी वायुराशि से नियंत्रित होती है।
(3) महाद्वीपीय उष्ण कटिबंधीय वायुराशि (cT)
यह वायुराशि वाणिज्यिक एवं पछुआ हवा को जन्म देती हैं। इस वायुराशि की उत्पत्ति दोनों गोलार्द्धों में महाद्वीपों के ऊपर 30° से 35° अक्षांश के बीच होता है। इससे चलने वाली हवाएँ उच्च एवं निम्न दोनों अक्षांश की ओर जाती है। उच्च अक्षांश की ओर जाने वाली हवाओं की आर्द्रता में तो वृद्धि होती है लेकिन कुछ दूरी तय करने के बाद उसके ताप में गिरावट आती है। तापीय गिरावट के कारण बादलों का निर्माण होता है। कभी-कभी बूँदा-बूँदी वर्षा भी होती है। निम्न अक्षांश की ओर जाने वाली वायु और अधिक आर्द्रता एवं ताप ग्रहण कर कभी-कभी उष्णकटिबंधीय चक्रवात को जन्म देती है। विषुवतीय क्षेत्रों में जाकर अंतर उष्ण अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) का निर्माण करती है।
(4) महासागरीय उष्ण कटिबंधीय वायुराशि (mT)
महासागरीय उष्ण वायुराशि का जन्म महासागरीय सतह पर 30° से 35° अक्षांश के बीच होता है। यह हवाएँ उच्च एवं निम्न अक्षांश की ओर चला करती है। उच्च अक्षांश की ओर जाने वाली महासागरीय उष्ण वायुराशि महासागरीय ध्रुवीय वायुराशि से मिलकर शीतोष्ण चक्रवात को जन्म देती है। शीतोष्ण चक्रवात में 4 तरह के वाताग्र का निर्माण होता है जिसके कारण प्रत्येक वाताग्र में अलग-अलग मौसमी परिस्थितियाँ को जन्म देती है।
निम्न अक्षांश की ओर चलने वाले महासागरीय उष्ण वायुराशि विषुवतीय क्षेत्रों में जाकर डोलड्रम/शांत पेटी का निर्माण करती है। शांत पेटी में वायु स्थिर रूप से ऊपर की ओर जाने की प्रवृत्ति रखती है। यहां दोपहर के बाद प्रतिदिन संवहनीय वर्षा होती है।

इस तरह ऊपर के तथ्यों से स्पष्ट है कि अलग-अलग वायुराशियों की क्षेत्रीय वितरण, संचालन और मौसमी विशेषताओं में काफी विभिन्नताएँ पाई जाती है।
- 1. थार्नथ्वेट का जलवायु वर्गीकरण / Climatic Classification Of Thornthwaite
- 2. कोपेन का जलवायु वर्गीकरण /Koppens’ Climatic Classification
- 3. कोपेन और थार्न्थवेट के जलवायु वर्गीकरण का तुलनात्मक अध्ययन
- 4. हवाएँ /Winds
- 5. जलचक्र / HYDROLOGIC CYCLE
- 6. वर्षण / Precipitation
- 7. बादल / Clouds
- 8. भूमंडलीय उष्मण के कारण एवं परिणाम /Cause and Effect of Global Warming
- 9. वायुराशि / AIRMASS
- 10. चक्रवात और उष्णकटिबंधीय चक्रवात /CYCLONE AND TROPICAL CYCLONE
- 11. शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवात / TEMPERATE CYCLONE
- 12. उष्ण एवं शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों का तुलनात्मक अध्ययन
- 13. वायुमंडलीय तापमान / ENVIRONMENTAL TEMPERATURE
- 14. ऊष्मा बजट/ HEAT BUDGET
- 15. तापीय विलोमता / THERMAL INVERSION
- 16. वायुमंडल का संघठन/ COMPOSITION OF THE ATMOSPHERE
- 17. वायुमंडल की संरचना / Structure of The Atmosphere
- 18. जेट स्ट्रीम / JET STREAM
- 19. आर्द्रता / HUMIDITY
- 20. विश्व की प्रमुख वायुदाब पेटियाँ / MAJOR PRESSURE BELTS OF THE WORLD
- 21. जलवायु परिवर्तन के विभिन्न प्रमाण
- 22. वाताग्र किसे कहते है? / वाताग्रों का वर्गीकरण
- 23. एलनिनो (El Nino) एवं ला निना (La Nina) क्या है?
- 24. वायुमण्डलीय सामान्य संचार प्रणाली के एक-कोशिकीय एवं त्रि-कोशिकीय मॉडल
- 25. सूर्यातप (Insolation)