30. Bio-diversity: Hot Spots (जैव विविधता हॉटस्पॉट्स)
Bio-diversity: Hot Spots
(जैव विविधता हॉटस्पॉट्स)
परिचय
जैव विविधता हॉटस्पॉट्स वे क्षेत्र हैं जहाँ जीव-जंतुओं और पादपों की अत्यधिक विविधता पाई जाती है, परंतु ये क्षेत्र मानवीय क्रियाकलापों के कारण गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं।
इस अवधारणा को सर्वप्रथम 1988 में नॉर्मन मायर्स (Norman Myers) ने प्रस्तुत किया था। किसी क्षेत्र को जैव विविधता हॉटस्पॉट कहलाने के लिए दो प्रमुख शर्तें होती हैं—पहली, वहाँ कम से कम 1,500 स्थानिक (endemic) प्रजातियाँ होनी चाहिए, और दूसरी, उस क्षेत्र की कम से कम 70% प्राकृतिक वनस्पति नष्ट हो चुकी होनी चाहिए।
विश्व में वर्तमान में लगभग 36 जैव विविधता हॉटस्पॉट्स मान्यता प्राप्त हैं, जिनमें भारत के चार प्रमुख हॉटस्पॉट शामिल हैं—हिमालय, पश्चिमी घाट, भारत-बर्मा क्षेत्र और सुंडलैंड। भारत के ये क्षेत्र अनेक स्थानिक और विलुप्तप्राय प्रजातियों जैसे एशियाई शेर, नीलगिरी तहर, लाल पांडा आदि के निवास स्थल हैं।
जैव विविधता हॉटस्पॉट्स न केवल पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखते हैं बल्कि औषधीय पौधों, जलवायु नियंत्रण और जल स्रोत संरक्षण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन क्षेत्रों का संरक्षण सतत् विकास और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए अत्यावश्यक है।
भारत में चार प्रमुख जैव विविधता हॉटस्पॉट्स हैं:-
1. हिमालय जैव विविधता हॉटस्पॉट
हिमालय क्षेत्र में भारत, नेपाल, भूटान, पाकिस्तान और तिब्बत के हिस्से शामिल हैं। यह क्षेत्र लगभग 7,50,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां लगभग 10,000 वनस्पति प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 3,160 प्रजातियाँ स्थानिक हैं।
इसके अलावा, 300 स्तनधारी प्रजातियां भी यहां पाई जाती हैं। यहां के प्रमुख जीवों में हिमालयी ताहर, सुनहरा लंगूर, हुलोक गिब्बन, उड़न गिलहरी, हिम तेंदुआ, गांगेय डॉल्फिन आदि शामिल हैं।
2. पश्चिमी घाट जैव विविधता हॉटस्पॉट
पश्चिमी घाट, जिसे सह्याद्रि भी कहा जाता है, भारत के पश्चिमी तट पर स्थित है। यह क्षेत्र लगभग 1,60,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां 5,916 वनस्पति प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से लगभग 50 प्रतिशत स्थानिक हैं। स्तनधारी जीवों की 140 प्रजातियां यहां पाई जाती हैं, जिनमें से 18 स्थानिक हैं।
पक्षियों की 458 प्रजातियां, उभयचरों की 178 प्रजातियां और मछलियों की 191 प्रजातियां भी यहां पाई जाती हैं। इस क्षेत्र में पाए जाने वाले प्रमुख जीवों में एशियाई हाथी, मैकाक बंदर, काले भालू, तेंदुआ, किंग कोबरा, भारतीय सागौन, काजू, इलायची, काली मिर्च आदि शामिल हैं।
3. भारत-बर्मा जैव विविधता हॉटस्पॉट
यह क्षेत्र भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों और म्यांमार के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है। यहां मिश्रित आर्द्र सदाबहार, शुष्क सदाबहार, पतझड़ी और पर्वतीय वन पाए जाते हैं।
इस क्षेत्र में 433 स्तनधारी प्रजातियां, 1,266 मछली प्रजातियां, 1,500 से अधिक पक्षी प्रजातियां, 1,000 से अधिक उभयचर प्रजातियां, 3,000 से अधिक कीट प्रजातियां और 1,000 से अधिक पौधों की प्रजातियां पाई जाती हैं। यहां के प्रमुख जीवों में एशियाई हाथी, बाघ, तेंदुआ, काले भालू, गैंडा, काजू, इलायची, काली मिर्च आदि शामिल हैं।
4. सुंडलैंड जैव विविधता हॉटस्पॉट
यह क्षेत्र भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और इंडोनेशिया के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है। यहां उष्णकटिबंधीय वर्षावन, मैंग्रोव वन, समुद्री घास के मैदान और प्रवाल भित्तियां पाई जाती हैं।
इस क्षेत्र में 1,500 से अधिक पौधों की प्रजातियां, 1,000 से अधिक कीट प्रजातियां, 200 से अधिक पक्षी प्रजातियां, 100 से अधिक स्तनधारी प्रजातियां और 50 से अधिक उभयचर प्रजातियां पाई जाती हैं। यहां के प्रमुख जीवों में अंडमान डॉल्फिन, निकोबार पिग, अंडमान ट्री फॉग, निकोबार किंगफिशर आदि शामिल हैं।
जैव विविधता हॉटस्पॉट्स के संरक्षण की आवश्यकता
इन हॉटस्पॉट्स के संरक्षण के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
(i) संरक्षित क्षेत्र स्थापित करना:-
राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्यों और बायोस्फीयर रिजर्व्स की स्थापना करके इन क्षेत्रों की जैव विविधता की रक्षा की जा सकती है।
(ii) स्थानीय समुदायों की भागीदारी:-
स्थानीय समुदायों को जैव विविधता संरक्षण में शामिल करके उनके पारंपरिक ज्ञान और संसाधनों का उपयोग किया जा सकता है।
(iii) शिक्षा और जागरूकता:-
लोगों में जैव विविधता के महत्व के प्रति जागरूकता बढ़ाकर संरक्षण प्रयासों को सफल बनाया जा सकता है।
(iv) वैज्ञानिक अनुसंधान:-
वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से इन क्षेत्रों की जैव विविधता, पारिस्थितिकी और संरक्षण के उपायों का अध्ययन किया जा सकता है।
(v) नीति और योजना:-
सरकारों द्वारा जैव विविधता संरक्षण के लिए नीतियां और योजनाएं बनाकर उनका प्रभावी क्रियान्वयन किया जा सकता है।
निष्कर्ष
भारत के जैव विविधता हॉटस्पॉट्स न केवल जैविक विविधता से समृद्ध हैं, बल्कि ये पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता और मानव सभ्यता के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इनका संरक्षण हमारे पर्यावरणीय संतुलन और जीवन की गुणवत्ता के लिए आवश्यक है। इसलिए, इन क्षेत्रों के संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।