Unique Geography Notes हिंदी में

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POLITICAL GEOGRAPHY (राजनितिक भूगोल)

13. अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं के कार्यों का वर्णन

13. अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं के कार्यों का वर्णन



    अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं

      अन्तर्राष्ट्रीय सीमा-रेखा वस्तुतः प्रभुत्व सम्पन्न राज्य के यथार्थ प्रभाव की बाह्य सीमा होती है। प्रत्येक राज्य अपनी-अपनी सीमाओं में सर्वोच्च प्रभुसत्ता का उपयोग करता है और सैद्धान्तिक दृष्टि से राज्य सीमाएँ पूर्णतः अवरुद्ध प्राचीर का कार्य करती हैं तथा बाह्य विश्व से सभी प्रकार का समागम बन्द करती हैं, किन्तु माल, मनुष्य एवं विचारों के आदान-प्रदान की सुविधा हेतु तथा तस्करी की रोकथाम के उपायों को ढूंढने हेतु सभी सीमाएँ किसी मात्रा तक भेद्य बना दी जाती हैं। इस प्रकार सीमा का उद्देश्य पूर्ण प्रभुसत्ता एवं स्वतंत्र संसर्ग के परस्पर विरोधी सिद्धान्तों के मध्य समझौता करना है।

     सीमाओं के कार्य परिवर्तित होते रहते हैं। जापान ने अपनी एकात्मवादी नीति के अन्तर्गत 1853 ई. से पूर्व अपनी तटीय सीमा को पूर्णतः अभेद्य रखा, किन्तु 1853 ई. में जब यहाँ कोमोडोर पैरी ने प्रवेश किया तो जापान ने एकान्तवादी नीति को छोड़कर अपने को अन्य पश्चिमी देशों की भांति लाने का प्रयास किया। इस हेतु उसने बाहरी लोगों से व्यापारिक सम्बन्ध बनाना प्रारम्भ किया।

बोग्ज के अनुसार, “सीमा के कार्य व्यक्ति तथा वस्तुओं के संचरण से सम्बन्धित होते हैं। इनके कार्यों में विचार पद्धति, उत्पादन के ढंग, युद्ध तकनीक एवं मानव जीवन के ढंग के साथ परिवर्तन होते रहते हैं।”

प्रो. जोन्स के अनुसार, “सीमा कार्यों की सूची मानव कार्यों की सूची के समान है।”

स्पाइकमैन के अनुसार, “सीमा कार्यों को सैनिक एवं असैनिक प्रकारों में बाँटा जा सकता है। इनके कार्य परिवर्तनशील हो सकते हैं, किन्तु ये सरलता से नहीं बदलतीं।”

      सामान्यतः सीमाओं के कार्यों को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है:

(1) सुरक्षात्मक कार्य (Defence Functions)-

       सीमाओं का प्रमुख कार्य सुरक्षात्मक रहा है। प्राचीन समय में तो सुरक्षा ही इनका प्रमुख कार्य था, किन्तु अब तो वायुयान, आदि के कारण ये उतनी सुरक्षा नहीं कर पाती हैं। सीमा राज्य की परिधि होती है तथा सुरक्षात्मक कार्य करती है। यदि वे ऐसा नहीं कर पातीं तो राज्य को जीवित रहने में कठिनाई होगी। इसीलिए प्राचीन समय में सीमाओं की किलेबन्दी होती थी।

     कौटिल्य ने सीमाओं की दृढ़ता तथा दुर्ग निर्माण पर विशेष बल दिया। चीन की दीवार इसका उत्तम उदाहरण है, किन्तु अब इनका यह कार्य लगभग समाप्त-सा है, क्योंकि युद्ध हवाई होने लगे हैं, अतः इनके ऊपर से होकर निकला जा सकता है। हवाई आक्रमण के बावजूद भी इनका सुरक्षात्मक कार्य है।

      सुरक्षात्मक दृष्टि से सीमा को दृढ़ बताते हुए होल्डिच ने लिखा है, “सीमाएँ अवरोध के रूप में होनी चाहिए, चाहे वे भौगोलिक या प्राकृतिक न होकर मानवीय ही हों, किन्तु मजबूत सैन्य सुरक्षा से सज्जित रहनी चाहिए।”

(2) अवरोधक कार्य (Barrier Functions)-

     ये अवरोधक के रूप में सदैव से कार्य करती रही हैं। इनके कारण कोई भी बाहरी देश आसानी से अन्दर प्रवेश नहीं कर सकता है। इनकी अवरोधक क्षमता सीमा के प्रकार तथा उसकी दृढ़ता पर आधारित होती है।

      सीमा के अवरोध के कारण ही एक राज्य दूसरे राज्य से अलग पहचान बनाता है। इस सम्बन्ध में कार्लसन का विचार है, “अन्तर्राष्ट्रीय सीमा मानव, वस्तुओं अथवा मशीनों की गति को रोकने में विस्तृत महासागरों, उच्च पर्वतों एवं शुष्क मरुस्थलों से अधिक प्रभावशाली है।”

(3) तटकर भित्ति के रूप में (In the Form of Tariff Wall)-

     सीमाएँ तटकर भित्ति के रूप में भी कार्य करती हैं। सभी राज्य अपने आन्तरिक लाभ हेतु प्रशुल्क सीमा को अधिक मजबूत बनाने का प्रयास करते हैं। देश के उत्पादन को बढ़ाने हेतु विदेशी माल पर तटकर अधिक लगाया जाता है। इसके द्वारा बाहर से आने वाला माल बाहर ही रोक दिया जाता है तथा देश का माल बाहर नहीं जाने दिया जाता है जब तक कि उस पर शुल्क वसूल न कर लिया जाए। जिन राज्यों की सीमाएँ तटकर के लिए खोल दी गई हैं, वहाँ सीमाएँ समाप्त-सी हैं।

(4) आवागमन तथा व्यापार (Migration and Trade)-

     सीमा का यह भी कार्य है कि वह लोगों के आवागमन तथा व्यापार को बढ़ावा देती है। विभिन्न संस्कृतियों से मेल मिलाप भी होता है। यद्यपि अपनी-अपनी सीमा में सभी राज्यों के निवासी स्वतंत्र गति से विचरण करते हैं, किन्तु कई बार चरवाहे अपने जानवरों के साथ सीमा पार कर जाते हैं तथा ऋतु परिवर्तन के साथ पुनः वापस आ जाते हैं। इस तरह का दृश्य फ्रांस व स्पेन तथा अफ्रीका में स्पष्टतः देखा जा सकता है।

      फ्रांस व स्पेन के चरवाहे पिरेनीज में तथा पूर्वी अफ्रीका की मसाई जतियाँ भी सीमा पार करके चली जाती हैं। इनमें लैप्स फिन्स एवं खिरगीज प्रमुख हैं। वास्तविकता तो यह है कि इन्हें व्यापार के लिए पूर्णतः अभेद्य न बनाया जाए अर्थात् इन्हें व्यापार के लिए भी प्रयोग में लाया जाए।

(5) कानूनी कार्य (Legal Functions)-

      किसी भी राज्य की सीमा तक उसके कानून लागू होते हैं, अतः इस परिधि में हने वाले सभी व्यक्तियों को वे कानून मानने पड़ते हैं जो उस राज्य द्वारा बनाए जाते हैं। इस सीमा रेखा से बाहर के लोगों प उन कानूनों को नहीं लगाया जा सकता है।


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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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