2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(i) विनिर्माण क्या है?
उत्तर- कच्चे पदार्थ को मूल्यवान उत्पाद में परिवर्तित कर अधिक मात्रा में वस्तुओं के उत्पादन को विनिर्माण या वस्तु निर्माण कहा जाता है।
जैसे- कागज लकड़ी से, चीनी गन्ने से, लोहा-इस्पात लौह अयस्क से तथा एलमुनियम बॉक्साइट से निर्मित होता है।
(ii) उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन भौतिक कारक बताएँ।
उत्तर- उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन भौतिक कारक निम्नलिखित है-
● कच्चे माल की उपलब्धता।
● शक्ति के साधन व जल की उपलब्धता।
● अनुकूल जलवायु।
(iii) औद्योगिक अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन मानवीय कारक बताएँ।
उत्तर- औद्योगिक अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन मानवीय कारक निम्नलिखित है-
● श्रमिक, पूंजी तथा बाजार की उपलब्धता।
● परिवहन की सुविधा।
● बैंकिंग सुविधा तथा सरकारी नीतियाँ।
(iv) आधारभूत उद्योग क्या है ? उदाहरण देकर बताएँ।
उत्तर – लौह और इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग है; क्योंकि अन्य सभी भारी, हल्के और मध्यम उद्योग इनसे बनी मशीनरी पर निर्भर करते हैं। इसे अन्य उद्योगों का जनक भी कहा जाता है। विविध प्रकार के इंजीनियरिंग सामान निर्माण सामग्री, रक्षा, चिकित्सा, टेलीफोन, वैज्ञानिक उपकरण और विभिन्न प्रकार के उपभोक्ता वस्तुओं के निर्माण के लिए इस्पात की आवश्यकता होती है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।
(i) समन्वित इस्पात उद्योग मिनी इस्पात उद्योगों से कैसे भिन्न है? इस उद्योग की क्या समस्याएँ हैं? किन सुधारों के अंतर्गत इसकी उत्पादन बढ़ी है?
उत्तर-
मिनी इस्पात उद्योग- मिनी इस्पात उद्योग छोटे संयंत्र है जिनमें विद्युत भट्टी, रद्दी इस्पात व स्पंज आयरन का प्रयोग होता है। इनमें री-रोलर्स होते हैं जिनमें इस्पात सिल्लियों का इस्तेमाल किया जाता है। यह हल्के स्टील या निर्धारित अनुपात के मृदु व मिश्रित इस्पात का उत्पादन करते हैं।
समन्वित इस्पात उद्योग- समन्वित इस्पात संयंत्र एक बड़ा संयंत्र होता है। जिसमें कच्चे माल को एक स्थान पर एकत्रित करने से लेकर इस्पात बनाने उसे ढालने और उसे आकार देने तक की की प्रत्येक क्रिया की जाती है।
समस्याएँ- इस उद्योगों की भारत में निम्नलिखित समस्याएँ हैं-
(क) उच्च लागत तथा कोकिंग कोयले की सीमित उपलब्धता
(ख) कम श्रमिक उत्पादकता
(ग) ऊर्जा की अनियमित पूर्ति
(घ) अविकसित अवसंरचना इत्यादि।
सुधार- निजी क्षेत्र में उद्यमियों के प्रयत्न से तथा उदारीकरण व प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ने इस उद्योग को प्रोत्साहन दिया है। इस्पात उद्योग को अधिक स्पर्धावान बनाने के लिए अनुसंधान और विकास के संसाधनों को नियत करने की आवश्यकता है।
(ii) उद्योग पर्यावरण को कैसे प्रदूषित करते है?
उत्तर- यद्यपि उद्योगों की भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है, तथापि इनके द्वारा बढ़ते भूमि, वायु, जल तथा पर्यावरण प्रदूषण को भी नकारा नहीं जा सकता। उद्योग मुख्यतः चार प्रकार के प्रदूषण के लिए उत्तरदायी है- (क)वायु (ख)जल (ग)भूमि तथा (घ)ध्वनि। प्रदूषण करने वाले उद्योगों में ताप विद्युतगृह भी सम्मिलित है।
(क) वायु प्रदूषण- अधिक अनुपात में अनचाहे गैसों की उपस्थिति जैसे सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड वायु प्रदूषण का कारण है।
(ख) जल प्रदूषण- उद्योगों द्वारा कार्बनिक तथा अकार्बनिक अवशिष्ट पदार्थों के नदी में छोड़ने से जल प्रदूषण फैलता है। जल प्रदूषण के प्रमुख कारक – कागज, लुग्दी, रसायन, वस्त्र तथा रंगाई उद्योग, तेल शोधनशालाएँ, चमड़ा उद्योग तथा इलेक्ट्रोप्लेटिंग उद्योग है।
(ग) भूमि प्रदूषण- मृदा व जल प्रदूषण आपस में संबंधित है। मलबे का ढेर विशेषकर कांच, हानिकारक रसायन, औद्योगिक बहाव, पैकिंग, लवण तथा कूड़ा-करकट मृदा को अनुपजाऊ बनाता है। वर्षा के जल के साथ ये प्रदूषक जमीन से रिसते हुए भूमिगत जल तक पहुंचकर उसे भी प्रदूषित कर देते हैं।
(घ) ध्वनि प्रदूषण- औद्योगिक तथा निर्माण कार्य, कारखानों के उपकरण, जेनरेटर, लकड़ी चीरने के कारखाने, गैस यांत्रिकी तथा विद्युत ड्रिल भी अधिक ध्वनि उत्पन्न करते हैं। ध्वनि प्रदूषण से खिन्नता तथा उत्तेजना ही नहीं वरन श्रवण असक्षमता, हृदय गति, रक्तचाप तथा अन्य कायिक व्यथाएँ भी बढ़ती है । अनचाही ध्वनि, उत्तेजना व मानसिक चिंता का स्रोत है।
(iii) उद्योगों द्वारा पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने के लिए उठाए गए विभिन्न उपायों की चर्चा करें?
उत्तर- उद्योगों द्वारा पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने के लिए उठाए गए विभिन्न उपाय निम्नलिखित है-
● जहां भूमिगत जल का स्तर कम है वहां उद्योगों द्वारा इसके अधिक निष्कासन पर कानूनी प्रतिबंध होना चाहिए।
● वायु में निलंबित प्रदूषण को कम करने के लिए कारखानों में ऊँची चिमनियाँ, चिमनियों में इलेक्ट्रोस्टेटिक अवक्षेपण, स्क्रबर उपकरण तथा गैसीय प्रदूषक पदार्थों को जड़त्वीय रूप से पृथक करने के लिए उपकरण होना चाहिए।
● कारखानों में कोयले की अपेक्षा तेल व गैस के प्रयोग से धुएँ के निष्कासन में कमी लाई जा सकती है।
● जेनरेटर में साइलेंसर लगाया जा सकता है।
● ऐसी मशीनरी का उपयोग किया जाए जो ऊर्जा सक्षम हो तथा कम ध्वनि प्रदूषण करे।
● नदियों व तालाबों में गर्म जल तथा अवशिष्ट पदार्थों को प्रवाहित करने से पहले उनका शोधन करना चाहिए।
● जल की आवश्यकता पूर्ति हेतु वर्षा जल संग्रहण करना चाहिए।
● ध्वनि अवशोषित करने वाले उपकरणों के इस्तेमाल के साथ कानों पर शोर नियंत्रण उपकरण भी पहनने चाहिए इत्यादि।