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एशिया का भूगोल

10. एशिया के जनसंख्या वृद्धि एवं वितरण / Population growth and Distribution of Asia

10. एशिया के जनसंख्या वृद्धि एवं वितरण

(Population Growth and Distribution of Asia)


एशिया के जनसंख्या वृद्धि एवं वितरण⇒एशिया के जनसंख्या

प्रश्न प्रारूप

1. एशिया महाद्वीप की जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।

(Describe the factors which effects the distribution of population of Asia.) Or, 

एशिया में जनसंख्या के असमान वितरण के कारणों का वर्णन कीजिए।

 उत्तर – एशिया महाद्वीप में जनसंख्या की अधिकता के साथ-साथ जनसंख्या का वितरण बड़ा असमान है। प्रसिद्ध विद्वान क्रेसी के अनुसार, “एशिया में अनेक स्थान ऐसे है जहाँ बहुत कम मानव निवास करते हैं और अनेक ऐसे स्थान है जहाँ बहुत अधिक संख्या में मानव निवास करते हैं।”

          वास्तव में अगर एशिया की जनसंख्या के वितरण में मानचित्र को देखा जाए तो एशिया महाद्वीप का लगभग एक-तिहाई भाग जो एशियाई रूस के अन्तर्गत है, ऐसा है जहाँ जनसंख्या बहुत कम मिलती है। दूसरी ओर चीन, जापान, भरत आदि मानसूनी जलवायु वाले दक्षिण-पूर्वी एशिया के देशों का भाग है जहाँ जनसंख्या इतनी अधिक है कि मानव बसाव के लिए भूमि नहीं है। एशिया महाद्वीप के जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित तत्व है-

1. धरातल: एशिया में जनसंख्या के असमान वितरण में धरातल की बनावट का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। दक्षिणी एवं दक्षिण-पूर्वी भागों में मिलने वाली नदियों के मैदानों में जनसंख्या अधिक मिलती है। उदाहरण के लिए, यांगटिसीक्यांग बेसिन में 5,000 मानव तक प्रति वर्ग किलोमीटर मिलते हैं।

2. जलवायु: जलवायु का जनसंख्या के वितरण पर बहुत प्रभाव पड़ता है। एशिया में दक्षिणी एवं दक्षिण-पूर्वी भागों में मिलने वाली मानसूनी जलवायु वाले देशों में जनसंख्या अधिक मिलती है। दूसरी ओर साइबेरिया की ठण्डी एवं उष्ण मरुस्थलीय प्रदेशों की गर्म जलवायु वाले भागा में जनसंख्या बहुत कम मिलती है। डडले स्टाम्प के अनुसार, “इसमें कोई संदेह नहीं कि एशिया की आधुनिक जनसंख्या के वितरण में सबसे अधिक प्रभाव जलवायु की दशाओं का पड़ा है।” 

3. मिट्टी: एशिया में जिन भागों में नदियों द्वारा लाकर बिछाई गई कॉप मिट्टी मिलती है वहाँ जनसंख्या अधिक मिलती है, क्योंकि जनसंख्या के लिए उन भागों में कृषि करने की सुविधाएं हैं।

4. जल की प्राप्ति: एशिया का दक्षिण-पश्चिमी भाग शुष्क है तथा यहाँ जल के अभाव के कारण जनसंख्या भी बहुत कम पाई जाती है। रेगिस्तानी भागों में जनसंख्या के कम मिलने का कारण यहाँ जल का अभाव है।  

5. यातायात के साधन: विकसित यातायात के साधन भी जनसंख्या के वितरण पर प्रभाव डालते हैं। जापान, भारत तथा चीन में जनसंख्या की अधिकता में यहाँ के यातायात के साधनों ने भी सहयोग दिया है। सुमात्रा, मलाया तथा साइबेरिया में यातायात के साधनों के अभाव के कारण मानव को सुविधाएं नहीं मिलने पाती हैं अतः ऐसे स्थानों पर मानव कम निवास करना पसंद करता है।

6. औद्योगिक विकास: जापान एशिया का सबसे अधिक उद्योग-धन्धों में विकसित देश है तथा जापान में जनसंख्या भी बहुत अधिक है। इस प्रकार जिन भागों में मनुष्य को जीवन निर्वाह के लिए रोजगार सुविधापूर्वक मिल जाता है वहाँ अधिक संख्या में मानव निवास करना पसन्द करते हैं।

7. राजनीतिक कारण: जापान में जनसंख्या अधिक होने का एक कारण यह भी है कि जापान सरकार ने युद्धकाल में जनसंख्या को बढ़ाने के लिए जनता को प्रोत्साहित किया था। उत्तरी कोरिया में दक्षिणी कोरिया की अपेक्षा जनसंख्या कम मिलने का कारण यहाँ की युद्ध की परिस्थितियाँ रही है।

8. शांतिपूर्ण वातावरण: एशिया अनेक धर्म, संस्कृति, सभ्यता एवं सम्प्रदायों का जन्म स्थल होने के कारण मानव जाति के लिए सुखमय जीवन व्यतीत करने के लिए शान्तिपूर्ण वातावरण प्रस्तुत करता है। नदी घाटियों की सभ्यता यहाँ के सामाजिक जीवन को मधुर बनाती है।

2. एशिया में अनेक स्थान ऐसे हैं जहाँ बहुत कम मानव निवास करते हैं और कम ऐसे निवास हैं जहाँ बहुत अधिक संख्या में मानव निवास करते हैं। विवेचन करें।

उत्तर – एशिया संसार का सबसे बड़ा महाद्वीप है। विश्व के कुल क्षेत्रफल का लगभग एक तिहाई भाग अकेले एशिया महाद्वीप में आता है लेकिन जब हम एशिया महाद्वीप की जनसंख्या का अध्ययन करते है तो हमें इस बात से और भी आश्चर्य होता है कि एशिया महाद्वीप में संसार के सबसे अधिक मानव निवास करते हैं। इस प्रकार विश्व के लगभग एक-तिहाई भाग पर विश्व की लगभग दो-तिहाई जनसंख्या निवास करती है। वर्ष 2011 के अनुसार संसार में निवास करने वाले लगभग 700 करोड़ मानवों में से एशिया में लगभग 420 करोड़ से अधिक मानव निवास करते हैं।                             

              एशिया महाद्वीप में जनसंख्या की अधिकता के साथ-साथ एक महत्वपूर्ण बात यह है कि इस महाद्वीप में कुछ क्षेत्र ऐसे है जहाँ एशिया के बहुत अधिक मानव निवास करते हैं और अभी भी इन क्षेत्रों में मानव वृद्धि बड़ी तीव्रता से हो रही है। इसके विपरीत, बहुत-से क्षेत्र ऐसे है जहाँ एशिया के बहुत कम मानव निवास करते हैं तथा इन क्षेत्रों में मानव की कमी के कारण इन भागों में छिपे प्राकृतिक साधनों का भी प्रयोग नहीं होने पाया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि एशिया महाद्वीप में जनसंख्या का वितरण बड़ा असमान है।

जनसंख्या के घनत्व की अधिकता

            एशिया महाद्वीप में जनसंख्या की अधिकता के साथ-साथ जनसंख्या का प्रति वर्ग किलोमीटर घनत्व भी अधिक है। जैसा कि संसार की जनसंख्या का घनत्व 46 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है जबकि एशिया का 81  व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। जनसंख्या के प्रति वर्ग किलोमीटर घनत्व के आधार पर एशिया महाद्वीप को तीन भागों में बाँटा जा सकता है –

1. अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र 

2. मध्यम जनसंख्या वाले क्षेत्र 

3. कम जनसंख्या वाले क्षेत्र।

1. अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र : 

                     एशिया महाद्वीप के दक्षिणी एवं दक्षिण-पूर्वी भागों में मानव के निवास के लिए सभी सुविधाएं प्राप्त है इसलिए इस भाग में एशिया की लगभग 70% से अधिक जनसंख्या निवास करती है। इस प्रकार एशिया महाद्वीप के लगभग एक-तिहाई भाग पर लगभग दो-तिहाई मानव निवास करते हैं। इस क्षेत्र में जापान, चीन, भारत, इण्डोनेशिया, पाकिस्तान, वियतनाम इत्यादि देश सम्मिलित है। यहाँ के निवासियों का प्रधान व्यवसाय कृषि करना है। इन देशों में जनसंख्या की वृद्धि दर सबसे अधिक है। अत्यधिक जनसंख्या के केन्द्र होने के कारण यहाँ जनसंख्या का प्रति वर्ग किलोमीटर घनत्व भी अधिक है। इस क्षेत्र में आने वाले प्रमुख देशों की जनसंख्या एवं घनत्व की स्थिति निम्न प्रकार है-

एशिया में सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश
देश  जनसंख्या (मिलियन घनत्व (प्रति वर्ग किलोमीटर)
चीन 1341.33 141
भारत 1214.46 383
इंडोनेशिया 232.52 123
पाकिस्तान 184.75 232
बांग्लादेश 164.75 1118
जापान 127.00 337
वियतनाम 89.03 269

2. मध्यम जनसंख्या वाले क्षेत्र: 

         एशिया महाद्वीप के कुछ भाग ऐसे हैं जहाँ कि मानव के निवास के लिए सभी सुविधाएं प्राप्त नहीं है इसलिए इन भागों में एशिया महाद्वीप की लगभग 22% जनसंख्या निवास करती है। इस क्षेत्र में म्यांमार, थाईलैण्ड, मलेशिया, टर्की, नेपाल, कम्बोडिया, सीरिया आदि देश सम्मिलित है। यहाँ के निवासियों का प्रधान व्यवसाय कृषि करना है। जलवायु की उपयुक्त दशाओं के अनुसार ये पशुपालन का भी कार्य करते हैं। यहाँ जनसंख्या की वृद्धि दर अधिक नहीं है जितनी भारत, चीन तथा जापान में है। इन क्षेत्रों में आने वाले प्रमुख देशों की जनसंख्या एवं घनत्व की स्थिति निम्न प्रकार है-

प्रमुख देशों की जनसंख्या एवं घनत्व की स्थिति
देश  जनसंख्या (मिलियन घनत्व (प्रति वर्ग किलोमीटर)
टर्की 75.71 97
म्यांमार 50.50 75
थाईलैंड 68.14 133
नेपाल 29.85 157
लाओस 27.91 83
कम्बोडिया 15.05 74
सीरिया 22.51 97

3. कम जनसंख्या वाले क्षेत्र : इस क्षेत्र में एशिया महाद्वीप का वह भाग सम्मिलित है जहाँ मानव निवास के लिए सुविधाएं प्राप्त नहीं है। इस क्षेत्र का अधिकांश भाग या तो पहाड़ी एवं पठारी है अथवा मरुस्थलीय है। एशिया के गर्म एवं शीत मरुस्थल इसी क्षेत्र के अन्तर्गत आते हैं। इस क्षेत्र में एशियाई रूस, मंगोलिया, अरब, ईरान, अफगानिस्तान, तिब्बत आदि सम्मिलित है। इस भाग की जलवायु एवं प्राकृतिक परिस्थितियाँ मानव आवास के अनुकूल नहीं है। इस भाग में एशिया महाद्वीप की लगभग 8% जनसंख्या निवास करती है जबकि यह भाग एशिया महाद्वीप के लगभग 1/2 भाग को घेरे हुए है। जनसंख्या की कमी के कारण यहां जनसंख्या का प्रति वर्ग किलोमीटर घनत्व भी बहुत कम है। इस भाग में कुछ स्थान तो ऐसे है जो मानव से शून्य है। इस क्षेत्र में आने वाली प्रमुख देशों की जनसंख्या घनत्व की स्थिति अग्र प्रकार है-     

एशिया के कम जनसंख्या वाले क्षेत्र
देश  जनसंख्या (लाख)  घनत्व (प्रति वर्ग किलोमीटर)
सऊदी अरब 26.25 12.6
जोर्डन 6.47 57.5
ईराक  31.47 72.0
ईरान 75.08 45.0
लाओस 6.44 24.0
अफगानिस्तान 29.19 45.0
मंगोलिया 2.70 1.5
कजाखस्तान 15.75 5.9

3. एशिया में जनसंख्या वृद्धि से कौन-कौन सी समस्यायें उत्पन्न हुई है? उसके हल करने के उपायों का वर्णन करें।

(What are the main problems which increases the population in Asia ? Discuss.)

उत्तर – एशिया महाद्वीप की जनसंख्या के वितरण का अध्ययन करने से यह स्पष्ट हो जाता है कि एशिया महाद्वीप में अधिक मानव निवास करते हैं अतएव एशिया अत्यधिक जनसंख्या (Over-population) वाला महाद्वीप है। एशिया की लगभग 70% जनसंख्या का प्रधान व्यवसाय कृषि करना है, लेकिन फिर भी एशिया महाद्वीप की 20% जनसंख्या अपनी उदर-पूर्ति के लिए अन्य महाद्वीपों से खाद्यान्न आयात करती है। एशिया में तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या एशिया के लिए एक समस्या बनती जा रही है।

          एशिया में प्रतिवर्ष औसतन 30% जनसंख्या बढ़ रही है। एक बात एशिया की जनसंख्या में आश्चर्यजनक है, वह यह है कि एशिया के जिन भागों में जनसंख्या की अधिकता है उन्हीं भागों में जनसंख्या तीव्रता से बढ़ रही है। जनसंख्या की निरन्तर वृद्धि का प्रभाव एशिया के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन पर पड़ रहा है। जनसंख्या का दबाव भूमि पर बढ़ता जा रहा है और जनसंख्या की वृद्धि की दर के साथ निर्वाह के साधनों में वृद्धि नहीं हो रही है। एशिया महाद्वीप में इस जनसंख्या की वृद्धि से निम्नलिखित इकाईयां उत्पन्न हो गई है-

1. अकालों का पड़ना: यद्यपि भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे कासशील देशों में 76 प्रतिशत जनता कृषि कार्य करती है। इसके अलावे यहाँ की कृषि पूर्णतया मौसमी तत्वों से प्रभावित होती है। यहाँ की जनसंख्या माल्थस महोदय के अनुसार 5 वर्ष में दुगुनी हो रही है। यहाँ व्यक्तियों की जन्म-दर, मृत्यु दर की अपेक्षा अधिक है। कृषि भूमि के स्थिर रहने के कारण बढ़ती हुई जनसंखय को अतिरिक्त संसाधन प्राप्त नहीं हो पाता है फलस्वरूप यहाँ प्रति दस वर्षों के अन्तराल पर बाढ़ तथा सूखे की स्थिति आती जिससे काफी अधिक जनसंख्या प्रभावित होती है। माल्थस महोदय ने इसे प्राकृतिक प्रकोप माना है। फोर्ड फाउन्डेसन टीम ने एशिया के अविकसित देशों का अध्ययन कर पाया है कि समस्या का हल एक पहेली है।

2. रहन-सहन के स्तर का गिरना : एशियाई देशों में मनुष्यों की संतुलित भोजन के अभाव के कारण रोगों से सामना करने की शक्ति कम है। अतः वे शीघ्र ही बीमार होकर मर जाते है। इन देशों में जन्म दर 41.7 प्रतिशत तथा मृत्यु दर 22.8 प्रतिशत है। ऊंची जन्म-दर होने के कारण प्राकृतिक वृद्धि दर 18.9 है। यहाँ के 90 प्रतिशत व्यक्ति भूख की सीमा के आस-पास जीवन व्यतीत करते हैं। यहाँ प्रति व्यक्ति उपलब्ध भूमि की संख्या 1.1 एकड़ है। इस प्रकार यहाँ की कृषि पर आधारित जीवन के कारण लोगों के रहन-सहन का स्तर काफी गिर गया है। अधिक जनसंख्या के विकास के कारण ही महानगरों में रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं का अभाव है। इन सब कारणों से यहाँ के लोगों का जीवन काफी निम्न हो गया है।

3. राजनीतिक अशांति का फैलना : विभिन्न संसाधनों के अभाव के कारण यहाँ के लोगों का मानसिक विकास अधिक नहीं हो पाता है फलस्वरूप यहाँ राजनीतिक अशांति फैलती है। सामाजिक सुविधाओं का अभाव, आर्थिक सुदृढ़ता का अभाव इत्यादि तत्व यहाँ के राजनीतिक स्थितियों को नियंत्रित करते हैं। इसके अलावे लोगों में सत्ता का मोह राजनीतिक अशांति फैलाते हैं।

4. कृषि पर निर्भरता: एशियाई देशो की 70 से 75 प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर करती है, जैसे—भारत में 70 प्रतिशत व्यक्ति, पाकिस्तान में 75 प्रतिशत, बांग्लादेश में 60 प्रतिशत व्यक्ति कृषि पर निर्भर करते हैं जबकि ब्रिटेन में केवल 5 प्रतिशत तथा अमेरिका में केवल 7 प्रतिशत व्यक्ति ही कृषि पर निर्भर करते हैं तभी तो बेन्जामिन हिगिन्स महोदय ने यह अनुमान लगाया है कि विश्व में कुल 1.3 बिलियन लोग कृषि पर निर्भर करते हैं। इनमें एक बिलियन लोग एशिया में है। जापान को छोड़कर सभी एशियाई देशों में कृषि पर निर्भरता अधिक है। 

5. बेरोजगारी तथा छिपी हुई बेरोजगारी: एशियाई देशों में जनसंख्या वृद्धि के कारण बेरोजगारी की समस्या काफी बढ़ गयी है। बौर एवं यामे के अनुसार इन देशों मे बेरोजगारी का मुख्य कारण उन्हें काम देने के लिए आवश्यक सहयोगी साधनों का अभाव है। यद्यपि बेरोजगारी का प्रधान कारण प्रभावपूर्ण माँग का अभाव है जबकि एशियाई देशों की बेरोजगारी संरचनात्मक होती है। इसका मुख्य कारण श्रम-शक्ति के प्रयोग के लिए आवश्यक पूँजी का अभाव है।

6. सामाजिक समस्याएँ: एशिया में जनसंख्या वृद्धि के फलस्वरूप अनेक सामाजिक समस्याओं का जन्म हुआ है। इन देशों में साक्षरता का प्रतिशत कम है। भारत में 29.5 प्रतिशत पाकिस्तान में 18 प्रतिशत, बांग्लादेश में 12 प्रतिशत है, जबकि जापान में 99 प्रतिशत है। सामाजिक रूढ़ियों के कारण यहाँ की सामाजिक व्यवस्था काफी पिछड़ी है। रूढ़ि तथा रीति-रिवाज काफी महंगे हैं। स्त्रियों की स्थिति काफी कमजोर है।

7. युद्ध शक्ति एवं युद्ध की सम्भावना में वृद्धि 

8. आर्थिक संकट की समस्या

9. विकास कार्यों का रूक जाना      

जनसंख्या की समस्या को हल करने के उपाय

             एशिया की जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न समस्याओं को संतान उत्पत्ति पर प्रतिबन्ध, विवाह की आयु में वृद्धि, सन्तति सुधार एवं स्वास्थ्य सेवायें, सामाजिक शिक्षा-प्रसार, भूमि का अधिकाधिक उपयोग, औद्योगिक विकास, खाद्य-सामग्री का आयात तथा मानव प्रवास आदि विधियों द्वारा समाधान कर सकते हैं। इन उपायों का गहनतम प्रयोग भारत, चीन, जापान आदि में किया जा रहा है। जापान में भूमि का अधिकाधिक उपयोग करने के दृष्टिकोण से गहरी खेती की जा रही है। भारत में शिक्षा-प्रसार तथा औद्योगिक विकास किया जा रहा है।

              एशिया की जनसंख्या का विस्तार में अध्ययन करने पर यह स्पष्ट होता है कि  एशिया में बढ़ती हुई जनसंख्या से इस महाद्वीप में अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गई है। कुछ समस्याएँ तो इतनी गम्भीर रूप धारण कर गई है कि इनका प्रभाव देश के राजनीतिक और सामाजिक जीवन पर पड़ता है। जनसंख्या की अत्यधिक वृद्धि ने अनेक बुराइयाँ उत्पन्न कर दी है, अतः हमें इन बुराइयों को दूर करने के लिए जनसंख्या की तीव्र वृद्धि को रोकना पड़ेगा। जनसंख्या की वृद्धि को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय प्रयोग में लाए जा सकते हैं-

1. सन्तान उत्पत्ति पर प्रतिबन्ध, 

(2) विवाह की आयु में वृद्धि, 

(3) सन्तति सुधार एवं स्वास्थ्य सेवाएँ 

(4) सामाजिक शिक्षा प्रसार, 

(5) भूमि का सर्वाधिक उपयोग, 

(6) औद्योगिक विकास 

(7) खाद्य सामग्री का आयात 

(8) मानव प्रवास। 

            एशिया महाद्वीप के कुछ देशों में उपर्युक्त उपायों में से कुछ उपायों को अमल में लाया जा रहा है। जनसंख्या की अधिक वृद्धि वाले देशी-भारत, चीन तथा जापान में सन्तान उत्पत्ति पर प्रतिबन्ध लगाया जा रहा है। जापान में भूमि का अधिक से अधिक उपयोग करने दृष्टिकोण से गहरी खेती की जा रही है। भात में शिक्षा का प्रसार तथा औद्योगिक विकास किया जा रहा है।

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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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