Unique Geography Notes हिंदी में

Unique Geography Notes in Hindi (भूगोल नोट्स) वेबसाइट के माध्यम से दुनिया भर के उन छात्रों और अध्ययन प्रेमियों को काफी मदद मिलेगी, जिन्हें भूगोल के बारे में जानकारी और ज्ञान इकट्ठा करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस वेबसाइट पर नियमित रूप से सभी प्रकार के नोट्स लगातार विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रकाशित करने का काम जारी है।

POPULATION GEOGRAPHY (जनसंख्या भूगोल)

10. Population Composition, Growth, Density and Distribution (World) / जनसंख्या संरचना, वृद्धि, घनत्व और वितरण (विश्व)

Population Composition, Growth, Density and Distribution (World)

जनसंख्या संरचना, वृद्धि, घनत्व और वितरण (विश्व)



       विश्व की जनसंख्या संरचना, वृद्धि, घनत्व और वितरण एक जटिल विषय है जो भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक कारकों से प्रभावित होता है। जनसंख्या संरचना में उम्र, लिंग, जातीयता और सामाजिक-आर्थिक स्थिति जैसे कारक शामिल हैं। जनसंख्या वृद्धि जन्म दर, मृत्यु दर और प्रवास जैसे कारकों से प्रभावित होती है। जनसंख्या घनत्व प्रति इकाई क्षेत्र में लोगों की संख्या को दर्शाता है जबकि जनसंख्या वितरण से तात्पर्य है कि पृथ्वी की सतह पर लोग कैसे फैले हुए हैं।

Population Composition

जनसंख्या संरचना

    जनसंख्या संरचना से तात्पर्य जनसंख्या के विभिन्न घटकों जैसे आयु, लिंग, जातीयता, शिक्षा, व्यवसाय, आदि के आधार पर जनसंख्या का विभाजन है। यह जनसंख्या की गुणात्मक विशेषताओं को दर्शाता है और इससे किसी क्षेत्र की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक गतिशीलता को समझने में काफी मदद होती है।
     विश्व की जनसंख्या संरचना के कुछ प्रमुख तत्व इस प्रकार हैं:-
1. आयु संरचना:
किसी जनसंख्या में विभिन्न आयु समूहों के लोगों का अनुपात को आयु संरचना कहा जाता है।

⇒ यह जनसंख्या की वृद्धि दर, विकास दर और भविष्य की संभावनाओं को समझने में मदद करता है।

⇒ उदाहरण के लिए, युवा जनसंख्या वाले देशों में उच्च जन्म दर और तीव्र जनसंख्या वृद्धि की संभावना होती है, जबकि वृद्ध जनसंख्या वाले देशों में धीमी वृद्धि या जनसंख्या में कमी हो सकती है। 

2. लिंग संरचना:
⇒ किसी जनसंख्या में पुरुषों और महिलाओं का अनुपात को लिंग संरचना कहा जाता है।

⇒ यह सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक कारकों से प्रभावित होता है।

⇒ उदाहरण के लिए, कुछ देशों में पुरुषों की संख्या महिलाओं की तुलना में अधिक हो सकती है, जबकि अन्य में इसके विपरीत हो सकता है। 

3. जातीय संरचना:
⇒ किसी जनसंख्या में विभिन्न जातीय समूहों का अनुपात को जातीय संरचना कहा जाता है।

⇒ यह सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है।

⇒ उदाहरण के लिए, कुछ देशों में एक ही जातीय समूह के लोग अधिक संख्या में हो सकते हैं, जबकि अन्य में कई जातीय समूहों का मिश्रण हो सकता है।

4. शिक्षा:

⇒ किसी जनसंख्या में शिक्षित और अशिक्षित लोगों का अनुपात।

⇒ यह जनसंख्या की साक्षरता दर, कौशल स्तर और आर्थिक विकास को दर्शाता है।

⇒ उदाहरण के लिए, उच्च साक्षरता दर वाले देशों में बेहतर स्वास्थ्य, आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति की संभावना होती है।

5. व्यवसाय:

⇒ किसी जनसंख्या में विभिन्न व्यवसायों में लगे लोगों का अनुपात।

⇒ यह जनसंख्या की आर्थिक गतिविधियों, कौशल स्तर और जीवन स्तर को दर्शाता है।

⇒ उदाहरण के लिए, कृषि प्रधान देशों में अधिकांश लोग कृषि कार्यों में लगे हो सकते हैं, जबकि औद्योगिक देशों में औद्योगिक और सेवा क्षेत्र में अधिक लोग काम करते हैं। 

जनसंख्या संरचना का महत्व:

⇒ यह किसी देश की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

⇒ यह सरकारों और नीति निर्माताओं को जनसंख्या से संबंधित नीतियों और कार्यक्रमों को बनाने में मदद करती है।

⇒ यह जनसंख्या की वृद्धि दर, विकास दर और भविष्य की संभावनाओं का अनुमान लगाने में मदद करती है।

⇒ यह व्यवसायों को अपने उत्पादों और सेवाओं को लक्षित करने में मदद करता है।

जनसंख्या वृद्धि

    जनसंख्या वृद्धि का अर्थ है किसी क्षेत्र में लोगों की संख्या में समय के साथ होने वाली वृद्धि। यह वृद्धि जन्म दर, मृत्यु दर और प्रवास जैसे कारकों से प्रभावित होती है। 

     कृषि की शुरुआत के पूर्व जन्म दर एवं मृत्यु दर में लगभग संतुलन था, फलस्वरूप जनसंख्या लगभग स्थिर थी। कृषि के विकास के साथ खाद्य पदार्थों की आपूर्ति बढ़ने पर जन्म दर मृत्यु दर की तुलना में अधिक होने लगी, फलस्वरूप लम्बे समय तक जनसंख्या में धीरे-धीरे वृद्धि होती रही। परन्तु औद्योगिक क्रांति के पश्चात खाद्यान्न उत्पादन में तीव्र वृद्धि एवं चिकित्सा सुविधाओं के प्रसार के साथ जनसंख्या में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि होने लगी। पिछले कुछ दशकों में यह वृद्धि विस्फोटक रूप धारण कर चुकी है।

विश्व जनसँख्या में वृद्धि
वर्ष जनसँख्या
1 ई० 2 करोड़
1000 30 करोड़
1650 50 करोड़
1850 100 करोड़
1930 200 करोड़
1960 300 करोड़
1975 400 करोड़
1987 500 करोड़
1999 600 करोड़
2011 700 करोड़
2022 800 करोड़

⇒ पिछली एक शताब्दी में U.S.A की जनसंख्या में 350 प्रतिशत वृद्धि हुई है जबकि भारत में यह वृद्धि 257 प्रतिशत है।

⇒ पिछले 37 वर्षों में विश्व की जनसंख्या दुगुनी हो गई है।

⇒ वर्तमान जनसंख्या वृद्धि दर के अनुसार फ्रांस, जापान, अमेरिका, भारत एवं कीनिया की जनसंख्या क्रमशः 178, 124, 102, 33 एवं 18 वर्षों में दुगुनी हो जाएगी।

⇒ 1950 ई. के पूर्व विकसित देशों की जनसंख्या वृद्धि दर विकासशील देशों की जनसंख्या वृद्धि दर की तुलना में अधिक थी, परन्तु 1950 के पश्चात् विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों की जनसंख्या वृद्धि दर अधिक हो गई है।

⇒ इक्कीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में विश्व की कुल जनसंख्या 6 अरब हो गई। मात्र एक शताब्दी में ही यह 1.6 अरब से चार गुनी बढ़ गई। हम प्रतिवर्ष आठ करोड़ व्यक्ति जोड़ रहे हैं। वास्वत में गत 500 वर्षों में मानव जनसंख्या में दस गुने से अधिक की वृद्धि हुई है।

⇒ आज जनसंख्या की सर्वाधिक वृद्धि अफ्रीका तथा लैटिन अमेरिका के कुछ भागों में हो रही है, जहां मृत्यु दर तेजी से घटी है जबकि जन्म दर काफी ऊंची है।

⇒ विश्व के दस सबसे अधिक जनसंख्या वाले देशों में संसार की लगभग 60 प्रतिशत जनसंख्या रहती है। इन दस देशों में से छः देश एशिया महाद्वीप में स्थित हैं। विश्व के प्रत्येक पांच व्यक्तियों में से एक व्यक्ति चीन में निवास करता है तथा प्रत्येक छः में से एक भारत में। भारत में एक हेक्टेयर कृषि भूमि पर 5 व्यक्ति, चीन में 12 व्यक्ति और संयुक्त राज्य अमेरिका में 1.5 व्यक्ति आश्रित हैं।

⇒ वास्तविक अर्थों में, विश्व की लगभग आधी जनसंख्या मात्र 5 प्रतिशत क्षेत्र पर ही संकेंद्रित है, जबकि कुल क्षेत्रफल का 33 प्रतिशत भाग लगभग निर्जन है।

⇒ वर्तमान समय में विश्व में जनसंख्या वृद्धि दर 1% है। विकसित देशों में से विकासशील देशों में भी वृद्धि दर कम हो रही है। अनुमान है कि विश्व की जनसंख्या 2022 में 8 अरब तथा वर्ष 2037 में 9 अरब तक पहुंच जाएगी। 

⇒ अफ्रीका की वार्षिक जनसंख्या वृद्धि दर (2.5 प्रतिशत) आज विश्व के प्रमुख देशों में सबसे अधिक है। अफ्रीका की सबसे अधिक आबादी वाले देश नाइजीरिया में जनसंख्या वृद्धि की वार्षिक दर 2.4 प्रतिशत है।

⇒ नाइजीरिया की वर्तमान जनसंख्या 22 करोड़ है जो इस दर से अगले 25 वर्षों से कम समय में ही दोगुनी हो जायेगी।

⇒ दक्षिण अमेरिका, एशिया, ओशिनिया और उत्तरी अमेरिका में औसत वार्षिक वृद्धि दर 1 से 2 प्रतिशत के बीच है। इसके विपरीत यूरोप में वृद्धि दर न्यूनतम अर्थात 0.2 प्रतिशत ही है।

⇒ रूस और यूक्रेन, दोनों ही सीआईएस (स्वतंत्र राज्यों का राष्ट्रमंडल) के सदस्य हैं, प्राकृतिक जनसंख्या परिवर्तन के मामले में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। दोनों देशों में जन्म दर कम है और मृत्यु दर अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप जनसंख्या वृद्धि धीमी है या नकारात्मक है। इसके अतिरिक्त, यूक्रेन में रूस के साथ युद्ध के कारण जनसंख्या में भारी गिरावट आई है, जिसमें शरणार्थी संकट और मृत्यु दर शामिल है। 

      जनसंख्या वृद्धि दर की दृष्टि से संपूर्ण विश्व को चार वर्गों में विभाजित किया जा सकता है:-

(i) अत्यधिक वृद्धि दर:-

     इसके अंतर्गत वे देश आते है, जहां वार्षिक जनसंख्या वृद्धि दर 3% से भी अधिक है। विश्व में अत्यधिक जनसंख्या वृद्धि दर वाले देशों में, कुछ अफ्रीकी देश सबसे आगे हैं, जैसे कि नाइजर, अंगोला, बेनिन और युगांडा इसके अलावा, सीरिया भी इस सूची में शामिल है। इन देशों में जन्म दर मृत्यु दर से काफी अधिक है, और मृत्यु दर में भी कमी आई है, जिससे जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। 2100 तक, दुनिया की एक तिहाई आबादी अफ्रीकी हो सकती है।

(ii) अधिक वृद्धि दर:-

    इस वर्ग के देशों में जनसंख्या वृद्धि की वार्षिक गति 2% से 3% के बीच है। इसके अंतर्गत मध्य अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, द. पू. एशिया सहित एशिया के अनेक देश आते हैं, जैसे: बांग्लादेश

(iii) मध्यम वृद्धि दर:-

    विश्व के मध्यम जनसंख्या वृद्धि दर वाले देशों में मुख्य रूप से वे देश शामिल हैं जिनकी जनसंख्या वृद्धि दर 1% से 2% के बीच है। इन देशों में आमतौर पर विकासशील देश शामिल होते हैं, जहाँ जन्म दर अधिक होती है, लेकिन मृत्यु दर में भी सुधार हो रहा है, जिससे जनसंख्या में वृद्धि होती है।, जैसे:

उदाहरण के लिए, कुछ मध्यम जनसंख्या वृद्धि दर वाले देश हैं: 

⇒ अफ्रीका: नाइजीरिया, इथियोपिया, तंजानिया।

⇒ एशिया: भारत, पाकिस्तान, इंडोनेशिया।

⇒ मध्य पूर्व: सऊदी अरब, ईरान।

⇒ लैटिन अमेरिका: मेक्सिको, ब्राजील।

(iv) न्यून वृद्धि दर:-

     इस वर्ग के देशों में जनसंख्या वृद्धि दर 1% से भी कम है। इसके अंतर्गत अधिकांश विकसित देश आते हैं। कुछ विकसित देशों में जनसंख्या में स्थायित्व आ चुका है एवं जनसंख्या ह्रास की प्रवृत्ति है, जैसे: अमेरिका- 0.5%, जापान- (-०.4%)।

जनसंख्या घनत्व

⇒ जनसंख्या घनत्व का अर्थ सामान्यतः किसी क्षेत्र में प्रति वर्ग किलोमीटर या प्रति मील अथवा प्रति हेक्टेयर में निवास करने वाली जनसंख्या से लगाया जाता है।

⇒ जनसंख्या घनत्व एक निश्चित भू-भाग के संपूर्ण क्षेत्र एवं कुल जनसंख्या का अनुपात है।

⇒ जनसंख्या घनत्व के अध्ययन से हमे यह किसी क्षेत्र विशेष जनसंख्या भार, जनाधिक्य एवं जनाभाव, अनुकूलतम जनसंख्या आदि की जानकारी प्राप्त होती है।

⇒ जनसंख्या घनत्व की संकल्पना का उपयोग 1837 में हेनरी ड्यूटी द्वारा आयरलैंड में किया गया था।

⇒ जनसँख्या घनत्व से मनुष्य एवं भूमि के निरन्तर बदलते सम्बन्धों को बताया जा सकता है किन्तु कम बसे एवं अधिक संसाधन वाले रूस, संयुक्त राज्य, ब्राजील जैसे देशों में यह वृद्धि उत्साहजनक मानी जाती है, जबकि चीन, भारत, जापान, बांग्लादेश, इण्डोनेशिया जैसे सीमित संसाधनों वाले एवं अत्यधिक जनसंख्या वाले देशों में यह वृद्धि निराशाजनक एवं अभिशाप भी मानी जाती है।

      जनसंख्या घनत्व निम्नलिखित प्रकार का होता है:-

(1) गणितीय घनत्व:-

     यह वास्तविक घनत्व भी कहलाता है। किसी क्षेत्र की जनसंख्या और वहाँ के क्षेत्रफल के अनुपात को गणितीय घनत्व कहा जाता है। यह मानव एवं भूमि अनुपात भी कहलाता है। इसे निम्नांकित सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है-

गणितीय घनत्व = कुल जनसंख्या / कुल क्षेत्रफल

(2) कृषि घनत्व:-

     यह घनत्व किसी प्रदेश की कृषिगत भूमि एवं उस क्षेत्र में निवास करने वाली कृषि जनसंख्या के अनुपात से प्राप्त होता है। इसका सूत्र निम्न है-

कृषि घनत्व = कृषक जनसंख्या / कृषिगत भूमि का क्षेत्रफल

   कृषि जनसंख्या में वयस्क कृषक तथा कृषि श्रमिक तथा उनके परिवार सम्मिलित होते हैं।
(3) आर्थिक घनत्व:-

    यह घनत्व किसी प्रदेश के आर्थिक संसाधनों की उत्पादन क्षमता एवं वहाँ की जनसंख्या अनुपात से प्राप्त होता है, जैसे-

आर्थिक घनत्व = प्रदेश की जनसंख्या / प्रदेश के संसाधनों की उत्पादन क्षमता

  आर्थिक घनत्व निकालना थोड़ा जटिल होता है क्योंकि आर्थिक संसाधनों का मूल्यांकन करना आसान कार्य नहीं है।

(4) कायिकी घनत्व:-

    इसे कुल क्षेत्रफल के स्थान पर कुल कृषि भूमि से जनसंख्या को विभाजित करके प्राप्त किया जाता है।

कायिकी घनत्व = देश की कुल जनसंख्या/देश की कुल कृषि योग्य भूमि

(5) पौष्टिक घनत्व:-

    इस घनत्व से कृषि भूमि की भार वहन क्षमता ज्ञात होती है। इस घनत्व को भोज्य फसलों के उत्पादक क्षेत्र के क्षेत्रफल तथा उस क्षेत्र में पायी जाने वाली समस्त जनसंख्या के अनुपात से ज्ञात किया जाता है।

पौष्टिक घनत्व = कुल जनसंख्या / खाद्यान्न फसलों के अन्तर्गत क्षेत्र

(6) अधिवासीय घनत्व:-

    यदि कुल क्षेत्रफल के स्थान पर कुल मानव अधिवासीय क्षेत्र जनसंख्या को विभाजित किया जाय तो इसे अधिवासीय घनत्व कहा जाता है।

(7) नगरीय तथा ग्रामीण घनत्व:-

      नगरीय क्षेत्र की प्रति इकाई और ग्रामीण प्रति इकाई में जितने व्यक्ति निवास करते हैं, इसे नगरीय एवं ग्रामीण जनसंख्या घनत्व कहते है।

विश्व की जनसंख्या का घनत्व (Density of Population of the World):-
     विश्व में जिस प्रकार अधिकांश देशों की कुल जनसंख्या में बहुत अधिक अन्तर है, उसी भाँति देशो के जनसंख्या घनत्व में जमीन-आसमान का अन्तर पाया जाता है।

       जनसंख्या घनत्व की दृष्टि से विश्व को पाँच भागों में विभाजित किया जा सकता है:-

(1) सबसे अधिक घनत्व वाले देश (प्रदेश):-

     जहाँ का घनत्व 100 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से अधिक है, ऐसे देश इसके अन्तर्गत आते है। विकासशील देशों के कृषि, औद्योगिक एवं नगरीय क्षेत्रों में एवं विकसित देशों में औद्योगिक एवं व्यापारिक केन्द्रों (नगर) में सभी स्थानों पर आबादी घनी पायी जाती है। दक्षिणी व द.-पू. एशिया की नदी घाटियों एवं उपजाऊ मैदानों में तथा पश्चिमी यूरोप की औद्योगिक पेटी में एवं संयुक्त राज्य का मध्यवर्ती व पूर्वी औद्योगिक प्रदेश सभी में जनसंख्या का घनत्व बहुत ही अधिक है।

(2) घने बसे प्रदेश:-

     इनका घनत्व 50 से 100 मनुष्य प्रति वर्ग किमी० है। इस भाग में भारत, यूरोप और चीन के कृषि-प्रधान क्षेत्र है जिनके बीच-बीच में औद्योगिक क्षेत्रों की पेटियाँ मिलती है, अतः कई भागो में स्थानीय घनत्व 100 मनुष्य से भी अधिक का हो जाता है। उपयुक्त जलवायु, पर्याप्त जलवृष्टि तथा उपजाऊ भूमि के कारण घनत्व अधिक मिलता है।

(3) मध्यम घनत्व वाले प्रदेश:-

     इनमें प्रति वर्ग किमी 15 से 50 मनुष्य तक पाये जाते है। ऐसे भागो में मिसीसिपी नदी का मैदान और उसके संलग्न उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र, अधिकांश पूर्वी यूरोप के देश, मुख्य चीन के उत्तरी-पश्चिमी तथा हिन्दचीन के पूर्वी और भारत के उत्तरी-पश्चिमी भाग विशेष रूप से सम्मिलित किये जाते है। इनमे वर्षा की मात्रा कम होने पर सिचाई की जाती है और उपयुक्त क्षेत्रों में खेती की जाती है।

(4) कम घनत्व वाले प्रदेश:-

     इनका प्रति वर्ग किमी घनत्व 2 से 15 होता है। जिन क्षेत्रों में घास के मैदान पाये जाते है, वहाँ पशुपालन अथवा अनुकूल स्थिति में सिंचित कृषि की जाती है। एशिया, अफ्रीका एवं उत्तरी व दक्षिणी घास के मैदानों में ऐसी ही स्थिति है।

(5) निर्जनप्राय प्रदेश:-

     अत्यधिक ठण्डे एवं बर्फ से ढंके ध्रुवीय व उपधुवीय प्रदेश, घने वनों से ढंके प्रदेश, ऊँचे पर्वत, पठारी भाग, उष्ण व शीतोष्ण मरुस्थल विश्व के प्रायः जनशून्य प्रदेश है। यहाँ पर दूर-दूर इनी-गिनी झोपड़ियाँ पायी जाती है। यहाँ जनसंख्या का घनत्व 2 से भी कम पाया जाता है।

विश्व में जनसंख्या वितरण

    विश्व में जनसंख्या के वितरण पर भौतिक (जलवायु, स्थलाकृति, मिट्टी, खनिज आदि), सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं जनसांख्यिकीय कारकों का प्रभाव पड़ा है।

⇒ विश्व की 60 प्रतिशत जनसंख्या 200 मीटर से कम एवं 80 प्रतिशत जनसंख्या 500 मीटर से कम ऊँचाई वाले भागों में निवास करती है।

⇒ उष्ण मरुस्थलों में विरल जनसंख्या का प्रमुख कारण निम्न वर्षा है न कि उच्च तापमान।

⇒ विश्व की कुल जनसंख्या का 90 प्रतिशत भाग उत्तरी गोलार्द्ध में एवं 10% दक्षिणी गोलार्द्ध में निवास करता है।
⇒ एशिया में 20° से 40° उत्तरी अक्षांश के बीच विश्व की 50% से भी अधिक जनसंख्या निवास करती है। इसी प्रकार यूरोप में 40° से 60° अक्षांश के बीच विश्व की 30% जनसंख्या निवास करती है।

⇒  60° अक्षांश के उत्तर विश्व की मात्र 1 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

⇒ विश्व की लगभग 50 प्रतिशत जनसंख्या 5 प्रतिशत से भी कम भू-भाग पर निवास करती है।

⇒ विश्व की 75 प्रतिशत जनसंख्या समुद्री तट से 1000 कि.मी. से कम दूरी पर एवं 66 प्रतिशत जनसंख्या समुदी तट से 500 कि.मी. से कम दूरी पर बसी हुई है।

⇒ विश्व का लगभग एक-तिहाई भाग शीत एवं शुष्कता के कारण मानव अधिवास के अनुपयुक्त है। इस प्रकार महाद्वीपों के कुल क्षेत्रफल का 55 से 60 प्रतिशत भाग अधिवास योग्य या एक्यूमीन (Ecumene) है।

⇒ कठोर जलवायु के कारण अंटार्कटिका महाद्वीप जनशून्य है एवं ग्रीनलैंड में जनसंख्या का घनत्व 1 व्यक्ति प्रति 50 वर्ग कि.मी. है।

⇒ इसी प्रकार अलास्का, आस्ट्रेलियाई मरुस्थल एवं अमेजन बेसिन में जनसंख्या का घनत्व क्रमशः 1 व्यक्ति प्रति 3 वर्ग कि.मी., 2.5 व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी. एवं 2 व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी. है।

⇒ दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्वी एशिया में उपयुक्त जलवायु एवं उपजाऊ मिट्टी के कारण सघन जनसंख्या पाई जाती है।

⇒ चीन की लगभग दो-तिहाई जनसंख्या समुद्र तटीय क्षेत्रों एवं निम्न नदी घाटियों में निवास करती है, क्योंकि इन क्षेत्रों की जलवायु एवं मृदा कृषि कार्य के लिए उपयुक्त है। ⇒ मरुस्थलीय जलवायु के बावजूद नील घाटी एवं राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर क्षेत्र में काफी सघन जनसंख्या पाई जाती है।

⇒ जावा द्वीप पर ज्वालामखी लावा द्वारा निर्मित उपजाऊ मिट्टी के कारण सघन जनसंख्या पाई जाती है, जबकि सुमात्रा द्वीप पर अपक्षयण (Leached) एवं अनुपजाऊ मिट्टी के कारण जनसंख्या की सघनता कम है।

⇒ अनुपयुक्त भौतिक परिस्थितियों के बावजूद एण्डीज पर्वत के चुकाईकामाटा (तांबा खनन), कनाडा के यूरेनियम सिटी (यूरेनियम खनन); पश्चिमी आस्ट्रेलिया एवं दक्षिण अफ्रीका के मरुस्थलीय क्षेत्र (स्वर्ण खनन) के कुछ भागों में सघन जनसंख्या पाई जाती है।

      जनसंख्या वितरण की दृष्टि से विश्व को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है:

1. सघन जनसंख्या के प्रदेश (Densly Populated Region):-

      इसके अंतर्गत विश्व के 5 प्रदेश आते हैं, जिनमें जनसंख्या का औसत घनत्त्व 100 व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी. से भी अधिक है:

(i) पूर्वी एशियाः चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, हांगकांग।

(ii) दक्षिणी एशियाः भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश नेपाल।

(iii) दक्षिण-पूर्वी एशिया

(iv) उत्तर-पश्चिमी यूरोपः ब्रिटेन, जर्मनी, हालैंड, बेल्जियम, लक्समबर्ग, फ्रांस, आयरलैंड, डेनमार्क, स्पेन, इटली।

(v) पूर्वी-उत्तर अमेरिकाः उत्तर-पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण-पूर्वी कनाडा।

     उपरोक्त क्षेत्रों के अलावा मिस्त्र में नील नदी की घाटी में भी जनसंख्या का घनत्व अधिक है।

⇒ प्रथम तीन क्षेत्रों में विश्व की 58 प्रतिशत जनसंख्या पाई जाती है।

⇒ जावा, ह्वांगहो का मैदान, चीन के पूर्वी तट, सिंगापुर, हांगकांग जैसे क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व 1000 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. से भी अधिक है।

⇒ जनसंख्या घनत्व की दृष्टि से मकाओ का विश्व में प्रथम स्थान है।

2. विरल जनसंख्या के प्रदेश (Sparsely Populated Region):-

     विश्व के 5 प्रदेश ऐसे हैं, जहाँ जनसंख्या का घनत्व 10 व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी. से भी कम है। वास्तविकता यह है कि विश्व के 55 प्रतिशत भू-भाग पर मात्र 5 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

(i) उच्च अक्षांशीय क्षेत्रः 60° अक्षांश से ऊपर विश्व की मात्र 1% जनसंख्या निवास करती है। आर्कटिक एवं अंटार्कटिक के अलावा उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग, ग्रीनलैंड एवं साइबेरिया इसके अंतर्गत आते हैं।

(ii) मरुस्थलीय क्षेत्रः विश्व के सभी मरुस्थलों (उष्ण एवं शीतोष्ण) में जनसंख्या का घनत्व काफी कम है।

(iii) महाद्वीपीय जलवायु वाले आंतरिक प्रदेशः शुष्कता के कारण मध्य एशिया में जनसंख्या का घनत्व काफी कम है।

(iv) विषुवत रेखीय घने वनः इसके अंतर्गत अफ्रीका का कांगो बेसिन एवं द. अमेरिका का अमेजन बेसिन तथा दक्षिण-पूर्वी एशिया के द्वीपीय क्षेत्र सम्मिलित हैं। इस प्रदेश की उष्ण एवं आर्द्र जलवायु, घने जंगल, मच्छर एवं सीसी-सीसी (Tsi-Tsi) मक्खी का प्रकोप जनसंख्या के विकास में बाधक है।

(v) उच्च पर्वतीय क्षेत्रः पर्वतों पर ऊँचाई के अनुसार जनसंख्या विरल होती जाती है। हिमालय, आल्पस, रॉकी एवं एण्डीज के पर्वतीय भागों में 2500 मीटर से अधिक ऊँचाई वाले भाग निर्जन हैं।

3. सामान्य जनसंख्या के प्रदेशः-

     ये प्रदेश उपरोक्त दोनों प्रदेशों के मध्य स्थित हैं, जहां भौगोलिक परिस्थितियाँ न ही अधिक अनुकूल हैं और न ही प्रतिकूल।

     खनिजों के विदोहन के लिए विश्व के कई प्रतिकूल जलवायु वाले क्षेत्रों में बस्तियों का विकास किया गया है। उदाहरण के लिए स्वीडन के गैलीवारा (लौह अयस्क), कनाडा के यूकन घाना (सोना), अलास्का के यूकनपोर्ट (सोना), साइबेरिया (सोना, तेल, प्राकृतिक गैस) आदि।

    उष्ण कटिबंध के प्रतिकूल जलवायु के कारण अनेक बस्तियां समुद्र तल से 2000 मीटर से अधिक ऊँचाई पर बसी हुई हैं। जैसे अदीस अबाबा (इथियोपिया), कम्पाला (युगांडा), क्योटो (इक्वेडोर), नैरोबी (कीनिया), ऊटी (भारत) एवं कैण्डी (श्रीलंका)।

बोलीविया की राजधानी ला-पाज (La Paz): विश्व में सर्वाधिक ऊंचाई पर बसा हुआ नगर है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 3640 मीटर है।

निष्कर्ष:

    निष्कर्षत: कहा जा सकता है कि जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संरचना का अध्ययन महत्वपूर्ण है ताकि हम जनसंख्या के रुझानों को समझ सकें और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए योजना बना सकें। यह समझना कि जनसंख्या कैसे वितरित की जाती है और कैसे बदलती है, नीति निर्माताओं को संसाधनों का आवंटन करने और स्थायी विकास को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है।
I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

LEAVE A RESPONSE

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts

error:
Home