अध्याय 9 भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास (Planning and Sustainable Development in Indian Context)
इकाई -3 अध्याय 9 भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास
(Planning and Sustainable Development in Indian Context)
अध्याय 9 भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास
(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए
प्रश्न 1. प्रदेशीय नियोजन का संबंध है-
(क) आर्थिक व्यवस्था के विभिन्न सेक्टरों का विकास
(ख) क्षेत्र विशेष के विकास का उपागम
(ग) परिवहन जल तंत्र में क्षेत्रीय अंतर
(घ) ग्रामीण क्षेत्रों का विकास
उत्तर – (क) आर्थिक व्यवस्था के विभिन्न सेक्टरों का विकास
प्रश्न 2. आई.टी.डी.पी. निम्नलिखित में से किस संदर्भ में वर्णित है?
(क) समन्वित पर्यटन विकास प्रोग्राम
(ख) समन्वित यात्रा विकास प्रोग्राम
(ग) समन्वित जनजातीय विकास प्रोग्राम
(घ) समन्वित परिवहन विकास प्रोग्राम
उत्तर – (ग) समन्वित जनजातीय विकास प्रोग्राम
प्रश्न 3. इंदिरा गाँधी नहर कमान क्षेत्र में सतत्पोषणीय विकास के लिए इनमें से कौन-सा सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है?
(क) कृषि विकास
(ख) पारितंत्र विकास
(ग) परिवहन विकास
(घ) भूमि उपनिवेशन
उत्तर – (क) कृषि विकास
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें।
प्रश्न 1. भरमौर जनजातीय क्षेत्र में समन्वित जनजातीय विकास कार्यक्रम के सामाजिक लाभ क्या हैं?
उत्तर – भरमौर जनजातीय क्षेत्र में समन्वित जनजातीय विकास कार्यक्रम के सामाजिक लाभ निम्नलिखित हैं-
➡साक्षरता दर में तेजी से वृद्धि हुई।
➡ महिला साक्षरता दर 1971 में 1.88 प्रतिशत से बढ़कर 2011 में 65 प्रतिशत हो गई।
➡साक्षरता स्तर और लैंगिक असमानता में पुरुषों और महिलाओं के बीच अंतर में काफी गिरावट आई है।
➡लिंगानुपात में सुधार हुआ है।
➡बाल विवाह में तेजी से कमी आई है।
➡सड़कों, स्कूलों और अस्पताल की उपलब्धता के मामले में बुनियादी ढांचे में तेजी से वृद्धि हुई है।
➡पहले, गद्दी के पास निर्वाह कृषि पद्धतियां थीं, लेकिन पिछले तीन दशकों में दालों और नकदी फसलों की खेती में वृद्धि हुई है।
➡पशुचारण के महत्व में गिरावट आई है, क्योंकि अब तक केवल 10% आबादी ही ऋतू-प्रवास करती है।
प्रश्न 2. सतत्पोषणीय विकास की संकल्पना को परिभाषित करें।
उत्तर – सतत्पोपणीय विकास का तात्पर्य ऐसा विकास से है जिसमें भविष्य में आने वाली पीढ़ियाँ की आवश्यकता पूर्ति को प्रभावित किए बिना वर्तमान पीढ़ी द्वारा अपनी आवश्यकता की पूर्ति की जाती है। अर्थात सतत्पोपणीय विकास एक बहुआयामी संकल्पना है और अर्थव्यवस्था, समाज तथा पर्यावरण में सकारात्मक व अनुत्क्रमीय परिवर्तन का द्योतक है।
प्रश्न 3. इंदिरा गाँधी नहर कमान क्षेत्र का सिंचाई पर क्या सकारात्मक प्रभाव पड़ा?
उत्तर – नहरी सिंचाई के प्रसार से इस प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था प्रत्यक्ष रूप में रूपांतरित हो गई है। इस क्षेत्र में सफलतापूर्वक फसलें उगाने के लिए मृदा नमी सबसे महत्त्वपूर्ण सीमाकरी कारक रहा है। यहाँ की पारंपरिक फसलों, चना, बाजरा, और ज्वार का स्थान गेहूँ, कपास, मूंगफली और चावल ने ले लिया है।
(ग) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें।
प्रश्न 1. सूखा संभावी क्षेत्र कार्यक्रम और कृषि जलवायु नियोजन पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखें। ये कार्यक्रम देश में शुष्क भूमि कृषि विकास में कैसे सहायता करते हैं?
उत्तर- सूखा संभावी क्षेत्र कार्यक्रम और कृषि जलवायु नियोजन कार्यक्रम की शुरुआत चौथी पंचवर्षीय योजना में हुई। इसका उद्देश्य सूखा संभावी क्षेत्रों में लोगो को रोजगार उपलब्ध करवाना और सूखे के प्रभाव को कम करने के लिए उत्पादन के साधनों को विकसित करना था। पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में इसके कार्यक्षेत्र को और विस्तृत किया गया। इसमें सिंचाई परियोजनाओं, भूमि विकास कार्यक्रमों, वनीकरण, चरागाह विकास और आधारभूत ग्रामीण अवसंरचना जैसे विद्युत, सड़कों, बाजार, ऋण सुविधाओं और सेवाओं पर जोर दिया गया।
पिछड़े क्षेत्रों के विकास की राष्ट्रीय समिति ने इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन की समीक्षा की जिसमें यह पाया गया कि सूखा संभावित क्षेत्रों में वैकल्पिक रोजगार अवसर पैदा करने की आवश्यकता है। इन क्षेत्रों का विकास करने की अन्य रणनीतियों में सूक्ष्म-स्तर पर समन्वित जल-संभर विकास कार्यक्रम अपनाना चाहिए। इन क्षेत्रों के विकास की रणनीति में जल, मिट्टी, पौधों, मानव तथा पशु जनसंख्या के बीच पारिस्थितिकीय संतुलन, पुनःस्थापन पर मुख्य रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए।
1967 में योजना आयोग ने देश में 67 जिलों की पहचान सूखा संभावी जिलों के रूप में की। 1972 में सिंचाई आयोग ने 30 प्रतिशत सिंचित क्षेत्र का मापदंड लेकर सूखा संभावी क्षेत्रों का परिसीमन किया। भारत में सूखा संभावी क्षेत्र मुख्यतः राजस्थान, गुजरात, पश्चिमी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र, आंध्र प्रदेश के रायलसीमा और तेलंगाना पठार, कर्नाटक पठार और तमिलनाडु की उच्च भूमि तथा आंतरिक भाग के शुष्क और अर्ध-शुष्क भागों में फैले हुए हैं। पंजाब, हरियाणा और उत्तरी राजस्थान के सूखा प्रभावित क्षेत्र सिंचाई के प्रसार के कारण सूखे से बच जाते हैं।
प्रश्न 2. इंदिरा गांधी नहर कमान क्षेत्र में सतत्पोषणीय विकास को बढ़ावा देने के लिए उपाय सुझाएँ।
उत्तर – इंदिरा गाँधी नहर कमान क्षेत्र में सतत्पोषणीय विकास को बढ़ावा देने वाले कुछ उपाय इस प्रकार हैं-पहली और सबसे महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है जल प्रबंधन नीति का कठोरता से कार्यान्वयन करना। इस नहर परियोजना के प्रथम चरण में कमान क्षेत्र में फसल रक्षण सिंचाई और द्वितीय चरण में फसल उगाने और चरागाह विकास के लिए विस्तारित सिंचाई का प्रावधान है। इस क्षेत्र में शस्य प्रतिरूप में सामान्यतः जल सघन फसलों को नहीं बोया जाना चाहिए। इसका पालन करते हुए किसानों का बागाती कृषि के अंतर्गत खट्टे फलों की खेती करनी चाहिए।
कमान क्षेत्र विकास कार्यक्रम जैसे नालों को पक्का करना, भूमि विकास तथा समतलन और वारबंदी (ओसरा) पद्धति (निकास के कमान क्षेत्र में नहर के जल का समान वितरण) प्रभावी रूप से कार्यान्वित की जाए ताकि बहते हुए जल की क्षति मार्ग में कम हो सके।
इस प्रकार जलाक्रांत एवं लवण से प्रभावित भूमि का पुनरूद्धार किया जाएगा। वनीकरण, वृक्षों का रक्षण मेखला (shelterbelt) का निर्माण और चरागाह विकास इस क्षेत्र, विशेषकर चरण-2 के भंगुर पर्यावरण, में पारितंत्र-विकास (eco-development) के लिए अति आवश्यक है। इस प्रदेश में सामाजिक सतत् पोषणता का लक्ष्य तभी हासिल किया जा सकता है यदि निर्धन आर्थिक स्थिति वाले भूआवंटियों को कृषि के लिए पर्याप्त मात्रा में वित्तीय और संस्थागत सहायता उपलब्ध करवाई जाए। मात्र कृषि और पशुपालन के विकास से इन क्षेत्रों में आर्थिक सतत्पोषणीय विकास की अवधारणा को साकार नहीं किया जा सकता।
कृषि और इससे सम्बन्धित क्रियाकलापों को अर्थव्यवस्था के अन्य सेक्टरों के साथ विकसित करना पड़ेगा। इनसे इस क्षेत्र में आर्थिक विविधीकरण होगा तथा मूल आबादी गाँवों, कृषि-सेवा केन्द्रों (सुविधा गाँवों) और विपणन केन्द्रों (मंदी कस्बों) के बीच प्रकार्यात्मक संबंध स्थापित होगा।
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बिहार बोर्ड कक्षा 12वीं के भूगोल का सम्पूर्ण प्रश्नोत्तर
(खण्ड 1: मानव भूगोल के मूल सिद्धांत)
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- इकाई -2 अध्याय -2. विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि
- इकाई -2 अध्याय 3. जनसंख्या संघटन
- इकाई -2 अध्याय -4. मानव विकास
- इकाई -3 अध्याय-5. प्राथमिक क्रियाएँ
- इकाई -3 अध्याय-6. द्वितीयक क्रियाएँ
- इकाई -3 अध्याय-7. तृतीयक और चतुर्थ क्रियाकलाप
- इकाई -3 अध्याय-8. परिवहन एवं संचार
- इकाई -3 अध्याय-9. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
- इकाई -4 अध्याय-10. मानव बस्ती
- इकाई -1 अध्याय 1 जनसंख्या: वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन (Population: Distribution, Density, Growth and Composition)
- इकाई -1 अध्याय 2 प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम (Migration: Types, Causes and Consequences)
- इकाई -1 अध्याय 3 मानव विकास (Human Development)
- इकाई -2 अध्याय 4 मानव बस्तियाँ (Human Settlements)
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- इकाई -3 अध्याय 6 जल संसाधन (Water Resources)
- इकाई -3 अध्याय 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन (Mineral and Energy Resources)
- इकाई -3 अध्याय 8 निर्माण उद्योग (Manufacturing Industries)
- इकाई -3 अध्याय 9 भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास (Planning and Sustainable Development in Indian Context)
- इकाई -4 अध्याय 10 परिवहन तथा संचार (Transport And Communication)
- इकाई -4 अध्याय 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार (International Trade)
- इकाई -5 अध्याय 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ (Geographical Perspective on Selected Issues and Problems)
PREVIOUS YEAR QUESTION PAPER सम्पूर्ण हल सहित (बिहार बोर्ड भूगोल 12वीं कक्षा)