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BA SEMESTER/PAPER IIIGEOGRAPHY OF INDIA(भारत का भूगोल)

24. भारतीय मानसून की प्रक्रिया / क्रियाविधि / यांत्रिकी (Monsoon of Mechanism)

24. भारतीय मानसून की प्रक्रिया / क्रियाविधि / यांत्रिकी

(Monsoon of Mechanism)



भारतीय मानसून की प्रक्रिया

      भारत में मानसून की उत्पत्ति तिब्बत का पठार, हिमालय पर्वत, उत्तर का मैदानी क्षेत्र, वायु-संचरण और हिन्द महासागर के सम्मिलित प्रभाव के कारण होती है। भारत में मानसून से ग्रीष्म ऋतु में वर्षण का कार्य होती है। यहाँ द०-प० मानसून से लगभग 80% होती है जबकि 20% वर्षा उ०-पू० मानसून और पछुवा विक्षोभ से होती है।

         ग्रीष्म ऋतु के बाद दक्षिणी-पश्चिमी मानसून के आगमन से वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है। भारत में सबसे पहले द०-प० मानसून 29 मई को अण्डमान & निकोबार द्वीप समूह में 1 जून को केरल के तट पर पहुँचती है।

          केरल के तट पर पहुंचकर द०-प० मानसून पश्चिमी घाट पर्वत से टकराती है और संघनित होकर अचानक मूललाधार वर्षा करती है जिसे “मानसून विस्फोट” कहा जाता है। 15 जून तक द.-प. मानसून मध्य भारत के आन्तरिक भागों में पहुँच जाती है जिससे 5°-8°C तापमान में गिरावट दर्ज की जाती है। द०-प० मानसून की दो प्रमुख शाखा है।

(1) अरब सागर की मानसूनी पवन

(2) बंगाल की खाड़ी की मानसूनी पवन

          अरब सागर के मानसून की उत्पत्ति अरब सागर में होती है। जब यह भारत के तट पर पहुंचती है, तो यह तीन शाखाओं में बंट जाती है।

(i) पहली शाखा पश्चिमी घाट से टकराकर पश्चिमी तटीय मैदान में 250 cm वर्षा करती है। पश्चिमी घाट से टकराने के बाद‌ यह हवा पूर्वी ढाल के सहारे नीचे उतरती है। लेकिन पूर्वी ढाल के सहारे उतरने वाली इस हवा के कारण वर्षा बहुत कम होती है जिसके कारण पश्चिमी घाट के पूर्वी भाग में वृष्टिछाया प्रदेश का निर्माण होता है।

(ii) अरब सागरीय मानसून की दूसरी शाखा नर्मदा और ताप्ती नदी घाटी के सहारे भारत के मध्यवर्ती क्षेत्र में प्रविष्ट करती है। जिसके कारण नर्मदा एवं ताप्ती नदी घाटी क्षेत्र पर्याप्त मात्रा वर्षा प्राप्त करते हैं।

(iii) तीसरी शाखा अरावली पर्वत के समानान्तर राजस्थान में प्रवेश करती है। रास्ते में कोई रुकावट नहीं मिलने के कारण यह राजस्थान के ऊपर से गुजर जाती है जिससे वहाँ वर्षा नहीं हो पाती है। यह शाखा राजस्थान से होते हुए कूल्लू और मनाली के पास जाकर यह हिमालय से टकराती है और वर्षा करती है।

(2) बंगाल की खाड़ी से चलने वाली मानसूनी हवा भी कई छोटे-छोटे शाखाओं में बंट जाती है। इनमें से दो शाखा प्रमुख है-

(i) पहली शाखा बंगलादेश से होते हुए उ०-पूर्वी भारत में प्रवेश करती है।

⇒ इसकी एक शाखा बराक और सूरमा नदी घाटी से गुजरती है जिससे गिजोरम, मणिपुर, असम और अरुणाचल प्रदेश में पर्याप्त वर्षा होती है।

⇒ एक शाखा गारो, खासी, जयंतिया पर्वत से टकराकर विश्व के सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान मासिनराम ग्राम  का निर्माण करती है।

(ii) बंगाल की खाड़ी की दूसरी सबसे प्रमुख शाखा उड़ीला और प. बंगाल के सहारे भारत में सीधे प्रविष्ट करती है। यह शाखा कोशी के जलग्रहण क्षेत्र में जाकर असम से आने वाली मानसूनी हवा से मिलकर अत्याधिक वर्षण का कार्य करती है।

         धीरे-2 ये दोनों शाखाएँ सम्मिलित रूप से पूरब से पश्चिम दिशा की ओर अग्रसारित होने लगती है जिससे गंगा के उतरी मैदानी क्षेत्र पर्याप्त वर्षा प्राप्त करती है। यह शाखा कुल्लू के पास जाकर अरेबियन शाखा से मिलती है जिसके कारण यहाँ “बादल फटने की घटना” होती है।

          ग्रीष्म ऋतु में गया से प्रयागराज के बीच ITCZ या तीव्र निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाने के कारण बंगाल की खाड़ी की मानसूनी शाखा को अपनी ओर आकर्षित करती है। इसी अक्ष के सहारे धीरे-2 मानसूनी हवा दक्षिण गंगा के मैदान में पूरब से पश्चिम दिशा की ओर अग्रसारित होती है। ज्यों-2 पूरब से पश्चिम की ओर जाती है त्यों-2 आर्द्रता में कमी आने के कारण वर्षा की मात्रा में कमी देखी जाती है।

          पूर्वी तटीय क्षेत्रों में वर्षा ऋतु के दौरान उष्णकटिबंधीय चक्रवात के आँख का विकास होता है जिसके चारों ओर तीव्र गति से हवाएँ चक्र के रूप में घुमकर पूर्वी तटीय क्षेत्रों में वर्षण कार्य करती है।

मानसून का लौटना

        15 अक्टूबर के बाद भारत से मानसून के लौटने की प्रक्रिया शुरू होती है। मानसून लौटने के दौरान वायु स्थल से समुद्र की ओर चलती है। इसे उत्तर-पूरब मानसून की संज्ञा देते हैं। इस शाखा की एक भाग बंगाल की खाड़ी से आर्द्रता ग्रहण कर तमिलनाडु में वर्षण का कार्य करती है।

निकर्ष

       इस तह ऊपर के तथ्यों के स्पष्ट है कि भातीय मानसून की यांत्रिकी काफी जटिल है। इसे नीचे के मानचित्र से भी समझा जा सकता है।

भारतीय मानसून की प्रक्रि
चित्र: द०-प० मानसून की क्रियाविधि
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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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