Unique Geography Notes हिंदी में

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GEOGRAPHICAL THOUGHT(भौगोलिक चिंतन)

22. मेकिण्डर का हृदय स्थल सिद्धान्त

22. मेकिण्डर का हृदय स्थल सिद्धान्त


मेकिण्डर का हृदय स्थल सिद्धान्त

मेकिण्डर

            1861 में जन्में मेकिण्डर ने ग्रेट ब्रिटेन में भूगोल की सुदृढ़ स्थापना की और अपने भौगोलिक विचारों से विश्व भूगोल को प्रभावित किया।

       मेकिण्डर अपने समय के बड़े प्रभावशाली भूगोलवेत्ता रहे हैं जिनका भूगोल एवं राजनीति में पूरा-पूरा दखल था। इस तरह भूगोल के व्यावहारिक पक्ष को क्रियान्वित करने में इनकी प्रमुख भूमिका रही है। इन्होंने न केवल विश्व मंच की घटनाओं के संचालन में भूगोल के ज्ञान की सार्थकता सिद्ध की वरन् यह भी उदाहरण प्रस्तुत किया कि कैसे भूगोलवेत्ता संसार की समस्याओं को सुलझाने में व्यावहारिक योगदान दे सकता है।

       इन्होंने भूगोल को इतिहास के शिकंजे से उबारा। ज्ञातव्य है कि पूर्व काल में वस्तुतः रिटर महोदय द्वारा भूगोल को इतिहास का विषय वस्तु बना दिया गया था। मेकिण्डर ने भूगोल के स्वंत्रत अस्तित्व का प्रतिपादन किया तथा सिद्ध किया कि भौगोलिक पृष्ठभूमि ही इतिहास को प्रभावित करती है।

      मेकिण्डर ने ऐतिहासिक भूगोल का गम्भीर अध्ययन करके 1902 में एक पुस्तक ‘ब्रिटेन और ब्रिटिश सागर’ प्रकाशित की थी। उसका यह ग्रंथ बहुत समय तक ब्रिटिश भूगोल का एक प्रथम वर्गीय श्रेष्ठ ग्रन्थ माना जाता रहा था। इस ग्रन्थ में ब्रिटिश भूगोल के मूल सिद्धांतों का संक्षिप्त रूप बड़े कौशल से दिया गया है। मेकिण्डर का यह ग्रन्थ उसके विस्तृत अध्ययन और गंभीर विचारों पर आधारित था, जिसमें इस पृष्ठभूमि से संबंधित ब्रिटेन के इतिहास की समीक्षा दी हुई थी।

       ऐतिहासिक भूगोल पर लिखे गये एक अन्य निबन्ध से मैकिण्डर को इतनी ख्याति प्राप्त हुई जिसकी कभी आशा नहीं थी। 1904 में उसने ‘रॉयल ज्योग्राफिकल सोसायटी’ की बैठक में एक निबन्ध पढ़ा जिसका शीर्षक था “इतिहास का भौगोलिक धुराग्र” (हृदय स्थल सिद्धान्त)उस निबंध के मुख्य बिन्दु निम्नलिखित थे।:-

(1) समुद्री (यात्राओं का) युग बीत चुका है, अब थल का कोई बड़ा भाग अन्वेषण द्वारा खोज निकालना शेष नहीं रहा है।

(2) भविष्य में, थल-शक्ति निर्णायक होगी, क्योंकि अब संसार के सभी भाग इतने समीपस्थ हो गये हैं कि महाशक्तियों के बीच होने वाली लड़ाई के विश्वव्यापी प्रभाव होंगे।

(3) सबसे बड़ा थल-खण्ड पुरानी दुनिया में है। यूरोप, एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों का सम्मिलित थलखण्ड ‘पुरानी दुनिया’ कहलाता है। इसके केन्द्रीय भाग का एक बड़ा भूराजनीतिक महत्व है। इसके हृदय भाग में महाद्वीपीय तथा आर्कटिक जल-प्रवाह वाला एक ऐसा विशाल क्षेत्र है, जो समुद्री शक्ति को पहुँच से पूर्णत: बाहर है। संक्षेपतः यह थल-खण्ड घास स्थल-स्टेपी तथा मरूस्थल है जो घुड़सवार और ऊँटसवार खानाबदोशों का निवास-स्थल रहा है तथा इन खानाबदोशों के आक्रमण सीमावर्ती स्थाई बस्तियों के देशों पर सारे इतिहास भर में लगातार होते रहे हैं।

(4) इस क्षेत्र के स्वरूप में बड़ी तेजी से आमूल परिवर्तन हो रहा है। महाद्वीप के आर-पार जाने वाले रेल मार्गों के निर्माण और उपनिवेशन के आधार पर वहाँ एक शक्ति का सृजन हो रहा है; और वह शक्ति, आन्तरिक मार्गों पर सत्ताधारी होने के कारण, संसार को केन्द्रीय युद्धनीतिक स्थिति को प्राप्त करती रही है।

(5) इस हृदय स्थल के बाहरी भाग में सीमावर्ती महाद्वीपीय राज्यों की एक आन्तरिक अर्द्ध रचनाकार पेटी और उसके परे एक बाहरी अर्द्ध चन्द्राकार पेटी है, जिसमें समुद्रपारीय (समुद्र के पा) शक्तियाँ ब्रिटेन, संयुक्त राज्य, जापान इत्यादि स्थित है।

(6) यदि शक्ति संतुलन इस घुराग्र-राज्य के अत्यधिक अनुकूल हो जाता है तो उसके परिणामस्वरूप उस शक्ति का प्रसार यूरोप-एशिया के सीमावर्ती थल-क्षेत्रों पर हो जायेगा, जिससे इस शक्ति को महासागरीय बेड़ों के निर्माण करने के लिये विस्तृत महाद्वीपीय साधनों का प्रयोग करने की छूट मिल जायेगी और तब संसार का साम्राज्य दृष्टिगोचर होगा। यदि जर्मनी अपनी मित्रता रूस के साथ कर ले तब ऐसा हो जायेगा।

(7) इस धमकी के विरूद्ध, समुद्रपारीय शक्तियों को अपने पुल-पदाधार सैन्य मोरचे फ्रांस, इटली, मिस्र, भारत और कोरिया में बनाये रखने चाहिये, जो धुराग्र मित्रों को अपनी थलीय शक्ति का विकास करने पर बाध्य करेंगे और उनको महासागरीय बेड़े रखने पर ध्यान केन्द्रित करने से रोकेंगे।

       मेकिण्डर की हृदय स्थल की विचारधारा का विकसित रूप उसी पुस्तक लोकतंत्रीय आदर्श और यथार्थता में प्रथम महायुद्ध के पश्चात 1919 में प्रकाशित हुआ था। उसने देखा कि उस युद्ध की उत्पत्ति इस कारण से हुई थी, कि जर्मनी ने रूसी हृदय-स्थल को संसार पर प्रभुत्व जमाने के लिए, प्रयोग करने का प्रयत्न किया था। क्योंकि उस थल-शक्ति ने मित्र राष्ट्रों के जहाजी बेड़ों को बाल्टिक सागर तथा काला सागर में आने से रोक दिया था, इसलिए मेकिण्डर ने अपने हृदय स्थल के क्षेत्र को बढ़ाकर उसमें पूर्वी यूरोप को भी सम्मिलित कर लिया था। यह उसका संसार द्वीप का सिद्धान्त था। उसने एशिया, यूरोप तथा अफ्रीका के सम्मिलित महाद्वीप यूरेअफ्रेशिया को संसार-द्वीप का नाम दिया था।

         इस संसार द्वीप की विचारधारा में थलीय और समुद्री शक्तियों का तुलनात्मक-पूरक दृष्टिकोण रखा गया था।

      मेकिण्डर ने यह प्रस्ताव किया था कि जर्मनी और रूस के बीच एक स्वतंत्र राज्यों की पेटी बना दी जानी चाहिए। उसका प्रस्ताव यह भी था कि पेलेस्टाइन, सीरिया, मेसोपोटामिया, बोसफोरस, डारडेनलीज तथा बाल्टिक सागर का अन्तर्राष्ट्रीयकरण हो जाना चाहिए, तथा भारत और चीन को हृदय स्थल के आक्रमण से सुरक्षित रखा जाना चाहिए। पुरानी दुनिया के केन्द्रीय भाग के इस ‘ह्रदय स्थल’ सिद्धान्त के भूराजनीतिक महत्व से मेकिण्डर को बड़ी ख्याति प्राप्त हुई।

         वायुयान-यात्रा की बहुत अधिक उन्नति हो जाने पर मेकिण्डर के हृदय स्थल सिद्धान्त का महत्व गिर गया है। इस वायुयान युग में मेकिण्डर द्वारा बतलाये गये हृदय स्थल के बजाय उत्तरी ध्रुव का महत्व बढ़ गया है। अब तो आर्कटिक क्षेत्र ही नया या आधुनिक हृदय स्थल बन गया हैं। इस वायुयान युग में उत्तरी ध्रुव की केन्द्रीय स्थिति है, जिसके चारों ओर यूरोप, एशिया और उत्तरी अमेरिका स्थिति हैं। आर्कटिक वृत के चारों ओर स्थित इस आधुनिक हृदय स्थल में केवल जर्मनी और यूरोपीय रूस ही नहीं, वरन् समस्त उत्तरीय यूरोप, सोवियत संघ, उत्तरी चीन, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका का आन्तरिक भाग भी सम्मिलित है। इसमें दो महान् शक्तियाँ सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं। महासागरीय युग में इन राष्ट्रों के बीच विशाल महानगर थे, और नाविक शक्ति द्वारा दोनों एक-दूसरे की पहुँच से बाहर थे, परन्तु वायुयान युग में सोवियत संघ और उत्तरी अमेरिका दोनों उत्तरी ध्रुव के मार्ग से एक दूसरे के सम्मुख स्थित हो गये हैं।

        वर्तमान युग तो परमाणु-युग है, जिसमें प्रक्षेपास्त्रो और रॉकेटों के प्रयोग ने मेकिण्डर के हृदय स्थल (Heartland) सिद्धान्त का महत्व और भी कम कर दिया है।  

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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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