4. जनसंख्या भूगोल की परिभाषा एवं विषय क्षेत्र
जनसंख्या भूगोल की परिभाषा एवं विषय क्षेत्र
प्रश्न प्रारूप
1. जनसंख्या भूगोल को परिभाषित करते हुए इसके विषय क्षेत्र की विवेचना कीजिये।
जनसंख्या भूगोल मानव भूगोल की एक शाखा है, जिसमें मानव संख्या के मात्रात्मक एवं गुणात्मक पहलुओं का और इनके वितरण से सम्बन्धित विभिन्न पक्षों का अध्ययन किया जाता है। वस्तुतः जनसंख्या भूगोल मानव का अध्ययन है, चूंकि मानव ही किसी क्षेत्र की विशेषताएँ एवं विभिन्नताएँ प्रदान करता है, अतः जनसंख्या भूगोल में मानव संख्या के वितरण में व्याप्त क्षेत्रीय असमानताओं का अध्ययन एवं समीक्षा कारण सहित की जाती है।
⇒ जे. आई. क्लार्क के अनुसार जनसंख्या भूगोल में जनसंख्या के वितरण, संघटन, प्रवास और वृद्धि में पायी जाने वाली स्थानिक भिन्नताओं का अध्ययन किया जाता है। साथ ही ये स्थानिक भिन्नताएं क्षेत्र विशेष की प्रकृति में पायी जाने वाली स्थानिक भिन्नताओं से किस प्रकार से सम्बन्धित होती हैं, का भी अध्ययन किया जाता है।
इस प्रकार जनसंख्या भूगोल का सम्बन्ध स्थानिक भिन्नताओं के साथ-साथ क्षेत्र के भौतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक घटकों से है। क्लार्क के अनुसार जनसंख्या भूगोल जनसंख्या में प्रादेशिक अन्तरों को उसके भौतिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक सन्दर्भ में समझने का प्रयास करता है।
⇒ विल्वर जेलिंस्की के अनुसार जनसंख्या भूगोल एक ऐसा विज्ञान है जो किसी क्षेत्र की जनसंख्या के विविध पहलुओं का अध्ययन उस क्षेत्र की प्राकृतिक परिस्थितियों के संदर्भ में करता है। इनके अनुसार जनसंख्या के विभिन्न लक्षणों के क्षेत्रीय वितरण का जनसंख्या के क्षेत्रीय वितरण में पायी जाने वाली समानताओं एवं असमानताओं हेतु उत्तरदायी कारकों का और जनसंख्या की दृष्टि से क्षेत्रों का वर्तमान भौगोलिक स्वरूप कैसे बना है, इन सभी का अध्ययन जनसंख्या भूगोल में किया जाता है।
⇒ जे. व्युजे गारनियर ने फ्रांसीसी भाषा में लिखी गई अपनी पुस्तक जिसका अनुवाद बीवर ने Geography of Population के नाम से किया है, में लिखा है कि जनसंख्या भूगोल वर्तमान वातावरण के सन्दर्भ में जनांकिकी तथ्यों का वर्णन है। साथ ही जनांकिकी तथ्यों के कारणों, मूलभूत विशेषताओं और संभावित परिणामों का अध्ययन भी जनसंख्या भूगोल में किया जाता है।
⇒ जी. जे. डैम्को ने अपने द्वारा सम्पादित पुस्तक Population Geography : A Reader में लिखा है कि जनसंख्या भूगोल, भूगोल की वह शाखा है जिसमें किसी क्षेत्र के जनांकिकी लक्षणों के क्षेत्रीय वितरण का विश्लेषण किया जाता है। इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय दशाओं की आपसी क्रिया-प्रतिक्रिया से उत्पन्न सामाजिक और आर्थिक प्रतिफलों का अध्ययन भी किया जाता है। इन सभी पक्षों पर चूंकि समय का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है इसलिए समयानुसार जनसंख्या वितरण के क्षेत्रीय प्रारूप को प्रभावित करने वाली प्रक्रियाओं का भी अध्ययन किया जाता है। डैम्को ने ऐसे मॉडल विकसित करने पर भी जोर दिया। जिनके द्वारा किसी क्षेत्र के समस्त जनसंख्या लक्षणों को निर्धारित करने वाली प्रक्रियाओं को भली-भांति समझा जा सके।
निष्कर्षतः जनसंख्या का अध्ययन भौगोलिक अध्ययन का मुख्य केन्द्र बिन्दु है। वस्तुतः मानव (जनसंख्या) वह संदर्भ बिन्दु अथवा केन्द्र बिन्दु है जिसको केन्द्र में रखते हुए क्षेत्रीय लक्षणों का अवलोकन और निर्धारण किया जाता है। ज्ञातव्य है। कि मानव (जनसंख्या) से ही अन्य भौगोलिक तत्वों को अर्थ एवं महत्व मिलता है।
उदाहरण के लिए मानव के संदर्भ में ही किसी स्थान विशेष की जलवायु को अर्थपूर्ण नाम एवं महत्व मिल पाता है। इसी प्रकार से किसी भी प्राकृतिक पदार्थ की संसाधनता भी मानव उपयोगिता के संदर्भ में ही अस्तित्व में आ पाती है। जनसंख्या भूगोल में जनांकिकी प्रक्रियाओं और इन प्रक्रियाओं के परिणामों का अध्ययन पर्यावरणीय संदर्भ में किया जाता है।
स्पष्टतः जनसंख्या भूगोल में जनसंख्या की संरचना, वृद्धि और स्थानान्तरण में मिलने वाली स्थानिक विभिन्नताओं (Spatial Variation) का अध्ययन और इन स्थानिक विभिन्नताओं के सामाजिक एवं आर्थिक प्रभावों का अध्ययन किया जाता है।
जनसंख्या भूगोल का अध्ययन क्षेत्र (Scope of Population Geography)
जनसंख्या भूगोल के अध्ययन क्षेत्र को निम्न वर्गों में रखा जा सकता है:
⇒ भूतकाल की जनसंख्या सम्बन्धी विशेषताओं का अध्ययन।
⇒ जनसंख्या के वितरण के अध्ययन के अन्तर्गत महाद्वीपों तथा उसके विभिन्न क्षेत्रों में जनसंख्या वितरण प्रतिरूप, विश्व में बसे हुए और बिना बसे हुए क्षेत्रों का वितरण, जनसंख्या का अन्तर्प्रदेशीय और अन्तर्सामयिक वितरण, बस्तियों का आकार, वितरण एवं उनमें परस्पर दूरियों का अध्ययन।
⇒ जनसंख्या के घनत्व के अध्ययन में विभिन्न प्रकार के घनत्व, स्थानीय स्तर से लेकर विश्व स्तर तक जनघनत्व की विशेषताएं, घनत्व वितरण का स्थानिक प्रतिरूप तथा उनको प्रभावित करने वाले कारक, प्रवास के नियम एवं परिणाम तथा शिक्षित एवं योग्य मानव श्रम का कम विकसित देशों से अधिक विकसित देशों को स्थानान्तरण आदि का अध्ययन।
⇒ जनसंख्या वृद्धि के अन्तर्गत जनसंख्या वृद्धि का मापन, जन्म-दर, मृत्यु-दर, जनसंख्या वृद्धि पर प्रभाव डालने वाले कारक, वृद्धि प्रतिरूप का वितरण, जनसंख्या वृद्धि के सिद्धान्त तथा जनसंख्या वृद्धि भावी अनुमान आदि का अध्ययन।
⇒ जनसंख्या के संघटन के अन्तर्गत जाति, धर्म, भाषा, आयु, लिंग, कार्यकर्ता-आश्रित तथा कार्यशील जनसंख्या की व्यावसायिक संरचना का अध्ययन।
⇒ जनसंख्या के लक्षणों के अन्तर्गत जनसंख्या की साक्षरता एवं साक्षरता के स्तर को प्रभावित करने वाले कारकों तथा विश्व में साक्षरता का प्रतिरूप आदि का अध्ययन।
⇒ ग्रामीण एवं नगरीय जनसंख्या की सभी प्रकार की विशेषताएँ एवं लक्षण, नगरीकरण की प्रक्रिया एवं उस पर प्रभाव डालने वाले कारक तथा विश्व एवं उसके राष्ट्रों में नगरीकरण का प्रतिरूप का अध्ययन।
⇒ जनसंख्या संसाधन अनुपात में जनसंख्या वृद्धि तथा संसाधन विकास, जनसंख्या का बढ़ता दबाव, संसाधन एवं जनसंख्या अनुपात, संसाधनों पर आधारित जनसंख्या के सिद्धान्त, संसाधन एवं जनसंख्या प्रतिरूप, जनसंख्या क्षमता, अधिकतम जनसंख्या, अल्प जनसंख्या, अनुकूलतम जनसंख्या आदि का अध्ययन।