Unique Geography Notes हिंदी में

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BSEB CLASS 11NCERT CLASS 11

Chapter 4 Distribution of Oceans and Continents (महासागरों और महाद्वीपों का वितरण)

Chapter 4 Distribution of Oceans and Continents

(महासागरों और महाद्वीपों का वितरण)

(भाग – 1 : भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत)



Chapter 4 Distribution of Oceans

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न एवं उनके उत्तर

(i) निम्न में से किसने सर्वप्रथम यूरोप, अफ्रीका व अमेरिका के साथ स्थित होने की संभावना व्यक्त की?

(क) अल्फ्रेड वेगनर

(ख) अब्राहम आरटेलियस

(ग) एनटोनियो पेलग्रिनी

(घ) एमंड हैस

उत्तर- (ख) अब्राहम आरटेलियस

व्याख्या:

    अब्राहम आरटेलियस (Abraham Ortelius) ने सन् 1596 में सर्वप्रथम यह विचार प्रस्तुत किया कि यूरोप, अफ्रीका और अमेरिका महाद्वीप पहले एक साथ जुड़े हुए थे, परंतु बाद में वे अलग हो गए।

    यह विचार आगे चलकर अल्फ्रेड वेगनर (1912) के महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत (Continental Drift Theory) का आधार बना।

(ii) पोलर फ्लिंग बल (Polar fleeing force) निम्नलिखित में से किससे सम्बन्धित है?

(क) पृथ्वी का परिक्रमण

(ख) पृथ्वा का घूर्णन

(ग) गुरुत्वाकर्षण

(घ) ज्वारीय बल

उत्तर (ख) पृथ्वा का घूर्णन

व्याख्या:

    पोलर फ्लिंग बल (Polar Fleeing Force) या अपकेन्द्रीय बल (Centrifugal Force) पृथ्वी के घूर्णन (Rotation) से उत्पन्न होता है।

    जब पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है, तो इसके कारण भूमध्य रेखा (Equator) पर वस्तुओं को बाहर की ओर धकेलने वाली एक काल्पनिक बल उत्पन्न होती है। इस बल का प्रभाव ध्रुवों पर न्यूनतम और भूमध्य रेखा पर अधिकतम होता है। इसी कारण पृथ्वी का आकार थोड़ा चपटा (Oblate Spheroid) है।

(iii) इनमें से कौन सी लघु (Minor) प्लेट नहीं है?

(क) नाजका

(ख) फिलिप्पिन

(ग) अरब

(घ) अंटार्कटिक

उत्तर- (घ) अंटार्कटिक

व्याख्या:

     पृथ्वी की प्लेटों को दो श्रेणियों में बाँटा गया है-

1. मुख्य (Major) प्लेटें

2. लघु (Minor) प्लेटें

मुख्य प्लेटें हैं-

→ प्रशांत (Pacific)

→ उत्तर अमेरिकी (North American)

→ दक्षिण अमेरिकी (South American)

→ अफ्रीकी (African)

→ यूरेशियन (Eurasian)

→ अंटार्कटिक (Antarctic)

→ इंडो-ऑस्ट्रेलियाई (Indo-Australian)

लघु प्लेटें हैं —

→ नाजका (Nazca)

→ अरब (Arabian)

→ फिलिप्पिन (Philippine)

→ कोकोस (Cocos) आदि

     इसलिए अंटार्कटिक प्लेट लघु नहीं बल्कि मुख्य प्लेट है।

(iv) सागरीय तल विस्तार सिद्धांत की व्याख्या करते हुए हेस ने निम्न से किस अवधारणा को नहीं विचारा?

(क) मध्य-महासागरीय कटकों के साथ ज्वालामुखी क्रियाएँ

(ख) महासागरीय नितल की चट्टानों में सामान्य व उत्क्रमण चुम्बकत्व क्षेत्र की पट्टियों का होना।

(ग) विभिन्न महाद्वीपों में जीवाश्मों का वितरण

(घ) महासागरीय तल की चट्टानों की आयु।

उत्तर- (ग) विभिन्न महाद्वीपों में जीवाश्मों का वितरण

व्याख्या:

    हेस (Harry H. Hess) ने सागरीय तल विस्तार सिद्धांत (Sea Floor Spreading Theory) में यह बताया कि महासागरीय मध्य कटकों (Mid-Oceanic Ridges) से नए बेसाल्टिक पदार्थ निकलते हैं, जिससे समुद्री तल दोनों ओर फैलता है।

   उन्होंने अपने सिद्धांत में निम्न अवधारणाओं पर विचार किया था-

(क) मध्य-महासागरीय कटकों के साथ ज्वालामुखी क्रियाएँ

(ख) महासागरीय नितल की चट्टानों में सामान्य व उत्क्रमण चुम्बकत्व क्षेत्र की पट्टियाँ

(घ) महासागरीय तल की चट्टानों की आयु में भिन्नता

    लेकिन विभिन्न महाद्वीपों में जीवाश्मों का वितरण का विचार अल्फ्रेड वेगनर के महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत (Continental Drift Theory) से संबंधित है, न कि हेस के सिद्धांत से।

(v) हिमालय पर्वतों के साथ भारतीय प्लेट की सीमा किस तरह की प्लेट सीमा है?

(क) महासागरीय-महाद्वीपीय अभिसरण

(ख) अपसारी सीमा

(ग) रूपांतर सीमा

(घ) महाद्वीपीय अभिसरण

उत्तर (घ) महाद्वीपीय अभिसरण

व्याख्या:

   हिमालय पर्वतों का निर्माण भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के टकराव (अभिसरण) से हुआ है। दोनों ही महाद्वीपीय प्लेटें हैं।

    जब भारतीय प्लेट उत्तर की ओर बढ़ते हुए यूरेशियन प्लेट से टकराई, तो इस टक्कर से पृथ्वी की परतें मुड़कर ऊपर उठीं और हिमालय पर्वत श्रृंखला का निर्माण हुआ। इसलिए यह एक महाद्वीपीय-अभिसरण (Continental Convergent) सीमा का उदाहरण है।

(vi) महाद्वीपीय विस्थापन के सिद्धांत का प्रतिपादन किसने किया?

(क) वेगनर

(ख) बेकन

(ग) टेलर

(घ) हेनरी हेस

उत्तर- (क) वेगनर

व्याख्या:

      महाद्वीपीय विस्थापन का सिद्धांत (Continental Drift Theory) अल्फ्रेड वेगनर (Alfred Wegener) ने सन् 1912 में प्रस्तुत किया था।

    उन्होंने यह विचार दिया कि सभी महाद्वीप पहले एक साथ जुड़े हुए थे और एक महाद्वीप पैंजिया (Pangaea) के रूप में अस्तित्व में था, जो बाद में टूटकर वर्तमान महाद्वीपों में विभाजित हो गया।

(vii) निम्नलिखित में से कौन-सा सबसे छोटा महासागर है?

(क) हिन्द महासागर

(ख) आर्कटिक महासागर

(ग) अटलांटिक महासागर

(घ) प्रशांत महासागर

उत्तर- (ख) आर्कटिक महासागर

व्याख्या:

    आर्कटिक महासागर (Arctic Ocean) पृथ्वी का सबसे छोटा और सबसे उथला महासागर है। यह उत्तरी ध्रुव के चारों ओर स्थित है और अधिकांश भाग वर्षभर बर्फ से ढका रहता है।

(viii) निम्नलिखित में से कौन-सा पटल विरूपण से संबंधित नहीं है?

(क) पर्वत बल

(ख) प्लेट विवर्तनिक

(ग) महादेश जनक बल।

(घ) संतुलन

उत्तर- (घ) संतुलन।

व्याख्या:

     पटल विरूपण (Crustal deformation) से तात्पर्य पृथ्वी की भूपर्पटी में होने वाले मोड़, भ्रंश, उत्थान आदि परिवर्तनों से है, जो मुख्यतः अंतर्जात बलों जैसे- पर्वत निर्माण बल (ओरोजेनी), प्लेट विवर्तनिकी आदि के कारण होते हैं।

    जबकि “संतुलन” (Isostasy) पृथ्वी के पर्पटीय द्रव्यमान के संतुलित स्थिति से संबंधित है, न कि विरूपण से।

(ix) समुद्रतल पर सामान्य वायुमंडलीय दाब कितना होता है?

(क) 1031.25 मिलीबार

(ख) 1013.25 मिलीबार

(ग) 1013.52 मिलीबार

(घ) 1031.52 मिलीबार

उत्तर- (ख) 1013.25 मिलीबार

व्याख्या:

   समुद्रतल पर सामान्य वायुमंडलीय दाब को मानक वायुमंडलीय दाब (Standard Atmospheric Pressure) कहा जाता है, जिसका मान 1013.25 मिलीबार (या 1 वायुमंडल, 760 mm Hg) माना जाता है।

(x) लवणता को प्रति, समुद्र तल में घुले हुए नमक (ग्राम) को मात्रा से व्यक्त किया जाता है

(क) 10 ग्राम

(ख) 100 ग्राम

(ग) 1000 ग्राम

(घ) 10,000 ग्राम

उत्तर- (ग) 1000 ग्राम

व्याख्या:

      समुद्र जल की लवणता (Salinity) को इस प्रकार व्यक्त किया जाता है-

       “1000 ग्राम (अर्थात् 1 किलोग्राम) समुद्री जल में घुले हुए नमक की मात्रा (ग्राम में)”।

    उदाहरण: औसत लवणता ≈ 35‰ (प्रति हजार) होती है, अर्थात् 1000 ग्राम समुद्री जल में लगभग 35 ग्राम नमक घुला होता है।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

(i) महाद्वीपों के प्रवाह के लिए वेगनर ने निम्नलिखित में से किन बलों का उल्लेख किया?

उत्तर- वेगनर ने महाद्वीपों के प्रवाह के लिए दो बलों का उल्लेख किया- ज्वारीय बल (Tidal Force) और पोलर फ्लिंग बल (Polar Fleeing Force), जो पृथ्वी के घूर्णन व चंद्रमा के आकर्षण से उत्पन्न होते हैं।

(ii) मैंटल में संवहन धाराओं के आरम्भ होने और बने रहने के क्या कारण हैं?

उत्तर- मैंटल में संवहन धाराओं (Convection Currents) के आरम्भ होने और बने रहने के मुख्य कारण हैं-

1. पृथ्वी के अन्दर ऊष्मा का असमान वितरण:-

     पृथ्वी के भीतरी भाग (कोर) में अत्यधिक ताप होता है, जबकि ऊपर के भाग अपेक्षाकृत ठंडे होते हैं।

2. गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव:-

     गर्म, हल्का पदार्थ ऊपर उठता है और ठंडा, भारी पदार्थ नीचे की ओर जाता है।

3. रेडियोधर्मी तत्त्वों का अपक्षय:-

    यूरेनियम, थोरियम आदि तत्त्वों के अपघटन से निरंतर ऊष्मा उत्पन्न होती है, जो संवहन को बनाए रखती है।

    परिणामस्वरूप, यह ऊष्मा प्रवाह मैंटल में निरंतर ऊपर-नीचे की गति पैदा करता है, जिसे संवहन धाराएँ कहते हैं।

(iii) प्लेट की रूपांतर सीमा, अभिसरण सीमा और अपसारी सीमान्त में मुख्य अन्तर क्या है?

उत्तर- रूपांतर सीमा में प्लेटें एक-दूसरे के समानांतर सरकती हैं, अभिसरण सीमा में प्लेटें टकराती हैं, जबकि अपसारी सीमा में प्लेटें एक-दूसरे से दूर हटती हैं।

(iv) दक्कन ट्रैप के निर्माण के दौरान भारतीय स्थलखण्ड की स्थिति क्या थी?

उत्तर- दक्कन ट्रैप के निर्माण के समय भारतीय स्थलखण्ड गोंडवाना भूभाग का हिस्सा था और भूमध्यरेखीय क्षेत्र के दक्षिण में स्थित था। लगभग 6.5 करोड़ वर्ष पूर्व, जब भारत अंटार्कटिका और ऑस्ट्रेलिया से अलग होकर उत्तर की ओर बढ़ रहा था, तब इस क्षेत्र में तीव्र ज्वालामुखीय गतिविधियाँ हुईं।

   इन्हीं विस्फोटों से विशाल मात्रा में बेसाल्ट लावा निकला, जिसने परत-दर-परत फैलकर दक्कन ट्रैप का निर्माण किया। उस समय भारतीय प्लेट तेजी से यूरेशियाई प्लेट की ओर बढ़ रही थी, जिससे इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति और संरचना में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

(i) महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के पक्ष में दिये गये प्रमाणों का वर्णन करें?

उत्तर-  अल्फ्रेड वेगनर ने सन् 1912 में महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत (Continental Drift Theory) प्रस्तुत किया। उनके अनुसार, आज के सभी महाद्वीप एक समय में “पैंजिया” नामक एक महाद्वीप के भाग थे, जो बाद में टूटकर वर्तमान स्थिति में आ गए।

         इस सिद्धांत के समर्थन में वेगनर ने कई वैज्ञानिक प्रमाण प्रस्तुत किए-

1. भौगोलिक प्रमाण:-

      अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के तटरेखाएँ पज़ल के टुकड़ों की तरह एक-दूसरे से मिलती हैं, जिससे पता चलता है कि ये कभी जुड़े हुए थे।

2. जीवाश्म प्रमाण:-

     विभिन्न महाद्वीपों जैसे दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, भारत और ऑस्ट्रेलिया में एक ही प्रकार के जीवाश्म (जैसे ग्लॉसोप्टेरिस पौधा और मेसोसॉरस जन्तु) पाए गए, जो यह दर्शाते हैं कि ये स्थलखंड पहले जुड़े हुए थे।

3. भूगर्भिक संरचना:-

     एक जैसे पर्वत शृंखलाएँ और चट्टानों की बनावट अलग-अलग महाद्वीपों पर पाई जाती हैं, जैसे उत्तरी अमेरिका और यूरोप की अपलाचियन तथा कैलिडोनियन पर्वतमालाएँ।

4. जलवायु प्रमाण:-

     आज ठंडे क्षेत्रों में कोयले की परतें और गर्म क्षेत्रों में हिमनदीय अवशेष मिलते हैं, जो पूर्व की जलवायु में परिवर्तन का संकेत देते हैं।

     इन सभी प्रमाणों से स्पष्ट होता है कि महाद्वीप वास्तव में अतीत में एक साथ जुड़े थे और धीरे-धीरे अलग हुए।

(ii) महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत व प्लेट विवर्तनिक सिद्धान्त में मूलभूत अंतर बताइए।

उत्तर- महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत (Continental Drift Theory) का प्रतिपादन 1912 में अल्फ्रेड वेगनर ने किया था।

    इस सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी के सभी महाद्वीप एक समय “पैंजिया” नामक एक ही भूखंड का भाग थे, जो लगभग 20 करोड़ वर्ष पहले टूटकर विभिन्न दिशाओं में खिसक गए और वर्तमान स्थिति में आ गए। वेगनर ने महाद्वीपों के प्रवाह के लिए “ज्वारीय बल” और “पोलर फ्लिंग बल” को कारण बताया।

    यद्यपि उनके सिद्धांत ने महाद्वीपों के समान तट रेखाओं, जीवाश्मों और शैल संरचनाओं में समानता का उल्लेख किया, परंतु इसमें महाद्वीपों के विस्थापन के वास्तविक बलों की वैज्ञानिक व्याख्या का अभाव था, इसलिए इसे पूर्णतः स्वीकार नहीं किया गया।

     दूसरी ओर, प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत (Plate Tectonic Theory) 1960 के दशक में विकसित हुआ, जो सागरीय तल विस्तार (Seafloor Spreading) और महाद्वीपीय विस्थापन दोनों को समाहित करता है। इस सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी का बाहरी कठोर भाग कई बड़ी और छोटी लिथोस्फेरिक प्लेटों में विभाजित है, जो पृथ्वी की दुर्बल मंडल (Asthenosphere) पर तैरती हैं। इन प्लेटों की गति के कारण ही पर्वत निर्माण, भूकंप, ज्वालामुखी और महासागरीय गर्त जैसी भौगोलिक घटनाएँ होती हैं।

      इस प्रकार, मुख्य अंतर यह है कि वेगनर का सिद्धांत केवल महाद्वीपों की गति तक सीमित था, जबकि प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत सम्पूर्ण पृथ्वी की प्लेटों की गति और उनसे जुड़ी भौगोलिक प्रक्रियाओं की वैज्ञानिक व्याख्या करता है।

(iii) महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत के उपरान्त की प्रमुख खोज क्या है, जिससे वैज्ञानिकों ने महासागर वितरण के अध्ययन में पुनः रुचि ली?

उत्तर- अल्फ्रेड वेगनर के महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत (Continental Drift Theory) के उपरांत 20वीं शताब्दी के मध्य में वैज्ञानिकों ने कई महत्वपूर्ण खोजें कीं, जिनसे महासागर के वितरण और संरचना के अध्ययन में पुनः गहरी रुचि उत्पन्न हुई।

      इनमें सबसे प्रमुख खोज थी “सागरीय तल प्रसार सिद्धांत (Sea Floor Spreading Theory)”, जिसे 1960 के दशक में हैरी हेस (Harry Hess) ने प्रस्तुत किया।

   इस सिद्धांत के अनुसार, महासागरों के मध्य में स्थित मध्य-महासागरीय पर्वतमालाओं (Mid-Oceanic Ridges) से नये भू-पटल का निर्माण होता है, और यह धीरे-धीरे दोनों ओर फैलता जाता है।

     इसके समर्थन में चुंबकीय अनियमितताओं (Magnetic anomalies), समुद्री तल की आयु, तथा गहराई के सर्वेक्षणों से प्राप्त प्रमाण मिले। यह भी पाया गया कि महासागरों का तल अपेक्षाकृत नया है और इसका निरंतर पुनर्निर्माण होता रहता है। इस खोज से यह स्पष्ट हुआ कि महाद्वीप वास्तव में गतिशील हैं और पृथ्वी की सतह प्लेटों में विभाजित है जो आपस में गतिमान हैं।

   इस प्रकार, सागरीय तल प्रसार सिद्धांत तथा प्लेट विवर्तनिकी (Plate Tectonics) के विकास ने वेगनर के विचारों को वैज्ञानिक आधार दिया और पृथ्वी के महाद्वीपोंमहासागरों के वितरण, गति तथा उनके विकास को समझने का नया दृष्टिकोण प्रदान किया।

I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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