Unique Geography Notes हिंदी में

Unique Geography Notes in Hindi (भूगोल नोट्स) वेबसाइट के माध्यम से दुनिया भर के उन छात्रों और अध्ययन प्रेमियों को काफी मदद मिलेगी, जिन्हें भूगोल के बारे में जानकारी और ज्ञान इकट्ठा करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस वेबसाइट पर नियमित रूप से सभी प्रकार के नोट्स लगातार विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रकाशित करने का काम जारी है।

GEOGRAPHICAL THOUGHT(भौगोलिक चिंतन)

30. भूगोल एक क्षेत्र-वर्णनी विज्ञान (Chorological Science) है। विवेचना कीजिये।

30. भूगोल एक क्षेत्र-वर्णनी विज्ञान (Chorological Science) है। विवेचना कीजिये।


           भूगोल एक ‘क्षेत्र-वर्णनी विज्ञान’ (Chorological Science) है, भूगोल के इस स्वरूप को प्रतिपादित करने का मुख्य श्रेय जर्मनी के दो प्रमुख निम्न भूगोलवेत्ताओं को जाता है:

1. वॉन रिचथोफेन (Von Richthofen)

2. अल्फ्रेड हैटनर (A. Hettner)

     इन दोनों भूगोलवेत्ताओं ने भूगोल के अध्ययक्ष क्षेत्र (scope) की व्याख्या भी की थी और अन्य क्रमबद्ध विज्ञानों (systematic science) के साथ भूगोल के सम्बन्धों का विश्लेषण (analysis) और संश्लेषण (synthesis) भी किया था।

1. वॉन रिचथोफेन (Von Richthofen 1833-1905):-

        यद्यपि रिचथोफेन की शिक्षा भूगर्भ विज्ञान या भौमिकी (Geology) में हुई थी, परन्तु यह एक प्रसिद्ध भौतिक भूगोलवेत्ता (Physiographer) थे और साथ ही उन्होंने भूगोल के मानवीय पक्ष का भी ध्यान रखा था। वे बोन, लीपजिंग तथा बर्लिन विश्वविद्यालयों में प्राध्यापक भी रहे थे। सर्वप्रथम उनके अन्वेषण आल्पस क्षेत्र में आस्ट्रिया के टिरोल (Tyrol) प्रदेश में हुए थे तत्पश्चात् वह ट्रांसिल्वानिया तक बढ़ा और पूर्वी चीन में जाकर रहा।

        चीन में उसने व्यापक विस्तृत क्षेत्र अध्ययन करके सन् 1882 में ‘चीन का भूगोल’ नामक पुस्तक तथा उसकी मानचित्रावली (Atlas) प्रकाशित की। रिचथोफेन ने चीन के शान्टुग और किआओचाऊ क्षेत्रों में कोयले के भण्डारों को बताया था। वह संयुक्त राज्य अमेरिका में कैलीफोर्निया भी गया था जहाँ उसने सोने के भण्डारों की भी खोज की थी।

     रिचथोफेन चीन में भू-विज्ञानी (Geologist) होकर गया था और वहाँ से भूगोलवेत्ता (Geographer) बनकर लौटा था। चीन के भूगोल पर रिचथोफेन की ग्रन्थमाला कुछ उसके जीवनकाल में और कुछ उसकी मृत्यु के बाद सन् 1877 से 1912 तक प्रकाशित हुई थी उसमें 5 ग्रन्थ थे। इस ग्रन्थमाला के प्रकाशन से रिचथोफेन विश्वविख्यात हो गया था। प्रथम ग्रन्थ पर ही उसको ‘Royal Geographical Society’ के संस्थापक का पदक मिला था। जर्मनी में वापस आने के बाद बोन विश्वविद्यालय में और फिर लीपजिग विश्वविद्यालय में भूगोल के प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हुई। तत्पश्चात् वह बर्लिन विश्वविद्यालय में प्रोफेसर नियुक्त हुए थे।

    कई वर्षों तक वह ‘Berlin Geographical Society’ के अध्यक्ष भी रहे थे। उन्होंने महासागरीय संस्थान (Oceanographical Institute of Berlin) को ठोस वैज्ञानिक आधार पर स्थापित किया था।

       रिचथोफेन का मुख्य कार्य भौतिक भूगोल में विशेष भू-आकृति विज्ञान (Geomorphology) के क्षेत्र में है। सर्वप्रथम उसने रिया तटों (Ria Coasts) और फियोर्ड (Fiord Coasts) का अन्तर समझाया था। बाद में उसने प्रदेशों का अध्ययन करके सामान्य तुलनात्मक भूगोल (General Comparative Geography) की स्थापना की थी।

      जर्मनी में रिचथोफेन का निकटतम शिष्य अल्ब्रेट पेंक (Albrecht Penck) था। जर्मनी से बाहर उसके ग्रन्थों की प्रशंसा ब्लाश ने बहुत अधिक की, परन्तु उसका सबसे अधिक प्रमुख सहायक कार्यकर्ता अमेरिकन भौतिक भूगोलशास्त्री डेविस (W. M. Davis) था।

     वॉन रिचथोफेन ने भूगोल को ‘क्षेत्र-वर्णनी विज्ञान’ (Chorological Science) सिद्ध किया था अर्थात् भूगोल में पृथ्वीतल की क्षेत्रीय विभिन्नताओं (Areal Variations) का अध्ययन होता है। उसने अपने लेखों में कहा था कि भूगोल की अध्ययन सामग्री में अनेक प्रकार के तथ्यों की बहुत बड़ी संख्या होती है, उस सब तथ्यों को मिलाकर एक विषय के अन्तर्गत अध्ययन करने के लिए अध्ययन की विधि को तय करना बहुत अधिक आवश्यक है। इस दृष्टिकोण से भूगोल क्षेत्रीय भिन्नता (Areal diversity) का विषय है। रिचथोफेन के अनुसार भौगोलिक अध्ययन में क्षेत्रीय सिद्धान्त (Areal principle) अनिवार्य था।

       “इस प्रकार भूगोल को ‘क्षेत्रीय विज्ञान’ का स्वरूप देने का मुख्य श्रेय वॉन रिचथोफेन को ही है।”

2. अल्फ्रेड हैटनर (Alfred Hettner 1859-1941):-

      हैटनर महोदय बीसवीं शती के अग्रगण्य रीति-विधायक (Methodologist) माने जाते हैं। हैटनर ने अन्य भूगोलवेत्ताओं की अपेक्षा सबसे अधिक मात्रा में भूगोल को दार्शनिक तथा वैज्ञानिक आधार प्रदान किया था। उसने भूगोल की एक प्रमुख अनुसन्धान पत्रिका (Research Journal) को प्रकाशित किया था। साथ ही कई ग्रन्थ भी लिखे, जिनमें प्रमुख ग्रन्थ भूगोल के विधि तंत्र (Methodology) पर और प्रादेशिक भूगोल पर थे और लगभग 30 व्यक्तियों को डाक्ट्रेट की उपाधि के लिए शोधकार्य कराया था।

भूगोल एक क्षेत्र
      हैटनर भूगोल के ही विद्यार्थी थे। वे रिचथोफेन तथा रेटजेल के शिष्य थे। उनकी नियुक्ति हाइडिलबर्ग विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर थी। वह मूलतः भौतिक भूगोलवेत्ता तथा प्रादेशिक भूगोलवेत्ता थे। उन्होंने बहुत सी भौगोलिक यात्राएं भी की थीं।

        भौतिक भूगोल पर उसके बहुत से शोध पत्र (Research papers) भी प्रकाशित हुए थे जो 1919 से आगे के वर्षों में 4 खण्डों में छपे थे। यूरोप के भूगोल की पुस्तक 1907 में छप चुकी थी, परन्तु उसका संशोधित संस्करण शेष विश्व के भूगोल के साथ सन् 1923 में प्रकाशित हुआ था। हैटनर की विशेष ख्याति भौगोलिक विधि तंत्र(Geographical methodology) पर लिखे गए ग्रन्थ द्वारा हुई थी जो सन् 1927 में प्रकाशित हुआ था।

      हैटनर ने अपने लेखों में काण्ट द्वारा प्रस्तुत भूगोल की परिभाषा का पुनरावर्तन किया और उस ढांचे के अन्दर हम्बोल्ट, रेटजेल एवं पेशेल के द्वारा लिखे गए क्रमबद्ध अध्ययन (Systematic Study) को तथा रिचथोफेन, रिटर एवं मार्थे के द्वारा लिखे गए प्रादेशिक अध्ययनों को परस्पर शामिल करके भूगोल को एक समबद्ध पूर्ण (Coherent whole) विषय बना दिया है।

     उसने एक भौगोलिक पत्रिका ‘Geographische Zeitschrift’ सन् 1895 में प्रकाशित की थी। वास्तव में हैटनर की विचारधारा का प्रकाशन उस पत्रिका की प्रस्तावना में, उसके बाद सन् 1898 में भूगोल का प्रोफेसर होने के प्रारम्भिक भाषण में, तत्पश्चात् भौगोलिक विधि-तंत्र पर प्रकाशित पुस्तक में हुआ है।      

   अलफ्रेड हैटनर के अनुसार भूगोल सामान्य भू-विज्ञान नहीं है, वरन् पृथ्वी तल का क्षेत्रीय विज्ञान है। “Geography is a Chorological Scinece of the earth’ Surface.”

      इसका सम्बन्ध प्रमुख रूप से प्रकृति और मनुष्यों के बीच पारस्परिक क्रियाओं से होता है इसके अन्तर्गत स्थानिक सम्बन्धों का मूल्यांकन भी होता है। भूगोल का प्राथमिक रूप से उद्देश्य क्षेत्रों या प्रदेशों का अध्ययन करना है। हैटनर ने सामान्य भूगोल एवं विशेष भूगोल अथवा प्रादेशिक भूगोल के अन्तर को भी समझाया है। सामान्य भूगोल के अन्तर्गत भूतल पर विभिन्न भौगोलिक परिघटनाओं (Phenomena) के वितरण का क्रमबद्ध (Systematic) वर्णन होता है। दूसरे विशेष या प्रादेशिक भूगोल (Landerkunde) के अन्तर्गत प्रदेशों के भौगोलिक तत्वों का अध्ययन होता है।

       सन् 1905 में हैटनर ने भूगोल की परिभाषा में कहा, कि भूगोल पृथ्वी का क्षेत्रीय विज्ञान है, जिसमें क्षेत्रों का अध्ययन उनकी विभिन्नताओं और स्थानिक सम्बन्धों के प्रसंग में होता है।

       क्षेत्रों (Area) के अध्ययन में हैटनर ने प्रकृति और मनुष्य दोनों को सम्मिलित किया है। इन दोनों को अलग-अलग नहीं किया जा सकता।

   अलफ्रेड हैटनर के भौगोलिक विधि तंत्र (Methodology) पर लिखे गए शोध प्रबन्ध, जिनको वह विधि विहार (Methodological rambles) कहकर सम्बोधित करते थे तथा जलवायु एवं उच्चावचन (relief) पर उनके विवेचन आज भी भौगोलिक ज्ञान और प्रस्तुतीकरण (Presentation) में उच्च स्थान पर हैं। उसने अपनी भौगोलिक पत्रिका ‘Geographische Zetschrift’ का लेखन सम्पादन निरन्तर नियमित रूप से किया था। सन् 1905 में सोवियत संघ के भूगोल पर एक श्रेष्ठ पुस्तक, सन् 1907 में यूरोप का भूगोल और सन् 1915 में ब्रिटेन का मूल्यांकन हैटनर महोदय ने प्रकाशित कराया था।

        उसने अपनी भौगोलिक पत्रिका में, पुस्तक के रूप में अपने भू-प्राकृतिक अध्ययन- महाद्वीपों की स्थलाकृति (The terrain Features of the continents) और विश्व के सांस्कृतिक भूगोल (The march of culture over the world) की पुस्तकें भी छपवाई थीं।

प्रश्न प्रारूप

1. भूगो एक क्षेत्र-वर्णनी विज्ञा (Chorological Science) है। विवेचना कीजिये।


Tagged:
I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

LEAVE A RESPONSE

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts

error:
Home