Unique Geography Notes हिंदी में

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POPULATION GEOGRAPHY (जनसंख्या भूगोल)

6. प्रवास अथवा प्रव्रजन को प्रभावित करने वाले कारक

6. प्रवास अथवा प्रव्रजन को प्रभावित करने वाले कारक

प्रवास अथवा प्रव्रजन

     प्रवास को प्रभावित करने वाले अनेक कारक हैं। इनमें समय, स्थान व परिस्थितियों के अनुसार कभी कोई तत्व प्रभावशाली रहता है, तो कभी कोई दूसरा। वास्तव में प्रवास को प्रभावित करने में आकर्षण व प्रत्याकर्षण का महत्व होता है। एक स्थान से लोग दूसरे स्थान को तभी प्रवास करते हैं, जब उनके अपने स्थान में कोई आकर्षण नहीं होता है। इस प्रकार प्रवास को प्रभावित करने वाले कारकों को मुख्य रूप से निम्नलिखित दो श्रेणियों में रखा जा सकता है-

(1) आकर्षक कारक (Pull factors)

(2) प्रत्याकर्षण कारक (Push factors)

(1) आकर्षक कारक

       लोगों का कम विकसित क्षेत्रों, ग्रामों, आदि से ऐसे क्षेत्रों में जाना, जहाँ उनको उन्नति के अधिक अवसर मिलते हैं। ऐसे अवसरों को आकर्षक कारक के रूप में रखा जाता है। यह अवसर निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-

(i) आर्थिक प्रगति के अधिक अवसर,

(ii) रोजगार के अवसर,

(iii) उच्च शिक्षा प्राप्ति का अवसर,

(iv) वैज्ञानिक व सांस्कृतिक परम्पराओं के अवसर,

(v) सुरक्षा व न्याय के अवसर,

(vi) जीवन स्तर सुधारने के अवसर,

(vii) राजनीतिक स्थायित्व होना,

(viii) स्वास्थ्यप्रद वातावरण में रहने के अवसर।

       प्रवास को आकर्षित करने वाले कारकों में प्रवाहित क्षेत्र की विकसित होती हुई अर्थव्यवस्था, अनुकूल आवास कानून, कृषि भूमि की उपलब्धता, आदि महत्वपूर्ण हैं। जापान में श्रमिकों की कमी ने बड़ी संख्या में प्रवासियों को अपने यहाँ आवासित होने के लिए आकर्षित किया है। इन आवासियों में अधिकांश लोग कम वेतन पर ऐसे खतरे वाले काम करते हैं जिन कामों को जापान के मूल निवासी नहीं करते हैं।

(2) प्रत्याकर्षण कारक

    जब लोग अपने निवास स्थान में रहना नहीं चाहते। वहाँ उन्हें अपना जीवन निराशाजनक लगता है। ऐसा निम्नलिखित परिस्थितियों में सम्भव होता है।
(i) रोजगार सुविधाओं का अभाव,

(ii) स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव,

(iii) गरीबी, निम्न जीवन स्तर का होना,

(iv) सुरक्षा व न्याय की कम सुविधाएं,

(v) राजनीतिक अलगाववाद का प्रभाव और गृह भूमि पर युद्ध की आशंका,

(vi) उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा सुविधा का अभाव,

(vii) परम्परावादी व रूढ़िवादी संस्कृति का प्रभाव,

(vii) रोजगार की कठिन परिस्थितियों का होना,

(viii) प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव (सूखा एवं अकाल)।

     1929-1939 की अवधि में संयुक्त राज्य अमेरिका में आया महान मंदी का दौर (Great Depression) प्रत्याकर्षण का सर्वोत्तम उदाहरण है। इस दौर में संयुक्त राज्य अमेरिका में आवासन की अपेक्षा प्रवसन अधिक हुआ। इसी प्रकार 1980-90 के दशक में अकाल एवं युद्ध के कारण हजारों अफ्रीकन लोग अपने मूल स्थान से प्रवासित होकर पड़ोसी देशों में आवासित होने को मजबूर हुए।

     सामान्य तौर पर प्रवास को प्रभावित करने वाले कारकों में निम्नलिखित महत्व होते है:-

1. प्राकृतिक कारक (Natural Factors)-

       प्राकृतिक आपदाएँ जैसे भूकम्प, ज्वालामुखी, बाड़, सूखा, तूफान, भूस्खलन, जलवायु की कठोरता, आदि के कारण लोग एक स्थान से दूसरे स्थान को प्रवास कर जाते हैं। विश्व के विभिन्न भागों में मौसमीय प्रवास (Transhumance) मानवीय समूहों द्वारा जलवायु की कठोरता के दुष्प्रभाव से बचने तथा रोजगार जुटाने के उद्देश्य से किया जाता है। समुद्रतटीय भागों में तूफान से प्रभावित क्षेत्रों तथा नदियों के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लोग सुरक्षित स्थलों पर प्रवास कर जाते हैं। वास्तव में वह क्षेत्र जो किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा की आशंका से ग्रस्त होते हैं, लोग सुरक्षित क्षेत्रों पर प्रवास कर जाते हैं।

2. आर्थिक कारक (Economic Factors)-

      विश्व के अधिकांश प्रवासों को प्रभावित करने में आर्थिक कारकों का योगदान अत्यन्त महत्वपूर्ण रहा है। नए-नए क्षेत्रों में कृषि का विस्तार, नई-नई खानों का पता लगना, उद्योग धन्धों का विस्तार होना, यातायात सुविधाओं में सुधार होना, आदि विशेषताएं रोजगार के नए-नए अवसर प्रदान करने में महत्वपूर्ण सिद्ध होती हैं। इसी कारण लोग रोजगार के नए क्षेत्रों में आकर बस जाते हैं। पिछली तीन शताब्दियों में यूरोपीय लोगों का विश्व के विभिन्न भागों में रोजगार की तलाश में वहाँ जाकर बसना, वर्तमान में अनेक भारतीयों का अमेरीका तथा विश्व के अन्य भागों में रोजगार के कारण बस जाना, बिहार के श्रमिकों का पंजाब, पश्चिम उत्तर प्रदेश में मजदूरी कार्यों के लिए प्रवास करना, आर्थिक कारकों का ही परिणाम है।

3. सामाजिक व सांस्कृतिक कारक (Social and Cultural Factors)-

      सामाजिक रीति-रिवाज, धार्मिक व सामाजिक स्वतंत्रता, सामाजिक व सांस्कृतिक सम्पर्क, धर्म प्रचार, आदि ऐसे सामाजिक कारक हैं, जिनके कारण लोग अपना जन्म स्थान छोड़ने को बाध्य हो जाते हैं। धार्मिक श्रद्धा लोगों को धर्म स्थल पर बसने के लिए प्रेरित करती है। धार्मिक आयोजन मेले व विशेष पर्व पर लोग प्रवास करते हैं।

       लाखों हज यात्री प्रतिवर्ष मक्का व मदीना धार्मिक स्थलों की यात्रा करते हैं। उच्च व तकनीकी शिक्षा की प्राप्ति, उच्च चिकित्सा हेतु भी लोग प्रवास करते हैं। खेलों का आयोजन, जैसे क्रिकेट, हॉकी टूर्नामेन्ट, कुम्भ मेला, विशेष तिथि पर लगने वाले बड़े-बड़े मेले, नौचन्दी मेला, वैष्णो देवी के दर्शनों के लिए प्रतिवर्ष लाखों भक्तजनों का जाना, आदि ऐसे कारक हैं, जो किसी न किसी रूप में अस्थायी प्रवास के साथ-साथ स्थायी प्रवास को बढ़ावा देते हैं।

4. राजनीतिक कारक (Political Factors)-

      इतिहास इस बात का गवाह है कि राजनीतिक कारकों ने प्रवास को सबसे अधिक प्रभावित किया है तथा प्रवास की आवश्यक मजबूरी बनाया है। भारत-पाक विभाजन, दो देशों के बीच युद्ध की स्थिति, पड़ोसी देश से राजनीतिक सम्बन्धों में बिगाड़ के कारण सीमा क्षेत्र पर युद्ध स्थिति बने रहना, आदि तत्व जनसंख्या प्रवास को प्रभावित कर रहे हैं।

       वर्तमान में लंका में जातीय संघर्ष के कारण श्रीलंकाई तमिल भारत के तमिलनाडु तट में आकर बस रहे हैं। तिब्बत से बौद्ध लोगों का भारत आकर बसना भी राजनीतिक प्रवास का उदाहरण है। 18वीं व 19वीं शताब्दी में संयुक्त राज्य अमेरीका व ब्रिटेन के लोगों ने दक्षिण अफ्रीका, आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैण्ड, आदि देशों के मूल निवासियों को बलपूर्वक वहाँ से खदेड़ दिया तथा वहाँ पर नए राष्ट्रों की स्थापना की।

     कई बार सरकारी नीतियाँ भी प्रवास को आकर्षित करती हैं। उदाहरण के लिए मध्य-पूर्व के देशों ने आवास को प्रोत्साहन देने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है। इसी प्रकार आस्ट्रेलिया में आवासीय लोगों को मुफ्त में कृषि योग्य भूमि प्रदान की गई है। 1990 में जापान ने लेटिन अमेरिका से आए लोगों को रोजगार के अधिकार एवं आवासीय सुविधाएं प्रदान की।

5. जनांकिकी कारक (Demographic Factors)-

      इसके अन्तर्गत कृषि भूमि पर बढ़ता हुआ जनसंख्या का दबाव, कृषि क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों की कमी के कारण बेरोजगारी की समस्या, नगर के भीतरी भाग से नगर के बाहरी छोरों पर लोगों का बसना, उच्च घनत्व वाले क्षेत्रों से कम घनत्व वाले क्षेत्रों की ओर लोगों का जाकर बसना, आदि तत्व शामिल हैं। इनके अलावा साक्षरता की दर, विशेष जाति या धर्म के लोगों को कहीं अधिक प्रोत्साहन मिलना, असन्तुलित लिंग अनुपात, आदि बातें भी प्रवास को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से प्रभावित करती हैं। आस्ट्रेलिया व दक्षिण अफ्रीका की रंग भेदी नीतियों ने काले लोगों के प्रवास पर रोक लगा दी थी।

       वर्तमान में रूस व यूक्रेन के बीच युद्ध, इजराइल व फिलीस्तीन के बीच मतभेद, आदि जनांकिकी प्रवास को किसी न किसी रूप में प्रभावित कर रहे हैं। एक राज्य का दूसरे राज्य के लोगों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार भी जनसंख्या प्रवास को प्रभावित कता है।

प्रश्न प्रारूप

1.  प्रवास अथवा प्रव्रजन को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिये।



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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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